तूफ़ानों से आँख मिलाओ, सैलाबों पे वार करो मल्लाहों का चक्कर छोड़ो, तैर के दरिया पार करो फूलों की दुकानें खोलो, ख़ुशबू का व्यापार करो इश्क़ ख़ता है तो ये ख़ता एक बार नहीं सौ बार करो
जा के ये कह दो कोई शोलो से, चिंगारी से फूल इस बार खिले है बड़ी तय्यारी से बादशाहों से भी फेंके हुए सिक्के ना लिए हमने ख़ैरात भी माँगी है तो ख़ुद्दारी से।
ये हादसा तो किसी दिन गुजरने वाला था मैं बच भी जाता तो एक रोज मरने वाला था मेरा नसीब, मेरे हाथ कट गए वरना मैं तेरी माँग में सिन्दूर भरने वाला था
हाथ खाली हैं तेरे शहर से जाते-जाते, जान होती तो मेरी जान लुटाते जाते, अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है, उम्र गुजरी है तेरे शहर में आते जाते।
कभी महक की तरह हम गुलों से उड़ते हैं, कभी धुए की तरह परबतों से उड़ते हैं, ये कैंचियाँ हमें उड़ने से ख़ाक रोकेंगी, के हम परों से नहीं हौसलों से उड़ते हैं
रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है
मेरे चेहरे पे कफ़न ना डालो, मुझे आदत है मुस्कुराने की, मेरी लाश को ना दफ़नाओ, मुझे उम्मीद है उस के आने की !
आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो