विवेकानन्द स्मारक शिला (Vivekananda Rock Memorial) भारत के तमिलनाडु के कन्याकुमारी में समुद्र में स्थित एक स्मारक है। यह एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल बन गया है। यह भुमि-तट से लगभग 500 मीटर अन्दर समुद्र में स्थित दो चट्टानों में से एक के उपर निर्मित किया गया है।। स्वामी विवेकानंद के संदेशों को साकार रूप देने के लिए ही 1970 में उस विशाल शिला पर एक भव्य स्मृति भवन का निर्माण किया गया. भारत ही नहीं पूरी दुनिया से टूरिस्ट समुद्र की लहरों से घिरी इस विरासत को देखने के लिए अाते हैं. ।आपको बता दें कि इस भव्य स्मारक की स्थापना में एकनाथ रामकृष्ण रानाडे की भूमिका काफी अहम है। आपको बता दें कि एकनाथ रानाडे (Eknath Ranade) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक और प्रख्यात अध्यात्मिक सुधारक थे, जिन पर स्वामी विवेकानंद जी के उपदेशों ने गहरा प्रभाव छोड़ा था। इसके अलावा आपको बता दें कि रानाडे के प्रयास से स्वामी विवेकानंद रॉक मेमोरियल स्मारक का निर्माण 1970 में 6 साल की छोटी अवधि पूरा हुआ। इसे करीब 650 मजदूरों ने बनाया था।
एकनाथ रानडे ने विवेकानंद शिला पर विवेकानंद स्मारक मन्दिर बनाने में विशेष कार्य किया। एकनाथ रानडे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह थे। विवेकानन्द रॉक मेमोरियल रामकृष्ण परमहंस के भक्त स्वामी विवेकानन्द को समर्पित है। श्री रामकृष्ण रामकृष्ण मिशन के संस्थापक थे। विवेकानन्द रॉक मेमोरियल को 1970 ई0 में नीले तथा लाल ग्रेनाइट के पत्थरों से निर्मित किया गया था। यह समुद्रतल से 17 मीटर की ऊँचाई पर एक पत्थर के टापू की चोटी पर स्थित है। यह स्थान 6 एकड़ के क्षेत्र में फैला है। यह स्मारक 2 पत्थरों के शार्ष पर स्थित है और मुख्य द्वीप से लगभग 500 मीटर की दूरी पर है। ऐसा माना जाता है कि विवेकानन्द कन्याकुमारी आये और इस पत्थर तक तैर कर गये और गहरी ध्यान की मुद्रा में रात बिताई। इसके बाद उन्होंने अपने आप को देश की सेवा के प्रति समर्पित करने और वेन्दान्त संदेश को सारे विश्व में प्रसारित करने का निश्चय किया।कहा जाता है कि विवेकानंद के उस अनुभव का लाभ पूरे विश्व को हुआ क्योंकि इसके कुछ समय बाद ही वे शिकागो सम्मेलन में भाग लेने गए थे. 1893 में इस सम्मेलन में भाग लेकर उन्होंने भारत का नाम ऊंचा किया था.
इस भव्य स्मृति भवन का निर्माण नीले और लाल ग्रेनाइट के पत्थरों से किया गया है। समुद्र की लहरों से घिरी इस स्मारक भवन का मुख्य द्धार बेहद सुंदर और आर्कषक है। इसका वास्तुशिल्प अजंता-एलोरा की गुफाओं से लिया गया लगता है।
स्वामी विवेकानंद को समर्पित इस स्मृति भवन के अंदर 4 फुट से ऊंचे प्लेटफॉर्म पर भारत के महान दार्शनिक, विचारक और सच्चे देशभक्त स्वामी विवेकानंद जी की यह बेहद आर्कषक और प्रभावशाली मूर्ति है। यह मूर्ति कांसे की बनी है, जिसकी ऊंचाई साढ़े 8 फुट है। वहीं स्वामी विवेकानंद जी की इस मूर्ति में उनका यशस्वी और तेज व्यक्तित्व एकदम सजीव प्रतीत होता है।। यह विवेकानंद स्मारक भवन बहुत ही सुंदर मंदिर के रूप में बनाया गया है. इसका मुख्य द्वार अत्यंत सुंदर है. इसका वास्तुशिल्प अजंता-एलोरा की गुफाओं के प्रस्तर शिल्पों से लिया गया लगता है.
लाल रंग के पत्थर से निर्मित स्मारक पर 70 फुट ऊंचा गुंबद है, जो समुद्र के भीतर दूर से ही दिखाई देता है. सूर्योदय अौर सूर्यास्त के समय बहुत ही सुंदर दिखाई देता है. भवन के अंदर चार फुट से ऊंचे प्लेटफॉर्म पर परिव्राजक संत स्वामी विवेकानंद की प्रभावशाली मूर्ति है. यह मूर्ति कांसे की बनी है, जिसकी ऊंचाई साढ़े आठ फुट है. यह मूर्ति इतनी प्रभावशाली है कि इसमें स्वामी जी का व्यक्तित्व एकदम सजीव प्रतीत होता है.