वैसे तो पुलिस हमारी सुरक्षा के लिए होती है लेकिन जब रक्षक ही भक्षक बन जाता है तो आपको अपने अधिकार जानना जरूरी हो जाता है. अक्सर ऐसे मौकों पर देखा गया है कि पुलिस आम नागरिकों को बेवजह परेशान करती है. इस समय किसी के लिए भी परेशान होना जायज हो जाता है. लेकिन अगर आप अपना अपने अधिकार के जानते हैं तो पुलिस भी आपको छूने से डरेगी. दरअसल कानून ने आपको कई ऐसे अधिकार दिए हुए हैं जिसके अंतर्गत पुलिस आपको गिरफ्तार नहीं कर सकती है. अगर पुलिस ने कानून तोड़ा तो खुद पुलिस पर भी कार्रवाई हो सकती है.
अगर पुलिस किसी को गैरकानूनी तरीके से गिरफ्तार करती है तो यह न सिर्फ भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी का उल्लंघन है, बल्कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 20, 21और 22 में दिए गए मौलिक अधिकारों के भी खिलाफ है. मौलिक अधिकारों के उल्लंघन पर पीड़ित पक्ष संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सीधे सुप्रीम कोर्ट जा सकता है.
★ कानून के अनुसार गिरफ्तारी कौन कर सकता है :
भारत में, सभी कानून प्रवर्तन अधिकारीगण – जैसे कि पुलिस अधिकारी, पुलिस कांस्टेबल, मजिस्ट्रेट इत्यादि द्वारा गिरफ्तारी की जा सकती है, चाहे वे इस तरह की गिरफ्तारी के कानूनी प्रावधानों के अनुसार ड्यूटी पर हो या न हो।
★ क्या पुलिस के अलावा कोई गिरफ्तारी कर सकता है :
कोई भी व्यक्ति एक घोषित अपराधी और किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है जो गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध करता है। कोई भी व्यक्ति जो किसी भी व्यक्यि को आपराधिक अपराध करते हुए देखता है और उनके पास यह विश्वास करने का एक अच्छा कारण है कि उसी व्यक्ति ने अपराध किया है, वह गिरफ्तारी कर सकता है। जैसे ही गिरफ्तारी की जाती है, गिरफ्तार व्यक्यि को किसी पुलिस अधिकारी या जज के पास ले जाना पड़ता है जो उसे हिरासत में लेता है।
★ गिरफ्तारी की प्रक्रिया क्या है :
एक गिरफ्तारी किसी वारंट के साथ या उसके बिना भी की जा सकती है। गिरफ्तारी वारंट के जारी किए जाने के बाद, गिरफ्तारी कभी भी की जा सकती है। गिरफ्तारी करने की कोई समय सीमा नहीं है। यदि जिस व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाना है, वह शब्द या कार्रवाई के माध्यम से हिरासत में जमा नहीं होता है, तो गिरफ्तार करने वाला व्यक्ति, गिरफ्तार करने के लिए उस व्यक्ति के शरीर को स्पर्श या सीमित कर सकते हैं। यदि व्यक्ति गिरफ्तारी से बचने या उसका विरोध करने की कोशिश कर रहा है तो गिरफ्तार करने वाला व्यक्ति व्यक्ति को गिरफ्तार करने के सभी संभावित साधनों का उपयोग कर सकता है। गिरफ्तारी का विरोध करना भी एक अपराध है जिसके लिए कानून के तहत सजा मिल सकती है।
सी.आर.पी.सी की धारा 75 के अनुसार, गिरफ्तारी वारंट लिखित में होना चाहिए, उसपर प्रेसीडिंग अधिकारी के हस्ताक्षर होने चाहिए, और अदालत की मुहर होनी चाहिए। वारंट में आरोपी का नाम और पता और अपराध स्पष्ट रूप से अवश्य बताया जाना चाहिए जिसके अंतर्गत गिरफ्तारी की जानी है। यदि इनमें से कोई भी जानकारी गुम हो तो वारंट को अवैध माना जाता है।
यदि आपका नाम ज्ञात नहीं है तो उस पर आपके विवरण के साथ “जॉन डो” वारंट जारी किया जाएगा। जब पुलिस गिरफ्तारी वारंट ला रही है, तो आपको इसे देखने की अनुमति दी जानी चाहिए। अगर पुलिस वारंट नहीं ला रही है, तो आपको इसे जल्द से जल्द देखने की अनुमति दी जानी चाहिए।
अगर एफ.आई.आर में किसी के नाम का उल्लेख किया गया है, तो पुलिस को ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार करने से पहले प्रारंभिक जांच करनी होगी।
किसी मामले में, जहां पुलिस मजिस्ट्रेट द्वारा जारी गिरफ्तारी वारंट निष्पादित कर रही है, उस व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिए हथकड़ी पहनाने की जरूरत नहीं है। अगर मजिस्ट्रेट का आदेश स्पष्ट रूप से ऐसा कहता है तो उसे हथकड़ी से पकड़ा जा सकता है। इसके अलावा, जिस व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है उसे शारीरिक हिंसा या असुविधा के अधीन नहीं किया जाना चाहिए जब तक कि उसे भागने से रोकने की आवश्यकता न हो।
गिरफ्तारी करते समय, पुलिस अधिकारी को अपने नाम की स्पष्ट पहचान पहनी चाहिए। गिरफ्तारी के समय, गिरफ्तारी का एक ज्ञापन तैयार किया जाना चाहिए और कम से कम एक गवाह द्वारा प्रमाणित किया जाना चाहिए और उसे गिरफ्तार किए गए व्यक्ति द्वारा काउंटरसाइन किया जाना चाहिए।
★ क्या गिरफ्तारी वारंट के बिना गिरफ्तार किया जा सकता है :
सीआरपीसी की धारा 41 के अनुसार स्थिति की मांग होने पर पुलिस वारंट के बिना भी गिरफ्तार कर सकती है। अगर पुलिस का मानना है कि किसी व्यक्ति को साक्ष्य को नष्ट करने या छेड़छाड़ करने, किसी के जीवन को खतरे में डालने से रोकने के लिए एक तेज कार्रवाई की आवश्यकता है तो वे वारंट के बिना गिरफ्तारी कर सकते हैं।
★ पीड़ित के क्या क्या है अधिकार :
1. सीआरपीसी की धारा 50 (1) के तहत पुलिस को गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को गिरफ्तारी का कारण बताना होगा.
2. किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने वाले पुलिस अधिकारी को वर्दी में होना चाहिए और उसकी नेम प्लेट में उसका नाम साफ-साफ लिखा होना चाहिए.
3. सीआरपीसी की धारा 41 बी के मुताबिक पुलिस को अरेस्ट मेमो तैयार करना होगा, जिसमें गिरफ्तार करने वाले पुलिस अधिकारी की रैंक, गिरफ्तार करने का टाइम और पुलिस अधिकारी के अतिरिक्त प्रत्यक्षदर्शी के हस्ताक्षर होंगे.
4. अरेस्ट मेमो में गिरफ्तार किए गए व्यक्ति से भी हस्ताक्षर करवाना होगा.
5. सीआरपीसी की धारा 50(A) के मुताबिक गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को अधिकार होगा कि वह अपनी गिरफ्तारी की जानकारी अपने परिवार या रिश्तेदार को दे सके. अगर गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को इस कानून के बारे में जानकारी नहीं है तो पुलिस अधिकारी को खुद इसकी जानकारी उसके परिवार वालों को देनी होगी.
6. सीआरपीसी की धारा 54 में कहा गया है कि अगर गिरफ्तार किया गया व्यक्ति मेडिकल जांच कराने की मांग करता है, तो पुलिस उसकी मेडिकल जांच कराएगी. मेडिकल जांच कराने से फायदा यह होता है कि अगर आपके शरीर में कोई चोट नहीं है तो मेडिकल जांच में इसकी पुष्टि हो जाएगी और यदि इसके बाद पुलिस कस्टडी में रहने के दौरान आपके शरीर में कोई चोट के निशान मिलते हैं तो पुलिस के खिलाफ आपके पास पक्का सबूत होगा. मेडिकल जांच होने के बाद आमतौर पर पुलिस भी गिरफ्तार किए गए व्यक्ति के साथ मारपीट नहीं करती है.
7. कानून के मुताबिक गिरफ्तार किए गए व्यक्ति की हर 48 घंटे के अंदर मेडिकल जांच होनी चाहिए.
8. सीआरपीसी की धारा 57 के तहत पुलिस किसी व्यक्ति को 24 घंटे से ज्यादा हिरासत में नहीं ले सकती है. अगर पुलिस किसी को 24 घंटे से ज्यादा हिरासत में रखना चाहती है तो उसको सीआरपीसी की धारा 56 के तहत मजिस्ट्रेट से इजाजत लेनी होगी और मजिस्ट्रेट इस संबंध में इजाजत देने का कारण भी बताएगा.
9. सीआरपीसी की धारा 41D के मुताबिक गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को यह अधिकार होगा कि वह पुलिस जांच के दौरान कभी भी अपने वकील से मिल सकता है. साथ ही वह अपने वकील और परिजनों से बातचीत कर सकता है.
10. अगर गिरफ्तार किया गया व्यक्ति गरीब है और उसके पास पैसे नहीं है तो उनको मुफ्त में कानूनी मदद दी जाएगी यानी उसको फ्री में वकील मुहैया कराया जाएगा.
11. नॉन कॉग्निजेबल ऑफेंस यानी असंज्ञेय अपराधों के मामले में गिरफ्तार किए जाने वाले व्यक्ति को गिरफ्तारी वारंट देखने का अधिकार होगा. हालांकि कॉग्निजेबल ऑफेंस यानी गंभीर अपराध के मामले में पुलिस बिना वारंट दिखाए भी गिरफ्तार कर सकती है.
12. जहां तक महिलाओं की गिरफ्तारी का संबंध है तो सीआरपीसी की धारा 46(4) कहती है कि किसी भी महिला को सूरज डूबने के बाद और सूरज निकलने से पहले गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है हालांकि अगर किसी परिस्थिति में किसी महिला को गिरफ्तार करना ही पड़ता है तो इसके पहले एरिया मजिस्ट्रेट से इजाजत लेनी होगी.
13. सीआरपीसी की धारा 46 के मुताबिक महिला को सिर्फ महिला पुलिसकर्मी ही गिरफ्तार करेगी. किसी भी महिला को पुरुष पुलिसकर्मी गिरफ्तार नहीं करेगा.
14. सीआरपीसी की धारा 55 (1) के मुताबिक गिरफ्तार किए गए व्यक्ति की सुरक्षा और स्वास्थ्य का ख्याल पुलिस और रखना होगा.