दोस्तों! जेंडर या लिंग कुछ भी बोल लीजिए। लिंग किसी भी व्यक्ति के अस्तित्व को तय करते है बताते है कि वो लड़का है कि लड़की। किसी के हाव भाव ही उसके पूरे व्यक्तित्व को बता देते है। हमारे देश की एक बहुत बड़ी आबादी है जो न तो पुरुष है और न ही स्त्री। जी हाँ ! दोस्तों ऐसे लोग न तो पुरुष जेंडर होते है और न ही स्त्री जेंडर, हमारे समाज मे ऐसे लोगों को थर्ड जेंडर , हिजड़ा , किन्नर या फिर ट्रांसजेंडर के नाम से संबोधित करते हैं। जी हां! हिजड़ा ये हमारे
समाज मे रहने वाले वो लोग है जिनके बारे मे किसी भी स्त्री या पुरुष को जानने की बड़ी जिज्ञासा रहती है।
थर्ड जेंडर , हिजड़ा , किन्नर या फिर ट्रांसजेंडर क्या होते है :
किन्नरों का जननांग जन्म से लेकर मृत्यु परांत एक जैसा ही रहता है। यूं कहें कि इनके जननांग कभी विकसित नहीं होते। किन्नरों के अंदर एक अलग गुण पाए जाते हैं। इनमे पुरुष और स्त्री दोनों के गुण एक साथ पाए जाते हैं। इनका रहन-सहन, पहनावा और काम-धंधा भी इन दोनों से भिन्न होता है।
धर्म क्या कहता है इनके बारे मे :
दोस्तों! किन्नरों के हमारे समाज मे सदियों से ही अस्तित्व रहा है। हमारे धर्म ग्रंथों, पुराणों मे इन्हें गंधर्व के नाम से जाना जाता था। दोस्तों! क्या आप जानते है हमारे सबसे धर्म ग्रंथ महाभारत मे भी इनको बताया गया है। महाभारत मे दोस्तों! शिखंडी नाम का एक किन्नर था।
ज्योतिष शास्त्र और पुराणों की तो किन्नरों के जन्म को लेकर इनके भी कई अलग-अलग दावे हैं। ज्योतिष शास्त्र की मानें तो बच्चे के जन्म के वक़्त उनकी कुंडली के अनुसार अगर आठवें घर में शुक्र और शनि विराजमान हो और जिन्हें गुरु और चंद्र नहीं देखता है तो व्यक्ति नपुंसक हो जाता है और उसका जन्म किन्नरों में होता है, क्योंकि कुंडली के अनुसार शुक्र और शनि के आठवें घर में विराजमान होने से सेक्स में प्रजनन क्षमता कम हो जाती है। वहीं ज्योतिष शास्त्र की अगर मानें तो इससे भी बचाव का एक तरीका है।
जिसमें इस परिस्थिति के समय अगर किसी शुभ ग्रह की दृष्टि अगर व्यक्तियों पर पड़ता है तो बच्चा नपुंसक नहीं पैदा होता तो किन्नरों के पैदा होने पर ज्योतिष शास्त्र का मानना है कि चंद्रमा, मंगल, सूर्य और लग्न से गर्भधारण होता है। जिसमें वीर्य की अधिकता होने के कारण लड़का और रक्त की अधिकता होने के कारण लड़की का जन्म होता है। लेकिन जब गर्भधारण के दौरान रक्त और विर्य दोनों की मात्रा एक समान होती है तो बच्चा हिजड़ा पैदा होता है।
वहीं किन्नरों के जन्म लेने का एक और कारण माना जाता है। जिसमें कई ग्रहो को इसका कारण बताया गया है। शास्त्र की अगर मानें तो किन्नरों की पैदाइश अपने पूर्व जन्म के गुनाहों के वजह से होता है। पुराणों की बात करें तो किन्नरों के होने की बात पौराणिक कथाओं में भी है। पौराणिक कथाओं को अगर माने तो अर्जुन कि भी गिनती कई महीनों तक हिजड़ो मे की जाती थी। मुगल शासन की बात करें तो उस वक्त भी किन्नरों का राज दरबार लगाया जाता था।
देश मे थर्ड जेंडर और उनसे जुड़े कानून :
भारत पहला देश है जहां 2014 के न्यायालय के फैसले में थर्ड जेंडर को कानूनी रूप से पहचान मिल चुकी है। कानून मे इनके लिए शिक्षा, काम, स्वास्थ्य देखभाल,आवास और अन्य मूलभूत अधिकारों को प्राप्त करने में उत्पन्न होने वाली परेशानियों के समाधान के लिए कानूनी कार्यवाही की भी मांग की। ट्रांसजेंडर लोग और हिजड़े अब अपने पासपोर्ट और सरकारी दस्तावेजों पर पुरुष और महिला के अलावा थर्ड जेंडर का चयन कर सकते हैं।
हालांकि थर्ड जेंडर के रूप में कानूनी मान्यता भारत जैसे देश में आये दिन ट्रांसजेंडरों के साथ होने वाले भेदभाव का हल नहीं है। जो लोग थर्ड जेंडर के अंतर्गत आते हैं वे अपना वैध जेंडर स्टेटस नहीं बदलवाना चाहते हैं क्योंकि आगे रोजगार, शादी और संपत्ति के अधिकारों में भी उनके साथ भेदभाव किया जाता है।
थर्ड जेंडर को लेकर क्या सोच है समाज की :
दोस्तों! हमारे आजकल के पढ़े लिखे समाज मे थर्ड जेंडर के प्रति कोई विशेष सम्मानित सोच नही है। इस वर्ग को हमारे देश मे एक उपहास के रूप मे देखता है , अगर कोई कहि थर्ड जेंडर लोगों को दिखता है तो वो उसके साथ ऐसा व्यवहार करते है जैसे वो किसी दूसरे ग्रह से आये हुए है। हम ऐसा क्यों नही सोच पाते कि आख़िर वो भी हमारी ही भीड़ का हिस्सा है। उनको भी पैदा करने वाले कोई इंसान ही होंगे। आये दिन कोई न कोई ऐसी घटना सुनने मे आती है जिससे हमारे समाज की सामंती सोच का पता चलता है।
दोस्तों! केवल कानून बना देने से इस वर्ग का भला नही होने वाला ,भला होगा तो हमारे समाज मे बदलती सोच से। हमे इनके प्रति दया नही सम्मान का भाव देना होगा। हमें इनके लिए भी उन सभी सारी सुख सुविधा की माँग को उठाना होगा जिन सुविधाओं की उम्मीद करते है।
इस बात से इंकार नहीं है कि धीरे-धीरे समाज में ट्रांसजेंडर समुदाय के प्रति सामाजिक जागरूकता बढ़ रही है। सरकारी महकमों और समाज की धड़ों में भी ट्रांसजेंडर समुदाय के प्रति सकारात्मक बदलाव भी आ रहे हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की क्या राय है :
विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO ने रोगों के अंतरराष्ट्रीय वर्गीकरण की सूची के 11वें संस्करण में ट्रांसजेंडर को मानसिक बीमारी की श्रेणी से हटाकर “सेक्शुअल हेल्थ कंडीशन” के रूप में सूचीबद्ध किया है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO को उम्मीद है कि इससे ट्रांसजेंडर समुदाय की सामाजिक स्वीकृति बढ़ेगी और उन्हें खुलकर अपनी पहचान ज़ाहिर करने में आसानी होगी।
समाज मे थर्ड जेंडर की उपलब्धि :
दोस्तों! हमें थर्ड जेंडर समाज से सीखने की ज़रूरत है। लाख समाजिक तिरस्कार को सह कर ये समाज अपने हौसलों के दम पर अपने झंडे आये दिन राष्ट्रीय ही नही अंतराष्ट्रीय मंच पे गाड़ रहा है।
आइये जानते है थर्ड जेंडर की कुछ ऐसे ही सफलताओं के किस्से :—–
- चेन्नई की वीके पृथिका एक ट्रांसजेंडर है जो देश की पहली ट्रांसजेंडर पुलिस सब-इंस्पेक्टर हैं।
- “द सिक्स पैक बैंड” छह ट्रांसजेंडर गायकों का एक ऐसा ग्रुप है जो देश ही नही विदेश मे भी अपनी छाप छोड़ रहा है।
- मानबी बंधोपाध्याय जो पहली महिला ट्रांसजेंडर है जिन्हें किसी विश्वविद्यालय ने पीएचडी की उपाधी दी।
- ओडिशा की मेघना साहू, जो एचआर एंड मार्केटिंग से एमबीए है ओला की पहली ट्रांसजेंडर ड्राइवर हैं।
- हैदराबाद की शबनब को देश की पहली ट्रांसजेंडर MLA का सम्मान हासिल है।
- छत्तीसगढ़ की मधु महापौर बन चुकी हैं।
- पद्मिनी प्रकाश ने अपनी प्रतिभा के बल पर न्यूज़ एंकर की नौकरी हासिल की।
- जोइता मंडल ने अपनी पहचान देश की पहली ट्रांसजेंडर जज के तौर पर बनाई है।
- छत्तीसगढ़ और कुछ राज्यों में ज़िला पुलिस में भी ट्रांसजेंडरों की भर्तियां चल रही हैं