एलिफेंटा की गुफाएं देश की आर्थिक राजधानी मुम्बई शहर के पास स्थित पौराणिक देवताओं की आकर्षक मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध हैं। पहाड़ों को काटकर बनाई गई ये मूर्तियाँ दक्षिण भारतीय मूर्तिकला से प्रेरित है, जो महाराष्ट्र के मुख्य आकर्षणों में से एक है। गुफा में बनी सुंदर मूर्तियों में हिन्दू और बौद्ध धर्म की झलक साफ देखी जा सकती है।
एलिफेंटा की गुफाएं : एलिफेंटा को कोंकणी मौर्य की द्वीप राजधानी थी। इसको पुराने नाम घारापुरी के नाम से जाना जाता है जो , इस गुफा के शिखर पे बहुत बड़ी भगवान शिव की भव्य मूर्ति है। जिनमें से प्रत्येक एक अलग रूप दर्शाता है। एलिफेंटा की गुफाएं मुम्बई महानगर के पास स्थित पर्यटकों का एक बड़ा आकर्षण केन्द्र हैं। एलिफेंटा द्वीप महाराष्ट्र राज्य के मुम्बई में गेटवे ऑफ इंडिया से 10 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। गुफा में बना यह मंदिर भगवान शिव का समर्पित है, जिसे राष्ट्र कूट राजाओं द्वारा लगभग 8वीं शताब्दी के आस पास खोज कर निकाला गया था।
स्थानीय परम्पराओं के अनुसार यह गुफाएं मानवनिर्मित नहीं है और इन्हें बनाने का श्रेय भारतीय महाकाव्य महाभारत के नायकों और वनमानुषों को दिया जाता है, जोकि भगवान् शिव के भक्त थे। सन 635 ईस्वी में, नौसैनिक युद्ध में बादामी चालुकस सम्राट पुल्केसी द्वितीय (609-642) ने कोंकण के मौर्य शासकों को हराया था कुछ इतिहासकार कहते है कि यह गुफाएं उसी समय यानि के छठी शताब्दी की बनी हुई है। यह गुफाएं सिल्हारा वंश (8100-1260) के राजाओं द्वारा निर्मित बतायीं जातीं हैं, जिन्होंने नौंवीं शताब्दी से तेरहवीं शताब्दी तक यहाँ राज किया था। 16वीं सदी में यहाँ पर पुर्तग़ालियों का अधिकार था। पुर्तगाली यात्री वाँन लिंसकोटन द्वारा लिखित ग्रंथ ‘डिस्कोर्स आव वायेजेज’ नामक से सूचित होता है कि 16वीं सदी में यह द्वीप पुरी या पुरिका नाम से प्रसिद्ध था, जो कोंकणी मौर्य की द्वीप राजधानी थी। राजघाट नामक स्थान पर सोलहवीं सदी तक हाथी की एक बहुत बड़ी मूर्ति अवस्थित थी। इसी कारण पुर्तग़ालियों ने इस द्वीप का एलिफेंटा रखा था।
और क्या क्या है इस गुफ़ा के अंदर :-–
एलिफेंटा की गुफाएं 7 गुफाओं का सम्मिश्रण हैं, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण है महेश मूर्ति गुफा। गुफा के मुख्य हिस्से में पोर्टिकों के अलावा तीन ओर से खुले सिरे हैं और इसके पिछली ओर 27 मीटर का चौकोर स्थान है और इसे 6 खम्भों की कतार से सहारा दिया जाता है। “द्वार पाल” की विशाल मूर्तियां अत्यंत प्रभावशाली हैं।
इस गुफा में शिल्प कला के कक्षो में अर्धनारीश्वर, कल्याण सुंदर शिव, रावण द्वारा कैलाश पर्वत को ले जाने, अंधकारी मूर्ति और नटराज शिव की उल्लेखनीय छवियां दिखाई गई हैं।
एलिफेंटा की गुफाओं के बारे में रोचक तथ्य:-
- यह द्वीप महाराष्ट्र राज्य के मुम्बई में गेटवे ऑफ इंडिया से 10 कि.मी. की दूरी पर स्थित है।
- इसका व्यास लगभग 4.5 मील (लगभग 7.2 कि.मी.) है।
- यह गुफाएं दो भागों में विभाजित हैं, इनमें से 5 गुफाएं भगवान शंकर को समर्पित है तथा दूसरे समूह में स्तूप हिल नामक दो बौद्ध गुफायें स्थित हैं।
- एलिफेंटा की गुफ़ाएँ 7 गुफ़ाओं का सम्मिश्रण हैं, जिनमें से महेश मूर्ति गुफ़ा सबसे महत्वपूर्ण है।
- मुख्य गुफा में 26 स्तंभ हैं, जिसमें शिव को कई रूपों को दिखाया गया हैं।
- इनमें शिव की त्रिमूर्ति प्रतिमा सबसे भव्य है। यह मूर्ति 23 या 24 फीट लम्बी और 17 फीट ऊँची है। इस मूर्ति में भगवान शिव के तीन रूपों का चित्रण किया गया है।
- गुफा के मुख्य हिस्से में पोर्टिकों के अलावा तीन ओर से खुले सिरे हैं और इसके पिछली ओर 27 मीटर का चौकोर स्थान है और इसे 6 खम्भों के द्वारा सहारा दिया जाता है।
- एलिफेन्टा की पहाड़ी में शैलोत्कीर्ण करके उमा महेश गुहा मन्दिर का निर्माण लगभग 8वीं शताब्दी में किया गया।
- ए. डी. 757-973 के बीच इस क्षेत्र पर राज कर रहे राष्ट्र कूट राजाओं द्वारा लगभग 8वीं शताब्दी के आस पास उमा महेश गुहा मन्दिर को खोज कर निकाला गया था।
- इस गुफाओं में महायोगी, नटेश्वर, भैरव, पार्वती-परिणय, अर्धनारीश्वर, पार्वतीमान, कैलाशधारी रावण, महेशमूर्ति शिव तथा त्रिमूर्ति के अद्भुत चित्र देखने को मिलते हैं।
- इन अद्भुत गुफाओं में भगवान् शंकर के विभिन्न रूपों के कारण इन्हें ‘टैम्पल केव्स’ भी कहा जाता हैं। यहां पर शिव-पार्वती के विवाह का भी सुंदर चित्रण किया गया है।
- यूनेस्को द्वारा 1987 में इन गुफाओं को विश्व विरासत स्थल घोषित किया गया था।
- भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) विभाग द्वारा इसका रखरखाव किया जाता है।
- यहाँ से हर तीस मिनट के बाद एक नाव जाती है जो केवल प्रात: काल 9 बजे से दोपहर के 12 बजे तक चलती है।
- बंदरगाह के पास से गुफाओं के प्रवेश द्वार तक एक मिनी ट्रेन भी चलती है जिसका किराया मात्र 10 रुपये प्रति व्यक्ति है।
यूनेस्को ने किया है विश्व धरोहर स्थल :
एलिफेंटा गुफाओं को यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल के रूप में भी घोषित किया है और भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) विभाग द्वारा इसका रखरखाव किया जाता है। एलिफेंटा गुफाएं वास्तव में कला की अभिव्यक्ति की तरह हैं मुख्य गुफा या शिव गुफा में एक खंभेदार मंडप (हॉल), खुला बंदरगाह और एक गलियारा है। प्रत्येक दीवार देवता की नक्काशियों से सजायी गयी है और केंद्र में स्थित तीन मुख वाली मूर्ति या त्रिमूर्ति गुफा का एक प्रतिष्ठित आकर्षण है। तीन चेहरे शिव-भैरव या पूर्व की ओर विध्वंसक, वामदेव या पश्चिम की तरफ खुशी के निर्माता और तात पुरुष या केंद्र में सद्भाव के गुरु और संरक्षक हैं।
यहाँ एक मिनी ट्रेन भी है जो आपको बंदरगाह के पास से गुफाओं के प्रवेश द्वार तक 10 रुपये प्रति व्यक्ति के मामूली किराये पर ले जाती है, या फिर आपको वहां पहुंचने के लिए 120 टेढ़ी मेढ़ी सीढ़ियाँ पार करनी होंगी। चार या पाँच बड़ी गुफाओं के अलावा, दूसरी गुफाऐं सुरक्षित नहीं रह गईं हैं आप इनको नकार सकते हैं। यदि आपके पास पार्याप्त समय है और आप आराम से पैदल चल सकते हैं, तो आप उस कैनन हिल तक चढ़ सकते हैं जो एक पुरानी तोप की वजह से जाना जाता है।
गुफाओं तक पहुंचने की यात्रा अपने आप में एक आनन्द की सवारी की तरह है। गेटवे ऑफ इंडिया से नाव द्वारा एलीफेंटा द्वीप तक पहुँचने के लिए कई घंटे लग सकते है। यहाँ अरब सागर और ठंडा मौसम इस स्थान को रोमांचक बनाता है।
त्वरित सुझाव:
- बंदरों से सावधान रहें और उन्हें कुछ भी खाने को न दें।
- सैर के बारे में सर्वोत्तम जानकारी के लिए एक गाइड को किराये पर रखें
- आप अपने साथ पेय जल सुरक्षित रखें।
- द्वीप में अधिक स्मृति चिन्हों को खरीदने से बचें,मुंबई में बेहतर सामान उपलब्ध है।
- आरामदायक जूते पहनें क्योंकि एलिफेंटा द्वीप से गुफाओं तक पहुंचने के लिए आपको पैदल यात्रा करनी होगी।
- यहाँ कुछ रेस्तरां भी हैं जहाँ आप भोजन कर सकते हैं।
- समय : प्रातः 9 बजे से शाम 5 बजे (सोमवार को बंद)
- प्रवेश शुल्क : भारतीय-10 रुपये, अन्य-250 रुपये,
- 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए मुफ्त।