अर्नेस्ट रदरफोर्ड प्रसिद्ध रसायनज्ञ तथा भौतिकशास्त्री थे। उन्हें नाभिकीय भौतिकी का जनक माना जाता है। अर्नेस्ट रदरफोर्ड का जन्म 30 अगस्त 1871 को न्यूजीलैंड में हुआ था।
★ शिक्षा और शोध कार्य ★
भौतिक विज्ञान में रुचि होने और एक अच्छा छात्र होने के कारण 1894 में रदरफोर्ड को प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानी सर जे.जे.थॉमसन के अधीन शोध करने का मौका मिला, इसके लिए उन्हें छात्रवृत्ति भी मिली।
1898 में कनाडा के मैकगिल विश्वविद्यालय में वे भौतिकी के प्रोफेसर रहे और 1907 में इंग्लैंड मैनचैस्टर विश्वविद्यालय में भौतिकी के व्याख्याता।
1919 में थॉमसन की मृत्यु के बाद कैम्ब्रीज विश्वविद्यालय में अर्नेस्ट रदरफोर्ड ही भौतिकी के प्राध्यापक और निदेशक बने। भौतिक रसायन के लगभग सभी प्रयोगों में उपयोग होने वाली अल्फा, बीटा और गामा किरणों के बीच अंतर बताने वाले वैज्ञानिक अर्नेस्ट रदरफोर्ड ही थे। न्यूक्लियर फिजिक्स में अर्नेस्ट रदरफोर्ड के योगदान के लिए 1908 में उन्हें नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
अर्नेस्ट रदरफोर्ड के परमाणु संरचना के सिद्धांत से पहले पदार्थों में परमाणु की उपस्थिति का पता तो चल सका था, किन्तु परमाणु के बारे में जो जानकारी थी उसे आगे गति दी अर्नेस्ट रदरफोर्ड के किए प्रयोंगों ने।
◆ रदरफोर्ड का प्रकीर्णन परीक्षण◆
अर्नेस्ट रदरफोर्ड यह जानने के लिए उत्सुक थे कि किसी परमाणु के अंदर इलेक्ट्रॉन किस प्रकार व्यवस्थित होते हैं इसके लिए रदरफोर्ड ने एक परीक्षण की रूपरेखा बनाई इस परीक्षण में तेज गतिमान अल्फा [a]कण को पतले स्वर्ण पत्र पर कराया गया
◆ परमाणु की संरचना की जांच पड़ताल कैसे हुई ◆
1909 परमाणु की संरचना को एक नन्ही अर्ध-पारगम्य गेंद के जैसे माना जाता था जिसके आसपास नन्हा सा विद्युत आवेश होता है यह सिद्धांत उस समय के अधिकतर प्रयोगों तथा भौतिक विश्व के अनुसार सही पाया गया था। लेकिन भौतिक शास्त्र में यह जानना ही महत्वपूर्ण नहीं है कि विश्व किस तरह से संचालित होता है बल्कि यह महत्वपूर्ण है कि वह संचालन कैसे होता है 19609 अर्नेस्ट रदरफोर्ड ने उस समय प्रचलित परमाणु संरचना के सिद्धांत की रचना की जांच के लिए एक प्रयोग करने का निश्चय किया इस प्रयोग में उन्होंने इन कड़ों के अंदर देखने का ऐसा तरीका ढूंढ निकाला जो सूक्ष्मदर्शी से संभव नहीं था।
डाल्टन के बाद वैज्ञानिक थॉमसन एवं रदरफोर्ड के प्रयोग में सुधार किया उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि परमाणु अविभाज्य नहीं है बल्कि यह छोटे-छोटे आवेशित कणों पर मिलकर बना है। 18 से 95 में सब सैमसंग ने परमाणु के अंदर उन आवेशित कण की उपस्थिति प्रमाणित कि उस समय तक परमाणु के अंदर उपस्थित पूर्ण आवेशित कणों के लिए कहा गया था कि यह कारण परमाणु के अंदर बिक्री हुई अवस्था में ठीक उसी रहते हैं उसी तरह रहते हैं जैसे बूंदी के लड्डू में इलायची के दाने ।
अर्नेस्ट रदरफोर्ड का वैज्ञानिक दिमाग परमाणु के अंदर इलेक्ट्रॉन की इस तरह की व्यवस्था से संतुष्ट नहीं था संतुष्टि के लिए उन्होंने कई और प्रयोग किए परमाणु के अंदर की संरचना जानने के लिए 1911 में उन्होंने एक प्रयोग किया जिसमें उन्होंने निर्वात में स्क्रीन के सामने रखी एक स्वर्ण पन्नी मेरे कुछ अल्फा किरणों को गुजारा प्रयोग के परिणाम आश्चर्यचकित करने वाले थे परमाणु के बारे में अब तक प्रचलित सिद्धांत के अनुसार अल्फा कणों को गोल्ड पायल के पार स्क्रीन पर एक ही जगह जाकर टकराना चाहिए था किंतु रदरफोर्ड ने देखा कि कुछ अल्फा कण गोल्ड फॉयल से टकराकर भिन्न-भिन्न करो पर विचलित होकर वापस आ रहे थे और कुछ उसके पास भी निकल रहे थे रदरफोर्ड के प्रयोग ने स्पष्ट कर दिया कि परमाणु के मध्य कुछ धनात्मक भाग परमाणु का नाभिक है इतना भी अपने ही परमाणु का समस्त द्रव्यमान केंद्रित रहता है एवं इलेक्ट्रॉन इसी धनात्मक आवेश के चारों और व्यवस्थित रूप से घूमते रहते हैं
★ मृत्यु ★
रदरफोर्ड की 19 अक्टूबर 1937 को 66 साल की उम्र में मृत्यु हो गई उनकी खोज और उनके आविष्कार आज के युवाओं को प्रोत्साहित करते हैं