पिलिया को जांडिस भी कहते है। जांडिस को ही आईसीटरस भी कहा जाता है जो त्वचा और स्क्लेरा के पीले रंग का वर्णन करता है। यह अतिरिक्त रक्त बिलीरुबिन के स्तर (हाइपरबिलीरुबिनेमिया) के कारण होता है। शारीरिक तरल पदार्थ पीले रंग की बारी भी हो सकता है। स्क्लेरा और त्वचा का रंग बिलीरुबिन के स्तर के आधार पर बदलता है। मामूली उच्च बिलीरुबिन के स्तर त्वचा को पीले रंग के होते हैं और बहुत उच्च स्तर इसे भूरे रंग में बदल देते हैं। बिलीरुबिन एक पीला अपशिष्ट उत्पाद है जो पीलिया में स्क्लेरा और त्वचा के रंग का कारण बनता है। बीबीसी आरबीसी से हटा दिए जाने के बाद बिलीरुबिन उपज है। अतिरिक्त बिलीरुबिन आसपास के ऊतकों में रिसाव हो सकता है और रंग का कारण बन सकता है।
Piliya ke Lakshan पीलिया के लक्षण क्या हैं?
पीलिया होने का सबसे आम लक्षण आंखों और स्किन में पीलापन आना होता है. अगर आपकी स्किन में भी अचानक परिवर्तन आ रहा है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं. पीलिया के ये अन्य लक्षण भी हैं:
- डार्क यूरिन आना
- शरीर में खुजली होना
- वजन का कम होना
- पेट में दर्द होना
- उल्टी आना
- बुखार होना
Piliya Rough hone ke karand ( पीलिया रोग के कारण )
- रोगी को बुखार रहना।
- भूख न लगना।
- चिकनाई वाले भोजन से अरूचि।
- जी मिचलाना और कभी कभी उल्टियॉं होना।
- सिर में दर्द होना।
- सिर के दाहिने भाग में दर्द रहना।
- आंख व नाखून का रंग पीला होना।
- पेशाब पीला आना।
- अत्यधिक कमजोरी और थका थका सा लगना
पीलिया से बचने के लिए 7 घरेलू उपाय (Piliya se Bachne ke gharelu upaye )
एक गिलास पानी में एक चम्मच त्रिफला भिगोकर रख दें। रातभर भिगोने के बाद सुबह इस पानी को छान कर पिएं। लगभग दो सप्ताह तक इस प्रयोग को करने ने बीमारी में काफी राहत मिलती है।
एक गिलास पानी में खड़ी धनिया या धनिया के बीच रातभर भिगोकर रख दें। सुबह इस पानी को पी लें। प्रतिदिन ऐसा करने से पीलिया ठीक होने में मदद मिलती है।
एक गिलास टमाटर के जूस में चुटकी भर काली मिर्च और नमक मिलाकर सुबह के समय पीने से पीलिया में काफी लाभ होता है। टमाटर में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो रोगों से लड़ने में सहायक है।
गोभी और गाजर का रस निकालकर, दोनों को समान मात्रा में मिलाकर पीने से भी पीलिया में बहुत लाभ होता है। इस रस का प्रतिदिन सेवन करने से जल्द ही बीमारी से छुटकारा मिल जाता है।
नीम के पत्तों को धोकर इनका रस निकालकर रोगी को पिलाने से भी पीलिया में लाभ होता है। इसके लिए प्रतिदिन 1 चम्मच नीम के पत्तों का रस बेहद लाभदायक होता है।
रात को सोते वक्त एक गिलास मलाई निकला दूध दो चम्मच शहद मिलाकर लें।
मूली के हरे पत्ते पीलिया में अति उपादेय है। पत्ते पीसकर रस निकालकर छानकर पीना उत्तम है। इससे भूख बढेगी और आंतें साफ होंगी।
पीलिया का उपचार एवम परहेज़
- रोगी को शीघ्र ही डॉक्टर के पास जाकर परामर्श लेना चाहिये।
- बिस्तर पर आराम करना चाहिये घूमना, फिरना नहीं चाहिये।
- लगातार जॉंच कराते रहना चाहिए।
- डॉक्टर की सलाह से भोजन में प्रोटिन और कार्बोज वाले प्रदार्थो का सेवन करना चाहिये।
- नीबू, संतरे तथा अन्य फलों का रस भी इस रोग में गुणकारी होता है।
- वसा युक्त गरिष्ठ भोजन का सेवन इसमें हानिकारक है।
- चॉवल, दलिया, खिचडी, थूली, उबले आलू, शकरकंदी, चीनी, ग्लूकोज, गुड, चीकू, पपीता, छाछ, मूली आदि कार्बोहाडेट वाले प्रदार्थ हैं इनका सेवन करना चाहिये।
- सभी वसायुक्त पदार्थ जैसे घी ,तेल , मक्खन ,मलाई कम से कम १५ दिन के लिये उपयोग न करें।
- दालों का उपयोग बिल्कुल न करें क्योंकि दालों से आंतों में फुलाव और सडांध पैदा हो सकती है।
रोग की रोकथाम एवं बचाव
- खाना बनाने, परोसने, खाने से पहले व बाद में और शौच जाने के बाद में हाथ साबुन से अच्छी तरह धोना चाहिए।
- भोजन जालीदार अलमारी या ढक्कन से ढक कर रखना चाहिये, ताकि मक्खियों व धूल से बचाया जा सकें।
- ताजा व शुद्व गर्म भोजन करें दूध व पानी उबाल कर काम में लें।
- पीने के लिये पानी नल, हैण्डपम्प या आदर्श कुओं को ही काम में लें तथा मल, मूत्र, कूडा करकट सही स्थान पर गढ्ढा खोदकर दबाना या जला देना चाहिये।
- गंदे, सडे, गले व कटे हुये फल नहीं खायें धूल पडी या मक्खियॉं बैठी मिठाईयॉं का सेवन नहीं करें।
- स्वच्छ शौचालय का प्रयोग करें यदि शौचालय में शौच नहीं जाकर बाहर ही जाना पडे तो आवासीय बस्ती से दूर ही जायें तथा शौच के बाद मिट्टी डाल दें।
- रोगी बच्चों को डॉक्टर जब तक यह न बता दें कि ये रोग मुक्त हो चूके है स्कूल या बाहरी नहीं जाने दे।
- इन्जेक्शन लगाते समय सिरेन्ज व सूई को 20 मिनट तक उबाल कर ही काम में लें अन्यथा ये रोग फैलाने में सहायक हो सकती है।
- रक्त देने वाले व्यक्तियों की पूरी तरह जॉंच करने से बी प्रकार के पीलिया रोग के रोगवाहक का पता लग सकता है।
- अनजान व्यक्ति से यौन सम्पर्क से भी बी प्रकार का पीलिया हो सकता है।