★कन्हैया कुमार का जन्म और परिवार :-
कन्हैया कुमार का जन्म 13 जनवरी 1987 मे बिहार के बैगुसराय जिले के एक गांव में हुआ। यह गांव तेघरा विधानसभा क्षेत्र में आता है जहां सीपीआई को काफी समर्थन दिया जाता है। कन्हैया कुमार के पिता का नाम जयशंकर सिंह है जो एक किसान है और फ़िलहाल पैरालिसिस नाम की बीमारी से पीड़ित है और बिस्तर पे आराम करते है । इनकी माता का नाम मीना देवी एक आंगनवाडी कार्यकर्ता हैं। वहीं उनके बड़े भाई प्राइवेट सेक्टर में काम करते हैं।
★ कन्हैया की पढ़ाई लिखाई :—
कन्हैया की पढ़ाई बरौनी के आरकेसी हाई स्कूल में हुई। अपने स्कूल दिनों में, कन्हैया अभिनय में रूचि रखते थे और इंडियन पीपल्स थियेटर एसोसिएशन के सक्रिय सदस्य थे।
2002 में कन्हैया ने पटना के कॉलेज ऑफ कॉमर्स में दाखिला लिया। पटना में अध्ययन के दौरान, कन्हैया ऑल इंडिया स्टूडेंट फेडरेशन के सदस्य बने। जहां से उनके छात्र राजनीति की शुरुआत हुई। पटना में पोस्ट ग्रेजूएशन खत्म करने के बाद, कन्हैया ने जेएनयू (दिल्ली) में अफ्रीकन स्टडीज के लिए पीएचडी के लिए एडमिशन ले लिया।
★ JNU छात्र संघ अध्यक्ष बने :——-
2015 में, कन्हैया कुमार ऑल इंडिया स्टूडेंट फेडरेशन के ऐसे पहले सदस्य बने जो जेएनयू में छात्र संघ के अध्यक्ष पद के लिए चुने गए। उन्होंने इस पद के लिए एआईएसए, एबीवीपी, एसएफआई और एनएसयूआई के सदस्यों को हराया।
कन्हैया कुमार के दोस्त और अन्य लोग उन्हें बेहतरीन वक्ता कहते हैं। उनके चुनाव के एक दिन पहले दी गई उनकी स्पीच उनके चुनाव जीतने का कारण मानी जाती है।
★ कन्हैया बनना चाहते थे IPS ओफिसर:—
कन्हैया कुमार का सपना था कि वे बड़े आईपीएस अधिकारी बने, अपने एक भाषण में भी उन्होंने इसके बारे में बताया था। लेकिन आर्थिक स्थिति और गरीबी होने के कारण वह अपने पढ़ाई के लिए कई जगह नौकरी भी किया करते थे। यूपीएससी द्वारा परीक्षा का पैटर्न सीसैट लागू कर देने के बाद, बहुत दिनों से यूपीएससी की परीक्षा के लिए तैयारी कर रहे कन्हैया कुमार ने यूपीएससी की परीक्षा देना छोड़ दिया। सीसैट के आने से उन्हें काफी दुख था क्योंकि, पुराने सिलेबस से यूपीएससी की तैयारी कर रहे थे। इस चलते उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा छोड़ दी।
★ कन्हैया कुमार का राजनीतिक जीवन:—–
अगर कन्हैया कुमार की राजनीतिक जीवन को देखा जाए तो उनकी राजनीतिक जीवन की शुरुआत आज से 13 साल पुरानी है। वर्ष 2007 में छात्र संघ AISF से वे जुड़े। जो कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की स्टूडेंट विंग है। वह इसके नेता भी रहे। वर्ष 2015 में जेएनयू ( जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय) छात्र संघ के अध्यक्ष पद के लिए भी चुने गए थे। फरवरी 2016 में जेएनयू में एक कश्मीरी अलगाववादी, जिसने 2001 में भारतीय संसद पर हमला किया था। मोहम्मद अफजल गुरु को फांसी के खिलाफ एक छात्र रैली में राष्ट्र विरोधी नारे लगाने के आरोप में देशद्रोह का मामला उन पर दर्ज किया गया था। इस घटना के बाद उन्हें दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था। 2 मार्च 2016 में अंतरिम जमानत पर कन्हैया कुमार को रिहा कर दिया गया, क्योंकि राष्ट्र विरोधी नारों में भाग लेने का पुलिस द्वारा कन्हैया कुमार का कोई सबूत नहीं पाया गया। इसके अलावा जेएनयू में गठित एक समिति द्वारा भी उन पर लगाए गए आरोप विवादास्पद घटना की जांच कर रही है। प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के आधार पर कन्हैया कुमार समेत उनके साथ अन्य दोस्तों को अकादमिक तौर पर वंचित कर दिया गया। वही विश्व के सबसे बड़े छात्र संघ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने कन्हैया कुमार का विरोध किया। उनके ऊपर देशद्रोह का मुकदमा चल रहा है। 2016 में ही उनके ऊपर एक किताब भी लिखी गई, बिहार टू तिहार।
इन सारी घटनाओं के बाद कन्हैया कुमार अब बढ़-चढ़कर के राजनीतिक कार्यक्रम में भाग लेना शुरू कर दिया, उनके वन नेशन और कम्युनिस्ट थॉट्स लोगों को काफी प्रभावित करती है। इस तरीके से राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई। राजनीतिक जीवन में उनकी लोकप्रियता और बढ़-चढ़कर के हिस्सा भागीदारी लेने के चलते, 2019 में हुए आम चुनाव में कन्हैया कुमार लोकसभा सीट के लिए बेगूसराय से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की ओर से लड़े थे।
★ विवादों से रहा है कुमार का नाता :——
कन्हैया कुमार का राजनीतिक जीवन विवादों से भरा है। उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत भी विवाद पूर्ण ही शुरू हुई। लेकिन एक नई सोच और उनके मन मुक्त कर देने वाले भाषण कई लोगों को प्रभावित करते हैं। उनके द्वारा तर्क वितर्क मे काफी डीप सेंस होता है। इसके बावजूद कई सारे लोग उन्हें देशद्रोही भी मानते हैं।
★ कन्हैया कुमार के भाषण के कुछ अंश –
1). इस देश में जनविरोधी सरकार है। उस सरकार के ख़िलाफ़ बोलेंगे तो इनका साइबर सेल डॉक्टर्ड वीडियो दिखाएगा।
2). हमें एबीवीपी से कोई शिकायत नहीं है क्योंकि हम सही मायनों में गणतांत्रिक लोग हैं। हम भारतीय संविधान में विश्वास करते हैं।
3). भारत से नहीं भाइयों, भारत में आज़ादी मांग रहे हैं. ‘से’ और ‘में’ में फर्क होता है। कुछ को तो आपने हर-हर कहकर झक लिया, आजकल अरहर से परेशान हैं।
4). भारत से नहीं भारत को लूटने वालों से आज़ादी चाहते हैं। हमें भूख, भ्रष्टाचार, जातिवाद और प्रांतवाद से आज़ादी चाहिए।
5). दोस्तों मैं तुम्हारा यानी एबीवीपी का विच-हंटिंग नहीं करूंगा क्योंकि शिकार उसका किया जाता है जो शिकार करने लायक है। हम एबीवीपी को एक शत्रु की तरह नहीं बल्कि विरोधी के तौर पर देखते हैं।
6). प्रधानमंत्री जी ने ट्वीट किया है और कहा है सत्यमेव जयते। प्रधानमंत्री जी आपसे भारी वैचारिक मतभेद है लेकिन क्योंकि सत्यमेव जयते आपका नहीं इस देश का संविधान का है, मैं भी कहता हूं सत्यमेव जयते।
7). जेएनयू पर हमला एक योजना के तहत है क्योंकि वे यूजीसी के विरोध में प्रदर्शन को ख़त्म करना चाहते हैं और रोहित वेमुला के लिए न्याय की लड़ाई को धीमा करना चाहते हैं। इस देश की सत्ता ने जब जब अत्याचार किया है, जेएनयू से बुंलद आवाज़ आई है, आप हमारी लड़ाई को धीमा नहीं कर सकते।
8). ये लंबी लड़ाई है। बिना झुके, बिना रुके हमें लड़ना है। रोहित वेमुला ने जो लड़ाई शुरू की, आप और देश के शांतिप्रिय लोग इस लड़ाई को आगे ले जाएंगे और हम इस लड़ाई में जीतेंगे।