डाल्टन का प्रारंभिक जीवन :
जॉन डाल्टन का जन्म 6 सितंबर, 1766 को इंग्लैंड के एक गांव इगलसफिल्ड में हुआ था। इनका परिवार आर्थिक रूप से बहुत गरीब था इनके पिता जुलाहा थे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा ‘कुकर्ज़’ स्कूल में हुई जहां उन्होंने धर्म शिक्षा के अतिरिक्त गणित, विज्ञान, तथा अंग्रेजी ग्रामर भी पढ़ी। डाल्टन बचपन से ही बहुत तेज थे जिस कारन उन्हें बारह वर्ष की आयु में एक स्कूल में शिक्षक की नौकरी मिल गयी। सात साल बाद वह एक स्कूल के प्रिंसिपल बन गए। सन् 1793 में जॉन कालेज में गणित, भौतिकी एवं रसायन शास्त्र पढ़ाने के लिए मैनचेस्टर चले गए।
★ जॉन डाल्टन का विज्ञानी जीवन ★
डाल्टन ने वायु के कई नमूने इंग्लैंड की विभिन्न जगहों से इकट्ठा किए। इन सभी के विश्लेषण उन्होंने किए। पता लगा कि वायु प्रायः इन्ही अव्ययो से और प्रायः इनही अनुपातों में हर कही बनती है। उन्होंने एक बोतल में एक हल्की गैस भर के, उसे उल्टा कर, दोनों बोतलों के मुंह को मिला दिया। बोतलों में भारी और हल्की गैस अलग-अलग नहीं रही – कुछ ही देर बाद मिलकर एक हो गई।
डाल्टन ने अपने निष्कर्ष को अभिव्यक्त किया की (जिसे दुनिया आज गैसों का आंशिक दबाव का सिद्धांत’ करके जानती है) – ‘एक गैस के कण, दूसरी गैस के कणो को नहीं, अपनी ही कणो को पर धकेलते हैं।’ जिसके आधार पर डाल्टन ने एक धारणा ही बना ली की गैस में बड़े छोटे-छोटे कण होते हैं और उनके दो कणो में विभाजन दूरी भी पर्याप्त होती है। और यह सिद्धांत विज्ञान जगह को आज भी मान्य है। सन 1808 में इन्होंने अपने परमाणु सिद्धांत को प्रस्तुत किया, जो द्रव्यों के अध्ययन के लिए एक महत्वपूर्ण सिद्धांत साबित हुआ।
डाल्टन ने द्रव्यों की प्रकृति के बारे में एक आधारभूत सिद्धांत प्रस्तुत किया। डाल्टन ने द्रव्यों की विभाज्यता का विचार प्रदान किया जिसे उस समय तक दार्शनिकता माना जाता था। ग्रीक दार्शनिकों के द्वारा द्रव्यों के सूक्ष्मतम अविभाज्य कण, जिसे परमाणु नाम दिया था, उसे डाल्टन ने भी परमाणु नाम दिया। डाल्टन का यह सिद्धांत रासायनिक संयोजन के नियमों पर आधरित था। डाल्टन के परमाणु सिद्धांत ने द्रव्यमान के संरक्षण के नियम एवं निश्चित अनुपात के नियम की युक्तिसंगत व्याख्या की। डाल्टन के परमाणु सिद्धांत के अनुसार सभी द्रव्य चाहे तत्व, यौगिक या मिश्रण हो, सूक्ष्म कणों से बने होते हैं जिन्हें परमाणु कहते हैं। डाल्टन के सिद्धांत की विवेचना निम्न प्रकार से कर सकते हैं:
सभी द्रव्य परमाणुओं से बने होते हैं।परमाणु अविभाज्य सूक्ष्मतम कण होते हैं जो रासायनिक अभिक्रिया में न तो सृजित होते हैं और न ही उनका विनाश होता है।किसी भी दिए गए तत्व के सभी परमाणुओं का द्रव्यमान एवं रासायनिक गुण समान होते हैं।भिन्न-भिन्न तत्वों के परमाणुओं के द्रव्यमान एवं रासायनिक गुणधर्म भिन्न-भिन्न होते हैं।भिन्न-भिन्न तत्वों के परमाणु परस्पर छोटीपूर्ण संख्या के अनुपात में संयोग कर यौगिक नियमित करते हैं।किसी भी यौगिक में परमाणुओं की सापेक्ष संख्या एवं प्रकार निश्चित होते हैं।एक रासायनिक प्रतिक्रिया परमाणुओं की एक पुनर्व्यवस्था है।
शुरू से ही डाल्टन की आंख में कुछ दिक्कत था, जिसकी वजह से रंगों में फर्क कर सकने में असमर्थ और आंख के इस नुस्क के बारे में उन्होंने कुछ परीक्षण भी किए थे। वर्णान्धता को आज भी ‘डॉलटनिज्म’ ही कहा जाता है।
◆ डाल्टन का निधन ◆
27 जुलाई, 1844 को इंग्लैंड में (77 की उम्र में) डाल्टन का निधन हो गया।