अमेरिका निवासी विलबर राईट और ओरिवल राईट दोनों ही सगे भाई थे | विलबर का जन्म 16 अप्रैल 1867 को इंडियाना में जबकि ओरिवल राईट का जन्म डेटन ओहियो में 19 अगस्त 1871 में हुआ था | उनके पिता का नाम मिल्टन राईट था जो चर्च में काम करते थे जो 1878 में पादरी भी बने | उनकी माँ भी चर्च संबधी कामो में पिता का हाथ बंटाया करती थी | बचपन से राईट बंधुओं की रूचि कुछ ऐसे मशीन संबंधी कामो में लगी रहती थी ,जो ऊँचाई तक जा सके | एक बार उपहार में उन्हें खिलौने के रूप में हेलीकाप्टर मिला था | बस फिर क्या था दोनों भाइयो ने इस तरह हेलीकाप्टर बना डाले जो कार्क ,बांस और कागज के द्वारा बने थे |
दोनों भाई स्वभाव से एक-दुसरे के विपरीत थे |विलबर एकांतप्रिय ,मितभाषी थे तो ओरबिल बातूनी स्वभाव थे | ओरविल को पैसा कमाने का काफी शौक थे | उन्होंने तो गर्मी की छुट्टियों में छापेखाने में काम करते हुए न केवल हाई स्कूल परीक्षा पुरी की बल्कि टाइपसेटर बनने के साथ-साथ समाचार पत्र का भी प्रकाशन किया | विलबर माँ की बीमारी की वजह से हाई स्कूल की पढाई पुरी नही कर पाए थे | उनके पिता उन्हें चर्च संबंधी कामो में लगाना चाहते थे जबकि दोनों भाइयो की रूचि उसमे नही थी |
चर्च जाना छोडकर दोनों साथ रहते ,साथ खेलते और एक जैसा सोचते तथा कार्य में लगे रहते थे | माँ की मृत्यु के बाद दोनों ने छापाखाना खोलकर साहित्य संबधी प्रकाशन आरम्भ कर दिया | साथ ही साइकिल बेचने ,किराए देने , मरम्मत करने की दुकाने खोल रखी थी |
◆ राइट भाइयों का हवाई जहाज बनाने की शुरुआत ◆
दोनों को मशीनी तकनीक की काफी अच्छी समझ थी जिससे उन्हें हेलीकॉप्टर के निर्माण में मदद मिली. यह कौशल उन्होंने प्रिंटिंग प्रेसों, साइकिलों, मोटरों और दूसरी मशीनों पर लगातार काम करते हुए पाया था.
राइट बंधुओं को अपने सपनों को साकार करने में उनके परिवार से भी पूरी मदद मिली.
इसी बीच उन्हें ज्ञात हुआ कि 9 अगस्त 1896 को जर्मनी के ओटो लिक्ति-थाल नामक यान्त्रिक इंजीनियर द्वारा बनाये गये हैंग ग्लाइडर के माध्यम से की जा रही आकाशीय उड़ान में उनकी मृत्यु हो गयी । राइट बंधुओं ने एक ऐसा हवाई जहाज बनाने का प्रयास शुरू कर दिया, जो कि हवा से भारी हो । उसमें इंजन प्रोपेलर लगे हों । वह आदमी सहित आकाश में उड़ सके । उन्होंने पहले ग्लाइडर बनाया और उसका परीक्षण करने के लिए पहाडी स्थान पर चल दिये, जो 12 सैकण्ड तक हवा में रहने के बाद पृथ्वी पर आ गिरा । उन्हें विंडटनेल का सिद्धान्त भी समझ में आ गया था । अनेक असफलताओं के बाद उन्होंने पलायर जहाज बनाया, जिसके पंखों का आकार 400 वर्गफीट था और उसके सन्तुलन के लिए मशीन भी बना रखी थी । 8 दिसम्बर 1903 को पहली उड़ान भरी, जो कि असफल रही । फिर इसमें आवश्यक संशोधन कर जब इसे उड़ाया गया, तो यह अपनी ताकत से 10 फीट ऊपर उठा और 12 सैकण्ड बाद नीचे आ गया । जहाज के उड़ने और उतरने के बीच 100 फीट की कुल उड़ान नापी गयी । इस ऐतिहासिक उड़ान को देखने के लिए बुलाने पर भी सिर्फ 5 बड़े, दो बच्चे और एक कुत्ता था । पत्रकार आ रहे थे कि वे रास्ता भटक गये । इसके बाद उनके पलायर जहाज ने 4 बार सफल उड़ान भरी।लेकिन हवा के झोंके में आकर ऐसा उलटा कि किसी काम का नहीं रहा । 1904 में डेटन के डेयरी फीम में दूसरे पलायर का परीक्षण हुआ, जिसकी दो उड़ानें 5 मिनट से ज्यादा, गति 35 मील प्रतिघण्टा थी । 1905 में एक ऐसा हवाई जहाज बनाया, जो न केवल मुड़ सकता था, बल्कि वह 3 मील की यात्रा शी तय कर चुका था । इसके बाद वह 85 कि॰मी॰ दूरी तक भी चला था । 1908 में परीक्षण के दौरान दुर्घटना का सामना करते हुए भी उन्होंने परीक्षण जारी रखा । 1909 तक हवाई जहाज की फैक्ट्रियां अमेरिका में स्थापित कर लीं । उनके इस नवनिर्मित वायुयान नें धलिश चैनल, अटलांटिक महासागर, प्रशान्त महासागर के साथ-साथ लगभग 23 हजार कि॰मी॰ की यात्रा तय की ।
★ राइट बंधुओं का निधन ★
राइट बसु घर-गृहस्थी में सुखपूर्वक जीवन व्यतीत कर रहे थे कि छोटा भाई विलबर टाइफाइड का शिकार हो गया । 29 मई, 1912 को उसका असमय देहांत हो गया । बूढ़े पिता मिल्टन राइट ने विलबर की अन्तिम क्रिया करते हुए उसकी विलक्षण प्रतिभा, परिश्रमशीलता पर गर्व करते हुए बडा दुःख जताया । इस बीच ओरविल अकेले रहकर अपनी प्रयोगशाला में हवाई जहाज में लगातार सुधार कार्य करते रहे । विलबर के देहान्त के बाद वह भीतर से टूट चुके थे ।
ओरिवल जहां हवाई जहाज के आविष्कार से जितने प्रसन्न थे, उतने ही वह दुखी हो गये, जब प्रथम विश्वयुद्ध में हवाई जहाजों में विनाशकारी बग ले जाकर मानव के विरुद्ध ही उसका इस्तेमाल होने लगा था । अन्तिम समय तक कार्य करते हुए ओरविल को प्रयोगशाला में दिल का ऐसा दौरा पड़ा कि 30 जनवरी, 1948 को उनके प्राण प्रखेरू ही उड़ गये ।