भारत एक विशाल देश है जहां पर अलग-अलग तरह की संस्कृतियां हैं। वैसे ही भारत देश में एक जगह है जिसका नाम खजुराहो है। खजुराहो मध्य प्रदेश की एक बहुत ही प्रचलित जगह है. इसके इतने प्रचलित होने का कारण है, यहाँ के मंदिर. झाँसी से करीब 175 km दूर हिन्दुओं और जैन मंदिरों का समूह है, जो खजुराहो समूह के नाम से प्रचलित है। खजुराहो में हिन्दू और जैन धर्म के मंदिरों का सबसे बड़ा समूह है। दुनिया के सबसे खूबसूरत सबसे प्रसिद्द और ऐतिहासिक विरासतों में से एक है। मुख्य तौर पर अपनी वास्तु विशेषज्ञता, बारीक़ नक्काशियों और कामुक मूर्तियों के लिए जाना जाने वाली यह रचना यूनेस्को द्वारा वैश्विक धरोहर की सूचि में भी शामिल है।
★ किसने करवाया इसका निर्माण :-
अधिकतर खजुराहो के मंदिरों का निर्माण वर्ष 950 और 1050 में चंदेला साम्राज्य में हुआ था. इतिहासकारों के अनुसार 12वीं शताब्दी में करीब 85 मंदिर थे और करीब 20 km वर्ग के दायरे में फैले हुए थे. परन्तु प्राकृतिक आपदाओं के कारण अब केवल 20 मंदिर ही बचे हैं और कुल 6 km तक ही फैले हुए हैं. इन सभी मंदिरों में से कंदरिया मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध है.
★ खजुराहो का मंदिर का रहस्य :-
अपनी अद्दभुत कलाकृतियों तथा कामोत्तेजक मोर्तियों के लिए विश्व प्रसिद्ध है. खजुराहो का मंदिर में शिल्पकला का ऐसा प्रदर्शन किया गया है कि कोई भी व्यक्ति देख कर हैरान हो जायेगा की आखिर ऐसी शिल्पकला इस ढंग से कोण प्रदर्शित कर सकता है.
मूर्तियाँ ही नहीं बल्कि पूरे मंदिर में कलात्मक कार्य देखने को मिलता है. मंदिर के अंदर और बाहरी भागों पर करीब दस प्रतिशत कार्य कामोत्तेजक कलाकृतियों का किया गया है. मंदिरों की लम्बी लम्बी दीवारों पर भी छोटी छोटी कामोत्तेजक कलाकृतियां बनायीं गयी है.
परन्तु अकल्पनीय शिल्पकला और कामोत्तेजक मूर्तिकला होने के साथ सभी के मन में एक प्रश्न है की आखिर ऐसी मूर्तियाँ किसने और क्यों बनायीं हैं. कुछ विद्वानों का मानना है कि यह कामोत्तेजक मूर्तियाँ या कामुक कला हिन्दू परंपरा का ही भाग है जो मनुष्य के लिए जरुरी है. तथा कुछ विद्वानों का मानना है कि प्राचीन काल में यहाँ पर कामुकता का अभ्यास हुआ करता था. खजुराहो के मंदिरों की ख़ास बात यह है कि इन मूर्तिओं के द्वारा जो कामुक कला के आसन यहाँ दर्शाए गए हैं. स्त्री और पुरुषों की मूर्तिओं के मुख पर एक अलौकिक आनंद दिखाई देता है, और उनको देखकर किसी प्रकार की अश्लीलता का भाव नहीं आता. देखने में यह मंदिर और इनी शिल्पकला और कामोत्तेजक मूर्ती कला इतनी भव्य और प्रभावशाली है कि खजुराहो का मंदिर को विश्व धरोहर में शामिल किया गया है। आप इन आकर्षक मूर्तियों को यहाँ की दीवारों, खम्भों आदि में देख पाएंगे। मूर्तियों के चित्रित चरित्र हमें सांसारिक सुख के बारे में काफी कुछ बयां करते हैं। लेकिन आप यह मत सोचियेगा की यहाँ सिर्फ इन मूर्तियों का ही चित्रण हुआ है, इनके अलावा यहाँ कई ऐसी मूर्तियां भी उकेरी गई हैं जो हमारे रोज़ाना की ज़िन्दगी की कहानियों को उल्लेखित करती हैं। कई शोधकर्ताओं और विद्वानों के अनुसार इन मूर्तियों को यहाँ चित्रित करने का एक मुख्य उद्देश्य यह है कि, जो भी मंदिर के अंदर प्रवेश करे वो अपने सारी विलासिताओं से भरे मन को बाहर छोड़ साफ़ मन से प्रवेश करे। और इन विलासिताओं से छुटकारा पाने के लिए ज़रूरी है इनका अनुभव करना। इसलिए इन मूर्तियों का चित्रण सिर्फ मंदिर की बाहरी दीवारों पर किया गया है।
★ पूरी विश्व में रहस्य बनी हुई हैं नृत्य करती हुई ये मूर्तियां :-
मंदिरों में बनी कामुक मूर्तियों को केवल बाहरी दीवारों पर ही बनाया गया है। अपनी कामुक, सम्भोगरत और नग्न मूर्तियों के कारण ये विश्व प्रसिद्ध है। हर साल यहां पर लाखों सैलानी घूमने के लिए आते हैं। मंदिरों में बनाई गई कामुक मूर्तियों का निर्माण इतनी बेतरी से किया गया है जिनको देखने के बाद भी किसी के मन में बुरे ख्यालात नहीं आते हैं। मूर्तियों में इतनी खूबसूरती है कि ये लोगों को ध्यान खींच लेती हैं। यहां पर घूमने आने वाले सैलानियों के मन में कई बार ये ख्याल आता है कि इन मूर्तियों को क्यों बनाया गया है। इस बात का उत्तर अलग-अलग विश्लेषकों के अनुसार अलग-अलग है। सबने इस बारे में अपनी अलग-अलग राय दी है। मुख्य रूप से चार मान्यताएं हैं, जो सही मानी जाती हैं।
★ पहली मान्यता :-
वहीं दूसरी ओर कुछ विश्लेषक ये भी मानते हैं कि प्राचीन काल में लोगों के सेक्स की शिक्षा देने की दृष्टि से भी इनका निर्माण किया गया है। ऐसा भी मानना है कि इन कामुक आकृतियों को देखने के बाद लोगों को संभोग करने की सही शिक्षा मिलेगी। ऐसा इसलिए भी किया गया क्योंकि प्राचीन काल में मंदिर ही एक ऐसा स्थान था, जहां लगभग सभी लोग जाते थे। इसीलिए संभोग की सही शिक्षा देने के लिए मंदिरों को ही उपयुक्त स्थान माना जाता था।
★ दूसरी मान्यता :-
मंदिरो में कामुक मूर्तियों के बनाये जाने के पीछे कुछ विश्लेषकों का यह मानना है कि प्राचीन काल में राजा-महाराजा भोग-विलासिता में अधिक लिप्त रहते थे। वे काफी उत्तेजित रहते थे। यही कारण है कि खजुराहो मंदिर के बाहर नग्न एवं संभोग की मुद्रा में विभिन्न मूर्तियां बनाई गई हैं। ये मूर्तियां बहुत ही सुंदरता के साथ बनाई गई हैं।
★ तीसरी मान्यता :-
वहीं कुछ और विश्लेषकों का मानना है कि मरने के बाद मोक्ष पाने के लिए हर इंसान को चार रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है- धर्म, अर्थ, योग और काम। इसी दृष्टि से मंदिर के बाहर नग्न मूर्तियां लगाई गई हैं। क्योंकि यही काम है और इसके बाद सिर्फ और सिर्फ भगवान का शरण ही मिलता है। इसी कारण इसे देखने के बाद भगवान के शरण में जाने की कल्पना की गई।
★ चौथी मान्यता :-
मंदिरों में बनी इन कामुक मूर्तियों के पीछे हिंदू धर्म की रक्षा की बात बताई गई है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि जब खजुराहो के मंदिरों का निर्माण हुआ, तब बौद्ध धर्म का प्रसार काफी तेजी के साथ हो रहा था। चंदेल शासकों ने हिंदू धर्म के अस्तित्व को बचाने का प्रयास किया और इसके लिए उन्होंने इसी मार्ग का सहारा लिया। उनके अनुसार प्राचीन समय में ऐसा माना जाता था कि सेक्स की तरफ हर कोई खिंचा चला आता है। इसीलिए यदि मंदिर के बाहर नग्न एवं संभोग की मुद्रा में मूर्तियां लगाई जाएंगी, तो लोग इसे देखने मंदिर आएंगे। फिर अंदर भगवान का दर्शन करने जाएंगे। इससे हिंदू धर्म को बढ़ावा मिलेगा। इसलिए भी इन मूर्तियों को लोग बहुत मानते हैं।
● खुजराहों में देवी-देवताओं को समर्पित हैं कई मंदिर –
नंदी मंदिर – अपनी आर्कषित और मनमोहक कलाकृतियों के लिए प्रसिद्ध खजुराहो का यह प्रसिद्ध मंदिर शिव वाहक नंदी को समर्पित है, जिसकी लंबाई कुल 2.20 मीटर है, और इसमें 12 खंभे बने हुए हैं। यह प्रसिद्ध मंदिर विश्वनाथ मंदिर के आकृति के सामान है।
पार्वती मंदिर – वर्ल्ड हेरिटेज साईट में शामिल खजुराहो के मंदिर के अंदर माता पार्वती को समर्पित खूबसूरत मंदिर बना हुआ है, इस मंदिर में देवी गंगा भी विराजमान है।
सूर्य मंदिर – अपनी विशेष कलाकृति के लिए मशहूर इस प्रसिद्द खजुराहो के मंदिर के अंदर भगवान सूर्य को समर्पित चित्रगुप्त का मंदिर बना हुआ है, जिसमें भगवान सूर्य की एक बेहद आर्कषक करीब 7 फीट ऊंची मूर्ती रखी गई है, जो कि 7 घोड़े वाले रथ को चलाती हुई प्रतीत होती है।
विश्वनाथ मंदिर – मध्यप्रदेश राज्य के छतरपुर के पास स्थित भारत के इस प्रसिद्ध और भव्य मंदिर के अंदर भगवान शंकर जी को समर्पित विश्वनाथ जी का मंदिर बना हुआ है, जो कि यहां बने सर्वश्रेष्ठ मंदिरों में से एक हैं।
कंदरिया महादेव मंदिर – करीब 31 मीटर ऊंचे बने खजुराहों का यह कंदरिया महादेव मंदिर खुजराहों के मंदिरों में सबसे विशाल और भव्य मंदिर है, जो कि भगवान शिव जी को समर्पित है, इस मंदिर में कामुकता को दर्शाती हुईं करीब 872 मूर्तियां हैं, और प्रत्येक मूर्ति की ऊंचाई करीब 1 मीटर है।
लक्ष्मण मंदिर – दुनिया के इस भव्य मंदिर के अंदर पर लक्ष्मण मंदिर काफी प्रसिद्ध है, इसके रामचंद्र चतुर्भुज मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित ऐसा मंदिर है, जो कि चंदेल वंश के शासकों के समय में बनाया गया था।
देवी जगदंबा मंदिर – कुंडलीदार और बेहद जटिल रचना के आकार में बने इस विश्व प्रसिद्ध खजुराहो के अंदर के अंदर देवी जगदंबा का मंदिर है, जो कि कंदरिया महादेव के उत्तर की तरफ बना हुआ है। जो कि कामुक मूर्तियों के लिए प्रसिद्द है।
चौंसठ योगिनी मंदिर – खजुराहों यह मंदिर 64 योगिनियों को समर्पित सबसे प्राचीन मंदिर है। जिसका निर्माण ग्रेनाइट के सुंदर पत्थरों से किया गया है।
मंतगेश्वर मंदिर – मंतगेश्वर मंदिर, खजुराहों का सबसे प्राचीन मंदिर है, जिसका निर्माण राजा हर्षवर्मन द्धारा करीब 920 ईसवी में करवाया गया था, इसके बाद इस मंदिर में 2.5 मीटर का शिवलिंग भी मौजूद है, जहां अभी भी पूजा-अर्चना की जाती है। इस मंदिरों के अलावा यहां वराह एवं लक्ष्मी का मंदिर भी बना हुआ है।
वहीं पूर्वी समूह के मंदिरों में वामन, विष्णु के वामन अवतार को समर्पित वामन, जैन, जावरी मंदिर स्थित हैं, जबकि दक्षिण समूह के मंदिरों में चतुर्भुज, दूल्हादेव आदि प्रसिद्ध हैं। इसके साथ ही यहां लाइट एवं साउंड शो भी होता है।
● खजुराहों के मंदिर के निर्माण से जुड़ी कथा – अपनी अद्भुत कलाकृतियों और कामोत्तक मूर्तियों के लिए विश्व भर में प्रसिद्द यह खजुराहो के मंदिर के निर्माण से लेकर एक पौराणिक कथा जुड़ी हुई है, जिसके मुताबिक काशी के प्रसिद्द ब्राहा्ण की पुत्री हेमावती, जो कि बेहद खूबसूरत थी।
एक दिन नदी में स्नान कर रही थी, तभी चन्द्रदेव यानि कि चन्द्रमा की नजर उन पर पड़ी और वे उनकी खूबसूरती को देखकर उन पर लट्टू हो गए और हेमवती को अपना बनाने की जिद में वे वेश बदलकर उसके पास गए और उन्होंने हेमवती का अपहरण कर लिया।
जिसके बाद दोनों को एक-दूसरे से प्रेम हो गया और फिर दोनों को चन्द्रवर्मन नाम का एक बेटा हुआ, जो कि बाद में एक वीर शासक बना और उसने चंदेल वंश की नींव रखी। हेमवती ने चन्द्रवर्मन का पालन-पोषण जंगलों में किया था, वह अपने पुत्र को एक ऐसे शासक के रुप में देखना चाहती थी, जिसके कामों से उसका सिर गर्व से ऊंचा उठे। वहीं अपनी माता के इच्छानुसार चन्द्रवर्मन एक साहसी और तेजस्वी राजा बना, जिसने मध्यप्रदेश के छतरपुर के पास स्थित खजुराहो में 85 बेहद खूबसूरत और भव्य मंदिरों का निर्माण करवाया, जो कि अपने आर्कषण की वजह से आज भी पूरे विश्व भर में जाने जाते हैं।
खजुराहों के मंदिर की अद्भुत कलाकृतियां अपने आप में अनूठी और अद्धितीय है। वहीं इन मंदिरों के दीवार पर बनाई गईं कुछ कामोत्तेजक कलाकृतियां काफी शानदार है, जिसकी वजह से खजुराहो के मंदिर प्रमुख पर्यटन स्थल में शामिल किए गया, जिसे देखने दुनिया के कोने-कोने से लोग आते हैं।
● खजुराहो मंदिर का निर्माण कब करवाया गया – अपनी अद्भुत कलाकृतियों और कामोत्तक मूर्तियों के लिए विश्व भर में प्रसिद्द खजुराहों में इन बेहद शानदार मंदिरों का निर्माण चंदेला साम्राज्य के समय 950 और 1050 ईसवी के बीच में राजा चंद्रवर्मन ने करवाया था। यहां हिन्दू और जैन धर्म के मंदिरों का समूह है। खजुराहों के मंदिरों में महादेव जी को समर्पित एक कंदरिया महादेव जी का मंदिर सबसे ज्यादा प्रसिद्ध और भव्य मंदिर है।