हिडिम्बा का नाम तो शायद सुना ही होगा। जी हां, महाभारत के महाबली भीम की पत्नी। कुल्लु राजवंश हिडिम्बा को कुलदेवी के रूप में मानता है। इस देवी का ऐतिहासिक मन्दिर हिमाचल प्रदेश में प्रमुख हिल स्टेशन मनाली से मात्र एक किलोमीटर दूर डूंगरी नामक स्थान पर स्थित है। जिसे देखने के लिए हर साल हजारों दर्शनार्थी आते हैं।
माता हिडिंबा मंदिर पर्यटन नगरी मनाली की शान है। यहां घूमने आने वाला हर सैलानी माता के दरबार में हाजरी लगाता है। माता के दर्शन के लिए प्रांगण में घंटों लंबी लाइन में खड़े होकर श्रद्धालु माता के आगे अपना शीश झुकाते हैं। मनाली मॉल से एक किलोमीटर दूर देवदार के घने व गगन चुंबी जंगलों के बीच स्थित लगभग 82 फुट ऊंचे पगौड़ा शैली के मंदिर का निर्माण कुल्लू के राजा बहादुर ङ्क्षसह ने सन 1553 में करवाया था। मंदिर के अंदर माता हिडिंबा की चरण पादुका हैं। मंदिर का निर्माण 1533 में कराया गया था। मंदिर में कभी जानवरों की बलि दी जाती थी, लेकिन अब इसे बंद कर दिया गया है। लेकिन आज भी मंदिर की दीवारों पर सैकड़ों जानवरों के सींग लटके हुए हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार:
हिडिंबा एक राक्षसी थी, जिसके भाई हिडंब का राज मनाली के आसपास के पूरे इलाके में था। हिडिंबा ने महाभारत काल में पांचों पांडवों में सबसे बलशाली भीम से शादी की थी। हिडिंबा ने प्रण लिया था कि जो उसके भाई हिडिंब को युद्ध में मात देगा। उससे वो शादी करेगी। अज्ञातवास के दौरान पांडव मनाली के जंगलों में भी आए थे और उसी समय यहां राक्षस हिडिंब से भीम से युद्ध किया था। भीम ने हिडिंब को युद्ध में हराकर उसकी हत्या कर दी थी। इसके बाद हिडिंबा ने भीम से शादी कर ली थी। लेकिन भीम से शादी करने के बाद राक्षसी हिडिंबा मानवी बन गई थी। महाभारत के युद्ध में घटोत्कच का नाम आता है। लोककथाओं के मुताबिक, वो हिडिंबा और भीम का ही बेटा था। मां के आदेश पर घटोत्कच ने युद्ध में अपनी जान देकर कर्ण के बाण से अर्जुन की जान बचाई थी। हिडिंबा राक्षसी की तब से ही लोग पूजा करने लगे थे।
कुल्लु राजवंश की कुलदेवी:
हिडिम्बा देवी के इस मंदिर से कुल्लु राजवंश की एक मान्यता है जिसके पीछे एक छोटी सी कहानी है। कहा जाता है कि विहंगम दास नाम का शख़्स एक कुमार के यहां नौकरी करता था। हिडिम्बा देवी ने विहंगम दास को एक दिन सपने में दर्शन दिए थे और उसे कुल्लु का राजा बनने का वरदान दिया था।
इस घटना के बाद विहंगम दास ने यहां के एक अत्याचारी राजा को मार गिराया था जिसके कारण वह कुल्लु राजवंश का सबसे पहला राजा बना था और आज भी कुल्लु राजघराने के लोग हिडिम्बा देवी को पूजते हैं।
काफी आकर्षक है मंदिर की बनावट
- हिडिम्ब देवी मंदिर चारों ओर से देवदार के घने पेड़ों के बीच बना हुआ है।
- 40 मीटर ऊंचे इस मंदिर का निर्माण केवल लकड़ी से किया गया है।
- इस मंदिर की बनावट शैली को पैगोडा बोला जाता है।
- मनाली आने वाले टूरिस्ट इस मंदिर का दर्शन करने जरुर आते हैं।
- बता दें कि मनाली शहर से इसकी दूरी करीब 1 किमी पर है।