ज़ुबैदा, करिश्मा, करीना, नसीमा चलो आज सबको दिखा दूं सिनेमा मेरी उम्र क्या है ये क्यूं पूछती हो कहीं इश्क़ का जोश होता है धीमा

आशिक़ी भी दोस्तों क्या शास्त्रीय संगीत थी राग तोड़ी जाने क्या था जाने क्या गाते रहे ज़िंदगी भर इश्क़ का इज़हार करने के लिए वो भी हकलाते रहे और हम भी हकलाते रहे

मिज़ाज़न मेरी बेग़म दर हक़ीक़त तेज़ है साक़ी लबे शीरी की एक-एक लफ़्ज़ ज़हर अंगेज़ है साक़ी मैं फिर भी मुतमईन हूं नर्म दिल होता है औरत का अगर नम हो तो ये मिट्टी बड़ा दरखेज़ है साक़ी

कर गयी घर मेरा खाली मेरे सो जाने के बाद मुझको धड़का था कि कुछ होगा तेरे आने के बाद मैंने दोनों बार लिखाई थी थाने में रपट एक तेरे आने से पहले एक तेरे जाने के बाद