छत्रपति साहू महाराज को एक भारत में सच्चे प्रजातंत्रवादी और समाज सुधारक के रूप में जाना जाता था। वे कोल्हापुर के इतिहास में एक अमूल्य मणि के रूप में आज भी प्रसिद्ध हैं। छत्रपति साहू महाराज ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने राजा होते हुए भी दलित और शोषित वर्ग के कष्ट को समझा और सदा उनसे निकटता बनाए रखी। उन्होंने दलित वर्ग के बच्चों को मुफ़्त शिक्षा प्रदान करने की प्रक्रिया शुरू की थी। गरीब छात्रों के छात्रावास स्थापित किये और बाहरी छात्रों को शरण प्रदान करने के आदेश दिए। साहू महाराज के शासन के दौरान ‘बाल विवाह’ पर ईमानदारी से प्रतिबंधित लगाया गया। छत्रपति साहू महाराज का बचपन का नाम ‘यशवंतराव’ था। छत्रपति शिवाजी महाराज (प्रथम) के दूसरे पुत्र के वंशज शिवाजी चतुर्थ कोल्हापुर में राज्य करते थे।
★ छत्रपति शाहू जी महाराज का जन्म :—
राजर्षि छत्रपति शाहू महाराज का जन्म 26 जून 1874 में हुआ था. उनके पिता का नाम श्रीमंत जयसिंह राव आबासाहब घाटगे था। छत्रपति साहू महाराज की माता राधाबाई मुधोल राज्य की राजकन्या थी। उनके बचपन का नाम यशवंत रॉव था। बाल्य-अवस्था में ही बालक यशवंतराव को छत्रपति साहू महाराज की हैसियत से कोल्हापुर रियासत की राजगद्दी को सम्भालना पड़ा था.
★ महाराज की शिक्षा दीक्षा :——
छत्रपति शाहू महाराज की शिक्षा राजकोट के राजकुमार विद्यालय में हुई थी। प्रारंभिक शिक्षा के बाद आगे की पढ़ाई रजवाड़े में ही एक अंग्रेज शिक्षक ‘स्टुअर्ट मिटफर्ड फ्रेज़र ‘ के जिम्मे सौपी गई थी। अंग्रेजी शिक्षक और अंग्रजी शिक्षा का प्रभाव छत्रपति शाहू महाराज के दिलों-दिमाग पर गहराई से पड़ा था। वैज्ञानिक सोच को न सिर्फ वे मानते थे बल्कि इसे बढ़ावा देने का हर संभव प्रयास करते थे। पुरानी प्रथा, परम्परा अथवा काल्पनिक बातों को वे महत्त्व नहीं देते थे।
★ छत्रपति शाहू जी महाराज जी की शादी :—
पिछड़ों-दलितों के मुक्तिदाता राजा शाहू जी महाराज जी ने साल 1897 में बड़ौदा के मराठा सरादर खानवीकर की पुत्री श्री मंत लक्ष्मी बाई से शादी की।
★ आरक्षण की व्यवस्था :———
सन 1902 के मध्य में साहू महाराज इंग्लैण्ड गए हुए थे। उन्होंने वहीं से एक आदेश जारी कर कोल्हापुर के अंतर्गत शासन-प्रशासन के 50 प्रतिशत पद पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षित कर दिये। महाराज के इस आदेश से कोल्हापुर के ब्राह्मणों पर जैसे गाज गिर गयी। उल्लेखनीय है कि सन 1894 में, जब साहू महाराज ने राज्य की बागडोर सम्भाली थी, उस समय कोल्हापुर के सामान्य प्रशासन में कुल 71 पदों में से 60 पर ब्राह्मण अधिकारी नियुक्त थे। इसी प्रकार लिपिकीय पद के 500 पदों में से मात्र 10 पर गैर-ब्राह्मण थे। साहू महाराज द्वारा पिछड़ी जातियों को अवसर उपलब्ध कराने के कारण सन 1912 में 95 पदों में से ब्राह्मण अधिकारियों की संख्या अब 35 रह गई थी। सन 1903 में साहू महाराज ने कोल्हापुर स्थित शंकराचार्य मठ की सम्पत्ति जप्त करने का आदेश दिया। दरअसल, मठ को राज्य के ख़ज़ाने से भारी मदद दी जाती थी। कोल्हापुर के पूर्व महाराजा द्वारा अगस्त, 1863 में प्रसारित एक आदेश के अनुसार, कोल्हापुर स्थित मठ के शंकराचार्य को अपने उत्तराधिकारी की नियुक्ति से पहले महाराजा से अनुमति लेनी आवश्यक थी, परन्तु तत्कालीन शंकराचार्य उक्त आदेश को दरकिनार करते हुए संकेश्वर मठ में रहने चले गए थे, जो कोल्हापुर रियासत के बाहर था। 23 फ़रवरी, 1903 को शंकराचार्य ने अपने उत्तराधिकारी की नियुक्ति की थी। यह नए शंकराचार्य लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के क़रीबी थे। 10 जुलाई, 1905 को इन्हीं शंकराचार्य ने घोषणा की कि- “चूँकि कोल्हापुर भोसले वंश की जागीर रही है, जो कि क्षत्रिय घराना था। इसलिए राजगद्दी के उत्तराधिकारी छत्रपति साहू महाराज स्वाभविक रूप से क्षत्रिय हैं।
★ दलित और पिछड़ों के लिए स्कूल खोले:-
बहुजन हितैषी शासक छत्रपति शाहू जी महाराज ने पिछड़े और दलित वर्ग के लिए शिक्षा का दरवाजा खोलकर उन्हें मुक्ति की राह दिखाई। उन्हें शुद्रों एवं दलितों के बच्चों बच्चों को शिक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए कई नए हॉस्टल स्थापित किए एवं उनके लिए फ्री में शिक्षा की व्यवस्था करवाई। शाहू जी महाराज ने 1908 में अस्पृश्य मिल, क्लार्क हॉस्टल, साल 1906 में मॉमेडन हॉस्टल, साल 1904 में जैन होस्टल और 18 अप्रैल 1901 में मराठाज स्टूडेंटस इंस्टीट्यूट एवं विक्टोरिया मराठा बोर्डिंग संस्था की स्थापना की।
इसके अलावा साल 1912 में छत्रपति शाहू जी महाराज ने प्राथमिक शिक्षा को अनिवार्य कर दिया एवं मुफ्त शिक्षा देने के बारे में कानून बनाया।
★ बाल विवाह एवं विधवा पुर्नविवाह पर दिया जोर:–
छत्रपति शाहू जी महाराज को आधुनिक भारत के प्रणेता कहना भी गलत नहीं होगा, क्योंकि उन्होंने बाल विवाह से होने वाले दुष्परिणामों को देखते हुए अपने राज्य में इस पर बैन लगाया एवं ब्राम्हण पुरोहितों की जातीय व्यवस्था को तोड़ने के लिए अंतरजातिय विवाह एवं विधवा पुनर्विवाह कराए। वहीं साल 1917 में पुनर्विवाह का कानून भी पास करवाया।
आपको बता दें कि छत्रपति शाहू जी महाराज पर महान विचारक और समाजसेवी ज्योतिबा फुले का काफी प्रभाव पड़ा था।
वे काफी समय तक सत्य शोधक समाज के संरक्षक भी रहे थे। उन्होंने सत्यशोधक समाज की जगह-जगह ब्रांच भी स्थापित की थी।
इसके अलावा छत्रपति शाहू जी महाराज ने भारतीय संविधान के निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर जी को उच्च शिक्षा हासिल करवाने के लिए विदेश भेजने में भी अपनी मुख्य भूमिका निभाई थी और भीमराव अंबेडकर जी के मूकनायक समाचार पत्र के प्रकाशन में भी काफी मद्द की थी।
★ महाराज जी का निधन :———
छत्रपति साहूजी महाराज का निधन 10 मई, 1922 मुम्बई में हुआ। महाराज ने पुनर्विवाह को क़ानूनी मान्यता दी थी। उनका समाज के किसी भी वर्ग से किसी भी प्रकार का द्वेष नहीं था। साहू महाराज के मन में दलित वर्ग के प्रति गहरा लगाव था। उन्होंने सामाजिक परिवर्तन की दिशा में जो क्रन्तिकारी उपाय किये थे, वह इतिहास में याद रखे जायेंगे।