भारत में घोटालों का इतिहास काफी लंबा है, उतनी ही लंबी इन घोटालों की सूची भी है। आइए जानते हैं कि कौनसा घोटाला कब हुआ.।घोटाले या काण्ड (स्कैण्डल) ऐसी घटनाओं को कहते हैं जो बहुत ही चर्चित हो जाती हैं; जिनमें कोई गलत या आपराधिक कार्य करने का आरोप होता है; कोई अनैतिक काम करने का आरोप होता है या जो किसी प्रसिद्ध व्यक्त द्वारा अपमानजनक कार्य करने से सम्बन्धित होता है।
आइये हम आपको ऐसे 20 घोटालों के बारे मे बताते है जो अगर नही हुए होते तो आज देश बहुत आगे होता ।
1 – 2g spectrum scam:
स्पेक्ट्रम घोटाला देश के इतिहास का शायद सबसे बड़ा घोटाला है। 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला 1 लाख 76 हजार करोड़ का बताया जाता है। उस दौरान टेलीकॉम मंत्री रहे ए राजा ने अलग-अलग कंपनियों को 2 जी स्पेक्ट्रम के लाइसेंस कौड़ियों के दाम में बेच दिए थे। इस नीलामी की वजह से सरकार को 39 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ था। कैग ने अपनी रिपोर्ट में घोटाले में हुए नुकसान के बारे में रिपोर्ट सौंपी थी। इसके बाद ए. राजा को मंत्री पद से हटा दिया गया था। इस घोटाले की आंच पीएमओ तक पहुंची और खुद तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में जाकर जवाब दिया था।
2- ये घोटाला 1 लाख 86 हजार करोड़ रुपए का निकला। अर्थात स्पेक्ट्रम घोटाले से 10 हजार करोड रुपए ज्यादा का घोटाला। शुरुआती रिपोर्ट में यह घोटाला 10 लाख करोड़ रुपए का बताया जा रहा था लेकिन बाद में जब सरकारी कंपनियों को इस लिस्ट से हटाया गया तो यह घोटाला 1.86 लाख करोड़ का निकला। इस घोटाले के बाद विपक्ष ने पीएम मनमोहन सिंह से उनका इस्तीफा मांग लिया था। जिस दौरान ये घोटाला हुआ था उस दौरान 2006 से 2009 के बीच कोयला मंत्रालय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पास था। आश्चर्य की बात तो ये है कि कोल ब्लाक आवंटन से जुड़ी फाइलें भी गायब हो गई थीं हालांकि बाद में 7 फाइलों का पता चला जिसे सीबीआई के सुपुर्द कर दिया गया।
चारा घोटाला:-
लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले की वजह से जानते हैं। करीब 950 करोड़ के इस घोटाले में बिहार के एक नहीं बल्कि दो मुख्यमंत्रियों को इस्तीफा देना पड़ा था। लालू यादव से पहले जगन्नाथ मिश्र को भी चारा घोटले की वजह से इस्तीफा देना पड़ा था। चारा घोटाले की रिपोर्ट के मुताबिक पशुपालन विभाग ने 950 करोड़ रुपए का गबन किया था और जो पशु कभी थे ही नहीं उन पशुओं के नाम पर चारा, उपचार, दवाइयों के लिए भारी भरकम रकम आवंटित हुई थी। चारा घोटाले का ये खेल पुराना था लेकिन 1996 में यह गंदा खेल उजागर हो गया।
बोफोर्स घोटाला :-
देश में रक्षा मामलों की खरीद में यह शायद पहला घोटाला था। इस घोटाले ने 80 और 90 के दशक में देश की राजनीति को हिलाकर रख दिया था। 40 मिलियन डॉलर के इस घोटाले में, उस दौरान पीएम रहे राजीव गांधी का भी नाम आया था। हालांकि इस घोटाले में मुख्य आरोपी इटली के बिचौलिए ओत्तावियो क्वात्रोची को बनाया गया था। क्वात्रोची को डील में मुख्य आरोपी बनाया गया था लेकिन भारत सरकार उसे कभी भारत लाने में सफल नहीं हो पायी। 13 जून 2014 को इटली के मिलान शहर में क्वात्रोची की मौत हो गयी उसी के साथ बोफोर्स घोटालों के तमाम स्याह राज भी दफन हो गए।
5- ताबूत घोटाला:-
भारत और पाकिस्तान के बीच वर्ष 1999 में हुए कारगिल युद्ध के बाद एक बेहद संगीन मामला सामने आने से देशवासियों की भावनाएं बुरी तरह आहत हुईं। इस तरह की बातें सामने आईं कि युद्ध में शहीद हुए सैनिकों के शव को सम्मानजनक तरीके से घर पहुंचाने के लिए जिन ताबूतों की खरीद हुई, उसमें भारी घोटाला हुआ। इसी मामले में देश की केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने कुछ वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों और अमरीका के एक ठेकेदार के खिलाफ मामला दर्ज किया। आरोपी अधिकारियों ने वर्ष 1999-2000 के दौरान एेसे 500 अल्यूमुनियम ताबूत और 3000 शव थैले खरीदने के लिए अमेरिका की एक कंपनी के साथ सौदा किया था। कारगिल युद्ध के बाद तब विपक्ष में बैठ रही कांग्रेस ने तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीस पर ताबूत आयात में घोटाले का आरोप लगाया था। विपक्ष ने जॉर्ज से इस्तीफे की भी मांग की थी। बाद में इस मामले में उन्हें क्लीन चिट दे दी गई थी।
आईपीएल घोटाला:
वित्तीय अनियमतिताआें के चलते आईपीएल-3 के समापन के तत्काल बाद आईपीएल प्रमुख ललित मोदी के पद से निलंबित कर दिया गया। मामले की जांच अभी भी चल रही है। मोदी के खिलाफ ब्लू कॉर्नर नोटिस भी किया गया। किंग्स इलेवन पंजाब और राजस्थान रॉयल्स की मालिकी के हक पर सवाल भी उठा। एेसा माना जाता है कि इस प्रतियोगिता में भारी मात्रा में काले धन लगा है। कोच्चि की टीम से जुड़े केंद्रीय मंत्री शशि थरूर को अपने पद से हाथ धोना पड़ा और उनकी मित्र सुनंदा ने भी इससे खुद को अलग कर लिया। इस संघ का नेतृत्व करने वाली कंपनी रांदेवू स्पोर्ट्स वर्ल्ड प्राइवेट लिमिटेड को इस सौदे में 25 प्रतिशत फ्री इक्विटी मिली थी। कहा गया कि इस फ्री इक्विटी में से 17 प्रतिशत कश्मीरी ब्यूटीशियन सुनंदा पुष्कर को मिली। आईपीएल में 1200 से 1500 करोड़ रु पए का घोटाला होने की बात कही जा रही है।
7:-वक्फ बोर्ड जमीन घोटाला, साल 2012:
घोटाले की रकम: 1.5-2 लाख करोड़
कर्नाटक के राज्य अल्पसंख्यक आयोग ने पूर्व सीएम डीवी सदानंद गौड़ा को रिपोर्ट दाखिल करते हुए बताया कि कर्नाटक वक्फ बोर्ड की निगरानी में 27000 एकड़ जमीन पर अवैध खनन हो रहा है. गैरकानूनी तौर पर हो रहे खनन में 50 फीसदी जमीन वक्फ बोर्ड की थी जिसमें नेता और बोर्ड सदस्य भी शामिल थे.
8:- सिक्योरिटी घोटाला, :-बीएसई शेयर खरीदने के लिए हर्षद मेहता ने बैंकिंग सिस्टम के जरिए 1 हजार करोड़ की रकम ट्रांसफर की. मामला तब खुला जब SBI ने सरकार को प्रतिभूतियों की कमी की सूचना दी. जांच के बाद सामने आया कि मेहता ने 4 हजार करोड़ की हेरफेर की जिससे बाजार धड़ाम से 72 फीसदी नीचे जा गिरा.
9:-कॉमनवेल्थ गेम घोटाला (2010): राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारी और संचालन के लिए लिये लिया गया धन भारी मात्रा में घोटाले में चला गया। इसमें लगभग 70,000 करोड़ रूपये का घोटाला किया गया है। इस घोटाले में कई भारतीय राजनेता नौकरशाह और कंपनियों के बड़े लोग शामिल थे। इस घोटाले के प्रमुख पुणे के निर्वाचन क्षेत्र से 15 वीं लोकसभा के लिए कांग्रेस पार्टी के प्रतिनिधि सुरेश कलमाड़ी थे। उस समय, कलमाड़ी दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन समिति के अध्यक्ष थे। इसमें शामिल अन्य बड़े लोगों में दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री- शीला दीक्षित और रॉबर्ट वाड्रा हैं। इसका गैर-अस्तित्व वाली पार्टियों के लिए भुगतान किया गया, उपकरण की खरीद करते समय कीमतों में तेजी आई और निष्पादन में देरी हुई थी।
10-हेलिकॉप्टर घोटाला (2012): यह घोटाला भारत में रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है जिसमें कई राजनेता, भारतीय वायु सेना के चीफ एयर मार्शल एसपी त्यागी और हेलिकॉप्टर निर्माता अगस्टा वेस्टलैंड जैसे वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे। कंपनी ने 610 मिलियन आमेरिकी डॉलर के 12 हेलीकाप्टरों की आपूर्ति में एक अनुबंध पाने के लिए रिश्वत दी थी। इटली की एक अदालत में 15 मार्च 2008 को प्रस्तुत एक नोट यह संकेत करता है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी भी घोटाले में शामिल थीं।
11 -टाट्रा ट्रक घोटाला (2012): वेक्ट्रा के अध्यक्ष रवि ऋषिफॉर्मर और सेना प्रमुख जनरल वी.के. सिंह के खिलाफ मनी लॉन्डरिंग प्रतिबंध अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामला पंजीकृत किया था। इसमें सेना के लिए 1,676 टाटा ट्रकों की खरीद के लिए 14 करोड़ रुपये की रिश्वत दी गई थी।
12- आदर्श घोटाला (2012): इस घोटाले में मुंबई की कोलाबा सोसायटी में 31 मंजिल इमारत में स्थित फ्लैटों को बाजार की कीमतों से कम कीमत पर बेचा गया था। इस सोसायटी को सैनिकों की विधवाओं और भारत के रक्षा मंत्रालय के कर्मियों के लिए बनाया गया था। समय की अवधि में, फ्लैटों के आवंटन के लिए नियम और विनियमन संशोधित किए गए थे। इसमें महाराष्ट्र के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों- सुशील कुमार शिंदे, विलासराव देशमुख और अशोक चव्हाण के खिलाफ आरोप लगाये गये थे। यह जमीन रक्षा विभाग की थी और सोसायटी के लिये दी गई थी।
13- जीप खरीदी (1948):
आजादी के बाद भारत सरकार ने एक लंदन की कंपनी से 200 जीपों को सौदा किया। सौदा 80 लाख रुपये का था। लेकिन केवल 155 जीप ही मिल पाई। घोटाले में ब्रिटेन में मौजूद तत्कालीन भारतीय उच्चायुक्त वी.के. कृष्ण मेनन का हाथ होने की बात सामने आई। लेकिन 1955 में केस बंद कर दिया गया। जल्द ही मेनन नेहरु केबिनेट में शामिल हो गए। वसूली 1 रुपए की भी नहीं हो पाई.
14- साइकिल आयात (1951):
तत्कालीन वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के सेकरेटरी एस.ए. वेंकटरमन ने एक कंपनी को साइकिल आयात कोटा दिए जाने के बदले में रिश्वत ली। इसके लिए उन्हें जेल जाना पड़ा,इसमें भी वसूली नहीं हुई।
15 -मुंध्रा मैस (1958):
हरिदास मुंध्रा द्वारा स्थापित छह कंपनियों में लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के 1.2 करोड़ रुपये से संबंधित मामला उजागर हुआ। इसमें तत्कालीन वित्त मंत्री टीटी कृष्णामचारी, वित्त सचिव एच.एम.पटेल, एलआईसी चेयरमैन एल एस वैद्ययानाथन का नाम आया। कृष्णामचारी को इस्तीफा देना पड़ा और मुंध्रा को जेल जाना पड़ा, लेकिन वसूली नहीं हुई.
16 -तहलका:
इस ऑनलाइन न्यूज पॉर्टल ने स्टिंग ऑपरेशन के जारिए ऑर्मी ऑफिसर और राजनेताओं को रिश्वत लेते हुए पकड़ा। यह बात सामने आई कि सरकार द्वारा की गई 15 डिफेंस डील में काफी घपलेबाजी हुई है और इजराइल से की जाने वाली बारक मिसाइल डीलभी इसमें से एक है।
17 – स्टॉक मार्केट
स्टॉक ब्रोकर केतन पारीख ने स्टॉक मार्केट में १,१५,००० करोड़ रुपये का घोटाला किया। दिसंबर, २००२ में इन्हें गिरफ्तार किया गया।
18 स्टांप पेपर स्कैम
यह करोड़ो रुपये के फर्जी स्टांप पेपर का घोटाला था। इस रैकट को चलाने वाला मास्टरमाइंड अब्दुल करीम तेलगी था।
19 -मनी लांडरिंग
२००९ में मधु कोड़ा को चार हजार करोड़ रुपये की मनी लांडरिंग का दोषी पाया गया। मधु कोड़ा की इस संपत्ति में हॉटल्स, तीन कंपनियां, कलकत्ता में प्रॉपर्टी, थाइलैंड में एक हॉटल और लाइबेरिया ने कोयले की खान शामिल थी।