क़ासिम सोलेमानी
जन्म: 11 मार्च 1957, क़नात-ए मालेक, करमान, ईरान
निधन: 3 जनवरी 2020, बगदाद, इराक
राष्ट्रीयता: ईरानी
बच्चे: मोहम्मदरेज़ा सोलेमानी, ज़िनाब सोलेमानी
उपनाम: जनरल, सरदार सोलीमणि, हज कासेम
माता-पिता: हसन सोलेमानी, फतेहिम सोलेमानी
जिसे क़ाएलीम सुलेमानी या कासिम सोलेमानी के रूप में भी जाना जाता है, इस्लामी क्रांतिकारी गार्ड कोर में प्रमुख ईरानी सेनापति थे तथा कुड़स (quds ,) एक डिवीजन में मुख्य रूप से एक्सट्रैटरटोरियल मिलिट्री और क्लैंडस्टाइन ऑपरेशन के लिए जिम्मेदार थे
जनरल सुलेमानी भले ही ईरान के एक बड़े सैन्यकर्मी और उभरते हुए नेता थे, अमरीका ने उन्हें और उनकी क़ुद्स फ़ोर्स को सैकड़ों अमरीकी नागरिकों की मौत का ज़िम्मेदार क़रार देते हुए ‘आतंकवादी’ घोषित कर रखा था। अब आपको ये भी बता देते है की The Quds क्या है ?
द क्वॉड्स फोर्स ईरान की इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) में एक इकाई है जो अपरंपरागत युद्ध और सैन्य खुफिया अभियानों में विशेषज्ञता रखती है। अमेरिकी सेना के इराक युद्ध के जनरल स्टैनली मैकक क्रिस्टल ने संयुक्त राज्य अमेरिका में सीआईए और संयुक्त विशेष संचालन कमान (जेएसओसी) के संयोजन के लिए क्वैड फोर्स को लगभग एक संगठन के रूप में वर्णित किया है।अलौकिक संचालन के लिए जिम्मेदार,चौकसी सेना कई देशों में गैर-राज्य अभिनेताओं का समर्थन करती है, जिसमें गाजा पट्टी में लेबनानी हिजबुल्लाह, हमास और फिलिस्तीनी इस्लामी जिहाद और वेस्ट बैंक, यमनी हौथिस, और इराक,अफगानिस्तान, सीरिया और शिया मिलिशिया में शामिल हैं।
ईरान में शाह के पतन के बाद ईरान में नई हुकूमत आई तो सरकार को लगा कि उन्हें एक ऐसी फ़ौज की ज़रूरत है जो नए निज़ाम और क्रांति के मक़सद की हिफ़ाज़त कर सके।
ईरान के मौलवियों ने एक नए क़ानून का मसौदा तैयार किया जिसमें नियमित सेना को देश की सरहद और आंतरिक सुरक्षा का ज़िम्मा दिया गया और रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स को निज़ाम की हिफ़ाज़त का काम दिया गया।
लेकिन ज़मीन पर दोनों सेनाएं एक दूसरे के रास्ते में आती रही हैं। उदाहरण के लिए रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स क़ानून और व्यवस्था लागू करने में भी मदद करती हैं और सेना, नौसेना और वायुसेना को लगातार उसका सहारा मिलता रहा है।
वक्त के साथ-साथ रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स ईरान की फ़ौजी, सियासी और आर्थिक ताक़त बन गई।
द क्वॉड्स फोर्स को कनाडा, सऊदी अरब, बहरीन और संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा एक आतंकवादी संगठन माना जाता है।
विश्लेषकों का अनुमान है कि Quds के 10,000-20,000 सदस्य हैं।द क्वॉड्स फोर्स सीधे ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला खामेनी को रिपोर्ट करती है क़ासिम सोलेमानी ईरान की एक ख़ास शख़्सियत थे जिनकी क़ुद्स फ़ोर्स सीधे देश के सर्वोच्च नेता आयतोल्लाह अली ख़ामनेई को रिपोर्ट करती है। सुलेमानी की पहचान देश के वीर के रूप में थी। ख़ामनेई से उन्हें ‘अमर शहीद’ का ख़िताब दिया है।उनकी एक बड़ी सफलता यह थी कि उन्होंने यमन से लेकर सीरिया तक और इराक़ से लेकर दूसरे मुल्कों तक रिश्तों का एक मज़बूत नेटवर्क तैयार किया ताकि इन देशों में ईरान का असर बढ़ाया जा सके| ईरान के दक्षिण-पश्चिम प्रांत किरमान के एक ग़रीब परिवार से आने वाले सुलेमानी ने 13 साल की आयु से अपने परिवार के भरण पोषण में लग गए। अपने ख़ाली समय में वे वेटलिफ्टिंग करते और ख़ामनेई की बातें सुनते थे।फॉरेन पॉलिसी पत्रिका के मुताबिक़ सुलेमानी 1979 में ईरान की सेना में शामिल हुए और महज़ छह हफ़्ते की ट्रेनिंग के बाद पश्चिम अज़रबाइजान के एक संघर्ष में शामिल हुए थे।इराक़-ईरान युद्ध के दौरान इराक़ की सीमाओं पर अपने नेतृत्व की वजह से वे राष्ट्रीय हीरो के तौर पर उभरे थे।
सुलेमानी ने इराक़ और सीरिया में इस्लामिक स्टेट के मुक़ाबले कुर्द लड़ाकों और शिया मिलिशिया को एकजुट करने का काम किया।
हिज़बुल्लाह और हमास के साथ-साथ सीरिया की बशर अल-असद सरकार को भी सुलेमानी का समर्थन प्राप्त था।
दूसरी तरफ़ सुलेमानी को अमरीका अपने सबसे बड़े दुश्मनों में से एक मानता था। अमरीका ने क़ुद्स फ़ोर्स को 25 अक्तूबर 2007 को ही आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया था और इस संगठन के साथ किसी भी अमरीकी के लेनदेन किए जाने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया।
23 अक्तूबर 2018 को सऊदी अरब और बहरीन ने ईरान की रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स को आतंकवादी और इसकी क़ुद्स फ़ोर्स के प्रमुख क़ासिम सुलेमानी को आतंकवादी घोषित किया था। सद्दाम हुसैन के साम्राज्य के पतन के बाद 2005 में इराक़ की नई सरकार के गठन के बाद से प्रधानमंत्रियों इब्राहिम अल-जाफ़री और नोउरी अल-मलिकि के कार्यकाल के दौरान वहां की राजनीति में सुलेमानी का प्रभाव बढ़ता गया। उसी दौरान वहां की शिया समर्थित बद्र संगठन को सरकार का हिस्सा बना दिया गया। बद्र संगठन को इराक़ में ईरान की सबसे पुरानी प्रॉक्सी फ़ोर्स कहा जाता है।2011 में जब सीरिया में गृहयुद्ध छिड़ा तो सुलेमानी ने इराक़ के अपने इसी प्रॉक्सी फ़ोर्स को असद सरकार की मदद करने को कहा था जबकि अमरीका बशर अल-असद की सरकार को वहां से उखाड़ फेंकना चाहता था।
ईरान पर अमरीकी प्रतिबंध और सऊदी अरब, यूएई और इसराइल की तरफ़ से दबाव किसी से छुपा नहीं है। और इतने सारे अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच अपने देश का प्रभाव बढ़ाने या यूं कहें कि बरक़रार रखने में जनरल क़ासिम सुलेमानी की भूमिका बेहद अहम थी और यही वजह थी कि वो अमरीका, सऊदी और इसराइल की तिकड़ी की नज़रों में चढ़ गए थे। अमरीका ने तो उन्हें आतंकवादी भी घोषित कर रखा था।
ईरान की क़ुद्स फ़ोर्स के प्रमुख जनरल क़ासिम सुलेमानी बग़दाद इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर हवाई हमले में मारे गए. इस हमले की ज़िम्मेदारी अमरीकी ने ली है. इस हमले में कताइब हिज़बुल्लाह के कमांडर अबू महदी अल-मुहांदिस भी मारे गए.
अमरीकी रक्षा विभाग की तरफ से बयान में कहा गया है कि “अमरीकी राष्ट्रपति के निर्देश पर विदेश में रह रहे अमरीकी सैन्यकर्मियों की रक्षा के लिए क़ासिम सुलेमानी को मारने का कदम उठाया गया है. अमरीका ने उन्हें आतंकवादी घोषित कर रखा था.”
इस बयान में कहा गया है कि “सोलेमानी बीते 27 दिसंबर समेत, कई महीनों से इराक़ स्थित अमरीकी सैन्य ठिकानों पर हमलों को अंजाम देने में शामिल रहे हैं. इसके अलावा बीते हफ़्ते अमरीकी दूतावास पर हुए हमले को भी उन्होंने अपनी स्वीकृति दी थी.”
बयान के अंत में कहा गया कि, “यह एयरस्ट्राइक भविष्य में ईरानी हमले की योजनाओं को रोकने के उद्देश्य से किया गया. अमरीका, चाहे जहां भी हो, अपने नागरिकों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कार्रवाई को करना जारी रखेगा.”
अमरीकी मीडिया रिपोर्ट में कहा गया कि जनरल सुलेमानी और ईरान समर्थित मिलिशिया के अधिकारी दो कार में बगदाद एयरपोर्ट जा रहे थे तभी एक कार्गो इलाके में अमरीकी ड्रोन ने उन पर हमला कर दिया.
इस काफिले पर कई मिसाइलें दागी गईं. बताया गया कि कम से कम पांच लोगों की इसमें मौत हो गई है.
उनके मौत की पुष्टि ईरान की रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स ने भी कर दी है.