★ लिंकन का प्रारंभिक जीवन★
अब्राहम लिंकन का जन्म 12 फरवरी 1809 को केंटुकी के हार्डिन काउंटी में एक लकड़ी के बने घर में हुआ था | उनके पिता का नाम थोमस लिंकन और माता का नाम नैंसी लिंकन था | उनके वंशज इंग्लैंड से आये थे जो बाद में न्यू जर्सी , पेनिसिलवानिया और विर्जिनिया में आकर बस गये थे | लिंकन के दादाजी का नाम बहे कैप्टेन अब्राहम लिंकन था जो 1780 में विर्जिनिया से केंटुकी आकर बस गये थे |
जब अब्राहम लिंकन 9 साल के थे, तब उनके माँ का देहांत हो गया था। जिसके बाद उनके पिता ने साराह बुश जॉनसन से दूसरी शादी कर ली, वहीं उनकी सौतेली मां, लिंकन को अपने बच्चे की तरह ही प्यार करती थी और उन्हें पढ़ने के लिए काफी प्रेरित करती थी।
★ अब्राहम लिंकन की शिक्षा ★
गरीबी की वजह से वे स्कूल नहीं जा सके, जिसके चलते उन्होंने लोगों से मांगी हुईं किताबों से घऱ पर रहकर ही अपनी पढ़ाई पूरी की। वहीं अब्राहम को बचपन से ही किताबें पढ़ने का बेहद शौक था, इसलिए किताबें पाने के लिए वह मीलों दूर पैदल ही चले जाते थे।
‘द लाइफ ऑफ जॉर्ज वाशिंगटन’ उनकी पसंदीदा किताबों में से एक थी। इसके साथ ही आपको बता यह भी बता दें कि अपना पेट पालने के लिए उन्होंने सुअर काटने से लेकर, मजदूरी, पोस्टर मास्टर, दुकानदार, समेत लकड़हारे तक का काम किया।
★ लिंकन के कामकाज ★
साल 1837 में दास प्रथा को खत्म करने के लिए अब्राहम लिंकन ने कई चुनाव लड़े लेकिन उन्हें कई बार हार का सामना करना पड़ा। वहीं इसके बाद उन्होंने गरीबों के आर्थिक विकास और उनको न्याय दिलाने के लिए वकील बनने का फैसला लिया। जिसके लिए अब्राहम लिंकन ने साल 1844 में विलियम हेर्नदों के साथ वकालत की ट्रेनिंग दी। इसके बाद वे वकील बन गए।
★ उन्हें दास प्रथा को खत्म करने और अमेरिकी गृहयुद्ध से निजात दिलाने का श्रेय जाता है. ★
गोरे लोग दक्षिणी राज्यों के बड़े खेतों के स्वामी थे , और वह अफ्रीका से काले लोगो को अपने खेत में काम करने के लिए बुलाते थे और उन्हें दास के रूप में रखा जाता था ..उत्तरी राज्यों के लोग गुलामी की इस प्रथा के खिलाफ थे और इसे समाप्त करना चाहते हैं अमेरिका का संविधान आदमी की समानता पर आधारित है. इसलिए वहाँ है कि देश में गुलामी के लिए कोई जगह नहीं थी, इस मुश्किल समय में, अब्राहम लिंकन 1860 में संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए थे. वह गुलामी की समस्या को हल करना चाहता था. दक्षिणी राज्यों के लोग गुलामी के उन्मूलन के खिलाफ थे.दक्षिणी राज्य एक नए देश बनाने की तैयारी कर रहा था परन्तु अब्राहम लिंकन चाहते थे की सभी राज्यों एकजुट हो कर रहे। अब्राहम लिंकन को कई समस्याओं का सामना करना पड़ा. वह किसी भी कीमत पर देश की एकता की रक्षा करना चाहते थे. अंत में उत्तरी और दक्षिणी राज्यों के बीच एक नागरिक युद्ध छिड़ गया. उन्होंने युद्ध बहादुरी से लड़ा और घोषणा की, ‘एक राष्ट्र आधा दास और आधा बिना दास नहीं रह सकता(”A Nation cannot exist half free and half slave.’ ‘).’ वह युद्ध जीत गए और देश एकजुट रहा। लिंकन शुरू से ही दास प्रथा के विरोधी थे इसके लिए उन्हें पुरे जीवन संघर्ष भी करना पड़ा ।
★ लिंकन का वैवाहिक जीवन ★
इसी समय उन्हें रतलेज नामक युवती से प्रेम हो गया पर शादी से पहले ही उसकी मृत्यु हो गई लिंकों को इस बात का बहुत सदमा लगा |
1842 में उनका विवाह एक बड़े घर की लड़की मेरी टॉड से हुआ दोनों के विचार आपस में मिलते नहीं थे | लिंकन और मैरी टॉड को 4 संतानें भी प्राप्त हुईं, हालांकि लिंकन और मैरी टॉड के रिश्ते अच्छे नहीं थे और मैरी टॉड हमेशा लिंकन के पहनावे और रहन-सहन की वजह से उन्हें नीचा दिखाती थी और बात-बात पर झगड़ा भी करती थी, लेकिन शांत स्वभाव के अब्राहम पर इन सबका कोई असर नहीं होता था।
★ अमेरिका के राष्ट्रपति बने लिंकन ★
साल 1854 ने अब्राहम लिंकन फिर से राजनीति में सक्रिय हो गए, लेकिन व्हिग पार्टी की तरफ से कई बार चुनाव में भी खड़े हुए, हालांकि इसके बाद यह पार्टी खत्म हो गई। जिसके बाद साल 1856 में वे न्यू रिपब्लिकन पार्टी के सदस्य बन गए, और उन्होंने अमेरिका में दास प्रथा अथवा गुलाम की प्रथा को खत्म करने के लिए कई काम किए। अमेरिका के दक्षिण राज्यों के लोग दास प्रथा के पक्षपाती थे, जबकि अमेरिका के उत्तरी राज्यों के आधे लोग दास प्रथा के विरोधी थे, दक्षिण राज्यों के गोरे निवासी उत्तर राज्यों के लोगों को गुलाम बना कर खेती का काम करवाना चाहते थे। जिसको देखते हुए अब्राहम लिंकन को एहसास हो गया था, कि यह दास प्रथा अमेरिका के लोगों में फूट डाल रही है और देश के विकास को रोक रही है, जिसके बाद राष्ट्र को एकजुट करने के उद्देश्य से अब्राहम लिंकन ने एक प्रभावशाली भाषण दिया, जिसका लोगों पर गहरा प्रभाव पड़ा, इसके बाद से उनकी लोकप्रियता और भी अधिक बढ़ गई, वहीं उनके कामों को देखते हुए अब्राहम लिंकन को साल 1860 में अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति के रुप में चुना गया।
★ अब्राहन लिंकन को सम्मान / पुरस्कार ★
अब्राहम लिंकन के नाम पर अमेरिका में कई स्मारक चिन्ह बने हुए हैं। अमेरिका के करंसी पर न सिर्फ उनकी पिक्चर छपी होती है, बल्कि उनके नाम का डाक टिकट भी जारी किया गया था। इसके अलावा आपको बता दें कि उनकी सबसे मशहूर प्रतिमा माउंट रशमोर बनी हुई है, जो कि लिंकन मेमोरियल के नाम से मशहूर है। यही नहीं वाशिंगटन डीसी के पीटरसन हाउस में भी उनके स्मारक के रुप में उनकी काफी बड़ी प्रतिमा बनी हुई है। इसके अलावा स्प्रिंगफील्ड इलिनॉय में अब्राहम लिंकन की लाइब्रेरी और मयूजियम भी बना हुआ है।
★ लिंकन के कथन ★
“उन्होंने कहा था कि, ‘जब मैं कुछ अच्छा करता हूं तो अच्छा अनुभव करता हूं और जब बुरा करता हूं तो बुरा अनुभव करता हूं. यही मेरा मजहब है।”
★ उन्होंने थैंक्सगिविंग डे को राष्ट्रीय पर्व घोषित किया.
◆ लिंकन का निधन ◆
4 मार्च 1864 को लिंकन को दुबारा अमेरिका का राष्टपति चुना गया | इसके एक महीने बाद 14 अप्रैल को गृह युद्ध पर विजय के उपलक्ष में एक आयोजन रखा गया। 15 अप्रैल 1865 को उनकी मौत हुयी। वहां पर ष्टयन्त्रकार्यों ने धोखे से लिंकन पर गोली चला दी और लिंकन की मृत्यु हो गयी | इसके बाद लिंकन की महानता का सबने अनुभव किया । एक बिना पढ़ा लिखा व्यक्ति किस प्रकार अपनी प्रतिभा के बल पर अमेरिका के राष्ट्रपति में सबसे सफल राष्ट्रपति बने |