भारत जनसँख्या की दृष्टी से दूसरा सबसे बड़ा देश है इसलिए यहाँ हर रोज एक नहीं बल्कि अनेकों बच्चे अनाथ होते हैं। जिनके माता पिता की या तो मृत्यु हो जाती है या फिर वे इन बच्चों को छोड़कर चले जाते हैं और इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं बचता है। इन्हीं बच्चों की परवरिश इत्यादि के लिय देश में अनाथ आश्रम खोले जाते हैं। जिन्हें कुछ संभ्रांत लोग एवं सरकार आर्थिक रूप से मदद देती हैं ताकि वे इस नेक काम को अगले स्तर पर ले जा सकें और उनमें इस नेक काम को करने का जूनून बरकरार रहे।
★ अनाथ आश्रम किसे कहते हैं ★
अनाथालय को उन बच्चों के लिए घर जैसी सुविधा देने का स्थान कह सकते हैं जो अपने माता पिता को खो चुके हैं और उनकी जिम्मेदारी लेने के लिए कोई भी नाते रिश्तेदार तैयार नहीं हैं। किसी भी बच्चे की परवरिश में माता पिता का बड़ा अहम् योगदान होता है।
★ भारत में अनाथ आश्रम कैसे शुरू करें ★
इसके अलावा इस तरह का यह बिजनेस करने के लिए व्यक्ति को बेहद जिम्मेदार होना अति आवश्यक है। भारत में अनाथ आश्रम शुरू करना बिलकुल भी आसान काम नहीं है क्योंकि इस तरह का यह बिजनेस शुरू करने के लिए उद्यमी को अनेकों लाइसेंस एवं रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता होती है। यह किसी स्थापित ट्रस्ट इत्यादि द्वारा समर्थित हो तो इसे आसानी से चलाया जा सकता है। अनाथालय चलाने में फण्ड का प्रबंध करना, नित्य कार्यों की निगरानी करना, बच्चों के अनुशासन एवं विकास की निगरानी करना बड़ी समस्याएं हैं। लेकिन चूँकि यह नेकी से जुड़ा हुआ कार्य है इसलिए संभ्रांत लोगों एवं कम्पनियों से इस तरह के अनाथालयों को आर्थिक मदद आसानी से मिल भी जाती है। तो आइये जानते हैं की भारत में कैसे कोई अनाथालय शुरू कर सकता है।
अनाथालय को कोई भी व्यक्ति खुद का एनजीओ शुरू करके शुरू कर सकता है।
1. जगह का चुनाव: अनाथ आश्रम स्थापित करने के लिए सर्वप्रथम जमीन चाहिए जिस पर अनाथालय स्थापित किया जा सके। यदि उद्यमी के पास जमीन नहीं है तो वह जमीन लम्बे समय यहाँ तक की 15-20 सालों के लिए लीज पर ले सकता है। क्योंकि उद्यमी को बच्चों की आवश्यकता के अनुरूप उसे दुबारा से डिजाईन करके बनाना होगा जिसमें खेलने का एरिया, डाइनिंग रूम, प्रेयर रूम और लाइब्रेरी इत्यादि बनानी होगी। उद्यमी को अनाथ बच्चों के प्रवेश से पहले सभी प्रकार की फैसिलिटी तैयार करनी होगी।
2. नियम कानून का अनुसरण: नियम एवं कानूनों के मुताबिक भारत में सभी अनाथालयों का जुवेनाइल जस्टिस के तहत केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ़ चिल्ड्रन एक्ट के अंतर्गत रजिस्ट्रेशन होना अनिवार्य है। इस प्रक्रिया पर और अधिक जानकारी के लिए उद्यमी चाहे तो जिला समाज कल्याण अधिकारी से संपर्क कर सकता है। इसके अलावा उद्यमी को बच्चे को गोद लेने के नियमों, गार्जियन और कस्टडी के नियमों, बुनियादी शिक्षा अधनियम का पालन एवं अनुसरण करना होगा इसलिए उद्यमी का इनसे परिचित होना अति आवश्यक है।
3. अनाथालय के नाम से पैन एवं बैंक खाता: चूंकि उद्यमी को कोई भी दानकर्ता उसके नाम से नहीं बल्कि अनाथालय के नाम से दान करेंगे इसलिए उद्यमी को चाहिये की वह अनाथालय के नाम से पैन कार्ड बनवाए। और अनाथ आश्रम के नाम से एक बैंक खाता भी खुलवाए जिसके माध्यम से वह दान में मिली राशि को ट्रैक कर सकता है।
4. टैक्स रियायत प्रमाण (80G Certificate):अनाथ आश्रम शुरू करना नेकी का काम होता है और इस काम में सामजिक हित छुपा होता है इसलिए सरकार भी ऐसे कामों को प्रोत्साहित करती है। और ऐसे एनजीओ को कर रियायत प्रमाण पत्र भी जारी करती है यह कर रियायत उनको मिलती है जो लोग ऐसे संस्थानों को डोनेशन देते हैं। इसलिए यदि उद्यमी चाहता है की अधिक से अधिक लोग उसे डोनेशन दें तो उसे 80 G Certificate के लिए आवेदन करना होगा। ताकि उसे डोनेशन देने वाले व्यक्ति टैक्स छूट का लाभ ले सकें।
5. FCRA रजिस्ट्रेशन:यदि उद्यमी चाहता है की उसके अनाथ आश्रम को विदेशों से भी फण्ड प्राप्त हो तो उसे FCRA Registration कराना होगा। FCRA का फुल फॉर्म फॉरेनर्स कॉन्ट्रिब्यूशन रेगुलेशन एक्ट होता है इस अधिनियम के तहत रजिस्ट्रेशन के बाद ही कोई अनाथ आश्रम विदेशों से फण्ड प्राप्त करने में सक्षम हो पाता है। यह रजिस्ट्रेशन गृह मंत्रालय के माध्यम से किया जाता है।
6. फण्ड की व्यवस्था: अनाथ आश्रम को चलाने के लिए बहुत अधिक फण्ड की आवश्यकता होती है इसलिए कोई भी व्यक्ति अपने निजी फण्ड से अनाथालय चलाने में अक्षम हो सकता है। जैसे जैसे अनाथालय का विकास होता जाता है वैसे वैसे उसे सफलतापूर्वक चलाने के लिए और अधिक फण्ड की आवश्यकता होती है। इसलिए हो सकता है की उद्यमी को बैंक से ऋण लेकर फण्ड की व्यवस्था करनी पड़ जाय इसलिए उद्यमी को हमेशा प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करके रखनी चाहिए ताकि वह ऋण संसाधित प्रक्रिया के दौरान इसे बैंक में जमा कर सके। इसके अलावा उद्यमी चाहे तो सरकारी संगठनों, क्राउड फंडिंग इत्यादि के माध्यम से भी फण्ड की व्यवस्था कर सकता है।
7. नेटवर्क तैयार करना:राजनैतिक पार्टियों, घरानों के साथ अच्छे सम्बन्ध स्थापित होने से उद्यमी के अनाथालय को अनेकों सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सकता है। इसके अलावा उद्यमी को पुलिस विभाग, पत्रकारिता, मानवाधिकार कार्यकर्ता एवं अन्य सामजिक संगठनों में अपने नेटवर्क स्थापित करना आवश्यक है। यद्यपि बहुत सारे अनाथ बच्चों को उनके नाते रिश्तेदार ही अनाथालय में छोड़ के जाते हैं और कुछ बच्चों को पुलिस, मानवाधिकार कार्यकर्ता, समाज कल्याण विभाग, स्थानीय विधायक, प्रधान इत्यादि भी छोड़ के जाते हैं। उद्यमी को चाहिए की वह किसी भी बच्चे को डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट या समाज कल्याण विभाग की लिखित परमिशन के बिना अपने अनाथ आश्रम में स्वीकार न करे।
8. सहकर्मी नियुक्त करें: यद्यपि अनाथ आश्रम के लिए सस्ते एवं अच्छे सहकर्मी मिल पाना बड़ा ही कठिन है लेकिन इन सबके बावजूद उद्यमी को आवश्यकता के अनुसार दक्ष लोगों को नियुक्त करना होगा। इसमें उद्यमी को कम से कम एक रसोइया, हाउसकीपिंग स्टाफ, छोटे बच्चों को सँभालने वाली आया इत्यादि की आवश्यकता हो सकती है। इसके अलावा उद्यमी पार्ट टाइम के तौर पर एक अकाउंटेंट एवं किसी अच्छे वकील को कंसलटेंट के तौर पर भी नियुक्त कर सकता है।