20 साल पहले यानी 1999 में 26 जुलाई के दिन भारतीय सेना ने पाकिस्तान के खिलाफ कारगिल युद्ध में विजयी हासिल कर ली थी। हर साल 26 जुलाई को ‘कारगिल विजय दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। युद्ध की शुरूआत पाकिस्तान ने की थी, 3 मई 1999 को युद्ध शुरू हुआ था और भारत ने युद्ध का अंत 26 जुलाई 1999 को करीब 3 महीनें बाद किया।
★भारत ने खोए थे 527 वीर :- भारतीय सेना ने कारगिल में करीब 18 हजार फीट की ऊंचाई पर पाकिस्तानी सेना को मात देकर अपना तिरंगा लहराया था। युद्ध में भारत व पाकिस्तान दोनों तरफ के जवानों की शहादत हुई। भारत ने करीब 527 सैनिकों को खोया और 1300 से ज्यादा सैनिक घायल हुए, जबकि पाकिस्तान के अनुसार उनके 357 सैनिक इस युद्ध में मारे गए थे। वहीं 665 से ज्यादा सैनिक घायल हुए थे। इसकी जानकारी पाकिस्तानी सेना की वेबसाइट ने दिया था।
★ मिग-27 व मिग-29 के जरिए भारत ने किया युद्ध का आगाज :- भारतीय सेना ने इस बात की जानकारी जब सरकार को दी तो सेना को पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ने का आदेश दिया गया। इस दौरान सेना ने ऑपरेशन विजय के तहत कार्रवाई की। भारतीय वायुसेना की ओर से पाकिस्तान को खदेड़ने के लिए मिग-27 (Mig-27) व मिग-29 (Mig-29) का इस्तेमाल किया गया। इस अभियान में लेफ्टिनेंट नचिकेता को पाकिस्तान ने बंदी बना लिया। पाकिस्तान ने जहां कब्जा किया था, उन ठिकानों पर भारतीय वायुसेना ने बमबारी किया। इस दौरान आर-77 मिसाइलों के जरिए हमला किया गया। पाकिस्तान ने भारतीय विमान मिग-17 को मार गिराया था, जिसमें हमारे 4 फौजी शहीद हो गए थे।
★ कारगिल युद्ध का घटनाक्रम :-
– 3 मई को एक कश्मीरी चरवाहे ने भारतीय सेना को बताया कि पाकिस्तानी सेना ने कारगिल पर कब्जा कर लिया है।
– 5 मई को भारतीय सेना जब पेट्रोलिंग करने गई तो उन्हें पकड़ लिया गया व 5 जवानों की हत्या कर दी गई।
– 27 मई को भारतीय वायुसेना की ओर से पाकिस्तान को खदेड़ने के लिए मिग-27 व मिग-29 का इस्तेमाल किया गया।
– 5 जून को भारतीय सेना ने पाक रेंजर्स द्वारा कब्जा किए जानें की सूचना भारतीय मीडिया को दी। भारत के अखबारों में यह खबर तहलका मचा दी।
– 6 जून से भारतीय सेना ने पूरी ताकत से पाकिस्तान पर हमला करने का मन बना लिया। 9 जून को बाल्टिक की 2 चौकियों पर भारत ने तिरंगा फहराया।
– 11 जून को भारत ने जनरल परवेज मुशर्रफ व पाकिस्तानी सेना के अध्यक्ष जनरल अजीज खान के बातचीत का आडियो रिकॉर्डिंग पूरी दुनिया के सामने जारी किया और बताया कि इस नापाक हरकत में पाक आर्मी का ही हाथ है।
– 13 जून को भारतीय सेना ने द्रास सेक्टर में तोलिंग पोस्ट पर पाकिस्तानी सेना को खदेड़कर तिरंगा फहराया।
– 15 जून को भारत-पाकिस्तान के युद्ध में अमेरिका को हस्तक्षेप करना पड़ा। अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने परवेज मुशर्रफ से फोन पर कहा कि अपनी सेना को कारगिल सेक्टर से जल्दी से हटा दें।
– 29 जून को भारतीय सेना के सूरवीरों ने टाइगर हिल के पास की दो पोस्ट पर फिर से तिरंगा लहराया। ये पोस्ट भारतीय नजरिए से महत्वपूर्ण थी इसीलिए इसे जल्दी कब्जा किया गया। इन दोनों पोस्ट का नाम है 5060 व 5100 ।
– भारतीय सेना ने पाकिस्तान का मनोबल तोड़ कर रख दिया था। 2 जुलाई के दिन भारतीय सेना के जवानों ने कारगिल को तीनों तरफ से घेर लिया। दोनों देशों के तरफ से खूब गोलीबारी, बमबारी हुई। सैनिक भी शहीद हुए। हालांकि अंततः टाइगर हिल पर भारत ने तिरंगा लहराया। भारत ने धीरे-धीरे सभी पोस्टों पर कब्जा जमा लिया और अमेरिका को इस बात की सूचना दी।
– तत्कालिन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई ने देश की जनता से ऑपरेशन विजय की जीत की घोषणा की। बाद में जवानों की शहादत के याद के तौर पर 26 जुलाई को हर साल कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाने का घोषणा किए।
★ द्वितीय विश्व युद्ध के बाद का सबसे भयावह युद्ध :- द्वितीय विश्व युद्ध के बाद कारगिल युद्ध को ही इतिहास का सबसे भयावह युद्ध माना जाता है क्योंकि इस युद्ध में भारी मात्रा में विस्फोटक, रॉकेट, मिसाइल, तोप और मोर्टार का इस्तेमाल किया गया था। सेना के अधिकारियों के अनुसार कारगिल वॉर में करीब ढाई लाख गोले, पांच हजार बम व 300 से अधिक मोर्टार दागे गए थे। बताया जाता है कि कारगिल लड़ाई के 17 दिनों तक हर दिन प्रति मिनट एक दफा फायर किया जाता था। इसीलिए इस युद्ध को द्वितीय विश्व युद्ध से तुलना किया जाता है।
★ पाकिस्तान ने तोड़ा था शिमला समझौता :- भारत और पाकिस्तान के बीच 1972 में हुए शिमला समझौते के तहत तय हुआ था कि ठंड के मौसम में दोनों देशों की सेनाएं जम्मू-कश्मीर में बेहद बर्फीले स्थानों पर मौजूद LoC को छोड़कर कम बर्फीले वाले स्थान पर चली जाएंगी, क्योंकि सर्दियों में ऐसी जगहों का तापमान माइनस डिग्री में चले जाने के कारण दोनों देशों की सेनाओं को काफी मुश्किलें होती थीं। 1998 की सर्दियों में जब भारतीय सेना LoC को छोड़कर कम बर्फीले वाले स्थान पर चली गईं तो पाकिस्तान सेना ने अपने करीब 5 हजार जवानों के साथ धोखे से भारतीय पोस्टों पर कब्जा कर लिया। इस दौरान घुसपैठियों के रूप में आई पाक सेना ने तोलोलिंग, तोलोलिंग टॉप, टाइगर हिल और राइनो होन समेत इंडिया गेट, हेलमेट टॉप, शिवलिंग पोस्ट, रॉकीनोब और .4875 बत्रा टॉप जैसी सैकड़ों पोस्टों पर कब्जा कर लिया था।
★ अब शुरू होती है कहानी :– 1999 की गर्मियों के दौरान जब भारतीय सेना दोबारा अपनी पोस्टों पर गई तो पता चला कि पाकिस्तान सेना की तीन इंफेंट्री ब्रिगेड कारगिल की करीब 400 चोटियों पर कब्जा जमाए बैठी है। पाकिस्तान ने डुमरी से लेकर साउथ ग्लेशियर तक करीब 150 किलोमीटर तक कब्जा कर रखा था। भारतीय सेना को 4 मई 1999 को पाकिस्तान की हरकत के बारे में पता चला था। जिसके बाद जब 5 जवानों का गश्ती दल वहां पहुंचा तो घुसपैठियों ने उन्हें भयंकर यातनाएं देकर निर्ममता से उनकी हत्या कर दी थी और भारत को उनके क्षत-विक्षत शव सौंपे थे। इसके बाद भारत ने पाकिस्तानी घुसपैठियों से अपने इलाके को खाली कराने के लिए एक अभियान शुरू किया जिसे ‘ऑपरेशन विजय’ के नाम से जाना गया। भारतीय सेना और भारतीय वायुसेना ने संयुक्त अभियान चलाते हुए इस युद्ध में अद्धभुत वीरता का परिचय देते हुए विपरीत परिस्थितियों के बावजूद जीत हासिल की थी। युद्ध के दौरान जहां पाकिस्तानी घुसपैठिये पहाड़ों की ऊंचाई पर बैठे गोलीबारी कर रहे थे, वहीं दूसरी तरफ भारतीय सेना के जवान निचले इलाकों से उनका सामना कर रहे थे। इसके बावजूद घुसपैठिये भारतीय सेना का सामना नहीं कर सके थे, और भागने पर मजबूर हो गए थे। इस लड़ाई में भारतीय सुरक्षा बलों के करीब 2 लाख जवानों ने हिस्सा लिया था, जिसमें से 527 जवान शहीद हो गए थे, वहीं 1300 से ज्यादा जवान घायल हुए थे। पाकिस्तानी सेना को भारत से कहीं ज्यादा नुकसान हुआ था। यहां तक कि उसने अपने सैनिकों की लाशें लेने से भी इनकार कर दिया था।
इस युद्ध में भारतीय वायुसेना ने घुसपैठियों को खदेड़ने के लिए मिग-27 और मिग-29 का इस्तेमाल किया था। वहीं सेना ने बोफोर्स तोपों का इस्तेमाल किया था। जो इस युद्ध में जबरदस्त मारक साबित हुई थीं। पाकिस्तानी सेना इस घुसपैठ के जरिए ना केवल कारगिल पर कब्जा करना चाहती थी, बल्कि लेह और सियाचिन ग्लेशियर तक भारतीय सेना की सप्लाई लाइन को भी काटना चाहती थी। ताकि वहां पर भी कब्जा किया जा सके। हालांकि भारतीय सेना ने उसके नापाक मंसूबों को पूरा नहीं होने दिया। कारगिल युद्ध में शहीद सैनिकों की याद में द्रास सेक्टर में कारगिल वार मेमोरियल बनवाया गया जो नवंबर 2004 में बनकर तैयार हुआ। द्रास सेक्टर से वो चोटियां नजर आती हैं, जहां पाकिस्तान की सेना ने कब्जा जमा लिया था।
★ ताशी नामग्याल ने दी थी पहली जानकारी :- “अगर वो मेरा नया-नवेला याक न होता तो शायद मैं उसकी तलाश करने भी न जाता और शायद मैं पाकिस्तानी घुसपैठियों को देख भी ना पाता.”
ये शब्द हैं 55 साल के ताशी नामग्याल के जिन्होंने संभवता सबसे पहली बार कारगिल की पहाड़ियों में छिपे हुए पाकिस्तानी सैनिकों को देखा था।
पाकिस्तानी सेना के सैनिकों ने अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करते हुए 3 मई 1999 को कारगिल के ऊंची पहाड़ियों पर कब्जा कर लिया था। इस बात की सूचना भारतीय सेना को एक चरवाहे ने दी थी। जब एक दिन ताशी नामग्याल कारगिल के बाल्टिक सेक्टर में अपने नए याक की तलाश कर रहे थे. वे पहाड़ियों पर चढ़-चढ़कर देख रहे थे कि उनका याक कहां खो गया है. इसी दौरान कोशिश करते-करते उन्हें अपना याक नज़र आ गया. लेकिन इस याक के साथ-साथ उन्हें जो नज़र आया उसे कारगिल युद्ध की पहली घटना माना जाता है. उन्होंने कुछ संदिग्ध लोगों को देखा और भारतीय सेना को तत्काल इस बारे में जानकारी दी.