समय के साथ आगे बढ़ना है, तो खुद को अपडेट रखना ही होगा और मेहनत भी करनी होगी। इस चक्कर में हम दिन-रात काम करते हैं अपनी सेहत से सौदा कर बैठते हैं। जब तक हम इस बात को समझते हैं, तब तक कई बीमारियां हमारे शरीर में जगह बना लेती हैं। इन दिनों लोग सबसे ज्यादा मोटापे और थायराइड से परेशान हैं। पूछने पर हर कोई यही कहता है कि मोटापा लगातार बढ़ रहा है। भारत में 4.2 करोड़ लोग थायराइड से ग्रस्त हैं ।आप इस आंकड़े से ही समझ गए होंगे कि थायराइड किस तेजी से लोगों को अपनी गिरफ्त में ले रहा है।
थायराइड कोई बीमारी नहीं, बल्कि हमारे गले में आगे की तरफ पाए जाने वाली एक ग्रंथि होती है। यह तितली के आकार की होती है। यही ग्रंथि शरीर की कई जरूरी गतिविधियों को नियंत्रित करती है। यह भोजन को ऊर्जा में बदलने का काम करती है। थायराइड ग्रंथि टी3 यानी ट्राईआयोडोथायरोनिन और टी4 यानी थायरॉक्सिन हार्मोंन का निर्माण करती है। इन हार्मोंस का सीधा असर हमारी सांस, ह्रदय गति, पाचन तंत्र और शरीर के तापमान पर पड़ता है। साथ ही ये हड्डियों, मांसपेशियों व कोलेस्ट्रोल को भी नियंत्रित करते हैं। जब ये हार्मोंस असंतुलित हो जाते हैं, तो वजन कम या ज्यादा होने लगता है, इसे ही थायराइड की समस्या कहते हैं । आजकल कई लोग थायराइड बीमारी से पीड़ित हैं. थायराइड में वजन बढ़ने के साथ हार्मोन असंतुलन भी हो जाते हैं. पुरुषों की तुलना में महिलाओं में थायराइड विकार दस गुना ज्यादा होता है. इसका मुख्य कारण है महिलाओं में ऑटोम्यून्यून की समस्या ज्यादा होना है. हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक, थायराइड हार्मोन शरीर के अंगों के सामान्य कामकाज के लिए जरूरी होते हैं.
Thyroid ke Gharelu Upchar “थायराइड के कारण और जोखिम कारक”
- एंटीबायोटिक लेने से आंतों में यीस्ट (एक प्रकार की फंगस) बननी शुरू हो जाती है। यीस्ट टॉक्सीन थायराइड ग्रंथि में बाधा पहुंचाने का काम करती है।
- पीने के पानी में क्लोरीन होने से थायराइड ग्रंथि बाधित हो जाती है।
- फ्लोराइड युक्त पेस्ट और पानी के कारण भी थायराइड ग्रंथि को काम करने में दिक्कत होती है।
- हाशिमोटो थायराइड जैसे ऑटोइम्यून विकार सीधा थायराइड ग्रंथि पर हमला करते हैं।
- टाइप-1 डायबिटीज, मल्टीपल स्केलेरोसिस, सीलिएक रोग व विटिलिगो जैसे ऑटोइम्यून विकार भी थायराइड ग्रंथि को प्रभावित करते हैं।
- गर्दन के लिए रेडियेशन थेरेपी और रेडियोएक्टिव आयोडीन उपचार भी थायराइड का कारण बन सकता है।
- अमियोडेरोन, लिथियम, इंटरफेरॉन अल्फा और इंटरल्यूकिन-2 जैसी दवाइयां लेना भी एक कारण है।
- आयोडीन, सेलेनियम, जिंक, मोलिब्डेनम, बोरोन, तांबा, क्रोमियम, मैंगनीज और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्वों की कमी के कारण भी थायराइड हो सकता है।
- गर्भावस्था के कारण।
- थायराइड ग्रंथि में कमी आने के कारण।
- पिट्यूटरी ग्रंथि के क्षति होने या खराब होने पर।
- हाइपोथैलेमय में विकार आने पर।
- अधिक उम्र होने पर।
Thyroid ke Parkar “थायराइड के प्रकार”
मुख्य रूप से थायराइड के छह प्रकार के होते है:
- हाइपो थायराइड : जब थायराइड ग्रंथि जरूरत से कम मात्रा में हार्मोंस का निर्माण नहीं करती है।
- हाइपर थायराइड : जब थायराइड ग्रंथि जरूरत से ज्यादा हार्मोंस का निर्माण करती है।
- थायराइडिटिस : जब थायराइड ग्रंथि में सूजन आती है और शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली एंटीबॉडी का निर्माण करती है, जिससे थायराइड ग्रंथि प्रभावित होती है।
- गॉइटर : भोजन में आयोडीन की कमी होने पर ऐसा होता है, जिससे गले में सूजन और गांठ जैसी नजर आती है। इसका शिकार ज्यादातर महिलाएं होती हैं। इसलिए, महिलाओं में थायराइड रोग के लक्षण अधिक दिखाई देते हैं।
- थायराइड नोड्यूल : इसमें थायराइड ग्रंथि के एक हिस्से में सूजन आ जाती है। यह सूजन कठोर या फिर किसी तरल पदार्थ से भरी हुई हो सकती है
- थायराइड कैंसर : जब थायराइड ग्रंथि में मौजूद टिशू में कैंसर के सेल बनने लगते हैं।
“ये हैं थायराइड के लक्षण”
Thyroid Ke lakshan
- हाइपरथायरायडिज्म में वजन घटना
- गर्मी न झेल पाना
- ठीक से नींद न आना
- प्यास लगना,
- अत्यधिक पसीना आना,
- हाथ कांपना,
- दिल तेजी से धड़कना
- कमजोरी, चिंता
- अनिद्रा शामिल हैं.
हाइपोथायरायडिज्म : सुस्ती, थकान, कब्ज, धीमी हृदय गति, ठंड, सूखी त्वचा, बालों में रूखापन, अनियमित मासिकचक्र और इन्फर्टिलिटी के लक्षण दिखाई देते हैं.
थाइरोइड से छुटकारा पाने के लिए बेस्ट घरेलू उपचार।
1. अदरक
अदरक में मौजूद गुण जैसे पोटेशियम, मैग्नीश्यिम आदि थायराइड की समस्या से निजात दिलवाते हैं। अदरक में एंटी-इंफलेमेटरी गुण थायराइड को बढ़ने से रोकता है और उसकी कार्यप्रणाली में सुधार लाता है।
2. दही और दूध का सेवन
दूध और दही में मौजूद कैल्शियम, मिनरल्स और विटामिन्स थायराइड से ग्रसित पुरूषों को स्वस्थ बनाए रखने का काम करते हैं। इसलिए थायराइड की समस्या वाले लोगों को दही और दूध का इस्तेमाल ज्यादा से ज्यादा करना चाहिए।
3. मुलेठी लें
थायराइड के मरीजों को थकान बड़ी जल्दी लगने लगती है और वे जल्दी ही थक जाते हैं। एैसे में मुलेठी का सेवन करना बेहद फायदेमंद होता है। मुलेठी में मौजूद तत्व थायराइड ग्रंथी को संतुलित बनाते हैं। और थकान को उर्जा में बदल देते हैं। मुलेठी थायराइड में कैंसर को बढ़ने से भी रोकता है।
4. गेहूं और ज्वार खाएं
गेहूं का ज्वार आयुर्वेद में थायराइड की समस्या को दूर करने का बेहतर और सरल प्राकृतिक उपाय है। इसके अलावा यह साइनस, उच्च रक्तचाप और खून की कमी जैसी समस्याओं को रोकने में भी प्रभावी रूप से काम करता है। थायराइड ग्रंथी को बढ़ने से रोकने के लिए आप गेहूं और ज्वार का सेवन कर सकते हो।
5. साबुत अनाज
जौ, पास्ता और ब्रेड़ आदि साबुत अनाज का सेवन करने से थायराइड की समस्या नहीं होती है क्योंकि साबुत अनाज में फाइबर, प्रोटीन और विटामिन्स आदि भरपूर मात्रा होता है जो थायराइड को बढ़ने से रोकता है।
6. लौकी
थायराइड की बीमारी से छुटकारा पाने के लिए रोजाना सुबह खाली पेट लौकी का जूस पिए। इसके बाद एक गिलास ताजे पानी में तुलसी की एक दो बून्द और कुछ मात्रा में एलोवेरा जूस डालकर पिए। अब आप आधे से एक घण्टे तक कुछ ना खाये पिए। रोजाना ऐसा करने से थायराइड की बीमारी जल्दी ठीक हो जायेगी।
विटामिन ए थायराइड के मरीज को अपने भोजन में विटामिन ए की मात्रा बढा देनी चाहिए। विटामिन ए थायराइड को धीरे धीरे कम करता है। गाजर और हरी पत्तेदार सब्जियों में विटामिन ए अधिक मात्रा में पाया जाता है।