शिक्षा को मौलिक अधिकार बनाने से जुड़े कानून के लागू होने से आज़ादी के 60 साल बाद बच्चों के लिए मुफ़्त और ज़रूरी शिक्षा का सपना सच हुआ है।
यह कानून 1 अप्रैल, 2010 से लागू हो गया । इसे बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 नाम दिया गया है ।
शिक्षा के अधिकार को मूल अधिकार का दर्जा देने के साथ ही इसे मूल कर्त्तव्यों में शामिल कर अभिभावकों का कर्त्तव्य बनाया गया है । इस अधिनियम द्वारा राज्य सरकार, बच्चों के माता-पिता या संरक्षक सभी का दायित्व तय किया गया है तथा उल्लंघन करने पर अर्थदण्ड का भी प्रावधान है ।
★ क्या है इस अधिनियम मे :—–
इस अधिनियम के लागू होने से 6 से 14 वर्ष तक के प्रत्येक बच्चे को अपने नजदीकी विद्यालय में मुफ़्त तथा अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा पाने का कानूनी अधिकार मिल गया है । इस अधिनियम की खास बात यह है कि गरीब परिवार के वे बच्चे, जो प्राथमिक शिक्षा से वंचित हैं, के लिए निजी विद्यालयों में 25 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान रखा गया है ।
★ क्या है इस अधिनियम के लाभ :—-
शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने से 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को
● स्कूल फीस नही देनी होगी।
● स्कूल ड्रेस का खर्च नही देना होगा।
● किताबों का खर्च नही देना होगा।
● स्कूल आने जाने का खर्च नही देना होगा
● स्कूल बच्चों का दोपहर का भोजन देगा।
● बच्चों को न तो अगली क्लास में पहुँचने से रोका जाएगा, न निकाला जाएगा ।
● न ही उनके लिए बोर्ड परीक्षा पास करना अनिवार्य होगा।
● कोई स्कूल बच्चों को प्रवेश देने से इंकार नहीं कर सकेगा ।
● हर 60 बच्चों को पढ़ाने के लिए कम से कम दो प्रशिक्षित अध्यापक होंगे ।
● जिन स्कूलों में संसाधन नहीं हैं, उन्हें तीन साल के अंदर सुधारा जाएगा ।
● तीन किलोमीटर के क्षेत्र में एक विद्यालय स्थापित किया जाएगा ।
● इस कानून के लागू करने पर आने वाले खर्च केंद्र (55 प्रतिशत) और राज्य सरकार (45 प्रतिशत) मिलकर उठाएंगे ।
यह अधिनियम माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक शिक्षा तथा बच्चों तक शिक्षा को पहुंचाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इस अधिनियम का सर्वाधिक लाभ श्रमिकों के बच्चे, बाल मजदूर, प्रवासी बच्चे, विशेष आवश्यकता वाले बच्चे या फिर ऐसे बच्चे जो सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, भौगोलिक, भाषाई अथवा लिंग कारकों की वजह से शिक्षा से वंचित बच्चों को मिलेगा। इस अधिनियम के कार्यान्वयन के साथ ही यह उम्मीद भी है कि इससे विद्यालय छोड़ने वाले तथा विद्यालय न जाने वाले बच्चों को अच्छी गुणवत्ता की शिक्षा, प्रशिक्षित शिक्षकों के माध्यम से दी जा सकेगी।