इंडोनेशिया के जोगजकार्ता में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए सब कुछ है। बोरोबुदुर का सबसे बड़ा बौद्ध मंदिर, प्रमबनन का विशाल हिंदू मंदिर, समृद्ध जावा संस्कृति, मुंह में पानी लाने वाले व्यंजन और बाटिक कला- इन सभी चीजों को देखकर यहाँ घूमने आने वालों का मन ये शहर छोड़कर जाने को नहीं होता है
बोरोबुदुर अथवा बरबुदुर इंडोनेशिया के मध्य जावा प्रान्त के मगेलांग नगर में स्थित 9वीं सदी का महायान बौद्ध मन्दिर है। यह विश्व का सबसे बड़ा और विश्व के महानतम बौद्ध मन्दिरों में से एक है। जावा के बीचों बीच में ये स्थित जोगजकार्ता अपनी समृद्ध संस्कृति के लिए जाना जाता है। इस जगह पे विशाल बौद्ध और हिंदू मंदिर हैं, जो बोरोबुदूर और प्रमबनन में हैं। इनका निर्माण आठवीं और नौंवी सदी में किया गया था। यहां पर 16वीं और 17वीं शताब्दी में शक्तिशाली माताराम वंश का शासन था, इसलिए इस वंश की छाप शहर की संस्कृति पर अब भी दिखाई देती है
इंडोनेशिया का बोरोबुदुर मंदिर : बोरोबुदुर मंदिर 825 ईस्वी में निर्मित, इसे दुनिया का सबसे बड़ा बौद्ध स्मारक और इंडोनेशिया का मुख्य पर्यटन स्थल माना जाता है। इस मंदिर में नौ क्रमबद्ध चबूतरे हैं, जिसमें छह वर्गाकार और तीन गोलाकार हैं और इसके ऊपर एक केंद्रीय गुंबद भी है। इसकी दीवारों के चारों ओर 2,672 रीलीफ पैनल के साथ-साथ 504 बुद्ध की प्रतिमाएं हैं। कोई भी इस ऐतिहासिक कृति की सुंदरता की सराहना करते हुए दिन बिता सकता है
इसका निर्माण कब और किसने करवाया : इसका निर्माण 9वीं सदी में शैलेन्द्र राजवंश के कार्यकाल में हुआ। मंदिर की बनावट जावाई बुद्ध स्थापत्यकला के अनुरूप है जो इंडोनेशियाई स्थानीय पंथ की पूर्वज पूजा और बौद्ध अवधारणा निर्वाण का मिश्रित रूप है। मंदिर में गुप्त कला का प्रभाव भी दिखाई देता है जो इसमें भारत के क्षेत्रिय प्रभाव को दर्शाता है मगर मंदिर में स्थानीय कला के दृश्य और तत्व पर्याप्त मात्रा में सम्मिलित हैं जो बोरोबुदुर को अद्वितीय रूप से इंडोनेशियाई दिखाता हैं
कैसा है मंदिर : मंदिर गौतम बुद्ध का एक पूजास्थल और बौद्ध तीर्थस्थल है। तीर्थस्थल की यात्रा इस मंदिर के नीचे से आरम्भ होती है और मंदिर के चारों ओर बौद्ध ब्रह्माडिकी के तीन प्रतीकात्मक स्तरों कामधातु (इच्छा की दुनिया), रूपध्यान (रूपों की दुनिया) और अरूपध्यान (निराकार दुनिया) से होते हुए शीर्ष पर पहुंचता है। स्मारक में सीढिय़ों की विस्तृत व्यवस्था और गलियारों के साथ 1460 कथा उच्चावचों और स्तम्भवेष्टनों से तीर्थयात्रियों का मार्गदर्शन होता है
बोरोबुदुर विश्व में बौद्ध कला का सबसे विशाल और पूर्ण स्थापत्य कलाओं में से एक है। साक्ष्यों के अनुसार बोरोबुदुर का निर्माण कार्य 9वीं सदी में आरम्भ हुआ और 14वीं सदी में जावा में हिन्दू राजवंश के पतन और जावाई लोगों द्वारा इस्लाम अपनाने के बाद इसका निर्माण कार्य बन्द हुआ। इसके अस्तित्व का विश्वस्तर पर ज्ञान 1814 में सर थॉमस स्टैमफोर्ड रैफल्स द्वारा लाया गया और इसके इसके बाद जावा के ब्रितानी शासक ने इस कार्य को आगे बढ़ाया। बोरोबुदुर को उसके बाद कई बार मरम्मत करके संरक्षित रखा गया। इसकी सबसे अधिक मरम्मत, यूनेस्को द्वारा इसे विश्व धरोहर स्थल के रूप में सूचीबद्द करने के बाद 1975 के 1982 से मध्य इंडोनेशिया सरकार और यूनेस्को द्वारा की गई बोरोबुदुर अभी भी तिर्थयात्रियों के लिए खुला है और वर्ष में एक बार वैशाख पूर्णिमा के दिन इंडोनेशिया में बौद्ध धर्मावलम्बी स्मारक में उत्सव मनाते हैं। बोरोबुदुर इंडोनेशिया का सबसे अधिक दौरा किया जाने वाला पर्यटन स्थल है