वास्को द गामा का जन्म लगभग 1460 या 1469 मे साईनेसा नामक जगह पे हुआ था। इनके पिता का नाम एस्तेवाओ द गामा और माता का नाम इसाबेल सोर्ड़े था।
इनका विवाह कैटरीना द अतायदे नामक लड़की से हुआ था।
★ प्रथम समुद्र यात्रा ★
8 जुलाई 1497 को वास्को द गामा चार जहाज़ों के एक बेड़े के साथ लिस्बन से निकले थे। उनके पास दो मध्यम आकार के तीन मस्तूलों वाले जहाज़ थे। प्रत्येक का वज़न लगभग 120 टन और नाम सॉओ गैब्रिएल तथा सॉओ रैफ़ेल था। इनके साथ 50 टन का बैरिओ नामक कैरावेल (छोटा, हल्का और तेज़ जहाज़) और एक 200 टन का सामान रखने वाला जहाज़ था। केप वर्डे द्वीप तक उनके साथ बार्तोलोम्यू डिआस के नेतृत्व में एक और जहाज़ भी गया था।
बार्तोलोम्यू एक पुर्तग़ाली नाविक थे, जिन्होंने कुछ वर्ष पहले केप ऑफ़ गुड होप को खोजा था और वह गोल्ड कोस्ट (वर्तमान घाना) पर सॉओ ज़ोर्गे डा मीना के पश्चिम अफ़्रीकी क़िले की यात्रा कर रहे थे। वास्को द गामा के बेड़े के साथ तीन दुभाषिए भी थे दो अरबी बोलने वाले और एक कई बंटू बोलियों का जानकार था। बेड़े अपनी खोज और जीते गए ज़मीनों को चिह्नित करने के लिए अपने साथ पेड्राओ भी ले गए थे।
15 जुलाई को केनेरी द्वीप से गुज़रते हुए यह बेड़ा 26 जुलाई को केप वर्डे द्वीप के सॉओ टियागो पर पहुँचा और 3 अगस्त तक वहीं रुका रहा। इसके बाद गुयाना की खाड़ी की तेज़ जलधाराओं से बचने के लिए वास्को द गामा ने केप ऑफ़ गुड होप के दक्षिणी अटलांटिक से होते हुए एक घुमावदार रास्ता अपनाया और 7 नवम्बर को सांता हैलेना खाड़ी (आधुनिक दक्षिण अफ़्रीका में) पहुँचे थे।
★ भारत की खोज ★
20 मई 1498 को वास्को डा गामा कालीकट तट पहुंचे और वहां के राजा से कारोबार के लिए हामी भरवा ली। कालीकट में 3 महीने रहने के बाद वास्को पुर्तगाल लौट गए। वर्ष 1499 में भारत की खोज की यह खबर फैलने लगी। इसके बाद भारत पर कब्जा जमाने के लिए कई राजाओं ने कोशिश की।
वास्कोडीगामा ने भारत में व्यापार करने के लिए जामोरिन से गुजारिश की तो जामोरिन ने उसे मेहमान समझकर व्यापार करने की इजाजत दे दी | अब व्यापार के लिए जामोरिन ने वास्कोडीगामा से कस्टम ड्यूटी के तौर पर सोने चान्दी की माग की लेकिन वास्कोडीगामा के पास उस समय कुछ नही था और वो भारत में व्यापार करना चाहता था | उसने कही से सुना था कि भारत सोने की चिड़िया कहलाता है और यहा सोने के अपार भंडार है | वो इस मौके को गवाना नही चाहता था इसलिए उसने जामोरिन की हत्या करवा दी | जामोरिन की हत्या के बाद वो खुद कालीकट का मालिक बन गया जो उस समय भारत का सबसे बड़ा बन्दरगाह हुआ करता था | अब कालीकट में उसने बन्दरगाह पर अरब देशो में व्यापार करने वाले जहाजो पर टैक्स लगाना शुरू कर दिया | अगर कोई भी उस समय वास्कोडीगामा को टैक्स नही देता तो वो उसके जहाज को समुद्री लुटेरो को कहकर तबाह करवा देता था | उसका खौफ इतना छा गया था कि उसकी इजाजत के बिना बन्दरगाह से एक जहाज नही हिल सकता था | लगभग 3 महीने बाद जब वो वापस अपने देश लौटा तो सात जहाज भरकर सोने की अशर्फिया लेकर अपने देश चला गया | उसको अब भारत जाने के लिए समुद्री रास्ते का पता चल चूका और दुबारा भारत को लुटने के लिए एक साल बाद फिर भारत आया |
★ निधन ★
1503 में वास्को पुर्तगाल लौट गए और बीस साल वहां रहने के बाद वह भारत वापस चले गए। 24 मई 1524 को वास्को डी गामा की मृत्यु हो गई और फिर उनके अवशेषों को पुर्तगाल लाया गया। लिस्बन में वास्को के नाम का एक स्मारक है, इसी जगह से उन्होंने भारत की यात्रा शुरू की थी।
vasco da gama bharat kab pahunche | vasco da gama full history in hindi | vasco da gama kaha ka rehne wala tha