■ मैक्स प्लांक का प्रारंभिक जीवन ■
जर्मन वैज्ञानिक मैक्स प्लांक का जन्म 23 अप्रैल 1858 को हुआ था। इनका पूरा नाम मैक्स कार्ल अर्नस्ट लुडविग प्लांक था। इनके पिता जूलियस विलहेल्म कील विश्वविद्यालय में कानून के प्रोफेसर थे।
★ मैक्स प्लांक की पढ़ाई लिखाई और उनका काम धाम ★
प्लांक की शिक्षा मुख्य रूप से म्यूनिख और बर्लिन विश्वविद्यालयों में हुई। बर्लिन विश्वविद्यालय में इन्होंने विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिकों किरचौफ और हैल्महोल्ज की देख-रेख में काम किया। सन् 1879 में उन्होंने म्यूनिख विश्वविद्यालय से पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की! वे इसी विश्वविद्यालय में सन् 1880 से सन् 1885 तक भौतिकी पढ़ाते रहे। प्लांक के विचारों में जो क्रान्तिकारी विचार आए उनके लिए मुख्य रूप से किरचौफ जिम्मेदार थे! सन् 1885 के बाद वे कील विश्वविद्यालय में ऐसोसिएट प्रोफेसर बना दिए गए! वहां इन्होंने चार वर्ष तक कार्य किया। इसके बाद सन् 1889 में उनकी नियुक्ति बर्लिन विश्वविद्यालय में किरचौफ के स्थान पर भौतिकी के प्रोफेसर के रूप में हो गई! इस पद पर वे अवकाश प्राप्त करने तक कार्य करते रहे! किरचौफ द्वारा दी गई प्रेरणा से उन्होंने ऊष्मागतिकी के क्षेत्र में काम करना आरम्भ किया। इस विषय पर छपे कुछ शोध पत्रों ने उनकी रुचि इस क्षेत्र में और भी बढ़ा दी। ऊष्मा गतिकी के क्षेत्र में उनके अनेक शोध पत्र प्रकाशित हुए।
★ प्लांक का क्वांटम सिद्धांत ★
क्वांटम सिद्धान्त का प्रतिपादन 1900 ई. में ऊष्मा विकिरण के संबंध में हुआ था। प्रकाश विद्युत की घटना का, जिसमें कुछ धातुओं पर प्रकाश के पड़ने से इलैक्ट्रॉन उत्सर्जित हो जाते हैं और तत्वों के रेखामय स्पेक्ट्रम की घटना का, जिसमें परमाणु में से एकवर्ण प्रकाश निकलता है, स्पष्टतया संकेत किसी नवीन प्रकार के कणिकासिद्धांत की ओर है। आइन्स्टाइन ने इन कणिकाओं का नाम फ़ोटान रख दिया है। ये कणिकाएँ द्रव्य की नहीं हैं, पुंजित ऊर्जा की हैं। प्रत्येक फ़ोटोन में ऊर्जा E का परिमाण प्रकाश तरंग की आवृत्ति n का अनुपाती होता है, E = hn (जहाँ h प्लांक का नियतांक है)।
★ प्लांक के जीवन से जुड़ा रोचक तथ्य ★
जब उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई ख़त्म करने के बाद उन्होंने भौतिकी का क्षेत्र चुना तो एक अध्यापक ने राय दी कि इस क्षेत्र में लगभग सभी कुछ खोजा जा चुका है अतः इसमें कार्य करना निरर्थक है। प्लांक ने जवाब दिया कि मैं पुरानी चीज़ें ही सीखना चाहता हूँ. प्लांक के इस क्षेत्र में जाने के बाद भौतिकी में इतनी नई खोजें हुईं जितनी शायद पिछले हज़ार वर्षों में नहीं हुई थीं।
★ ऊष्मागतिकी की ख़ोज ★
प्लांक ने अपने अनुसंधान की शुरुआत ऊष्मागतिकी से की। उसने विशेष रूप से उष्मागतिकी के द्वितीय नियम पर कार्य किया। उसी समय कुछ इलेक्ट्रिक कंपनियों ने उनके सामने एक ऐसे प्रकाश स्रोत को बनाने की समस्या रखी जो न्यूनतम ऊर्जा की खपत में अधिक से अधिक प्रकाश पैदा कर सके। इस समस्या ने प्लांक का रूख विकिरण के अध्ययन की ओर मोड़ा . उसने विकिरण की विद्युत् चुम्बकीय प्रकृति की खोज की । इस तरह ज्ञात हुआ कि प्रकाश, रेडियो तरंगें, पराबैंगनी इन्फ्रारेड सभी विकिरण के ही रूप हैं जो दरअसल विद्युत् चुम्बकीय तरंगें हैं।
◆ प्लांक का निधन ◆
4 अक्टूबर, 1947 को गाटिनजन में इस वैज्ञानिक का निधन हो गया! प्लांक को जानने वाले उनके वैज्ञानिक गुणों के लिए तो उनका आदर करते ही थे लेकिन व्यक्तिगत गुणों के लिए उनका अधिक आदर करते थे।