Skip to content

THE GYAN GANGA

Know Everythings

  • Home
  • Health
  • Knowledge
  • Biography
  • Tourist Place
  • WEIGHT LOSS
  • Home Remedies
  • Politics
  • Toggle search form
  • अंडे  खाने के फायदे और नुकसान  कैसे रखता है आपको हेल्थी
    अंडे खाने के फायदे और नुकसान कैसे रखता है आपको हेल्थी Health
  • Benefits Of The Versatile Vetiver Oil SKIN CARE
  • क्या है जलीकटु का बिवाद जाने जलीकटु से RELATED कुछ रोचक तथ्ये …
    क्या है जलीकटु का बिवाद जाने जलीकटु से RELATED कुछ रोचक तथ्ये … Knowledge
  • आतंकी हमलों से न डरा न झुका : छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनल स्टेशन
    आतंकी हमलों से न डरा न झुका : छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनल स्टेशन Tourist Place
  • The Ultimate List of Metformin Weight Loss Do’s and Don’ts Health
  • ★ जहाँ रानी पद्मावती ने किया जौहर :- चित्तौड़गढ़ किला :——
    ★ जहाँ रानी पद्मावती ने किया जौहर :- चित्तौड़गढ़ किला :—— Tourist Place
  • Discover Inspiring Quotes About Life in Edmond Quotes
  • सुभाषचन्द्र बोस : एक अद्दभुत योद्धा
    सुभाषचन्द्र बोस : एक अद्दभुत योद्धा Knowledge
जानिए मोढ़ेरा का विश्व प्रसिद्ध सूर्य मंदिर

जानिए मोढ़ेरा का विश्व प्रसिद्ध सूर्य मंदिर

Posted on March 29, 2019February 3, 2021 By admin

मोढेरा सूर्य मंदिर गुजरात के पाटन नामक स्थान से 30 किलोमीटर दक्षिण की ओर “मोढेरा” नामक गाँव में प्रतीष्ठित है। यह सूर्य मन्दिर भारतवर्ष में विलक्षण स्थापत्य एवम् शिल्प कला का बेजोड़ उदाहरण है। सन् 1026 ई. में सोलंकी वंश के राजा भीमदेव प्रथम द्वारा इस मन्दिर का निर्माण किया गया था।। यह वही समय था जब सोमनाथ ज्योतिर्लिंग और उसके आसपास के क्षेत्रों को विदेशी आक्रांता महमूद गजनी ने अपने कब्जे में कर लिया था। गजनी के आक्रमण के प्रभाव के अधीन होकर सोलंकियों ने अपनी शक्ति और वैभव को गँवा दिया था। सोलंकी साम्राज्य की राजधानी कही जाने वाली ‘अहिलवाड़ पाटण’ भी अपनी महिमा, गौरव और वैभव को गँवाती जा रही थी जिसे बहाल करने के लिए सोलंकी राज परिवार और व्यापारी एकजुट हुए और उन्होंने संयुक्त रूप से भव्य मंदिरों के निर्माण के लिए अपना योगदान देना शुरू किया

सोलंकी ‘सूर्यवंशी’ थे, वे भगवान सूर्य देव को कुलदेवता के रूप में पूजते थे अत: उन्होंने अपने आद्य देवता की आराधना के लिए एक भव्य बनाने का निश्चय किया और इस प्रकार मोढ़ेरा के सूर्य मंदिर ने आकार लिया। भारत में तीन सूर्य मंदिर हैं जिसमें पहला उड़ीसा का कोणार्क मंदिर, दूसरा जम्मू में स्थित मार्तं शिल्पकला का अद्मुत उदाहरण प्रस्तुत करने वाले इस विश्व प्रसिद्ध मंदिर की बनावट में कहीं भी चूने का उपयोग नहीं किया गया है।भीमदेव ने इसे दो हिस्सों में बनवाया था। पहला हिस्सा गर्भगृह का और दूसरा सभामंडप का है। मंदिर को बनाने में ईरानी शैली काम में ली गयी है | मंदिर के गर्भगृह के अंदर की लंबाई करीबन 51 फुट चौड़ाई 25 फुट की है। मोढेरा सूर्य मंदिर गुजरात के पाटन नामक स्थान से 30 किलोमीटर दक्षिण की ओर मोढेरा गॉव में निर्मित है। यह सूर्य मन्दिर विलक्षण स्थापत्य और शिल्प कला का बेजोड़ उदाहरण है। इस मंदिर के निर्माण में जोड़ लगाने के लिए कहीं भी चूने का प्रयोग नहीं किया गया है। जिसमें पहला हिस्सा गर्भगृह का और दूसरा सभामंडप का है। गर्भगृह में अंदर की लंबाई 51 फुट, 9 इंच और चौड़ाई 25 फुट, 8 इंच है। मंदिर के सभामंडप में कुल 52 स्तंभ हैं। इन स्तंभों वर्तमान समय में इस मन्दिर में पूजा करना निषेध है। कहा जाता है कि अलाउद्दीन खिलजी ने मंदिर को तोड़ कर खंडित कर दिया था। मंदिर के सभामंडप में कुल 52 स्तंभ हैं। इन स्तंभों पर विभिन्न देवी-देवताओं के चित्रों के अलावा रामायण और महाभारत के प्रसंगों को बेहतरीन कारीगरी के साथ दिखाया गया है। इन स्तंभों को नीचे की ओर देखने पर वह अष्टकोणाकार और ऊपर की ओर देखने से वह गोल नजर आते हैं। मंदिर का निर्माण कुछ इस प्रकार किया गया था कि सूर्योदय होने पर सूर्य की पहली किरण मंदिर के गर्भगृह को रोशन करे। सभामंडप के आगे एक विशाल कुंड है जो सूर्यकुंड या रामकुंड के नाम से प्रसिद्ध है।

इस मंदिर के तीन मुख्य भाग हैं – गर्भ गृह एवं गूढ़ मंडप लिए मुख्य मंदिर, सभामंड़प एवं सूर्य कुंड या बावड़ी।

प्रथम भाग है, गर्भगृह तथा एक मंडप से सुसज्जित मुख्य मंदिर जिसे गूढ़ मंडप भी कहा जाता है। अन्य दो भाग हैं, एक प्रथक सभामंड़प तथा एक बावड़ी। जब मंदिर का प्रतिबिम्ब इस बावड़ी के जल पर पड़ता है तब वह दृश्य सम्मोहित सा कर देता है। इस मंदिर के प्रमुख देवता सूर्य भगवान् हैं। सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय सूर्य की जादुई किरणें इस मंदिर एवं जल पर पड़ते इस प्रतिबिम्ब की सुन्दरता को चार चाँद लगा देते हैं।

मंदिर के पृष्ठ भाग से होकर बहती पुष्पावती नदी मंदिर के परिप्रेक्ष्य को और अधिक आकर्षक बना देती है। मंदिर के एक भाग में आपको कुछ कीर्ति तोरण भी दृष्टिगोचर होंगे जो अवश्य किसी रण विजय का प्रतिक हैं। वर्तमान में इस मंदिर के भीतर किसी भी देवी अथवा देवता की प्रतिमा उपस्थित नहीं है। अतः यह जागृत मंदिर नहीं है। इस मंदिर के निर्माण में मूल खण्डों को आपस में गूंथ कर संरचना खड़ी की गयी है। कहा जाता है कि इस पद्धति के कारण यह भूकंप के झटकों को भी आसानी से सहन कर सकती है। भूकंप की स्थिति में इसकी संरचना भले ही थरथरा जाए, किन्तु यह गिरेगी नहीं। यह मंदिर भारत को चीरती कर्क रेखा के ऊपर स्थापित है। अपनी उत्कृष्ट वास्तुशिल्प के साथ साथ यह मंदिर अपनी अप्रतिम सुन्दरता हेतु भी जाना जाता है। इस पर पड़ी आपकी प्रथम दृष्टी आपको दांतों तले उंगली दबाने को बाध्य कर देगी।

पुराणों में भी आता है इस मंदिर का उल्‍लेख : 

मोढ़ेरा के मंदिर का जिक्र कई पुराणों में किया गया है। जैसे स्कंद पुराण और ब्रह्म पुराण जिनमें कहा गया है कि प्राचीन काल में मोढ़ेरा के आसपास का पूरा क्षेत्र धर्मरन्य के नाम से जाना जाता था। पुराणों के अनुसार ये भी बताया गया है कि भगवान श्रीराम ने रावण के संहार के बाद अपने गुरु वशिष्ट को एक ऐसा स्थान बताने के लिए कहा जहां जाकर वह आत्मशुद्धि कर सकें और ब्रह्म हत्या के पाप से भी मुक्‍ति पा सकें। तब गुरु वशिष्ठ ने श्रीराम को यहीं आने की सलाह दी थी

यह वही समय था जब सोमनाथ ज्योतिर्लिंग और उसके आसपास के क्षेत्रों को विदेशी आक्रांता महमूद गजनी ने अपने कब्जे में कर लिया था। गजनी के आक्रमण के प्रभाव के अधीन होकर सोलंकियों ने अपनी शक्ति और वैभव को गँवा दिया था। सोलंकी साम्राज्य की राजधानी कही जाने वाली ‘अहिलवाड़ पाटण’ भी अपनी महिमा, गौरव और वैभव को गँवाती जा रही थी जिसे बहाल करने के लिए सोलंकी राज परिवार और व्यापारी एकजुट हुए और उन्होंने संयुक्त रूप से भव्य मंदिरों के निर्माण के लिए अपना योगदान देना शुरू किया

सोलंकी ‘सूर्यवंशी’ थे, वे भगवान सूर्य देव को कुलदेवता के रूप में पूजते थे अत: उन्होंने अपने आद्य देवता की आराधना के लिए एक भव्य बनाने का निश्चय किया और इस प्रकार मोढ़ेरा के सूर्य मंदिर ने आकार लिया। भारत में तीन सूर्य मंदिर हैं जिसमें पहला उड़ीसा का कोणार्क मंदिर, दूसरा जम्मू में स्थित मार्तं शिल्पकला का अद्मुत उदाहरण प्रस्तुत करने वाले इस विश्व प्रसिद्ध मंदिर की बनावट में कहीं भी चूने का उपयोग नहीं किया गया है।भीमदेव ने इसे दो हिस्सों में बनवाया था। पहला हिस्सा गर्भगृह का और दूसरा सभामंडप का है। मंदिर को बनाने में ईरानी शैली काम में ली गयी है | मंदिर के गर्भगृह के अंदर की लंबाई करीबन 51 फुट चौड़ाई 25 फुट की है

Tourist Place

Post navigation

Previous Post: पालिताना का इतिहास (History of palitana in Hindi)
Next Post: Saunf Khane Ke Nuksan or Fayde in Hindi | सौंफ के फायदे और नुकसान

Related Posts

  • भारत के वेनिस कहे जाने वाला शहर
    भारत के वेनिस कहे जाने वाला शहर Tourist Place
  • प्रयागराज के प्राचीन मंदिर Tourist Place
  • भारत  आने  वाले  7 प्रमुख विदेशी यात्री
    भारत आने वाले 7 प्रमुख विदेशी यात्री Knowledge
  • इंडोनेशिया का बोरोबुदुर मंदिर : जो सबसे पुराना बौद्ध मंदिर है
    इंडोनेशिया का बोरोबुदुर मंदिर : जो सबसे पुराना बौद्ध मंदिर है Tourist Place
  • जानिए शाही विक्टोरिया मेमोरियल हॉल के बारे में
    जानिए शाही विक्टोरिया मेमोरियल हॉल के बारे में History
  • अमरावती शैली की कला शैली
    अमरावती शैली की कला शैली History

  • Home
  • Health
  • Knowledge
  • Biography
  • Tourist Place
  • WEIGHT LOSS
  • Home Remedies
  • Politics
  • Home
  • Health
  • Knowledge
  • Biography
  • Tourist Place
  • WEIGHT LOSS
  • Home Remedies
  • Politics
  • ★ चौसा का युद्ध : मुग़लो का देश निकाला ★
    ★ चौसा का युद्ध : मुग़लो का देश निकाला ★ History
  • Unlock Wisdom: Best Pete Waterman Quotes Uncategorized
  • Fatty Liver me Kya Khaye Kya na Khaye | फैटी लीवर में क्या खाए क्या नहीं
    Fatty Liver me Kya Khaye Kya na Khaye | फैटी लीवर में क्या खाए क्या नहीं Health
  • Amazing Benefits Of Elderberry
    Amazing Benefits Of Elderberry Fruit
  • कंघी का व्यापार करें, मुनाफ़ा कमाए : How to Start Comb Business in Hindi
    कंघी का व्यापार करें, मुनाफ़ा कमाए : How to Start Comb Business in Hindi Uncategorized
  • बाबा भीमराव अंबेडकर: संविधान के निर्माता
    बाबा भीमराव अंबेडकर: संविधान के निर्माता Biography
  • James Clerk Maxwell Biography
    James Clerk Maxwell Biography Biography
  • ★ प्रम्बानन मंदिर : जहाँ विराजे साथ ही ब्रम्हा, विष्णु, महेश
    ★ प्रम्बानन मंदिर : जहाँ विराजे साथ ही ब्रम्हा, विष्णु, महेश Tourist Place

Copyright © 2025 THE GYAN GANGA.

Powered by PressBook News WordPress theme