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ओवरी सिस्ट: इलाज से ज़्यादा जागरूकता

ओवरी सिस्ट: इलाज से ज़्यादा जागरूकता

Posted on April 23, 2019April 8, 2024 By admin

हर महीने पीरियड्स के दौरान अंडे के बनने और खंडित होने की प्रक्रिया में वो कभी-कभी बड़े आकार के हो जाते हैं। इसे ही सिस्ट कहते हैं। ये दो-तीन सप्ताह में खत्म हो जाते हैं। अक्सर अंडा बनने वाली दवाइयों के प्रयोग से भी अंडाशय में सिस्ट बन जाता है। इसका प्रमुख लक्षण पेट के निचले हिस्से में दर्द होना है

इन दिनों महिलाओं में अंडाशय (ओवरी) में सिस्ट की समस्या से सबधित मामले बहुत ज्यादा बढ़ रहे हैं। अंडाशय में सिस्ट को लेकर महिलाओं के मध्य कई गलत धारणाएं व्याप्त हैं। जैसे सिस्ट का समय पर इलाज न कराने से भविष्य में इसके कैंसर में परिवर्तित होने का खतरा बढ़ जाता है। इसी धारणा के चलते महिलाएं ऑपरेशन करवाकर अंडाशय निकलवा देती हैं। हालाकि सिस्ट के चलते कई बार महिलाओं को माहवारी में दिक्कतें पैदा हो जाती हैं। इससे कई अन्य समस्याएं भी पैदा हो सकती हैं। बहरहाल, अंडाशय सिस्ट के अधिकतर मामले गभीर नहीं होते। सही समय पर जाच और डॉक्टर के परामर्श से ये ठीक हो जाते हैं।

ओवेरियन सिस्ट महिलाओं को होने वाली आम समस्‍या है। मगर आजकल महिलाओं में यह समस्या बढ़ती जा रही है। इसकी वजह से उन्हें कई बार विभिन्‍न परेशानियों से गुजरना पड़ता है। ओवरी महिलाओं की शारीरिक संरचना का अहम अंग है और प्रजनन प्रणालि का महत्‍वपूर्ण हिस्‍सा है। यह गर्भाशय के दोनों तरफ निचली ओर स्थित होता है। ये अंडे के साथ ही एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का भी उत्पादन करता है। आज हम ओवरी में होने वाले सिस्‍ट के बारे में बात करेंगे।

ओवेरियन सिस्ट की समस्या आज सभी महिलाओं को उनके जीवन में एक बार जरुर होती है। आमतौर में ये ओवरी के बीतर द्रव्य भरी थैलीनुमा संरचनाएं होती हैष हर महिने पीरियड के समय इस थैली के आकार की एक संरचना उभरती है, जिसे फॉलिकल नाम से जाना जाता है।

इस फॉलिकल से एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्ट्रॉन नाम के हार्मोंस निकलते है, जो ओवरी से मैच्योर एग की निकासी में सहायक होते है। कई मामलों में पीरियड की निश्चित अवधि खत्म हो जाने के बाद भी फॉलिकल का आकार बढता रहता है तो कि ओवेरियन सिस्ट कहलाता है। इसी तरह अगर सिस्ट का आकार बड़ा है और यह समय के साथ बढ़ रहा है, तो जटिलता उत्पन्न होने की आशंकाएं बढ़ जाती हैं। अगर सिस्ट तरल पदार्थ से भरा है, तो उस सिस्ट के कैंसर में परिवर्तित होने की आशकाएं काफी कम हो जाती हैं, लेकिन अगर सिस्ट ठोस है या ठोस के साथ इसमें तरल पदार्थ भी है, तो यह जानना जरूरी होता है कि ये कैंसर है या नहीं

ओवरी सिस्ट में अपना ख्याल कैसे करे

अंडाशय सिस्ट तरल पदार्थ से भरे हुए थैले जैसा होता है, जो अंडाशय के भीतर या सतह पर होता है। अंडाशय में ज्यादातर सिस्ट शरीर को कोई हानि नहीं पहुंचाते बल्कि वे माहवारी के दौरान खुद-ब-खुद निकल जाते हैं, लेकिन कई बार दर्द के चलते डॉक्टर से परामर्श लेना जरूरी है।

इसके बावजूद उपर्युक्त लक्षणों में डॉक्टर से परामर्श लेना जरूरी है। रजोनिवृत्ति के बाद अगर सिस्ट की समस्या सामने आ चुकी है, तो सिस्ट के कैंसर की आशका बढ़ जाती है। इसलिए रजोनिवृत्ति के बाद पेल्विक एग्जामिनेशन टेस्ट और पेल्विक का अल्ट्रासाउंड कराना आवश्यक है। अल्ट्रासाउंड कराने पर सिस्ट का पता चल जाता है। सिस्ट कई प्रकार के होते हैं।

 इलाज:

सिस्ट का पता लगने के बाद डॉक्टर ‘पेल्विक अल्ट्रासाउंड’ से यह निश्चित करता है कि सिस्ट कहा पर है और इसमें द्रव, ठोस या फिर दोनों का मिश्रण तो नहीं है। इसके बाद उम्र और सिस्ट का आकार देखकर ही इलाज शुरू किया जाता है। अगर कोई लक्षण प्रकट नहीं होता और सिस्ट तरल पदार्थ का है तो डॉक्टर कुछ महीनों बाद दोबारा पेल्विक अल्ट्रासाउंड करके यह निरीक्षण करता है कि सिस्ट का आकार कितना है और किस जगह मौजूद है या फिर वह माहवारी होने के बाद खत्म तो नहीं हो गया।

कई बार डॉक्टर, जन्म नियत्रण से सबधित टैब्लेट्स लेने की भी सलाह देते हैं ताकि नये सिस्ट न बनें। अगर सिस्ट बड़ा है या उसका आकार बढ़ता जाये तो ऑपरेशन या लैप्रोस्कोपी के द्वारा ओवरी से सिस्ट निकाल दिया जाता है।

सजगता:

हालाकि ओवरी में सिस्ट रोकने का कोई उपाय नहीं है। सिर्फ जरूरत है सतर्कता बरतने की। अगर माहवारी अनियमित हो, तब शीघ्र ही डॉक्टर से परामर्श लें।

  • मोटापा
  • कम उम्र में पीरियड की शुरुआत,
  • आनुवांशिक प्रभाव, हार्मोंस का असंतुलन
  • गर्भाधारण में अक्षमता आद के कारण हो सकता है।

ओवरियन सिस्ट:

औरतों के दो ओवरी होते हैं। जब किसी एक ओवरी में द्रव से भरी हुई थैली उत्पन्न हो जाती है उसे सिस्ट कहते हैं। माना जाता है कि ज्‍यादातर महिलाओं को उनके जीवनकाल में कम से कम एक बार सिस्ट का विकास होता है।

  • पेट में सूजन
  • श्रोणि में दर्द (मासिक धर्म के पहले या बाद)
  • कमर के नीचले हिससे में दर्द
  • जी मिचलाना और उल्टी
  • पेट में भारीपन
  • अपच
  • जल्दी सन्तुष्टता होना
  • मूत्र तत्कालता
  • थकान
  • तेज सांसे चलना
  • अनियमित मासिक धर्म
  • कब्ज

1. पहले मासिक धर्म
2. अनियमित मासिक चक्र
3. पहले से ही ओवेरियन सिस्ट की उपस्थिति
4. बांझपन
5. मोटापा
6. हार्मोनल समस्या
7. श्रोणि में इन्फेक्शन

सिस्ट का घरेलू इलाज: हल्दी का चिकित्सीय गुण बेहद आश्चर्यपूर्ण है। फेफड़ों और गर्भाशय में विशेष तौर पर पनपते फाइब्रोसिस के विकास पर हल्दी रोक लगाती है। प्रयोगशाला स्तर पर पहले चूहे को हल्दी का लेप खिला कर परीक्षण की सार्थकता जांची गई। बाद में महिलाओं पर भी प्रयोग किए गए। इस तरह से पाया गया कि, जिन्होंने नियमित रूप से हल्दी का सेवन किया, उनमें रोग नहीं पनपा, जबकि यदा-कदा हल्दी लेने वालों में रोग अपेक्षाकृत अधिक रहा। गौरव का विषय है कि भारतीय आहार में हल्दी का नियमित सेवन किया जाता है। बर्गर, पिज्जा, चाऊमिन की शौकीन महिलाएं हल्दी नहीं खा पाती।

Health

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