मुग़ल बादशाहों में सिर्फ़ एक शख़्स भारतीय जनमानस के बीच जगह बनाने में नाकामयाब रहा वो था आलमगीर औरंगज़ेब. आम लोगों के बीच औरंगज़ेब की छवि हिंदुओं से नफ़रत करने वाले धार्मिक उन्माद से भरे कट्टरपंथी बादशाह की है जिसने अपने राजनीतिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए अपने बड़े भाई दारा शिकोह को भी नहीं बख्शा. और तो और उसने अपने वृद्ध पिता तक को उनके जीवन के आखिरी साढ़े सात सालों तक आगरा के किले में कैदी बना कर रखा.
★ औरंगजेब का जन्म , बचपन और उसका निकाह —
अबुल मुज़फ्फर मुहिउद्दीन मुहम्मद औरंगज़ेब का जन्म 4 नवम्बर, 1618 ई. में गुजरात के दोहद में हुआ. औरंगज़ेब शाहजहां और मुमताज़ का बेटा था.
औरंगज़ेब के बचपन का अधिकांश समय नूरजहां के पास बीता था। 18 मई, 1637 ई. को फ़ारस के राजघराने की ‘दिलरास बानो बेगम’ के साथ औरंगज़ेब का निकाह हुआ. इसके अलावा भी उनकी कई और बेगम थीं। औरंगजेब के कुल 6 बच्चे थे, जिनमें 5 बेटे और एक बेटी थी।
★ 49 साल किया भारत पर राज
मुग़ल बादशाहों में औरंगजेब इकलौता ऐसा शासक था, जिन्होंने भारत पर साल 1658 ईसवी से 1707 तक करीब आधी सदी (49 साल) तक अपना शासन किया।
अबुल मुज़फ्फर मुहिउद्दीन मुहम्मद औरंगज़ेब शाहजहां और मुमताज़ का बेटा था. आगरा पर कब्जा कर जल्दबाजी में औरंगज़ेब ने अपना राज्याभिषक “अबुल मुजफ्फर मुहीउद्दीन मुजफ्फर औरंगज़ेब बहादुर आलमगीर” की उपाधि से 31 जुलाई, 1658 ई. को दिल्ली में करवाया। हालांकि प्रजा औरंगेजब के शासक बनने से खुश नहीं थी, क्योंकि औरंगजेब द्धारा अपने ही सगे भाईयों की हत्या और बूढ़े पिता पर ढाए जा रहे जुल्म से प्रजा के अंदर उसके लिए नफरत पैदा हो गई थी। वहीं औरंगजेब ने अपनी बर्बरता और क्रूर रवैया आगे भी जारी रखा, हालांकि इसका अंजाम उसे बाद में भुगतना पड़ा। औरंगज़ेब के गुरु थे मीर मुहम्मद हकीम ‘खजुवा’. ‘देवराई’ के युद्ध में सफल होने के बाद 15 मई, 1659 ई. को औरंगज़ेब ने दिल्ली में प्रवेश किया.
औरंगज़ेब ने 15 करोड़ लोगों पर करीब 49 सालों तक राज किया. उनके शासन के दौरान मुग़ल साम्राज्य इतना फैला कि पहली बार उन्होंने करीब करीब पूरे उपमहाद्वीप को अपने साम्राज्य का हिस्सा बना लिया. सम्राट औरंगज़ेब ने इस्लाम धर्म के महत्व को स्वीकारते हुए ‘क़ुरान’ को अपने शासन का आधार बनाया. औरंगज़ेब के समय सूबों की संख्या 20 थी. औरंगज़ेब दारूल हर्ब यानी काफिरों का देश को दारूल इस्लाम में बदलने को अपना महत्वपूर्ण लक्ष्य मानता था.
★ विरोधियों का सिर कलम करवाया ——
अत्याचारी और बर्बर शासक औरंगजेब के मन में हिन्दुओं के प्रति इतनी नफरत भरी हुई थी कि, वह सभी सिक्खों और हिन्दुओं को मुस्लिम बना देना चाहता था। वहीं उसके इस कट्टर फरमान को न मानने वाले गैर मुस्लिमों के खिलाफ उसने जबरदस्ती की और जबरन मुस्लिम बना दिया। वहीं जब उसने यह फरमान कश्मीर में लागू किया और कश्मीरी ब्राह्मणों को जबरन धर्मपरिवर्तन कर इस्लाम कबूलने के लिए मजबूर किया। वह सिक्ख समुदाय के गुरु हरकिशन के बेटे नौवें गुरु तेग बहादुर सिंह ने औरंगज़ेब की नीतियों का विरोध किया और इस्लाम धर्म स्वीकार करने का विरोध किया, जिसकी वजह से उन्हें दिल्ली में कैद कर औरंगज़ेब ने दिसंबर, 1765 ई. में मरवा दिया.
महाराष्ट्र के वीर छत्रपति शिवाजी महाराज ने इस कट्टर मुस्लिम शासक औरंगजेब को उसके नापाक मंसूबों में कामयाब होने से रोका साथ ही उसके साथ वीरता के साथ युद्ध कर औरंगजेब के कई सेनापतियों को मार गिराया और औरंगजेब के नापाक हौंसलों का पस्त कर दिया था। वहीं छत्रपति शिवाजी महाराज के साहस और शक्ति को देखकर अत्याचारी औरंगजेब के मन में भी उनके लिए खौफ बैठ गया था।
जयसिंह और शिवाजी के बीट पुरंदर की संधि 22 जून 1665 ई में संपन्न हुई. 22 मई 1666 ई में आगरे के किले के दीवान-ए-आम में औरंगज़ेब के सामने शिवाजी उपस्थित हुए और उन्हें कैद करके जयपुर भवन में रखा गया।
★ औरंगजेब ने बहुत सारे ईमारतों का निर्माण करवाया ——-
● औरंगज़ेब ने अप्रैल, 1679 ई. को हिन्दुओं पर दोबारा ‘जज़िया’ कर लगा दिया. सर्वप्रथम जज़िया कर मारवाड़ पर लागू किया गया.
● औरंगज़ेब ने 1679 ई. में लाहौर की बादशाही मस्जिद बनवाई थी.
● औरंगज़ेब ने औरंगाबाद में 1678 ई. में बीबी का मक़बरा अपनी पत्नी रबिया दुर्रानी की स्मृति में बनवाया था.
● औरंगज़ेब ने दिल्ली के लाल क़िले में मोती मस्जिद बनवाई थी.
● 1686 ई में बीजापुर और 1697 ई में गोलकुंडा को औरंगज़ेब ने मुगल शासन में मिला लिया.
● भरतपुर राजवंश की नींव औरंगज़ेब के शासनकाल में जाट नेता चूरामन ने डाली.
● औरंगज़ेब के समय में हिंदू मनसबदारों की संख्या 337 थी जो अन्य मुगल सम्राटों की तुलना में सबसे अधिक थी.
● औरंगज़ेब के बेटे शहजादा अकबर ने दुर्गादास के बहकावे में आकर अपने पिता के खिलाफ विद्रोह किया.
● औरंगज़ेब ने कुरान को अपने शासन का आधार बनाया, औरंगज़ेब ने सिक्के पर कलमा खुदवाना, नवरोज त्यौहार मनाना, भांग की खेती करने पर रोक लगा दी था.
● औरंगज़ेब 1699 ई में हिंदू मंदिरों को तोड़ने का आदेश दिया.
★ औरंगजेब ने खुद को एक कुशल प्रशासक के रुप में किया सिद्ध:–
1645 ईसवी में औरंगजेब को मुगल साम्राज्य के सबसे समृद्ध एवं खुशहाल गुजरात राज्य का सूबेदार बना दिया। जिसके बाद औरंगजेब ने अपनी कुशल रणनीतियों एवं सैन्य शक्तियों का इस्तेमाल कर गुजरात में बेहद अच्छा काम किया एवं वहां का जमकर विकास करवाया। जिसके काम से प्रभावित होकर शाहजहां ने औरंगजेब को उजबेकिस्तान
और अफगानिस्तान का सूबेदार बनाकर वहां की जिम्मेदारी सौंप दी, ताकि दोनों राज्यों का औरंगजेब जैसे कुशल प्रशासक की देखरेख में तरक्की हो सके। इसके बाद औरंगजेब के उत्कृष्ट कामों और कुशल रणनीतियों के चलते उनके पद और प्रतिष्ठा की लगातार उन्नति होती रही। वहीं इस दौरान उन्हें सिंध और मुल्तान का गर्वनर भी बनाया गया। यह वह समय था और औरंगजेब की गिनती एक योग्य और कुशल प्रशासकों में होने लगी थी।
★ उत्तराधिकारी बनने के लिए भाईयों के बीच संघर्ष:—-
1652 ईसवी में जब शाहजहां की तबीयत बेहद खराब रहने लगी थी और शाहजहां के बचने की कम उम्मीद की जाने लगी थी, जिसके बाद शाहजहां के तीनों बेटों के बीच में मुगल वंश का उत्तराधिकारी बनने को लेकर होड़ मच गई और फिर तीनों में मुगल सिंहासन को पाने के लिए जंग छिड़ गई, हालांकि शाहजहां अपने सबसे बड़े समझदार और योग्य पुत्र दाराशिकोह को अपना उत्तराधिकारी बनाना चाहते थे।
★ औरंगजेब जब बना अपने भाईयों का हत्यारा:——
औरंगजेब अपने तीनों भाईयों में सबसे ज्यादा शक्तिशाली और ताकतवर था, और वह मुगल सिंहासन पर बैठने के लिए इतना लालायित था, कि वह इस हद तक गिर गया कि उसने अपने सगे भाई दारा शिकोह को फांसी दे दी और अपने अन्य भाई शाह शुजा जो कि बंगाल का गर्वनर था, उसे हराकर उसका भी कत्ल करवा दिया ।
★ कट्टर मुस्लिम शासक था औरंगजेब:–
औरंगजेब, एक क्रूर और अत्याचारी मुगल शासक होने के साथ-साथ मजहबी तौर पर कट्टर मुस्लिम भी था, जो पूरे भारत को मुस्लिम देश बना देना चाहता था, हांलांकि वो अपने इस इरादे में कभी सफल नहीं हो सका था। वहीं उसने अपने इस नापाक उद्देश्य को पूरा करने के लिए हिन्दुओं के साथ काफी बर्बरतापूर्ण व्यवहार किया था। औरंगजेब ने अपने शासनकाल में हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए कई हिन्दू मंदिरों को तुड़वा दिए और उनके स्थान पर मस्जिदों का निर्माण करवाया। औरंगजेब ने हिन्दू त्योहारों को मनाने में पूरी तरह से पाबंदी लगा दी थी। गैर मुस्लिमों को धार्मिक मेलों और धार्मिक यज्ञ एवं अनुष्ठानों में शरीक नहीं होने का फतवा जारी कर दिया था। यही नहीं औरंगजेब ने हिन्दुओं को घोड़े, हाथी आदि की सवारी करने पर भी रोक लगा थी। निर्दयी और क्रूर मुगल सम्राट औरंगजेब ने अपने शासनकाल में ब्रज संस्कृति को खत्म करने की भी कोशिश की थी, यही नहीं उसने श्री कृष्ण की नगरी मथुरा का इस्लामाबाद, वृन्दावन का मेमिनाबाद और गोवर्धन का नाम बदलकर मुहम्मदपुर कर दिया था। औरंगजेब ने नौकरी पेशा हिन्दुओं की रोजी-रोटी छीनकर उन्हें काफी तकलीफ दी थी।
अत्याचारी शासक औरंगजेब के शासनकाल में मदिरा का सेवन, वेश्यावृत्ति, महिलाओं और गैर मुस्लिमों पर अत्याचार काफी बढ़ गया था। क्रूर औरंगजेब ने अपने शासनकाल में सरकारी नौकरी कर रहे सभी हिन्दू कर्मचारियों को बर्खास्त कर उनकी जगह पर मुस्लिम कर्मचारियों की भर्ती का फरमान जारी किया था।
इसके अलावा सबसे घमंडी और क्रूर मुगल बादशाह औरंगजेब ने हिन्दुओं पर अतिरिक्त जजिया कर लगाया था। और मुस्लिमों को करों में छूट दी थी, वहीं अगर जो भी गरीब हिन्दू इस कर को चुकाने में असमर्थ होता था, तो उसे मजबूरन मुस्लिम धर्म को अपनाना पड़ता था।
★ औरंगेजब की क्रूरता से मुगल साम्राज्य का हुआ अंत –
औरंगजेब ने अपने शासनकाल में अपनी प्रजा के साथ इतना निर्दयतापूर्ण और बर्बतापूर्ण व्यवहार किया था कि छत्रपति शिवाजी महाराज समेत कई हिन्दू शासक उसके बड़े दुश्मन बन गए थे। इसके साथ ही प्रजा के मन में भी उसके अत्याचारों के चलते उसके प्रति घृणा पैदा हो गई थी। वहीं मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज के विद्रोह करने के बाद जाट, सिख, राजपूत और सतनामी शासकों ने औरंगजेब के खिलाफ अपना विद्रोह तेज कर दिया था। वहीं 1686 ईसवी में अंग्रजों की ईस्ट इंडिया कंपनी ने भी भारत में अपना अधिकार जमाने के मकसद से औरंगजेब पर हमला किया था। वहीं इस दौरान इस घमंडी और क्रूर शासक औरंगजेब ने कई लड़ाईयां तो जीती लेकिन उसे छत्रपति शिवाजी महाराज जैसे शक्तिशाली शासकों से हार का सामना करना पड़ा। इसके साथ ही एक के बाद एक विद्रोह से मुगल साम्राज्य की शक्तियां अब कम पड़ने लगी थीं और मुगल साम्राज्य की नींव धीमे-धीमे कमजोर होने लगी थीं और मुगल साम्राज्य खत्म होने के मुआयने पर पहुंच गया। वहीं दूसरी तरफ मराठा शासक ने इस मौके का फायदा उठाया और हिन्दुस्तान में मराठा साम्राज्य की नींव रखी। हालांकि बाद में अंग्रजों ने मराठा साम्राज्य को हराकर भारत पर कब्जा कर लिया था।
★ औरंगजेब का इंतकाल ————-
औरंगज़ेब की मृत्यु 4 मार्च सन् 1707 ई. में हो गई. औरंगज़ेब को दौलताबाद में स्थित फ़कीर बुरुहानुद्दीन की क़ब्र के अहाते में दफना दिया गया.