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वैष्णो देवी चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है

Posted on January 10, 2020January 29, 2021 By admin No Comments on वैष्णो देवी चलो बुलावा आया है, माता ने बुलाया है

दोस्तों! हमारा भारत बहुत से मंदिरो और देवी देवताओं के स्थान से भरा पड़ा है। जहाँ भी जाइये जिस भी राज्य, शहर मे आपको कोई न कोई ऐसा मंदिर या शक्ति पीठ ज़रूर मिल जाएगा जहाँ का मंदिर और उसकी महिमा सदियों पुरानी है। आज हम बात कर रहे है एक ऐसे ही मंदिर की जो एक शक्ति पीठ तो है ही जहाँ के दर्शन करने से सभी भक्तों के दुःख , दर्द, तकलीफों को दूर होते देर नही लगती।

हम बात कर रहे है जम्मू & कश्मीर राज्य की पहाड़ियों पे विराजमान जगत जननी माँ जगदम्बे वैष्णो देवी की। जी हाँ! ये माँ इतनी दयालु है कि दरबार आये किसी भी भक्त को निराश नही करती है। उसकी झोली उसकी मन्नत के अनुसार ज़रूर भर देती है। माता का बुलावा आने पर भक्त किसी न किसी बहाने से उसके दरबार पहुँच जाता है। हसीन वादियों में त्रिकूट पर्वत पर गुफा में विराजित माता वैष्णो देवी का स्थान हिंदुओं का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है, जहाँ दूर-दूर से लाखों श्रद्धालु माँ के दर्शन के लिए आते हैं। माता वैष्णो देवी की यात्रा देश मे सबसे कठिन तीर्थ यात्रओं मे से एक है। तो आइए आज हम यात्रा करने वाले है माता वैष्णो देवी के धाम :—

कहाँ है माता रानी का दरबार :

देश का स्वर्ग कहे जाने वाले राज्य जम्मू कश्मीर मे माता रानी ने अपना दरबार लगाया है। माता रानी का मंदिर जम्मू कश्मीर मे त्रिकुट पर्वत पे स्थित है। ये त्रिकुट पर्वत जम्मू जिले के कटरा नामक स्थान पे है। मंदिर के लिए आपको जम्मू से कटरा आना पड़ेगा और कटरा से 14 किलोमीटर की कठिन चढ़ाई चढ़ के माता का दर्शन होता है।

क्या है मान्यता :

एक प्रसिद्ध प्राचीन मान्यता के अनुसार माता वैष्णो के एक परम भक्त श्रीधर की भक्ति से प्रसन्न होकर माँ ने उसकी लाज रखी और दुनिया को अपने अस्तित्व का प्रमाण दिया। एक बार ब्राह्मण श्रीधर ने अपने गाँव में माता का भण्डारा रखा और सभी गाँववालों व साधु-संतों को भंडारे में पधारने का निमंत्रण दिया। पहली बार तो गाँववालों को विश्वास ही नहीं हुआ कि निर्धन श्रीधर भण्डारा कर रहा है। अपने भक्त श्रीधर की लाज रखने के लिए माँ वैष्णो देवी कन्या का रूप धारण करके भण्डारे में आई। श्रीधर ने भैरवनाथ को भी अपने शिष्यों के साथ आमंत्रित किया गया था। भंडारे में भैरवनाथ ने खीर-पूड़ी की जगह मांस-मदिरा का सेवन करने की बात की तब श्रीधर ने इस पर असहमति जताई। भोजन को लेकर भैरवनाथ के हठ पर अड़ जाने के कारण कन्यारूपी माता वैष्णो देवी ने भैरवनाथ को समझाने की कोशिश की किंतु भैरवनाथ ने उसकी एक ना मानी। जब भैरवनाथ ने उस कन्या को पकड़ना चाहा, तब वह कन्या वहाँ से त्रिकूट पर्वत की ओर भागी और उस कन्यारूपी वैष्णो देवी ने एक गुफा में नौ माह तक तपस्या की। इस गुफा के बाहर माता की रक्षा के लिए हनुमानजी ने पहरा दिया। आज इस पवित्र गुफा को ‘अर्धक्वाँरी’ के नाम से जाना जाता है। अर्धक्वाँरी के पास ही माता की चरण पादुका भी है। यह वह स्थान है, जहाँ माता ने भागते-भागते मुड़कर भैरवनाथ को देखा था।

कहते हैं उस वक्त हनुमानजी माँ की रक्षा के लिए माँ वैष्णो देवी के साथ ही थे। हनुमानजी को प्यास लगने पर माता ने उनके आग्रह पर धनुष से पहाड़ पर एक बाण चलाकर जलधारा को निकाला और उस जल में अपने केश धोए। आज यह पवित्र जलधारा ‘बाणगंगा’ के नाम से जानी जाती है, जिसके पवित्र जल का पान करने या इससे स्नान करने से भक्तों की सारी व्याधियाँ दूर हो जाती हैं। जिस स्थान पर माँ वैष्णो देवी ने हठी भैरवनाथ का वध किया, वह स्थान आज पूरी दुनिया में ‘भवन’ के नाम से प्रसिद्ध है। इस स्थान पर माँ काली (दाएँ), माँ सरस्वती (मध्य) और माँ लक्ष्मी पिंडी (बाएँ) के रूप में गुफा में विराजित है, जिनकी एक झलक पाने मात्र से ही भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। इन तीनों के सम्मि‍लित रूप को ही माँ वैष्णो देवी का रूप कहा जाता है। भैरवनाथ का वध करने पर उसका शीश भवन से 8 किमी दूर जिस स्थान पर गिरा, आज उस स्थान को ‘भैरोनाथ के मंदिर’ के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि अपने वध के बाद भैरवनाथ को अपनी भूल का पश्चाताप हुआ और उसने माँ से क्षमादान की भीख माँगी। माता वैष्णो देवी ने भैरवनाथ को वरदान देते हुए कहा कि मेरे दर्शन तब तक पूरे नहीं माने जाएँगे, जब तक कोई भक्त मेरे बाद तुम्हारे दर्शन नहीं करेगा।

पैदल या हेलिकॉप्टर का सफर:

यात्रा करने से पहले हमको ये जान लेना चाहिए कि यात्रा कैसे करनी है। कटरा से माता का दरबार जिसे भवन भी कहते हैं तक पहुंचने के लिए करीब 14 किलोमीटर की चढ़ाई करनी पड़ती है। माता वैष्णो देवी के मंदिर तक पहुंचने के लिए पैदल चढ़ाई करना जरूरी नहीं है। आप चाहें तो घोड़ा, खच्चर, पिट्ठू या पालकी की सवारी भी कर सकते हैं जो बड़ी आसानी से कटरा से भवन तक जाने के लिए मिल जाते हैं।

इसके अलावा कटरा से सांझी छत के बीच नियमित रूप से हेलिकॉप्टर सर्विस भी मौजूद है। सांझी छत से आपको सिर्फ 2.5 किलोमीट की पैदल यात्रा करनी होगी।

यात्रा बन गई है थोड़ी आसान :

जैसे जैसे तकनीक का विकास होता गया है। वैसे वैसे अब यात्रा करने भी आसान हो गया है। अब ढेरो विकल्प वहाँ यात्रियों को मिल जाते है। यात्रा इतनी मुश्किल होने के बावजूद भी यहाँ लगभग हर साल 1 करोड़ लोग दर्शन को आते है। अब यात्रियों की भीड़ को देखते हुए यहाँ के बोर्ड ने जहाँ सुविधाओ को बढ़ाया है वही वे इसमें सुधार भी कर रहे है। यात्रा करने के लिए जहाँ अब रास्ते आसान हो गए है अब वही नए रास्ते बनाये जा रहे है। बैटरी से चलने वाले टेम्पो, रोप वे, और भी साधन को जोड़ा जा रहा है। यात्रा को पूरा करने में कितना वक्त लगेगा यह वहां के मौसम, भीड़ और आपकी स्पीड पर निर्भर करता है। वैसे तो पिछले कई सालों में वैष्णो देवी की यात्रा में कई सुविधाएं जुड़ गई हैं और यात्रा आसान हो गई है। पहाड़ को काटकर प्लेन रास्ता बना दिया गया है। चढ़ाई के दौरान पूरे रास्ते में जगह-जगह आराम के लिए शेड्स, शाकाहारी खाना, पानी हर चीज की व्यवस्था है जो चौबीसों घंटे चलती रहती है।

क्या करना है दर्शन के लिए :

जम्मू की सबसे छोटी सिटी है कटरा जहाँ से आप वैष्णो देवी की यात्रा करनी होती है। कटरा को बेस कैम्प भी कहा जाता है। ये सिटी जम्मू से 50 किलोमीटर दूर है। जब आप कटरा आ जाये तो आप यहाँ मिलने वाले गेस्ट हाउस, धर्मशालाओं, होटल्स मे अपना रूम बुक करवा सकते है। यात्रा के लिए आपको कटरा से ही अपना रजिस्ट्रेशन करवाना ज़रूरी होता है, ये बहुत ज़रूरी काम है। क्योंकि रजिस्ट्रेशन स्लिप के आधार पर ही मंदिर में दर्शन करने का मौका मिलता है। कटरा से भवन के बीच कई पॉइंट्स हैं जिसमें :—

  • बाणगंगा,
  • चारपादुका,
  • इंद्रप्रस्थ,
  • अर्धकुवांरी,
  • गर्भजून,
  • हिमकोटी,
  • सांझी छत
  • भैरो मंदिर

शामिल है लेकिन यात्रा का मिड-पॉइंट अर्धकुंवारी है। यहां भी माता का मंदिर है जहां रुककर लोग माता के दर्शन करने के बाद आगे की 6 किलोमीटर की यात्रा करते हैं। वैसे इसी साल 19 मई 2018 को बाणगंगा से अर्धकुंवारी के बीच नए रास्ते का उद्घाटन किया गया है ताकि मौजूदा 6 किलोमीटर के रास्ते पर श्रद्धालुओं की भीड़ को कम किया जा सके।

कब जाएं वैष्णो देवी :

वैसे तो यहाँ पूरे साल भक्तों का मेला लगा रहता है, परंतु यहाँ जाने का बेहतर मौसम गर्मी है।

सर्दियों में भवन का न्यूनतम तापमान -3 से -4 डिग्री तक चला जाता है और इस मौसम से चट्टानों के खिसकने का खतरा भी रहता है। अत: इस मौसम में यात्रा करने से बचें।

पर फिर भी कुछ पिक टाइम होते है जब यहाँ बाकी के दिन की अपेक्षा भक्तों की ज्यादा भीड़ देखने को मिलती है। गर्मियों में मई से जून और नवरात्रि (मार्च से अप्रैल और सितंबर से अक्टूबर) के बीच पीक सीजन होने की वजह से श्रद्धालुओं की जबरदस्त भीड़ देखने को मिलती है। इसके अलावा बारिश के मौसम में भी जुलाई-अगस्त में यात्रा करने से बचना चाहिए क्योंकि यात्रा मार्ग पर फिसलन की वजह से चढ़ाई मुश्किल हो जाती है। इसके अलावा दिसंबर से जनवरी के बीच यहां जबरदस्त ठंड रहती है।

कैसे पहुंचे वैष्णो देवी :—-

हवाई मार्ग: जम्मू का रानीबाग एयरपोर्ट वैष्णो देवी का नजदीकी एयरपोर्ट है। जम्मू से सड़क मार्ग के जरिए वैष्णो देवी के बेस कैंप कटरा पहुंचा जा सकता है जिसकी दूरी करीब 50 किलोमीटर है। जम्मू से कटरा के बीच बस और टैक्सी सर्विस आसानी से मिल जाती है।

रेल मार्ग: नजदीकी रेलवे स्टेशन जम्मू और कटरा दो हैं। देशभर के मुख्य शहरों से जम्मू रेल मार्ग के जरिए जुड़ा हुआ है। इसके अलावा वैष्णो देवी का बेस कैंप कटरा भी अब एक रेलवे स्टेशन बन गया है। जम्मू-उधमपुर रेल रूट पर स्थित है श्री माता वैष्णो देवी कटरा रेलवे स्टेशन जिसकी शुरुआत साल 2014 में हुई थी। दिल्ली के अलावा कई दूसरे शहरों से भी यहां तक सीधी ट्रेनें आती हैं। आप चाहें तो कटरा तक सीधे ट्रेन से आ सकते हैं औऱ फिर यहां से माता के दरबार तक पैदल यात्रा शुरू कर सकते हैं।

सड़क मार्ग: देश के विभिन्न हिस्सों से जम्मू सड़क मार्ग के जरिए भी जुड़ा हुआ है और जम्मू होते हुए सड़क मार्ग से कटरा तक पहुंचा जा सकता है और फिर वहां से त्रिकूटा की पहाड़ियों की चढ़ाई।

कुछ ज़रूरी चीज़ें रखे अपने साथ :

चूंकि ये यात्रा पहाड़ो वाली है तो ज़ाहिर सी बात है आपको कुछ ज़रूरी सावधानियां आपको रखनी होगी। अगर आप ठंडी मे यात्रा कर रहे है तो आपको अपने साथ , दवाइयां, ड्राई फ्रूट्स, और अगर मानसून मे यात्रा कर रहे है तो रेनकोट या छाता साथ जरूर रखें। सर्दियों के मौसम में ढेर सारे ऊनी कपड़े, जैकेट्स, टोपी और ग्लव्स साथ रखना न भूलें। हालांकि यात्रा के दौरान रास्ते में कंबल भी मिलते हैं। चढ़ाई के दौरान आरामदेह जूते पहनें। इसके अलावा गर्मी के मौसम में भी हल्के गर्म कपड़े साथ रख सकते हैं क्योंकि हो सकता है ऊपर भवन तक पहुंचने पर अगर मौसम बदल जाए तो ठंड लग सकती है। ब्लड प्रेशर के मरीज चढ़ाई के लिए सीढि़यों का उपयोग ‍न करें। भवन ऊँचाई पर स्थित होने से यहाँ तक की चढ़ाई में आपको उलटी व जी मचलाने संबंधी परेशानियाँ हो सकती हैं, जिनसे बचने के लिए अपने साथ आवश्यक दवाइयाँ जरूर रखें। चढ़ाई के वक्त जहाँ तक हो सके, कम से कम सामान अपने साथ ले जाएँ ताकि चढ़ाई में आपको कोई परेशानी न हो। पैदल चढ़ाई करने में छड़ी आपके लिए बेहद मददगार सिद्ध होगी। ट्रेकिंग शूज चढ़ाई में आपके लिए बहुत आरामदायक होंगे। माँ का जयकारा आपके रास्ते की सारी मुश्किलें हल कर देगा।

आसपास के दर्शनीय स्थल :

कटरा व जम्मू के नज़दीक कई दर्शनीय स्थल ‍व हिल स्टेशन हैं, जहाँ जाकर आप जम्मू की ठंडी हसीन वादियों का लुत्फ उठा सकते हैं। जम्मू में अमर महल, बहू फोर्ट, मंसर लेक, रघुनाथ टेंपल आदि देखने लायक स्थान हैं।

जम्मू से लगभग 112 किमी की दूरी पर ‘पटनी टॉप’ एक प्रसिद्ध हिल स्टेशन है। सर्दियों में यहाँ आप स्नो फॉल का भी मजा ले सकते हैं। कटरा के नजदीक शिव खोरी, झज्झर कोटली, सनासर, बाबा धनसार, मानतलाई, कुद, बटोट आदि कई दर्शनीय स्थल हैं।

तो दोस्तों ये थी माता वैष्णो देवी को यात्रा , अगर आप यात्रा करने वाले है तो उम्मीद है कि आपको हमारा ये लेख बहुत हेल्प करेगा

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