शरीर के लिए आवश्यक सन्तुलित आहार लम्बे समय तक नहीं मिलना ही कुपोषण कारण होता है। कुपोषण के कारण बच्चों और महिलाओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, जिससे वे आसानी से कई तरह की बीमारियों के शिकार बन जाते हैं। अत: कुपोषण की जानकारियाँ होना अत्यन्त जरूरी है। कुपोषण प्राय: पर्याप्त सन्तुलित अहार के आभाव में होता है। बच्चों और स्त्रियों के अधिकांश रोगों की जड़ में कुपोषण ही होता है। स्त्रियों में रक्ताल्पता या घेंघा रोग अथवा बच्चों में सूखा रोग या रतौंधीऔर यहाँ तक किअंधत्वभी कुपोषण के ही दुष्परिणाम हैं। इसके अलावा ऐसे पचासों रोग हैं जिनका कारण अपर्याप्त या असन्तुलित भोजन होता है। कुपोषण दो तरह का होता है: कम पोषण या अधिक पोषण। विकासशील देशों में कम पोषण बहुत ज़्यादा पाया जाता है। इसका एक प्रमुख कारण गरीबी है- बहुत से लोग पैसों की कमी के कारण नियमित सन्तुलित खाना हासिल नहीं कर सकते। आर्थिक तंगी के समय में कुपोषण की स्थिति साफ दिखाई देने लगती है; और ऐसे में शरीर बीमारियों से लड़ नहीं पाता और कुपोषण बढता ही है। दूसरी ओर मोटापे की समस्या है। मोटापा आम तौर पर बहुत अधिक खाने व व्यायाम/कसरत की कमी से होता है। किसी व्यक्ति को उस समय मोटा (अधिक भार वाला) कहा जाता है जब उसका भार, श्रम, उसकी उम्र, लम्बाई और लिंग के हिसाब से मानक भार से 10 प्रतिशत अधिक होता है। बचपन में कम पोषण से अलग-अलग समस्याएँ हो जाती हैं।
यदि मानव शरीर को सन्तुलित आहार के जरूरी तत्त्व लम्बे समय न मिलें तो निम्नलिखित लक्षण दिखते हैं। जिनसे कुपोषण का पता चल जाता है।
जानिए कुपोषण लक्षण (Symptom Malnutrition in Hindi )
- शरीर की वृद्धि रुकना
- मांसपेशियाँ ढीली होना अथवा सिकुड़ जाना
- झुर्रियाँ युक्त पीले रंग की त्वचा
- कार्य करने पर शीघ्र थकान आना।
- मन में उत्साह का अभाव चिड़चिड़ापन तथा घबराहट होना।
- बाल रुखे और चमक रहित होना।
- चेहरा कान्तिहीन, आँखें धँसी हुई तथा उनके चारों ओर काला वृत्त बनाना।
- शरीर का वजन कम होना तथा कमजोरी होना
- नींद तथा पाचन क्रिया का गड़बड़ होना।
हाथ पैर पतले और पेट बढ़ा होना या शरीर में सूजन आना (अक्सर बच्चों में)। डॉक्टर को दिखलाना चाहिए। वह पोषक तत्त्वों की कमी का पता लगाकर आवश्यक दवाइयाँ और खाने में सुधार के बारे में बतलाएगा।
Cause of Malnutrition In Hindi (कुपोषण का कारण)
भारत में कम उम्र में शादी और गर्भावस्था तथा दो बच्चों के बीच पर्याप्त अंतराल न होना कुपोषण का कारण है
बुखार, दस्त, खॉंसी आदि बीमारियों से शिशु क्षीण हो जाता है और भूख भी कम हो जाती है। इससे कुपोषण और बीमारियाँ का दुष्ट चक्र शुरू हो जाता है।भारतीय बच्चों के आहार में प्रथिन (प्रोभूजिन) कम होते है। अत: स्नायुओं और हड्डियों की वृद्धि कम हो जाती है।तीसरे साल तक बच्चों की वृद्धि का पहला चरण पूर्ण होता है। इस चरण में वृद्धि कम हो तो आगे उसकी अतिपूर्ती नहीं हो पाती।
Malnutrition Kitni Tarah ka hota hai ( कुपोषण दो तरह का होता है )
कम पोषण या अधिक पोषण। विकासशील देशों में कम पोषण बहुत ज़्यादा पाया जाता है। इसका एक प्रमुख कारण गरीबी है- बहुत से लोग पैसों की कमी के कारण नियमित सन्तुलित खाना हासिल नहीं कर सकते। आर्थिक तंगी के समय में कुपोषण की स्थिति साफ दिखाई देने लगती है; और ऐसे में शरीर बीमारियों से लड़ नहीं पाता और कुपोषण बढता ही है। दूसरी ओर मोटापे की समस्या है। मोटापा आम तौर पर बहुत अधिक खाने व व्यायाम/कसरत की कमी से होता है। किसी व्यक्ति को उस समय मोटा (अधिक भार वाला) कहा जाता है जब उसका भार, श्रम, उसकी उम्र, लम्बाई और लिंग के हिसाब से मानक भार से १० प्रतिशत अधिक होता है। बचपन में कम पोषण से अलग-अलग समस्याएँ हो जाती हैं।
कुपोषण को खत्म करने के मुख्य रूप से दो तरीके हैं:
- किसी व्यक्ति के पास भोजन और तरल पोषण की मात्रा और गुणवत्ता को बनाए रखना। पर्याप्त स्वास्थ्य देखभाल और पौष्टिक और स्वस्थ वातावरण प्रदान करना।
- कुपोषण की रोकथाम के कुछ उपाय- :रोटी, चावल, आलू और अन्य स्टार्चयुक्त खाद्य पदार्थ भोजन का प्रमुख हिस्सा होते हैं. इनसे हमें ऊर्जा और कार्बोहाइड्रेट पाचन के लिए कैलोरी प्राप्त होती है.
- दूध और डेयरी खाद्य पदार्थ – वसा और वास्तविक शर्करा के महत्वपूर्ण स्रोत होते हैं.
- फलों और सब्जियों का अधिक सेवन किया जाना चाहिए. बेहतर पाचन स्वास्थ्य के लिए विटामिन और खनिजों के महत्वपूर्ण स्रोत के साथ-साथ फाइबर का सेवन भी होना चाहिए.
- मांस, मुर्गी पालन, मछली, अंडे, सेम और अन्य गैर-डेयरी प्रोटीन के स्रोत शरीर का निर्माण करते हैं और कई एंजाइमों के कार्यो में सहायता करते हैं.
- गर्भावस्था के दौरान मां को पर्याप्त पोषण मिलना चाहिए और स्तनपान पर जोर दिया जाना चाहिए.