तेजी से बदलती दुनिया में इंसान की रोजमर्रा का जिंदगी भी बड़ी तेजी से बदल रही है। इस तेज रफ्तार जिंदगी में जो चीज सबसे अहम बनती जा रही है वो है अच्छी सेहत। भागदौड़ से भरी इस जीवन शैली में कई बीमारियां आज इतनी आम हो गई हैं कि हर दूसरा इंसान आज इससे जूझता दिखाई देता है। आम हो चली इन बीमारियों में शुगर यानी मधुमेह का रोग एक ऐसी ही बड़ी चुनौती बन गया है।
दुनियाभर में तेजी से बढ़ती इस चुनौती से जूझने और जागरुकता फैलाने के लिए हर साल 14 नवंबर को विश्व मधुमेह दिवस मनाया जाता है। वर्ल्ड डायबिटीज डे को अंतरराष्ट्रीय मधुमेह संघ और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 1991 में शुरू किया गया था. यह दिन पहली बार 1991 में मनाना शुरू किया गया था।आजकल के इस भागदौड़ भरे युग में अनियमित जीवनशैली के चलते जो बीमारी सर्वाधिक लोगों को अपनी गिरफ्त में ले रही है वह है मधुमेह। मधुमेह को धीमी मौत भी कहा जाता है। यह ऐसी बीमारी है जो एक बार किसी के शरीर को पकड़ ले तो उसे फिर जीवन भर छोड़ती नहीं। इस बीमारी का जो सबसे बुरा पक्ष है वह यह है कि यह शरीर में अन्य कई बीमारियों को भी निमंत्रण देती है। मधुमेह रोगियों को आंखों में दिक्कत, किडनी और लीवर की बीमारी और पैरों में दिक्कत होना आम है। पहले यह बीमारी चालीस की उम्र के बाद ही होती थी लेकिन आजकल बच्चों में भी इसका मिलना चिंता का एक बड़ा कारण हो गया है।मधुमेह के मुख्य कारण जीवनशैली, सामान्य से अधिक वजन, मोटापा और शारीरिक निष्क्रियता तथा जीन एवं पारिवारिक इतिहास हैं. उचित व्यायाम, आहार और शरीर के वजन पर नियन्त्रण बनाए रखकर मधुमेह को नियन्त्रित रखा जा सकता है. अगर मधुमेह पर ठीक से नियन्त्रण न रखा जाए तो मरीज में दिल, गुर्दे, आंखें, पैर एवं तंत्रिका संबंधी कई तरह की बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है.
Diabetes Kaise Hota hai (मधुमेह होने का कारण)
मधुमेह मेटाबोलिक बीमारियों का एक समूह है, जिसमें खून में ग्लूकोज या ब्लड शुगर का स्तर सामान्य से अधिक हो जाता है. ऐसा तब होता है, जब शरीर में इंसुलिन ठीक से न बने या शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के लिए ठीक से प्रतिक्रिया न दें. जिन मरीजों का ब्लड शुगर सामान्य से अधिक होता है वे अक्सर पॉलीयूरिया (बार बार पेशाब आना) से परेशान रहते हैं. उन्हें प्यास (पॉलीडिप्सिया) और भूख (पॉलिफेजिया) ज्यादा लगती है.। जब हमारे शरीर के पैंक्रियाज में इंसुलिन का पहुंचना कम हो जाता है तो खून में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है। इस स्थिति को डायबिटीज कहा जाता है। इंसुलिन एक हार्मोन है जोकि पाचक ग्रंथि द्वारा बनता है। इसका कार्य शरीर के अंदर भोजन को एनर्जी में बदलने का होता है। यही वह हार्मोन होता है जो हमारे शरीर में शुगर की मात्रा को कंट्रोल करता है। मधुमेह हो जाने पर शरीर को भोजन से एनर्जी बनाने में कठिनाई होती है। इस स्थिति में ग्लूकोज का बढ़ा हुआ स्तर शरीर के विभिन्न अंगों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है।
Diabetes kaise Aahar le डायबिटिक व्यक्ति कैसे आहार ले
डायबिटिक व्यक्ति को प्रोटीन अच्छी मात्रा में व उच्च गुणवत्ता वाला लेना चाहिए जैसे दूध, दही, पनीर, अंडा, मछली, सोयाबीन आदि का सेवन करना चाहिए। इंसुलिन ले रहे डायबिटिक व्यक्ति एवं गोलियांं ले रहे डायबिटिक व्यक्ति को खाना सही समय पर लेना चाहिए। ऐसा न करनेपर हायपोग्लाइसीमिया हो सकता है, जिसके लक्षण निम्न हैं –
(1) कमजोरी लगना, (2) अत्यधिक भूख लगना, (3) पसीना आना, (4) नजर से धुंधला या डबल दिखना, (5) हृदयगति तेज होना, (6) झटके आना एवं गंभीर स्थिति होने पर कोमा भी हो सकता है।
तुलसी की पत्तियों के इस्तेमाल से कंट्रोल करें डायबिटीज:
तुलसी की पत्तियों में एंटी-ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं. इसके अलावा इसमें कई ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो पैंक्रियाटिक बीटा सेल्स को इंसुलिन के प्रति सक्रिय बनाती हैं.
दालचीनी पाउडर:
दालचीनी भारतीय व्यंजनों में इस्तेमाल होने वाला एक प्रमुख मसाला है. दालचीनी के प्रयोग से इंसुलिन की संवेदनशीलता बढ़ती है. ये ब्लड में शुगर के लेवल को कम करने और नियंत्रित करने में मददगार है. .
ग्रीन टी:
ग्रीन टी में उच्च मात्रा में पॉलीफिनॉल पाया जाता है. ये एक सक्रिय एंटी-ऑक्सीडेंट है. जो ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मददगार है. प्रतिदिन सुबह और शाम ग्रीन टी पीने से फायदा होगा.
सहजन की पत्तियों का रस:
सहजन की पत्तियों का रस भी डायबिटीज कंट्रोल करने में बहुत कारगर है. ड्रमस्टिक की पत्तियों को पीसकर उसे निचोड़ ले और सुबह खाली पेट इसका सेवन करें. इससे शुगर लेवल बढ़ेगा नहीं.
जामुन के बीजों के सेवन:
जामुन के बीज भी डायबिटीज कंट्रोल करने में फायदेमंद हैं. जामुन के बीजों को अच्छी तरह सुखा लें. सूखने के बाद इन्हें पीसकर एक चूर्ण बना लें. सुबह खाली पेट जामुन के बीजों को गुनगुने पानी के साथ लें. इससे डायबिटीज कंट्रोल करने में मदद मिलेगी.
मधुमेह के चार मुख्य प्रकार हैं:
डीएम पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन करने के लिए अग्न्याशय की विफलता का परिणाम है। इस रूप को पहले “इंसुलिन-आश्रित मधुमेह मेलाईटस” (आईडीडीएम) या “किशोर मधुमेह” के रूप में जाना जाता था। इसका कारण अज्ञात है
डीएम इंसुलिन प्रतिरोध से शुरू होता है, एक हालत जिसमें कोशिका इंसुलिन को ठीक से जवाब देने में विफल होती है। जैसे-जैसे रोग की प्रगति होती है, इंसुलिन की कमी भी विकसित हो सकती है।[4] इस फॉर्म को पहले “गैर इंसुलिन-आश्रित मधुमेह मेलेतुस” (एनआईडीडीएम) या “वयस्क-शुरुआत मधुमेह” के रूप में जाना जाता था। इसका सबसे आम कारण अत्यधिक शरीर का वजन होना और पर्याप्त व्यायाम न करना है।
गर्भावधि मधुमेह इसका तीसरा मुख्य रूप है और तब होता है जब मधुमेह के पिछले इतिहास के बिना गर्भवती महिलाओं को उच्च रक्त शर्करा के स्तर का विकास होता है।
सेकेंडरी डायबिटीज इस प्रकार की डायबिटीज इलाज करने मात्र से ही सही हो सकती है जैसे की कुछ दवाईओं को बंद करने से, पिट्यूटरी ग्लैंड का ट्यूमर का इलाज करने से।