मदुरई भारत के राज्य तमिलनाडु का एक जिला है।संगम युग, जो की 400 BCE से 200 AD तक चला, दक्षिण भारत के इतिहास में एक ऐसा युग था जब तमिलनाडु के मदुरै शहर में उस काल के सभी महान कवि और ज्ञानियों ने वहां बहुत से महान तमिल काव्य ग्रंथों की रचना की इसके दक्षिण तथा दक्षिण-पूर्व में रामनाथपुरम, उत्तर-पूर्व में तिरुच्चिरापल्लि, उत्तर-पश्चिम में कोर्यपुत्तूर जिले तथा पश्चिम में केरल राज्य स्थित है। मदुरई को अन्य कई नामों से भी जाना जाता है जैसे “चार जंक्शनों का शहर”, “पूर्व का एथेंस”, “लोटस सिटी” और “स्लीपलेस ब्यूटी”। इनमें से प्रत्येक नाम शहर की विशेषता को प्रदर्शित करता है। इस शहर को लोटस सिटी कहा जाता है क्योंकि यह शहर कमल के आकार में बना हुआ है। इस शहर को “स्लीपलेस ब्यूटी” भी कहा जाता है क्योंकि इस शहर में 24X7 काम करने की संस्कृति है।
मदुरई अपने प्राचीन हिंदू मंदिरों के लिये विश्व प्रसिद्ध है।
मदुरै, तमिलनाडु का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। मदुरै शहर में अनेक भव्य मंदिर स्थापित हैं जिनके कारण इसे दक्षिण भारत का टेंपल सिटी कहा जाता है। वैगई नदी के तट पर स्थित मदुरै शहर में पांडव राजवंशों का शासन रहा है।
मदुरै में आकर्षक स्थान
मदुरई शहर विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों की उपस्थिति के लिए जाना जाता है। विभिन्न धर्मों के अवशेष इसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थान बनाते हैं। मीनाक्षी सुंदरेश्वर मंदिर, गोरिपलायम दरगाह और सेंट मेरीज़ कैथेड्रल यहाँ के प्रमुख प्रसिद्ध धार्मिक स्थान है। गाँधी म्यूज़ियम (संग्रहालय), कूडल अल्ज़गर मंदिर, कज़ीमार मस्जिद, तिरुमलाई नयक्कर पैलेस, वंदीयुर मारियाम्मन तेप्पाकुलम, तिरुपरंकुन्द्रम, पज्हामुदिरचोलाई, अलगर कोविल, वैगई बाँध और अथिसायम थीम पार्क की सैर अवश्य करनी चाहिए।
मदुरई का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार चिथिरई त्योहार है जो अप्रैल और मई के महीने में मनाया जाता है। यह त्योहार मीनाक्षी मंदिर में मनाया जाता है तथा इस दौरान यहाँ हजारों की संख्या में भक्त आते हैं। इस त्योहार में कई अनुष्ठान किये जाते हैं जिसमें देवी का राज्याभिषेक, रथ उत्सव तथा देवताओं का विवाह शामिल हैं। इस उत्सव की समाप्ति भगवान विष्णु के अवतार भगवान कल्लाज्हगा को मंदिर में वापस लाने से होती हैं।
थेप्पोरचवं त्योहार जनवरी और फरवरी के महीने में मनाया जाता है तथा सितंबर में मनाया जाने वाला त्योहार अवनिमूलम मदुरई में मनाये जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है। जल्लीकट्टू एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक खेल है जो मदुरई में मनाये जाने वाले पोंगल त्योहार का एक भाग है तथा यह त्योहार हजारों पर्यटकों को मदुरई की ओर आकर्षित करता है। सिल्क की साड़ियों, लकड़ी की नक्काशी से बनी वस्तुओं, खादी कॉटन तथा मूर्तियों की शॉपिंग के बिना मदुरई की सैर अधूरी है।
मीनाक्षी सुंदरेश्वर मंदिर–
मीनाक्षी सुंदरेश्वर मंदिर, भारत में सबसे बड़े मंदिरों में से एक माना जाता है। मूल मीनाक्षी सुंदरेश्वर मंदिर का निर्माण पांड्या राजाकुल से करन द्वारा करवाया गया था,परन्तु इस वर्तमान मंदिर का पुनर्निर्माण तिरुमलई नायक के द्वारा करवाया गया था। इस मंदिर में हजार स्तंभ मौजूद हैं इसलिए विश्व में यह मंदिर हजार स्तंभों के लिए प्रसिद्ध है। इस मन्दिर की वास्तुशिल्प व अभियांत्रिक को एक आश्चर्यचकित कर देने वाला चमत्कार कहा जाता है।मां मीनाक्षी देवी का यह मंदिर विश्व के 7 अजूबों में से एक है।
तिरुमलई नायक पैलेस: इंडो-सरैसेनिक शैली में निर्मित, यह राष्ट्रीय स्मारक आगंतुकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इसकी छत और गुंबदों पर की गई नक्काशी वास्तव में अद्भुत लगती है।
थिरुपरंकुन्द्रम:सभी धर्मों के भक्तों को आकर्षित करने वाला यह मंदिर समय के साथ धार्मिक सद्भाव का प्रतीक बन गया है। यह एक ऐसा स्थान माना जाता है जहाँ भगवान मुरुगन ने देवियाई से विवाह किया था। इस मंदिर के पास एक इस्लामी दरगाह भी स्थित है, जो मदुरै में लोगों के बीच समान रूप से लोकप्रिय है।
इतिहास की एक झलक
मदुरै एक समय में तमिल शिक्षा का मुख्य केंद्र था और आज भी यहां शुद्ध तमिल बोली जाती था । यहाँ शिक्षा का प्रबंध उत्तम था। यह नगर जिले का व्यापारिक, औद्योगिक तथा धार्मिक केंद्र था। उद्योगों में सूत कातने, रँगने, मलमल बुनने, लकड़ी पर खुदाई का काम तथा पीतल का काम होता था । । यह भारतीय प्रायद्वीप के प्राचीनतम बसे शहरों में से एक है। इस शहर को अपने प्राचीन मंदिरों के लिये जाना जाता है। इस शहर को कई अन्य नामों से बुलाते हैं, जैसे कूडल मानगर, तुंगानगर (कभी ना सोने वाली नगरी), मल्लिगई मानगर (मोगरे की नगरी) था पूर्व का एथेंस। यह वैगई नदी के किनारे स्थित है। यह स्थान तमिल नाडु राज्य का एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और व्यावसायिक केंद्र है। यहां का मुख्य आकर्षण मीनाक्षी मंदिर है जिसके ऊंचे गोपुरम और दुर्लभ मूर्तिशिल्प श्रद्धालुओं और सैलानियों को आकर्षित करते हैं। इस कारणं इसे मंदिरों का शहर भी कहते हैं।
मदुरई का इतिहास ईसा पूर्व 1780 का है जब शहर में तमिल संगम आयोजित किये जाते थे। मैग्स्थ्नीज़ तथा अर्थशास्त्री कौटिल्य के अनेक उत्कृष्ट कार्यों में इस शहर का उल्लेख मिलता है। 6 वीं शताब्दी तक इस शहर पर कालाभरस ने शासन किया।
कालाभरस के पश्चात इस शहर ने कई राजवंशों का उत्थान और पतन देखा जैसे पूर्व पांड्य, पश्चात पांड्य, मध्यकालीन चोल, मदुरई सल्तनत, मदुरई नायक्स, चंदा साहिब, विजयनगर साम्राज्य, कर्नाटिक राज और ब्रिटिश राज। यह शहर 1981 में मद्रास प्रेसीडेंसी के के एक भाग के रूप में ब्रिटिश लोगों के अधीन आया। भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में इस शहर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
विभिन्न नेता जैसे एनएमआर सुब्रमण, मीर इब्राहीम साहिब तथा मोहम्मद इस्माईल साहिब मदुरई शहर में रहते थे। वास्तव में इस शहर के खेतिहर मजदूरों ने ही महात्मा गांधी को पतलून त्यागने तथा धोती पहनने के लिए प्रेरित किया था।