निकोलस कोपरनिकस का जन्म 19 फ़रवरी 1473 को पोलैंड मे हुआ था। निकोलस युरोपिय खगोलशास्त्री व गणितज्ञ , चिकित्सक, अनुवादक, कलाकार, न्यायाधीश, गवर्नर, सैन्य नेता और अर्थशास्त्री भी थे। कोपरनिकस के पिता एक व्यापारी थे।
★ निकोलस की पढ़ाई लिखाई ★
कोपरनिकस की शुरुआती पढ़ाई गांव के ही एक स्कूल में हुई थी। आगे की पढ़ाई निकोलस ने कार्को विश्वविद्यालय में की थी। कार्को शहर में एल्बर्ट वुडजेव्स्की नामक ज्योतिष रहते थे जिनकी छत्रछाया में रहकर ज्योतिष और गणित की पढाई की थी। यही पर रहकर निकोलस ने चित्रकला की पढ़ाई भी की थी।
इसके बाद निकोलस इटली चले गए जहाँ उन्होंने औषधि शास्त्र और ज्योतिष का गहन अध्ययन किया। रोम विश्वविद्यालय में प्राध्यापक के पद पर भी कार्यरत रहे। कोपरनिकस ने बहुत जल्द यह नौकरी छोड़ दी और ईसाई धर्म प्रचारक बन गए।
★ निकोलस की प्रमुख किताब ★
1530 में कोपरनिकस की किताब डी रिवोलूशन्स प्रकाशित हुई जिसमें उसने बताया कि पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमती हुई एक दिन में चक्कर पूरा करती है और एक साल में सूर्य का चक्कर पूरा करती है।
पुस्तक में कोपरनिकस ने बताया कि धरती ब्रह्माण्ड का केंद्र नही है। यह मॉडल हेलियोस्ट्रिसम मॉडल कहलाता है। पृथ्वी और दूसरे पिंड सूर्य का चक्कर लगा रहे है। वेसे कोपरनिकस ने सूर्य को ब्रह्माण्ड का केंद्र बताया था जो कि सत्य नही है। आधुनिक खोजो से इस बात की पुष्टि हुई कि सूर्य भी ब्रह्माण्ड का केंद्र नही है। कोपरनिकस ने यह भी बताया कि चन्द्रमा पृथ्वी का चक्कर लगाता है और पृथ्वी उसका केंद्र है। विशेष बात यह है कि कोपरनिकस ने ये निष्कर्ष बिना किसी प्रकाशिक यंत्र के उपयोग के प्राप्त किए। वह घंटों नंगी आँखों से अन्तरिक्ष को निहारता रहते थे और गणितीय गणनाओं द्वारा सही निष्कर्ष प्राप्त करने की कोशिश करते थे। बाद में गैलिलियो ने जब दूरदर्शी का आविष्कार किया तो उसके निष्कर्षों की पुष्टि हुई।
कोपरनिकस ने तारों की स्थिति ज्ञात करने के लिए प्रूटेनिक टेबिल्स की रचना की जो अन्य खगोलविदों के बीच काफी लोकप्रिय हुई।
उन्होंने मुद्रा पर शोध कर ग्रेशम के प्रसिद्ध नियम को स्थापित किया, जिसके अनुसार खराब मुद्रा अच्छी मुद्रा को चलन से बाहर कर देती है। उन्होंने मुद्रा के संख्यात्मक सिद्धांत का फार्मूला दिया। कोपरनिकस के सुझावों ने पोलैंड की सरकार को मुद्रा के स्थायित्व में सहायता प्रदान की।
★ निकोलस का निधन ★
निकोलस कोपरनिकस का निधन 24 मई , 1543 को हुआ था। कोपरनिकस का योगदान विश्व का कभी नही भुलाए जाने वाला योगदान है। कोपरनिकस ने पुरानी मान्यताओं को तोड़कर वैज्ञानिक तथ्य से ब्रह्माण्ड को समझाया था।