दिल्ली का जिक्र होता है तो अक्सर लोग कहते हैं कि दिल्ली दिलवालों की है लेकिन क्या आप जानते हैं कि दिलवालों की इस दिल्ली में कई ऐसी जगहें हैं, जहां पहुंचते ही आप प्यार से भर उठेंगे। कई ऐसी जगहें हैं जहां की हवा में ही प्यार है। हो सकता है आपने दिल्ली में मौजूद तमाम ऐतिहासिक इमारतें देख रखी हों, बाजार घूम रखे हों लेकिन क्या आप इन स्थानों पर गए हैं, जहां जाते ही प्यार हो जाए। अगर आप किसी बेहद खास के साथ कुछ स्पेशल टाइम बिताना चाहते हैं,
दिल्ली की कड़कड़ाती सर्दी हो या यहाँ पर मिलने वाले स्वादिष्ट पकवान. आपको यहाँ पर घूमने फिरने की भी इतनी जगहें मिलेंगी कि आप सोच भी नहीं सकते और इनमें भी सबसे अच्छी बात यह हैं कि यहाँ आपको घूमने के लिए विकल्प भी उपलब्ध हैं अर्थात् आपकी जिन स्थानों को देखने में रूचि हो, जैसे -: आप धार्मिक स्थल घूमना चाहते हैं या प्राचीन इमारतें देखने का शौक रखते हैं, खानपान के शौक़ीन हैं या किसी राजनेता को देखना चाहते हैं; आपके मन – मुताबिक आप यहाँ घूम – फिर सकते हैं और फिर इसीलिए तो कहा जाता हैं इसे -: दिल वालों की… दिल्ली.
रोज़ कैफे, साकेत : यह जगह साकेत मेट्रो स्टेशन से सिर्फ कुछ मिनट की वॉक पर है। यहां की सजावट और चीजें आपका दिल मोह लेंगी। आउट डोर सिटिंग ताजगी का एहसास कराती है। यहां बहुत से खाने-पीने के स्टॉल हैं। यहां की खुली हवा में आप भी खुलकर अपने दिल की बात कर सकते हैं। कुछ वक्त के लिए आप यह भूल जाएंगे कि आप दिल्ली जैसे मेट्रो शहर के ही एक कोने में बैठे हैं।
हौज खास विलेज : अगर आपको और आपके साथी को हरियाली से प्यार है तो यह जगह आपको जरूर पसंद आएगी। यह जगह अपने में कई चीजों को समेटे हुए है। यह आधुनिकता और इतिहास का अच्छा मेल है। यहां के फूड ज्वाइंट्स तो पूरी दिल्ली में मशहूर हैं।
ओखला बर्ड सैंक्चुअरी : दिल्ली और नोएडा के बॉर्डर पर स्थित ओखला बर्ड सैंक्चुअरी में आपको 300 से ज्यादा पक्षियों की प्रजातियां देखने को मिल जाएगीं. साथ ही कुछ ऐसे पक्षी देखने को मिल जाएंगे जो आपने पहले कभी नहीं देखे होंगे.
इंडिया गेट : दिल्ली की बहुत ही फेमस जगह है, जहां आप कभी भी जा सकते हैं। सबसे ज्यादा लोग इंडिया गेट जाना पसंद करते हैं। इंडिया गेट, दिल्ली के हार्ट में स्थित है। यह दिल्ली की सबसे खुबसूरत निर्माण कार्यों में से एक हैं. इसका निर्माण उन 90,000 शहीदों की याद में और उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए किया गया था, जिन्होंने अफ़ग़ान युद्ध और प्रथम विश्व युद्ध के समय अपने प्राणों की बलि दे दी थी. इसका निर्माण सन 1931 में किया गया था.
दिल्ली का बंगला साहिब : दिल्ली का यह गुरूद्वारा पूरे रात खुला होता है। बंगला साहिब बहुत ही शांत जगह है। एक ऐसी जगह है तो आपके मन के बहुत ही शांति पहुंचाएंगी। आप यहां जाकर घंटों बिता सकते हैं। हर धर्म के लोगों को यहां जाने की अनुमति है, चाहे वह हिंदु हो मुस्लिम हो या कोई और धर्म के लोग।
फूड कोर्ट (जवाहर लाल नेहरू कॅालेज): जे एन यू का यह फूड कोर्ट आपको खुला मिलेगा। खास बात तो यह है कि आप यहां कभी भी जा सकते हैं और टेस्टी खाने का स्वाद ले सकते हैं। अगर आप जे एन यू के नहीं हैं तो भी आराम से इसके अंदर जा सकते हैं। इस फूड कोर्ट का शावरमा बहुत ही टेस्टी है, एक बार आप जरूर ट्राई करें।
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन : दिल्ली रेलवे स्टेशन एक ऐसी जगह है जो आपको हमेशा ही खुली मिलेगी। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन उनमें से एक है जहां आपतो बहुत सारे खाने के आप्शन मिलेंगे। स्टेशन के बगल में पहाडग़ंज है, जहां आपको आपके पसंद के टेस्टी खाने मिल जाएंगे। टेस्टी खाने को खाकर आपके पेट को बहुत ही राहत मिलेगी।
राष्ट्रपति भवन : हमारे देश के राष्ट्रपति का निवास स्थान होता हैं – राष्ट्रपति भवन. इसका निर्माण वास्तव में ब्रिटिश काल में गवर्नर जनरल ऑफ़ इंडिया के लिए किया गया था. यह इमारत मुग़ल और भारतीय कला का मिला जुला रूप हैं. साथ ही यहाँ का आकर्षण हैं, सुन्दर फूलों से भरा हुआ बगीचा और विभिन्न और दुर्लभ प्रजातियों के फूल.
पुराना किला: यह मुग़लकालीन सैन्य संरक्षण की रचनाओं में एक बेहतरीन नमूना हैं. इसका निर्माण महाभारत काल में पांडवों द्वारा किया गया था, जिसका मुग़ल बादशाह हुमायूँ ने पुनः उद्धार करवाया और फिर बाद में शेर शाह सूरी द्वारा इसमें बदलाव किये गये. यह मजबूती से खड़ी एक अनोखी इमारत हैं, जो बाद की मुग़लकालीन इमारतों से भिन्नता रखती हैं, जिसे अपनी सुन्दर सजावट के लिए नहीं, अपितुमजबूती के लिए जाना जाता हैं.
हुमायूँ का मक़बरा : इसे यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साईट में सम्मिलित किया गया हैं. इसका निर्माण हुमायूँ की मौत के बाद उसकी सबसे बड़ी पत्नि ‘बेगा बेगम’ ने करवाया था. यह भारत में पहला ऐसा मक़बरा हैं, जो एक बाग़ के रूप में बनाया गया हैं. यह मक़बरा बगीचे के बीचों बीच स्थित हैं. बाद में मुग़ल सल्तनत के कई शासकों को इसी मक़बरे के पास दफनाया गया था.
चांदनी चौक : दिल्ली के मुख्य बाज़ारों में से एक हैं – चांदनी चौक, जिसका निर्माण ताजमहल के निर्माता और मुग़ल बादशाह शाह जहाँ ने करवाया था. ताजमहल के इतिहास को यहाँ पढ़ें| इसे बनाने के पीछे उसका उद्देश्य यह था कि उसकी बेटी अपनी जरुरत और पसंद की हर चीज इस बाज़ार से खरीद सकें. चांदनी चौक एशिया का सबसे बड़ा थोक बाज़ार [Wholesale Market] हैं. साथ ही यह उत्तर मध्य दिल्ली के सबसे पुराने और सबसे व्यस्त बाज़ारों में से भी एक हैं.
क़ुतुब मीनार : दक्षिणी दिल्ली के महरौली में कुतब कॉम्प्लेक्स में स्थित हैं क़ुतुब मीनार, जिसका निर्माण ‘क़ुतुब-उद-दीन ऐबक’ ने कराया था, जिसने सन 1206 में दिल्ली पर कब्ज़ा प्राप्त किया था. यह मीनार लाल पत्थरों से बनी हैं, जिसकी ऊंचाई 72.5 मीटर हैं. क़ुतुब-उद-दीन ऐबक दिल्ली पर मुस्लिम हुकुमत हासिल करने के कारण इसे ‘विजय स्तम्भ के रूप में बनाना चाहता था. परन्तु उसके द्वारा इस इमारत का केवल पहला माला ही बनाया गया, अन्य माले उसके उत्तराधिकारी ‘इल्तुतमिश’ द्वारा और बाद में सफ़ेद संगमरमर के अन्य दो माले सन 1368 में‘फेरोजशाह तुग़लक’ द्वारा बनाये गये. इसके अलावा क़ुतुब मिनार का महत्व इसलिए भी हैं क्योंकि यह भारतीय संस्कृति का इतिहास बताती हैं. यह भारतीय – इस्लामिक कला को दर्शाती हुई एक बेहतरीन इमारत हैं और इस निर्माण कला का एक उत्कृष्ट नमूना हैं.
अक्षरधाम मंदिर : यह विश्व के सबसे बड़े मंदिरों में से एक हैं और लगभग 100 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ हैं. इसका निर्माण अभी हाल ही में सन 2005 में हुआ हैं. मंदिर प्रांगण में ही उच्च तकनीकी के साथ प्रदर्शनी ,एक IMAX थिएटर, म्यूजिकल फाउंटेन और फ़ूड कोर्ट की व्यवस्था की गयी हैं.
लक्ष्मिनारायण मंदिर : इस मंदिर का निर्माण माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की भक्ति में सन 1933 – 1939 तक बी.आर. बिरला द्वारा करवाया गया था और उस समय इसका उद्घाटन महात्मा गाँधी द्वारा किया गया था. यह लगभग 7.5 एकड़ में फैला हुआ हैं, यहाँ सुन्दर बगीचा, आदि भी हैं. यहाँ होली और जन्माष्टमी के समय श्रद्धालुओं की बहुत भीड़ रहती हैं.
कैथेड्रल चर्च ऑफ़ रिडेम्पशन : इसका दूसरा नाम वाइसराय चर्च भी हैं. यह संसद भवन और राष्ट्रपति भवन के पूर्व में स्थित हैं. इसका निर्माण कार्य सन 1935 में करीब 8 सालों में पूर्ण हुआ. इसका निर्माण इस तकनीक से किया गया हैं कि यह तपती गर्मियों में भी ठंडा रहता हैं. यहाँ प्रतिदिन हजारों लोग इसे देखने आते हैं.
इस्कोन मंदिर: दिल्ली के दक्षिणी क्षेत्र में स्थित यह राधा कृष्ण का मंदिर बड़ा ही सुन्दर हैं, जिसका निर्माण अंतर्राष्ट्रीय आर्किटेक्ट अच्युत कानविंदे द्वारा सन 1991 – 1998 के बीच पूर्ण किया गया, जिसमे लाल पत्थरों का इस्तेमाल किया गया हैं. यहाँ एक शो चलता हैं, जिसमे श्रीमद भागवत गीता का अर्थ समझाया जाता हैं. श्रीमद भगवत गीता के अनमोल वचन यहाँ पढ़ें| इस मंदिर का दूसरा आकर्षण बिंदु हैं भगवान श्री कृष्ण की सुन्दर पेंटिंग्स, जो उनके विदेशी भक्तों द्वारा बनाई गयी हैं. इसके अलावा जो लोग वेद पुराण पढने समझने के इच्छुक हैं, उनके लिए भी भक्ति योग के इन्तेजाम किये गये हैं, साथ ही यहाँ के ‘गोविंददास’ रेस्टोरेंट में शुद्ध शाकाहारी भोजन की भी व्यवस्था हैं. यहाँ तक बसों और ट्रेन के माध्यम से आसानी से पहुंचा जा सकता हैं.
लाल किला : भारत में मुग़लों के शासन के प्रतिक के रूप में लाल किले का निर्माण करवाया गया था, जो कि सन 1638 में कराया गया. इस इमारत को मुग़ल शैली में बनाया गया हैं. इसके निर्माण का उद्देश्य हमलों के समय आत्मरक्षा की व्यवस्था करने के लिए किया गया था और इसके लिए किले की दीवारों की ऊँचाई 33 मीटर की रखी गयी थी. यहाँ साउंड और लाइट शो दिखाए जाते हैं, जो करीब एक घंटे का होता हैं और इनमें उन प्राचीन घटनाओं को दर्शाया जाता हैं, जो लाल किले से संबंध रखती हैं. पर्यटकों के लिए यह सोमवार को बंद रहता हैं. इसे यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साईट में भी शामिल किया गया हैं. लाल किले के इतिहास के बारे में विस्तार से यहाँ पढ़ें