जब तक किसी भी समाज मे महिलाओं का सम्मान और उनका विकास नही होगा तब तक उस समाज का विकास नही हो सकता। समाज क्या किसी व्यक्ति या परिवार तक का विकास नही हो सकता।
महिलाओं के विकास के लिए सरकार ने कुछ योजनाओं जैसे बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, उज्ज्वला योजना, सुकन्या समृद्धि योजना और कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय योजना आदि की शुरुआत की है |
1- उज्ज्वला योजना : मोदी सरकार में उज्ज्वला योजना के तहत 6.4 करोड़ (1 फरवरी 2019 तक) LPG कनेक्शन बांटे गए. इस योजना में प्रत्येक गैस कनेक्शन के लिए हर महिला को 1600 रुपये की आर्थिक सहायता दी गई. एक कनेक्शन में सिलेंडर, रेगूलेटर और पाइप शामिल है. इस योजना की शुरुआत के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि वह महिलाओं को लकड़ी के चूल्हे से उठने वाले धुएं से बचाना चाहते हैं.
2- सुकन्या समृद्धि योजना : 15 जनवरी, 2015 को हरियाणा के पानीपत में पीएम मोदी ने सुकन्या समृद्धि खाता कार्यक्रम की शुरुआत की. इसका मकसद बेटियों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना था. योजना के तहत 1 फरवरी 2019 तक 1.52 करोड़ खाते खोले जा चुके हैं. इन खातों में 25,979.60 करोड़ रुपये बच्चियों के नाम से जमा हुए. बता दें कि यह योजना 10 साल से कम उम्र की बच्ची के लिए है. SSY में जमा पैसे पर दूसरी बचत योजनाओं से ज्यादा ब्याज मिलता है.
3- शौचालय निर्माण : भारत में एक बहुत बड़ी जनसंख्या ऐसी बजी है , जिनके यहां शौचालय नहीं थे. केंद्र ने 1 फरवरी 2019 तक स्वच्छ भारत मिशन के तहत 2014-19 में 9.74 करोड़ शौचालय बनाए हैं. जिसके बाद मौजूदा वक्त में 90 फीसदी से ज्यादा भारतीय शौचालय का इस्तेमाल कर पाते हैं, जबकि 2014 में 40 फीसदी से भी कम लोग शौचालय का उपयोग कर रहे थे. घर में शौचालय का ना होना महिलाओं के लिए कष्टदायी था, उन्हें नित्य-क्रिया के लिए घर से बाहर जाना पड़ता था. मोदी सरकार की इस योजना से महिलाओं के जीवन स्तर में काफी बदलाव आया.
4- तीन तलाक बिल : मुस्लिम महिलाओं के लिए तीन तलाक किसी अभिशाप से कम नहीं था. मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल में ट्रिपल तलाक बिल पेश किया. यह बिल लोकसभा में पास हो चुका है, लेकिन राज्यसभा से पारित होना बाकी है. लेकिन सरकार ने बिल को अध्यादेश लाकर कानून की शक्ल दे दी है, जिसमें तीन तलाक देने पर 3 साल की सजा का प्रावधान है.
5- मैटेरनिटी लीव : कामकाजी महिलाओं के मां बनने पर मिलने वाली छुट्टियों को मोदी सरकार ने बढ़ाकर 26 सप्ताह किया. इससे पहले भारत में महिलाओं को 12 हफ्ते का मातृत्व अवकाश मिलता था. इसके लिए केंद्र सरकार मैटेरनिटी बेनिफिट (अमेंडमेंट) एक्ट 2017 लेकर आई. इस बदलाव का पूरे देश ने स्वागत किया. इसके लागू होने के बाद से 1 फरवरी 2019 तक 49.88 लाख महिलाओं ने पेड मैटरनिटी लीव का लाभ उठाया.
6.बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना : बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना को 15 जनवरी 2015 को बाल यौन अनुपात के मुद्दे से निपटने के लिए शुरू किया गया था। 2011 के जनगणना आंकड़ो के अनुसार (बाल-लिंग अनुपात) 1000 लड़कों कें अनुपात में 918 लड़कियों का आंकड़ा पाया गया। इसका उद्देश्य लड़कियों के लिए मौजूदा कल्याणकारी सेवाओं में सुधार करना है। इस पहल को मानव संसाधन विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से समर्थित किया जाता है। इस योजना को 100 करोड़ रुपए के वित्त पोषण के साथ शुरू किया गया था। यह मुख्य रूप से दिल्ली, बिहार, पंजाब, उत्तराखंड, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के क्षेत्रों को लक्षित करता है। ओलंपिक 2016 की कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक, इसकी एंबेसडर हैं।
7. मिशन इंद्रधनुष: भारत सरकार द्वारा 25 दिसंबर 2014 को इस स्वास्थ्य मिशन की शुरुआत की गई थी। इसका प्राथमिक लक्ष्य 2 साल से कम उम्र के सभी बच्चों और गर्भवती महिलाएं को बीमारी से छुटकारा दिलाने के लिए समय पर टीका लगवाने के लिए कई बीमारियों जैसे हेपेटाइटिस बी, खसरा, तपेदिक, पोलिओमाइलाइटिस, टेटनस, खांसी, हैमोफिलस इन्फ्लूएंजा टाइप बी, जापानी एनसेफलाइटिस, निमोनिया, रोटावायरस, रूबेला और डिप्थीरिया जैसी बीमरियों से रोका जा सकता है।
इस योजना का लक्ष्य पहले चरण में देश में 201 जिलों में उन बच्चों की पहचान की गई जिन्हें टीके नहीं लगे। कुल मिलाकर, 201 जिलों में से 82 जिले केवल चार राज्य उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश और राजस्थान से हैं जिन जिलों को चुना गया है, उसमें भारत के लगभग 50% बच्चों को टीके नहीं लगने की बात सामने आई। इस महत्वपूर्ण सरकारी योजना का क्रियान्वयन और नियोजन पल्स पोलियो टीकाकरण (पीपीआई) के समान है।
8. कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय योजना: इस योजना का शुभारम्भ 2004 में किया गया था। यह योजना वर्ष 2004 से उन सभी पिछड़े क्षेत्रों में क्रियान्वित की जा रही है जहाँ ग्रामीण महिला साक्षरता की दर राष्ट्रीय स्तर से कम हो। इस योजना में केंद्र व राज्य सरकारें क्रमशः 75% और 25% खर्च का योगदान करेंगे । इस योजना का मुख्य लक्ष्य 75% अनुसूचित जाति/जनजाति/अत्यन्त पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक समुदाय की बालिकाओं तथा 25% गरीबी रेखा से नीचे वाले परिवार की बच्चियों का दाखिला कराना है। योजना में मुख्य रूप से ऐसी बालिकाओं पर ध्यान देना जो विद्यालय से बाहर हैं तथा जिनकी उम्र 10 वर्ष से ऊपर है।
9. स्वाधार घर योजना: इस योजना को 2001-02 में शुरू किया गया था। इस योजना को ‘महिला एवं बाल विकास मंत्रालय’ के माध्यम से चलाया जा रहा है। इस योजना का उद्देश्य वेश्यावृत्ति से मुक्त महिलाओं, रिहा कैदी, विधवाओं, तस्करी से पीड़ित महिलाओं, प्राकृतिक आपदाओं, मानसिक रूप से विकलांग और बेसहारा महिलाओं के पुनर्वास की व्यवस्था करना है। इस योजना के अंतर्गत विधवा महिलाओं के भोजन और आश्रय, तलाक शुदा महिलाओं को कानूनी परामर्श, चिकित्सा सुविधाओं और महिलाओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण जैसी सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं। इस योजना के माध्यम से महिलाओं को अपना जीवन फिर से शुरू करने के लिए शारीरिक और मानसिक मजबूती प्रदान की जाती है ताकि वे अपने पैरों पर खड़ी हो सकें