जान ऍफ़ केनेडी सयुंक्त राज्य अमेरिका के 35वे राष्ट्रपति और एक लोकप्रिय राजनेता थे |
◆ जॉन का जन्म और बचपन ◆
जॉन फिटजरेगोल्ड केनेडी ने 29 मई 1917 को मेसाचुसेट्स मे हुआ था । उनका परिवार एक धनी और राजनितिक परिवार में जन्म लिया | उनके का नाम पिता जोसेफ पेट्रिक था। उनकी माता का नाम रोज एलिजाबेथ फिट्जगेराल्ड केनेडी के घर हुआ। कैनेडी अपने जीवन के पहले दस वर्षों तक ब्रुकलाइन में रहे और स्थानीय सेंट ऐडन चर्च में भाग लिया ।
◆ जॉन की पढ़ाई लिखाई ◆
उन्हें ब्रुकलाइन द नोबल और ग्रीनहाउस लोअर स्कूल में एडवर्ड डीवोशन स्कूल में शिक्षित किया गया। जॉन ने 5 वीं से 7 वीं कक्षा तक रिवरडेल कंट्री स्कूल मे पढाई पूरी की ।
सितंबर 1931 में, केनेडी ने 12 वीं कक्षा से 9 वीं के लिए, कनेक्टिंगट के वॉलिंगफोर्ड के एक प्रतिष्ठित बोर्डिंग स्कूल, चोएट में दाखिला लिया। उन्होंने हार्वड यूनिवर्सिटी से सन 1940 में ग्रेजुएशन किया।
◆ राजनीति मे एक सफल नेता बने ◆
अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वो नौसेना मे भर्ती हुए और दुसरे विश्वयुद्ध का हिस्सा लिया | अपने पिता के अनुसार उन्होंने राजनीति में जाने का फ़ैसला किया और सन 1946 से वो सक्रिय राजनीति में आ गये |
सन 1952 में उन्होंने डेमोक्रेट के रूप में चुनाव लड़ा और सीनेट (सांसद) के रूप में (संसद) में पहुच गये | इसके बाद सन 1960 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में उन्होंने रिचर्ड निक्सन को हरा दिया और थियोडोर रूजवेल्ट के बाद 43 वर्ष की आयु में देश के दुसरे सबसे युवा और प्रथम कैथोलिक राष्ट्रपति बने | उनका कार्यकाल बहुत उतार चढाव भरा रहा | रूस और अन्य देशो के साथ शीतयुद्ध के खतरे बढ़े | घरेलू सुधार करते हुए उन्होंने उदार दृष्टिकोण अपनाया और अफ्रीकी अमेरिकियों के मानव आधिकारो की निति लागू की ,जिसे आलोचना झेलनी पड़ी |
★ अंतरिक्ष विजय की होड़ ★
अप्रैल, 1961 में रूस ने अंतरिक्ष में यूरी गगारिन को भेजकर शुरुआती बढ़त ले ली थी. अमेरिका में छाती-कूट शुरू हो गया. मई में उसी साल जॉन एफ कैनेडी ने संसद में एक भाषण दिया जिसमें इस दशक के ख़त्म होने से पहले अमेरिका को चांद पर आदमी भेजकर वापस सुरक्षित ले आने का लक्ष्य तय किया गया. इस मिशन को उन्होंने सबसे ज़्यादा तव्वजो दी. रूस से भी उन्होंने मदद मांगी पर खुर्श्चेव ने मना कर दिया क्योंकि रूस अपनी राकेट प्रणाली और बाकी तकनीक साझा नहीं करना चाहता था. कैनेडी ने इस प्रोजेक्ट को नयी दिशा दी जिसके परिणामस्वरूप 1969 में अमेरिका ने चांद पर फ़तेह पायी.
★ कैनेडी और रोमांस ★
वह कैनेडी काल था. वे हर जगह थे. हर मीडिया कंपनी के चहेते. वे अमेरिका की आवाज़ थे. अमेरिकी समाज को नयी दिशा और ऊर्जा देने वाले. इसके अलावा एक बात और, वे बेहद ख़ूबसूरत थे! महिलाओं में उनके लिए एक अजीब सा आकर्षण था और कहा जाता है कि कैनेडी की काम भावना भी कुछ ज़्यादा ही तीव्र थी. लिहाज़ा, कुछ रिश्ते पनपने ही थे. पनपे भी.
व्हाइट हाउस में एक प्रशिक्षु थीं- मिमी बेअर्दसेली जो बाद में मिमी अल्फोर्ड बनीं. मिमी उसी स्कूल में पढ़ती थीं जहां से कैनेडी की पत्नी जैकलीन कैनेडी ने पढ़ाई पूरी की थी. मिमी ने अपनी किताब ‘वन्स अपॉन अ लाइफ’ में लिखा है. ‘मुझे व्हाइट हाउस में नौकरी करते हुए चार दिन ही हुए थे जब कैनेडी मुझे इस इमारत के कमरे दिखाते हुए अपने बेडरुम में ले गए और फिर मैंने जैकलीन कैनेडी के बिस्तर पर अपना कौमार्य खो दिया.’
वे आगे लिखती हैं ‘ मेरा और जॉन का रिश्ता 18 महीने तक चला. जॉन कभी-कभी बच्चों की तरह हरकत किया करते थे. उनकी शख्सियत का काला हिस्सा ये भी है कि उन्होंने मुझे अपने सेक्रेटरी के साथ शारीरिक संबंध बनाने को कहा जो मैंने कैनेडी की ख़ुशी की खातिर किया. जॉन मुझे ऐसा करते हुए देख रहे थे. बाद में ऐसी ही फरमाइश जॉन ने अपने छोटे भाई रॉबर्ट कैनेडी के लिए की. मैंने मना कर दिया.’ मिमी ने यह भी लिखा है कि क्यूबा मिसाइल संकट के समय कैनेडी बेहद तनावग्रस्त थे और राष्ट्र को संबोधन की एक रात पहले उन्होंने उन्हें विशेष तौर पर बुलवाया था ताकि वे इस तनाव से मुक्त हो जाएं और ऐसा हुआ भी.
मरलिन मुनरो हॉलीवुड की सबसे हसीन अदाकाराओं में से एक हुई हैं. कैनेडी के साथ उनका रिश्ता भी काफी चर्चा में रहा. बताते हैं कि उनकी पहली मुलाकात एक होटल में हुई जो व्हाइट हाउस तक आते-आते ख़त्म हुई. एक बार मुनरो ने जैकलीन को फ़ोन करके अपने इश्क़ का क़ुबूलनामा किया था. जवाब में श्रीमती कैनेडी ने उन्हें बधाई देते हुए कहा ‘ तुम व्हाइट हाउस में प्रथम महिला बनकर आ जाओ, मैं चली जाऊंगी और तुम्हारी ये सारी परेशानियां दूर हो जाएंगी.’ मुनरो की आत्मकथा लिखने वाली बारबरा लीमिंग कहती हैं ‘मुनरो इस रिश्ते को लेकर संजीदा थीं जबकि कैनेडी के लिए मुनरो सिर्फ उन ख़ूबसूरत महिलाओं में से एक तीं जो उनकी जिंदगी में आती-जाती रहीं.’
★ भारत का करीबी अमेरिकी ★
चीन के साथ अमेरिका की दुश्मनी, कम्युनिज़म से उसकी चिढ़ और उसी बीच भारत पर चीन का हमला. कैनेडी ने उस समय भारत की काफी सहायता की. 1951 में कैनेडी जब कांग्रेस मेन के तौर पर भारत आए थे तो नेहरू से उनकी मुलाकात कुछ खास नहीं रही थी. मगर तमाम वजहों से जेएफके नेहरू को पसंद करते रहे. उनके जरिए हिंदुस्तान को सालाना एक बिलियन डॉलर की सहायता मिली. 60 के दशक में इस अथाह राशि से हिंदुस्तान को न सिर्फ चीन से मिले झटके से उबरने में मदद मिली बल्कि तारापुर परमाणुघर, आईआईटी कानपुर, नागार्जुन सागर बांध जैसे संस्थान भी स्थापित हुए.
◆ जॉन का निधन ◆
22 नवम्बर 1963 को उनकी हत्या हुयी | उनकी हत्या के आरोप मे ली हार्वी आस्वल्ड को गिरफ्तार किया गया लेकिन दो दिन बाद रूबी नाम के व्यक्ति ने गोली मारकर उसकी हत्या कर दी | असली मे उनका कौन हत्यारा है पुलिस को इस बारे कोई सटीक जानकारी नही हुई ।