विलियम शेक्सपियर का जन्म 26 अप्रैल 1564 को इंग्लैण्ड के स्ट्रेटफोर्ड ऑफ एवन शहर में हुआ था। उनके माता-पिता का नाम जॉन शेक्सपियर और मेरी आर्डेन था. शेक्सपियर के पिता एक छोटे कारोबार करते थे। और स्ट्रेटफोर्ड के सरकार में नौकरी भी करते थे।
★ शेक्सपियर का निजी जीवन ★
शेक्सपियर ने 18 साल की उम्र में ऐनी हैथवे से शादी कर ली ऐनी हैथवे जो उनसे 8 साल उम्र में ज्यादा थी। ऐनी हैथवे 26 साल की थी। शादी के 6 महीने बाद उनकी एक बेटी हुई सुसेना इसके बाद उन्हें दो जुड़वे बच्चे हुए। उनका नाम हेम्नेट और जूडिथ हेम्नेट था। लेकिन मात्र 11 साल की उम्र में मृत्यु हो गई।
◆ शेक्सपियर का बचपन और उनकी पढ़ाई लिखाई ◆
शेक्सपियर ने आर्थिक कठिनाइयों के कारण बचपन में स्कूल छोड़ दिया था और छोटे-मोटे काम धंधे में लग गए थे. शेक्सपियर ने शुरू में थियेटर में नौकरी की और जल्द ही नाटकों से लगाव हो जाने के कारण लंदन के प्रमुख थियेटर्स में काम करने लगे. उसके बाद उन्होंने खुद नाटक लिखना शुरू किया.
◆ उनकी प्रसिद्ध किताबें और नाटक ◆
उनकी महत्वपूर्ण रचनाओं में हैमलेट, ऑथेलो, किंग लियर, मैकबेथ, जूलियस सीजर प्रसिद्ध है.
शेक्सपीयर ने बहुत सा काम 1589 से 1613 के समय में ही किया है।उनके प्रारंभिक लेख और नाटक साधारणतः कॉमेडी होते थे। बाद में 1608 तक उन्होंने दुखांत नाटक लिखे, जिनमे हैमलेट, ऑथेलो, किंग लेअर और मैकबेथ भी शामिल है। अपने अंतिम समय में उन्होंने दुःख सुखान्तक नाटको का लेखन किया था।
जिनमे कुछ रोमांचक नाटक भी शामिल है। उनके बहुत से नाटको को प्रकाशित भी किया गया है। 1623 में शेक्सपीयर के दो दोस्त और अनुयायी अभिनेता जॉन हेमिंगस और हेनरी कंडेल ने मिलकर उनके मरणोपरांत फर्स्ट फोलियो को प्रकाशित किया। 20 से 21 वी शताब्दी में मॉडर्न कवियों ने उनके कार्यो को दोबारा खोज निकाला और रूपांतर कर उसे प्रकाशित करने लगे थे। अंतिम नाटकों में शेक्सपियर का परिपक्व जीवनदर्शन मिलता है। महाकवि को अपने जीवन में विभिन्न प्रकार के अनुभव हुए थे जिनकी झलक उनकी कृतियों में दिखाई पड़ती है। प्रणय विषयक सुखांत नाटकों में कल्पनाविलास है और कवि का मन ऐश्वर्य और यौवन की विलासितामें रमा है। दु:खांत नाटकों में ऐसे दु:खद अनुभवों को अभिव्यक्ति है जो जीवन को विषाक्त बना देते हैं।
शेक्सपियर के कृतित्व की परिणति ऐसे नाटकों की रचना में हुई जिनमें उनकी सम्यक बुद्धि का प्रतिफलन हुआ है। जीवन में दु:ख के बाद सुख आता है, इसीलिये विचार और व्यवहार में समानता लाना बहोत जरुरी है। इन अंतिम नाटकों से यह निष्कर्ष निकलता है कि हिंसा और प्रतिशोध की अपेक्षा दया और क्षमा अधिक महत्वपूर्ण हैं। अपने गंभीर नैतिक संदेश के कारण इन नाटकों का विशेष महत्व है।
शेक्सपियर में अत्यंत उच्च कोटि की सर्जनात्मक प्रतिभा थी और साथ ही उन्हें कला के नियमों का ज्ञान भी था। प्रकृति से उन्हे मानो वरदान मिला था अत: उन्होंने जो कुछ छू दिया वह सोना हो गया। उनकी रचनाएँ न केवल इंग्लिश भाषा के लिए गौरव की बात हैं बल्कि विश्ववाङ्मय की भी अमर विभूति हैं। शेक्सपियर की कल्पना जितनी प्रखर थी उतना ही गंभीर उनके जीवन का अनुभव भी था। अत: जहाँ एक ओर उनके नाटकों तथा उनकी कविताओं से आनंद की उपलब्धि होती है वहीं दूसरी ओर उनकी रचनाओं से हमको गंभीर जीवनदर्शन भी प्राप्त होता है। विश्वसाहित्य के इतिहास में शेक्सपियर के समकक्ष रखे जानेवाले बहोत कम कवि मिलते हैं।
◆ मृत्यु ◆
अपने नाटकों, कविताओं और सॉनेट से साहित्य जगत पर राज करने वाले शेक्सपियर का देहांत 23 अप्रैल 1616 को हुआा था. शेक्सपियर के नाटकों का जादू आज भी दुनिया पर छाया हुआ है.