जिम में जाने वाले युवा आजकल काफी मात्रा में प्रोटीन (Protein) लेते हैं. यह सही भी है, क्योंकि जब आप जिम जाते हैं और उन वर्कआउट्स पर काम करते हैं, जो मसल्स बनाने का काम करते हैं तो शरीर को मसल्स बिल्ड करने के लिए प्रोटीन देना भी जरूरी है. इसके लिए लोग अक्सर सप्लिमेंट का सहारा लेते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आप जिस प्रोटीन पाउडर (Protein Powders) को हेल्दी सोचकर ले रहे हैं वह आपकी सेहत को नुकसान भी पहुंचा सकता है. प्रोटीन पाउडर (Effects Of Protein Powders) दूध, छाछ, कैसिइन और सोया से बना एक सूखा पाउडर होता है. अब तो मटर से भी प्रोटीन (Protein) बनाया जा रहा है. अक्सर जब लोग खाने से जरूरी प्रोटीन नहीं ले पाते हैं, तो प्रोटीन पाउडर का इस्तेमाल करते हैं.
प्रोटीन मांसपेशियों के लिए बहुत जरूरी है, उन लोगों के लिए खासकर जो जिम जाते हैं। लेकिन जो लोग जल्दी से जल्दी बॉडी-बिल्डर बनने की ख्वाहिश रखते हैं वे अतिरिक्त मात्रा में प्रोटीन का सेवन करते हैं और व्हे प्रोटीन का सेवन भी इसमें है। इसे चीज यानी पनीर को प्रासेस करके बनाया जाता है।व्हे प्रोटीन बहुत मंहगा भी होता है। व्हे प्रोटीन के सेवन से शरीर में प्रोटीन की अधिक मात्रा से मिनरल असंतुलित होने के कारण मिनरल बॉडी डेन्सिटी के कम होने का खतरा रहता है। यह लीवर को भी प्रभावित करता है। व्हे प्रोटीन एक सप्लीमेंट है इसलिए इसका इस्तेमाल प्रोटीन के मुख्य श्रोत वाले खाद्य पदार्थों की तरह न करें, बल्कि इसका सेवन एक प्रोटीन सप्लीमेंट की तरह ही करें।
वे प्रोटीन (whey proteinसबसे कॉमन प्रोटीन है जो सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है. इसी प्रोटीन को ज्यादातर जिम गोअर्स और बोड़ी बिल्डर लेते हैं. इसमें ग्लोबुलर प्रोटीन होता है जिसे लिक्विड सामग्री से तैयार किया जाता है. यह लिक्विड मटिरियल चीज प्रोडक्स के बायोप्रोडक्ट से तैयार किए जाते हैं. यह ग्लोबुलर शरीर को फायदा देने से ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं.
” व्हे प्रोटीन तीन प्रकार का होता है “
- कंसन्ट्रेट :- कांसन्ट्रेट में अधिक फ्लेवर नहीं होता।
- आइसोलेट :-आइसोलेट में फैट कम होता है।
- हाइड्रोलिसेट :- हाइड्रोलिसेट बहुत जल्दी असर करता है।
“व्हे प्रोटीन के नुकसान”
व्हे प्रोटीन के नुकसान से हो सकती है ।
कर सकते हैं मुंहासे:- वे प्रोटीन जैसे पाउडर्स में कई तरह के हारमोंस और बायोएक्टिव पेपटिड्स होते हैं. जो सीबम निर्माण को बढ़ा देते हैं. अध्ययनों से यह बात पता चली है कि प्रोटीन सप्लिमेंट लेने से मुंहासों की समस्या बढ़ सकती है.
आंत माइक्रोबायोटा होता है अस्थिर:- वे मिल्क ऐसा दूध है जो कुछ कंपाउंड्स का स्रोत होता है. लेक्टोफेरिन जैसे एंटिबायोटिक कंपाउंड के चलते वयस्क आंत में समस्या (adult gut flora) होने की संभावना बढ़ जाती है. इससे पेट खराब रह सकता है और इससे गैस या अपच की समस्याएं पैदा हो सकती हैं.
किडनी में स्टोन– अधिक मात्रा में व्हे प्रोटीन का सेवन करने से किडनी में स्टोन होने की संभावना बनी रहती है। अगर आप पहले से ही इस बीमारी से पीड़ित हों तो व्हे प्रोटीन इस बीमारी को अधिक गंभीर कर सकता है।
पाचन में दिक्कत – व्हे प्रोटीन में अधिक मात्रा में लैक्टोज होता है, अगर आपका पाचन तंत्र गड़बड़ है और आसानी से लैक्टोज को पचा नहीं पाता है तो व्हे प्रोटीन का सेवन करने से पाचन से जुड़ी समस्या हो सकती है।
लीवर में परेशानी होना – अधिक मात्रा और दिन में कई बार व्हे प्रोटीन का सेवन करने से लीवर की समस्या भी हो सकती है।
पेट की समस्या:- हालांकि वर्कआउट के बाद समाप्त हुई एनर्जी को दोबारा बूस्ट करने के लिए व्हे प्रोटीन का सेवन बहुत अच्छा माना जाता है। लेकिन इससे पेट की समस्यायें भी हो सकती हैं खासकर कब्ज। व्हे प्रोटीन में लैक्टोज की मात्रा अधिक होती है जिसके कारण यह कब्ज का कारण बनता है। लैक्टोज इंटॉलरेंस से ग्रस्त लोगों को इसके सेवन से बचना चाहिए। इसलिए अगर पेट की समस्या से आप बचना चाहते हैं तो व्हे प्रोटीन का सेवन न करें।
वजन बढ़ना :-यह सुनकर शायद आपको थोड़ा अजीब लगे कि प्रोटीन के सेवन से वजन कैसे बढ़ सकता है, लेकिन यह सच है। दरअसल व्हे प्रोटीन में शुगर के अलावा कार्बोहाइड्रेट भी होता है जो न केवल मांसपेशियों बल्कि शरीर का भी फैट बढ़ाता है।
ब्लड में एसिड बढना:- अगर आप ब्हे प्रोटीन का सही यूज़ नहीं करते तो आपको यह साइड इफेट झेलना पड़ सकता है। यह वो कंडीशन है जब खून में कीटोन बढ जाता है। अगर बॉडी फैट कम है तो वह प्रोटीन को एनर्जी में नही बदल पाएगा और इसी तरह से खून में किटोन का लेवल बढने लगेगा। यानी की खून में एसिड का लेवल बढना।