देश मे हो रहे भुगतान के तरीकों मे जिस तरह के बदलाव हो रहे है उससे साफ है अब भुगतान करने के लिए सब लोग ऑनलाइन सुविधाओं का सहारा लेंगे। आइये जानते है कि वो कौन सी सुविधाएं है जो भुगतान के लिए लोगों को सुविधा देते है।
वर्तमान में देश में तीन मुख्य भुगतान प्रणालियाँ प्रचलित हैं:
● राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक निधि अंतरण (NEFT),
● तत्काल सकल निपटान (RTGS)
● तत्काल भुगतान सेवा (IMPS).
देश की सबसे बड़ी वित्तिय संस्था RBI ने कहा है NEFT और RTGS प्रणालियों के जरिये होने वाले लेन-देन पर किसी भी प्रकार का कोई शुल्क नहीं लगेगा। जिससे देश मे डिजिटल भुगतान को बढ़ावा मिलेगा । RBI ने कहा,‘‘बैंकों को भी इसका लाभ अपने ग्राहकों को देना होगा.
★ आइये अब इन तीनों के बारे में एक एक करके जानते हैं ★
● नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (NEFT):- NEFT भारत के सबसे प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक धन हस्तांतरण प्रणालियों में से एक है। इसे नवंबर 2005 में शुरू किया गया था| NEFT एक व्यक्ति के खाते से दूसरे व्यक्ति के खाते में रूपये भेजने की सुविधा है| इसमें रुपया तुरंत ही लाभार्थी के खाते में जमा हस्तांतरित नही किया जा सकता है बल्कि इसको भेजने के लिए प्रति घंटा के हिसाब से टाइम स्लॉट बंटे होते हैं जिनमे ही इस माध्यम से रुपये भेजे जा सकते हैं| इसे इलेक्ट्रॉनिक संदेशों के माध्यम से किया जाता है। यह सुविधा देश की 30,000 बैंक शाखाओं में उपलब्ध हैं। भारत में इस सेवा के माध्यम से 2014-15 में $ 890 अरब भेजे गए थे जो कि पिछले साल US$650 थे |
● तत्काल सकल निपटान (Real Time Gross Settlement- ‘RTGS’): इस प्रणाली में कम से कम 2 लाख के ऊपर का पेमेंट (और अधिक कितना भी) किया जाता है.भारतीय RTGS प्रणाली लगभग 16 दिन में देश की जीडीपी के बराबर का लेन-देन कर देती है। RTGS राष्ट्रीय भुगतान प्रणाली में माध्यम से देश के उच्च मूल्य लेनदेन वाले 95% भुगतान इसी भुगतान प्रणाली के माध्यम से किये जाते हैं | यह भुगतान प्रणाली पूरे विश्व में सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाती है| 1985 में इसके माध्यम से केवल 3 देशों के केन्द्रीय बैंक भुगतान करते थे लेकिन इस समय विश्व के 100 से अधिक देशों के केन्द्रीय बैंक इसका इस्तेमाल कर रहे हैं| RTGS के माध्यम से रुपये का हस्तांतरण बिना किसी देरी के किया जाता है इसमें जैसे ही किसी ने ऑनलाइन पैसे भेजने के लिए ok का बटन दबाया, लाभार्थी के खाते में रुपये तुरंत पहुँच जाते हैं|
● तत्काल भुगतान सेवा Immediate Payment Service (IMPS): इस सेवा को सार्वजनिक रूप से 22 नवंबर, 2010 को शुरू किया गया था। इस सेवा के माध्यम से एक बैंक अकाउंट से दूसरे बैंक अकाउंट में रुपया कभी भी किसी भी समय भेजा जा सकता है| इस सेवा का लाभ मोबाइल फ़ोन के माध्यम से भी उठाया जा सकता है l NEFT और RTGS के विपरीत, इस सेवा का उपयोग बैंक की छुट्टियों के समय भी पूरे साल 24×7 किया जा सकता है। इस सेवा का प्रबंधन राष्ट्रीय भुगतान निगम (National Payments Corporation of India –NPCI) द्वारा किया जाता है |
इन दोनों भुगतान सेवाओं के बीच निम्न आधारों पर भेद किया जा सकता है :-
a. NEFT के माध्यम से फंड ट्रांसफर मुख्य रूप से छोटे बचत खाता धारक करते हैं जबकि RTGS का उपयोग बड़े बड़े उद्योग घराने, संस्थाएं इत्यादि करते हैं |
b. NEFT के माध्यम से भुगतान एक समय के बाद होता है लेकिन RTGS के माध्यम से भुगतान तुरंत उसी समय हो जाता है |
c. NEFT का उपयोग छोटी राशि को भेजने के लिए किया जाता है जबकि RTGS के माध्यम से कम से कम 2 लाख रुपये का ट्रांसफर करना जरूरी हिता है जबकि NEFT के मामले में ऐसी कोई न्यूनतम या अधिकत्तम की सीमा नही है |
d. NEFT के माध्यम से पैसे भेजने के लिए बैंकों में सोमवार से शुक्रवार तक सुबह के 9 बजे से शाम के 7 बजे तक का समय तय रहता है जबकि शनिवार के दिन सुबह के 9 बजे से दोपहर के 1 बजे तक पैसे भेजे जा सकते हैं | लेकिन RTGS प्रणाली से पैसे तुरंत (continuous basis पर ) भेज दिए जाते हैं (लेकिन उस दिन बैंक का खुला होना जरूरी होता है)
e. हस्तांतरण लेनदेन पर लगने वाला शुल्क
रिज़र्व बैंक अपने रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट सिस्टम (RTGS) और नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (NEFT) के माध्यम से लेन-देन के लिए बैंकों से न्यूनतम शुल्क वसूलता था, और इसके बदले में बैंक यह शुल्क ग्राहकों से बसूलते थे.
लेकिन अब RBI ने NEFT और RTGS पर शुल्क लगाना बंद कर दिया है और बैंकों से कहा है कि वे भी ग्राहकों से शुल्क लेना बंद कर दें.
तो इस प्रकार कहा जा सकता है कि देश में जैसे-जैसे तकनीकी और शैक्षिक विकास होगा और लोगों के पास अधिक से अधिक संख्या में मोबाइल और इन्टरनेट की पहुँच होगी, इलेक्ट्रोनिक माध्यमों में होने वाले आर्थिक लेन देन की संख्या और बजट में साल दर साल बृद्धि होती ही जायेगी |