गेंडा एक स्तनधारी जीव है जो हाथी के बाद सबसे बड़ा और भारी जानवर होता है। गेंडा 11 फुट लम्बा और 6 फुट ऊंचा जानवर होता है। गेंडा की उम्र 50 साल तक होती है। गेंडा का वजन लगभग 2 से 2.5 टन के आसपास होता है लेकिन कुछ गेंडे 3.5 टन से भी भारी होते है। मादा गैंडे का वजन 1500 किलो और नर गैंडे का वजन लगभग 2000 किलो तक होता है। शरीर के अनुपात में इसका सिर बड़ा होता है। कान बड़े होते हैं जिनके सिरों पर बाल होते हैं। नर और मादा दोनों में ही सींग होते हैं। भारतीय गैंडे की औसत आयु लगभग 100 साल की होती है।
गेंडे के कितने प्रकार है :
वन्य प्राणी विशेषज्ञों के अनुसार प्राचीनकाल में गेंडो की तकरीबन तीस प्रजातियाँ पाई जाती थी किन्तु अब इनकी मात्र पांच प्रजातियाँ शेष रह गयी है | अन्य प्रजातियाँ धीरे धीरे लुप्त हो गयी है |
ताजा आंकड़े बताते है कि एशिया में गेंडे के केवल तीन वंश बचे है किंकी कुल संख्या 2000 से 2500 के बीच है | ये बा मलेशिया , थाईलैंड , वियतनाम , बर्मा , नेपाल , जावा , सुमात्रा के जंगलो में बचे है |
गेंडे की 5 प्रजाति के नाम इस प्रकार है –
- काला गेंडा
- भारतीय गेंडा
- सफेद गेंडा
- सुमात्रन गेंडा
- जावन गेंडा।
सफेद गेंडा अफ्रीका में पाया जाता है लेकिन यह पूरी तरह से सफेद ना होकर भूरा होता है।
भारतीय गेंडा आसाम के काजीरंगा नेशनल पार्क में प्रमुखता पाए जाते है। पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, यूपी और हिमालय के इलाकों में पाए जाते है। भारत के अलावा भारतीय गेंडा बर्मा, नेपाल, पाकिस्तान जैसे देशों में भी मिलते है। जावन गेंडा इंडोनेशिया देश के जावा द्वीप मे पाये जाते है। वेसे ये गेंडा विलुप्ति के कगार पर है। सुमात्रन गेंडा इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप पर मिलते है।
गेंडे की सींग : गेंडा की खास बात उसका सिंग होता है जो बालो का एक गुच्छा होता है और यह सिंग काफी मजबूत होता है। सिंग टूट जाने पर वापस आ जाता है। भारतीय गेंडा और जावन गेंडा के केवल एक सिंग होता है जबकि बाकी की तीनों प्रजातियों के दो सिंग होते है।
आइये जानते है गेंडे के बारे मे ऐसे ही रोचक तथ्य :
- वैज्ञानिक अनुमान के अनुसार गेंडा पिछले 5 करोड़ सालो से धरती पर मौजूद है।
- गेंडा की त्वचा बहुत मोटी होती है लेकिन सेंसिटिव होती है। इसलिये सूरज की गर्मी से बचने के लिए गेंडा कीचड़ में लौटता है।
- गेंडा शाकाहारी जानवर है जो घास, पत्तियां और वनस्पति खाते है।
- भारी शरीर होने के बावजूद गेंडा 50 किलोमीटर प्रति घण्टा की रफ्तार से दौड़ जाते है।
- गेंडे की सुनने की और सूंघने की शक्ति अच्छी होती है लेकिन देखने की शक्ति कम होती है।
- गेंडा के झुण्ड को क्रेश कहते है। गेंडे आपस में लड़ते रहते है जिससे इनकी मौत तक हो जाती है।
- मादा गेंडा का गर्भकाल 14 से 18 महीनों का होता है और एक बार मे एक ही बच्चा जन्म लेता है। जन्म के समय गेंडा के बच्चे के सिंग नही होता है।
- नर व मादा गेंडा के मिलन के समय मादा गेंडा अपना मूत्र छिड़क देती है जिससे नर गेंडा गंध से मादा की तरफ आकर्षित होता है। अगर एक से ज्यादा गेंडा आ जाते है तो फैसला लड़ाई से होता है।
- भारत में गैंडे 1850 तक बंगाल और उत्तरप्रदेश के तराई इलाके में भी काफी संख्या में पाए जाते थे, परंतु अब केवल असम तक ही सिमटकर रह गए हैं।
- वैसे तो गैंडा एक शांत प्राणी है। वह घायल होने पर भी एकदम आक्रमण नहीं करता। सामान्यतः गैंडा धीमी चाल चलता है, परंतु वह सरपट दौड़ भी सकता है।
- मादा एक बार में एक बच्चे को जन्म देती है। जन्म के समय गैंडे के बच्चे की थूथन पर सींग नहीं होता। जैसे-जैसे उसकी उम्र बढ़ती जाती है, सींग भी बड़ा होता जाता है।
- यदि शिकारी उसे गोली मार दे तो वह और जानवरों की तरह टांगें फैलाकर नहीं पड़ा रहता वह सीधा बैठे-बैठे ही मर जाता है, मानो वह सो रहा हो।
- उसकी सूंघने की शक्ति बहुत तेज होती है। मनुष्य की गंध उसे बिलकुल भी पसंद नहीं है।
- गेंडे के चमड़े सींग एवं मजबूत हड्डीया कवच , ढाल और अस्त्र बनाने के काम में लाये जाते थे | पुरातत्वो से स्पष्ट है कि ढाल ,तलवार की मुठ , कवच आदि बनाने में गेंडे के मजबूत चमड़े का खूब प्रयोग होता था |
- सन 1871 और 1907 के बीच एक भारतीय राजा ने 208 गेंडो का शिकार किया था | जाहिर है कि जंगलो की कटाई और शिकार के कारण इनकी संख्या अब दिन-दिन घटती जा रही है |
- सुमात्रन गेंडा सबसे छोटा यानि एक टन से भी हल्का होता है | इसकी ऊंचाई भी कम होती है |
- गेंडो में मल विसर्जन की विचित्र आदत होती है | ये प्राणी निश्चित स्थान पर ही मल विसर्जित करते है |
- गेंडे का पूर्ण जीवनकला 8-10 वर्षो का होता है | 3-4 वर्ष में गेंडा पूर्ण वयस्क होकर प्रजनन योग्य बन जाता है | व्यस्क गेंडा निर्भय होता है और कोई भी जंगली पशु इसे पछाड़ नही सकता |
- अपनी सुरक्षा और शत्रुओ पर हमला करने के लिए भारतीय गेंडा अपने सींग का उपयोग हथियार के रूप में नही करता जबकि अफ्रीकी गेंडे इन सींगो कको हथियार के रूप में इस्तेमाल करते है |
- गेंडो जैसे विशालकाय प्राणी को अपने सींगो के कारण ही असमय मार दिया जाता है | इसके सींग प्रचीनकाल से ही दुर्लभ और बहुमूल्य वस्तु समझी जाती रही है |यही कारण है कि गेंडे शिकारियों की गोली का निशाना बनते रहे है |
- प्राचीन भारतवर्ष में राजकुमारों को रोगों और बुरी शक्तियों से बचाने के लिए गेंडे के सींग की नोक से बनी तावीज पहनाने की प्रथा थी ।
- उत्तरी यमन गेंडे के सींगो का सबसे अधिक निर्यात करने वाला देश रहा है | अनेक देशो ने गेंडे के शिकार को प्रतिबंधित कर दिया है फिर भी चोरी-छिपे इसके सींग और चर्म की तस्करी जारी है | अंतर्राष्ट्रीय बाजार में गेंडे का सींग एक लाख रूपये प्रति किलोग्राम करी दर से मिल जाता है |
- भारत की तरह ही अफ्रीका में भी काले और सफेद गेंडो की संख्या बढाने के प्रयास किये जा रहे है | गेंडो का पर्यावरण में बहुत महत्व है इस तथ्य को अस्वीकार नही किया जा सकता |अत: इनके संरक्षण के लिए हर सम्भव प्रयास करने की आवश्यकता है