बिहार, भारत की धर्मप्रांत संस्कृति का परिचय देने वाला राज्य है, इसके कण-कण में हमेशा ही भारत धर्म के सनातन संस्कृति के मंगलकारी स्वर गूंजयमान होते रहते हैं। उत्तर भारत के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में शामिल पटना जंक्शन स्थित महावीर मंदिर उत्तर भारत का दूसरा सबसे प्रसिद्ध मंदिर है. भगवान हनुमान का यह मंदिर प्राचीन मंदिरों में शामिल है.इस मंदिर को 1730 ईस्वी में स्वामी बालानंद ने स्थापित किया था. बालानंद रामानंदी संप्रदाय के एक तपस्वी थे.
यह मंदिर बाकि हनुमान मंदिरों से कुछ अलग है. यहा बजरंग बलि की 2 मूर्तिया खड़े रूप में है. मुख्य मंदिर में हनुमान जी की दो मूर्तियां हैं.
एक मूर्ति है पारित्राणाय साधूनाम्… जिसका अर्थ होता है “अच्छे व्यक्तियों की सुरक्षा के लिए”.
दूसरी मूर्ति है विनाशाय च दुष्कृताम्…अर्थात् “दुष्ट व्यक्तियों को समाप्त करने के लिए.“
साल 1900 तक ये मंदिर रामानंद संप्रदाय के अधीन था. जबकि साल 1948 तक इस पर गोसाईं सन्यासियों का कब्जा था. साल 1948 में पटना हाईकोर्ट ने इसे सार्वजनिक मंदिर घोषित कर दिया. साल 1983 से 1985 के बीच वर्तमान मंदिर का निर्माण किशोर कुणाल और उनके सहयोगियों के प्रयास से हुआ। वहीं आचार्य किशोर कुणाल, महावीर मंदिर ट्रस्ट के सचिव भी हैं।
” लाखों भक्तों की आस्था का केन्द्र है”
यहां लाखों की संख्या में भक्त संकटमोचक हनुमान जी के दर्शन के लिए आते हैं, और पूरी श्रद्धा-भाव से हनुमान जी की पूजा अर्चना करते हैं और अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।लाखों भक्तों की आस्था से जुड़ा यह मंदिर अपने धार्मिक महत्व और मान्यताओं के लिए जाना जाता है। इस मंदिर के बारे में यह मान्यता है कि, यहां आने वाले हर भक्त की मुराद जरूर पूरी होती है, कोई भी भक्त यहां से खाली हाथ नहीं लौटता है। इस मंदिर में लोगों की अटूट आस्था और गहरी श्रद्धा है, यही वजह है यहां रोजाना 1 लाख से भी ज्यादा का चढ़़ावा चढ़ता है, ऐसा कहा जाता है कि, महावीर मंदिर ट्रस्ट का बजट उत्तर भारत का दूसरा सबसे बड़ा बजट है, इससे ज्यादा बजट सिर्फ जम्मू के प्रसिद्ध वैष्णो देवी मंदिर का है।
“विभिन्न देवी-देवताओं की प्रतिमाएं और राम सेतु का पत्थर”
पटना में स्थित हनुमान जी के इस प्रसिद्ध मंदिर का मुख्य द्वार उत्तर दिशा की तरफ है और मंदिर के गर्भगृह में बजरंगवली और सबके संकट हरने वाले भगवान हनुमान जी की प्रतिमाएं स्थापित हैं।
इसके अलावा इस मंदिर के परिसर में भगवान राम, श्री कृष्ण भगवान, और दुर्गा माता का भी मंदिर हैं। इन मंदिरों में राधा-कृष्ण, राम-सीता, शिव-पार्वती, नंदी, भगवान गणेश समेत तमाम देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं। इसके अलावा इस मंदिर के बगल में पीपल का पेड़ भी है, जिसमें भगवान शनिदेव विराजमान हैं।
मंदिर का प्रसाद :
प्रसाद के रूप में “नैवेद्यम” दिया जाता है जिसे तिरुपति और आंध्र प्रदेश के विशेषज्ञों द्वारा तैयार किया जाता है। महावीर मंदिर का नैवेद्यम लडडुओं का पर्याय है जिसे हनुमान जी को अर्पित किया जाता है। संस्कृत भाषा में नैवेद्यम का अर्थ है देवता के समक्ष खाद्य सामग्री अर्पित करना। इस प्रसाद को तिरुपति के विशेषज्ञों द्वारा तैयार किया जाता है। इस प्रसाद में बेसन का आटा, चीनी, काजू, किशमिश, हरी इलायची, कश्मीरी केसर और अन्य फलेवर डालकर घी में पकाया जाता है और गेंद के आकार में बनाया जाता है।
नैवेद्यम बनाने में प्रयोग की जाने वाली केसर कश्मीर के पंपोर जिले के उत्पादकों से सीधे मंगाई जाती है जिसे कश्मीर में सोने (केसर) की भूमि के नाम से जाना जाता है।
“मन्दिर की आय से होता है भक्तों का इलाज़”
इस मंदिर से होनेवाली आय से जनहित में महावीर कैंसर संस्थान, महावीर आरोग्य संस्थान, महावीर नेत्रालय, महावीर वात्सल्य अस्पताल संचालित है जहां न्यूनतम शुल्कों पर लोगों का इलाज किया जाता है।
महावीर मंदिर और जामा मस्जिद :
पटना का महावीर मंदिर और ऐतिहासिक जामा मस्जिद हमारी गंगा-जमुनी तहज़ीब की मिसाल बनकर साथ खड़े हैं।
मंदिर में कोई आयोजन हो तो मस्जिद की इंतेजामिया कमिटी भक्तों का ख्याल रखती है और मस्जिद में कोई आयोजन हो तो नमाज़ियों की ख़िदमत में मंदिर की प्रबंध समिति हाज़िर हो जाती है।
रामभक्तों की सुविधा के ख्याल से मस्जिद से ऐलान किया जाता है कि मस्जिद में उतने ही नमाजी आएं जितने मस्ज़िद में आ सकें बाकी दूसरी मस्जिदों का रूख करें। मंदिर की घोषणा के अनुसार श्रद्धालु भी नमाज के दौरान न तो मस्जिद से आगे बढ़ते हैं और न उस दौरान जयकारे लगाते हैं।