उदयपुर इतना खूबसुरत शहर है कि इसे कई उपनामो से भी संबोधित किया जाता है। यहा अनेक खूबसुरत झीले है। जिसके कारण इसे “झीलो की नगरी” और पूर्व का वेनिस तथा राजस्थान का कशमीर आदि नामो से भी जाना जाता है। यह सभी उपलब्धियां इस शहर को यहा की अथा सुंदरता के कारण की प्राप्त हुई है। इसी अकाल्पनिक सुंदरता को निहारने के लिए देश विदेश से प्रति वर्ष लाखो सैलानियो का यहा आना जाना लगा रहता है। इस खुबसूरत शहर उदयपुर की स्थापना सन् 1559 में महाराणा उदयसिंह ने की थी। उन्ही के नाम पर इस शहर का नाम उदयपुर रखा गया था। आज के समय मे यह शहर अपने कलात्मक व भव्य महलो, सुंदर झीलो और मनमोहक बागीचो के कारण विश्व भर के पर्यटको की सबसे पसंदिदा जगहो में से एक है।
उदयपुर जाने का सही समय (Best time to visit Udaipur)
उदयपुर जाने का सबसे अच्छा समय ठण्ड का होता है. इस समय तापमान भी अच्छा होता है, न अधिक ठंडा न गरम. लोग ज्यादातर यहाँ सितम्बर, अक्टूबर, नवम्बर, दिसम्बर, फ़रवरी एवं मार्च में जाते है.
राजमहल ( सिटी पैलेस):
पिछोला झील के किनारे पर सफेद संगमर से बना यह महलप्राचीन स्थापत्य कला में रूचि रखने वालो के लिए आकर्षण का केंद्र है। यह महल राजस्थान के विशाल महलो में से एक है। सुबह नौ बजे से सांय साढे चार बजे तक खुलने वाले इस महल में टिकट लेकर जाना पडता है।
फ़तेहसागर में बोटिंग का मजा:
उदयपुर में रहते हुए अगर अपने फतेहसागर झील बोटिंग मिस कर दी तो जनाब आपने काफी कुछ मिस कर दिया। अगर आप बोटिंग के शौक़ीन है, तो इस झील में शाम के समय बोटिंग का मजा लेते हुए डूबते हुए सूरज को देखना एक अलग ही बात होती है। साथ ही आप इस झील के किनारे बैठकर भी इस झील की खूबसूरत का आनन्द उठा सकते हैं।
बगोरे की हवेली –
यह पिकोला लेक के पास ही स्थित है. इसका निर्माण मेवाड़ के मंत्री अमर चन्द बडवा द्वारा हुआ था. यह हवेली 1878 में महाराणा शक्ति सिंह का निवास बन गई थी, जिसके बाद इसका नाम बगोरे की हवेली पड़ा. इसे अब संग्रहालय में तब्दील किया गया है, लेकिन महाराजा के शाहीपन को आज भी यहाँ महसूस किया जा सकता है. यह मेवाड़ की संस्कृति को दर्शाती है. राजपूतों द्वारा उपयोग की हुई, वस्तु जैसे जेवर बॉक्स, हाथ पंखा, तरह तरह के धातु के बर्तन आदि. इस हवेली में 100 से भी ज्यादा कमरे है, जो अपनी अलग तरह की वास्तुकला को दर्शाते है. यहाँ रोज शाम को एक शो का भी आयोजन होता है.
लेक सिटी –
यह पिकोला लेक में स्थित है, जिसे देखने सबसे ज्यादा पर्यटक जाते है. यह जगनिवास आइसलैंड में स्थित है, जिसे आजकल ताज ग्रुप द्वारा चलाया जा रहा है. इसे ताज लेक पैलेस नाम से भी जाना जाता है. इस जगह से अरावली हिल्स बहुत से नजर आता है, जो इस जगह को और अधिक रोमेंटिक बना देता है. जो लोग यहाँ रुकना वहन कर सकते है, उनके लिए ये किसी जन्नत से कम नहीं है. लेक के बीचोंबीच रुकना, सोच कर ही सुख की अनुभूति होती है. इसे महाराजा जगत सिंह द्वीतीय द्वारा बनवाया गया था, जिसकी वास्तुकला भी बहुत सुंदर है.
जग मंदिर –
17 वीं शताब्दी में जगमंदिर आइसलैंड में बने जग मंदिर एक बहुत सुंदर जगह है. जग मंदिर वास्तुकला बहुत ही अच्छा नमूना है, जहाँ बाहर मार्वल के हाथी इसे और आकर्षित बनाते है. यह बहुत बड़े क्षेत्र में बना हुआ है, जहाँ गुल महल, बगीचा, दरीखाना, बड़ा पत्थरों का महल, ज़नाना महल और कुंवर पड़ा का महल है. लेक पिकोला में घूमते समय पर्यटक यहाँ जरुर जाते है. रात के समय यहाँ बहुत सुदर लाइटिंग होती है, जिसका प्रतिबिम्ब लेक भी दिखाई देता है.
जगदीश मंदिर –
यह भारतीय-आर्य का मिलाजुला मंदिर है, जिसका निर्माण महाराणा जगत सिंह द्वारा कराया गया था. इस मंदिर में विष्णु जी की प्रतिमा है, जो काले पत्थर से बनी हुई है. मंदिर के प्रवेश में विष्णु के वाहन गरुड़ की भी प्रतिमा है. यहाँ गणेश जी, सूर्य देव, आदि शक्ति, एवं शिव के भी मंदिर है. यहाँ लोग मुख्य रूप से सुबह शाम आरती में शामिल होते है.
आहार म्यूजियम के बारे में जानकारी
मेवाड़ के महाराणस के स्मारकों की एक प्रभावशाली समूह के करीब निकटता में आहाड़ संग्रहालय है। संग्रहालय एक छोटी, लेकिन मिट्टी के बर्तनों का संग्रह है। आप भी मूर्तियां और पुरातात्विक पाता कुछ डेटिंग वापस करने के लिए 1700 ई. पू., के माध्यम से ब्राउज़ कर सकते हैं। बुद्ध का एक 10 वीं सदी धातु आंकड़ा यहाँ एक विशेष आकर्षण है।