वेद और आयुर्वेद दोनों के अनुसार हमारा शरीर पाँच धातु आकाश, पृथ्वी, अग्नि, जल व वायु से मिलकर बना है। जब हमको कोई शारीरिक समस्या होती है तो हम इन पांचो से ही जोड़ के देखते है। हठ योग प्रदीपिका के अनुसार 5 योग मुद्राएं होती हैं जो एक्यूप्रेशर की तरह काम करती हैं।
आइये आज हम ऐसी 5 योग मुद्राओं के बारे मे चर्चा करेंगे जिससे हम यदि अपनी निजी ज़िन्दगी मे फॉलो करना शुरू करना दे तो हम ऐसी बहुत सी समस्याओं से छुटकारा पा सकते है ओर डॉक्टर के ऊपर भारी रुपये खर्च करने से बच सकते है।
Yoga Kaise Kare
प्राण मुद्रा : यह शक्ति और स्फूर्ति देने वाली मुद्रा है। इससे शारीरिक और मानसिक लाभ मिलता है। आंखों और फेफड़ों से जुड़े रोगों में लाभ होता है। इसे नियमित करने से कफ आदि की समस्या नहीं होती है।
प्राण मुद्रा के फायदे : प्राण मुद्रा का अभ्यास अगर लंबे समय तक किया जाए तो ये शरीर में इंसुलिन के स्तर को बैलेंस करने का काम करता है। इतना ही नहीं प्राण मुद्रा का ये अभ्यास दिल से लेकर गले तक के रोगों के लिए भी खूब फायदेमंद होता है। प्राण मुद्रा का ये अभ्यास भूख और प्यास को भी नियंत्रित करने का काम करता है। इस अभ्यास से प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होती है। तन-मन की दुर्बलता, थकान और नस-नाड़ियों की पीड़ा को दूर करने में में यह मुद्रा खास तौर से उपयोगी है, क्योंकि इससे रक्त शुद्ध होता है। रक्त वाहिनियों के अवरोध भी दूर होते हैं।
इस मुद्रा से मानसिक एकाग्रता भी बढ़ती है। तो अगरर आपकी आंखों की रोशनी कम हो रही है या फिर देर तक कंप्यूटर और टीवी को देखने से आंखों में जलन होता है या आंखें थक जाती हैं, तो प्राण मुद्रा करना फायदेमंद होगा। यह नेत्र रोगों में विशेष लाभकारी है। इसके अभ्यास से दृष्टि दोष दूर होता है।
कैसे करें प्राण मुद्रा : कनिष्ठा ( छोटी अंगुली ), अनामिका ( सूर्य अंगुली ) और अंगूठे के शीर्ष को मिलाएं। शेष सभी उंगलियों को सीधी रखें। प्रतिदिन धीमी, लंबी और गहरी सांस के साथ इसे आप 45 मिनट तक करें।
शून्य मुद्रा : इसके रोजाना 45 मिनट अभ्यास करने से कान के दर्द में आराम मिलता है। जिन्हें कम सुनाई देता है उन्हें भी लाभ मिल सकता है। मान शांत होता है। निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है।
कैसे करें शून्य मुद्रा :
आपकी रीढ़ की हड्डी सीधी हो।
अपने दोनों हाथों को अपने घुटनों पर रख लें और हथेलियाँ आकाश की तरफ होनी चाहिये । मध्यमा अँगुली(बीच की अंगुली)को हथेलियों की ओर मोड़ते हुए अँगूठे से उसके प्रथम पोर को दबाते हुए बाकी की अँगुलियों को सीधा रखें ।
वायु मुद्रा : हार्ट के रोगी इस मुद्रा को रोजाना 20-25 मिनट करते हैं तो लाभ मिलेगा लेकिन एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें। ब्लड प्रेशर, गैस एवं शरीर की बेचैनी में भी इस वायु मुद्रा से आराम मिलता है।
कैसे करें वायु मुद्रा : तर्जनी को हथेली की ओर मोड़ते हुए उसके प्रथम पोरे को अँगूठे से दबाएँ। बाकी बची तीनों अँगुलियों को ऊपर तान दें। इसे वायु मुद्रा कहते हैं।
पृथ्वी मुद्रा : इससे चेहरे की चमक और वजन दोनों ही बढ़ते हैं। सभी तरह की कमजोरी दूर करने के लिए इस मुद्रा को किया जा सकता है।
कैसे करें पृथ्वी मुद्रा :तर्जनी अंगुली को अंगूठे से स्पर्श कर दबाएं। बाकि बच गई तीनों अंगुलियों को ऊपर की और सीधा तान कर रखें। आप इस मुद्रा को कहीं भी किसी भी समय कर सकते हैं।
अपान मुद्रा : डायबिटीज, यूरिन संबंधी रोग, कब्ज, बवासीर और पेट संबंधी रोगों में आराम मिलता है। गर्भवती के लिए भी लाभकारी है।
कैसे करें अपान मुद्रा : मध्यमा और अनामिका दोनों को आपस में मिलाकर उनके शीर्षों को अंगूठे के शीर्ष से स्पर्श कराएं। बाकी दोनों अंगुलियों को सीधा रखें