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बब्बर शेरों के घर :- गिर वन्य जीव अभयारण्य

बब्बर शेरों के घर :- गिर वन्य जीव अभयारण्य

Posted on November 11, 2019November 27, 2022 By admin No Comments on बब्बर शेरों के घर :- गिर वन्य जीव अभयारण्य

शेर को जंगल का राजा कहा जाता है। शेरों का महत्व भारत मे ही नही पूरी दुनिया मे है । पुराणों मे भी शेर का बहुत ही ज्यादा महत्व है , हिन्दू धर्म मे ये देवी दुर्गा का वाहन है। भारत मे गुजरात राज्य मे शेरों के लिए एक वन बहुत ही प्रसिद्ध है , जिसका नाम है गिर वन्यजीव अभयारण्य । सूखें पताड़ वाले वृक्षों, कांटेदार झाड़ियों के अलावा हरे-भरे पेड़ों से समृद्ध गिर का जंगल नदी के किनारे बसा हुआ है। आइये चलते है गिर के जंगलों मे।

गिर वन्यजीव का इतिहास : गिर वन्यजीव अभयारण्य का इतिहास 100 सालों से अधिक पुराना है। यह गुजरात में वन और वन्यजीव अभयारण्य है, जिसकी स्थापना 1965 में हुई थी। ये कुल 1412 वर्ग किलोमीटर मे फैला हुआ है। गिर नेशनल पार्क एशियाई शेरों का शाही साम्राज्य, और वन्यजीव जीवों में से अधिकांश के लिए एक आदर्श निवास स्थान है, इस क्षेत्र के बढ़ते खुबसूरत वातावरण और स्थलाकृति की उपस्थिति के साथ, क्षेत्र को वास्तव में इसका असली महत्व मिला है। गिर नेशनल पार्क, सासन-गिर या गिर वन के रूप में भी जाना जाता है।

क्यों बना ये जंगल : शेरों प्रजाति भारत ही नही किन्तु एशिया से विलुप्त होने लगी थी । सन 1900  के आसपास केवल गुजरात क्षेत्र में मात्र 15 ही शेर बचे थे। तब जूनागढ़ के तत्कालीन नवाब द्वारा गिर क्षेत्र को शेरों के लिए आरक्षित घोषित करके शेरों के शिकार पर प्रतिबंध लगा दिया था।

गिर की जलवायु : गिर अभयारण्य मे ठंडी, गर्मी और बरसात का मौसम होता है। गर्मी मे यहाँ की आबोहवा बहुत ही गरम रहती है। दोपहर मे यहाँ का तापमान 43° तक होता है और ठंडी मे  यहाँ का तापमान 10° से भी नीचे चला जाता है। सामान्यतः यहाँ वर्षा ऋतु का आरंभ जून के मध्य से होता है और सितंबरतक बारिश होती है। बरसात मे यहाँ 1000 मिमी तक पानी बरसता है। कभी कभी अकाल भी पड़ता है। दिसंबर से मार्च तक शीत ऋतु रहती है। अप्रैल से गर्मी बढ़ जाती है और जून के कुछ दिनों तक गर्मी का मौसम रहता है।

गिर के वन्य मे कौन कौन से पेड है

यहां के मुख्य वृक्षों में सागवान, शीशम, बबूल, बेर, जामुन, बील आदि है। गिर अभ्यारण्य मूलतः शेरों के लिए विख्यात है, हालाँकि भारत के सबसे बड़े कद का हिरण, सांभर, चीतल, नीलगाय, चिंकारा और बारहसिंगा भी यहां देखा जा सकता है साथ ही यहां भालू और बड़ी पूंछ वाले लंगूर भी भारी मात्रा में पाए जाते है। गिर भारत का एक अच्छा पक्षी अभयारण्य भी है। यहां फलगी वाला बाज, कठफोडवा, एरीओल, जंगली मैना और पैराडाइज फलाईकेचर भी देखा जा सकता है। साथ ही यह अधोलिया, वालडेरा, रतनघुना और पीपलिया आदि पक्षियों को भी देखने के लिए उपयुक्त स्थान है। इस जंगल में मगरमच्छों के लिए फॉर्म का विकास किया जा रहा है।

गिर नेशनल पार्क मे है ढेरो प्रजातियां :-

गिर मे एशियाई शेर तो रहते ही है यहाँ और भी जंगली जानवर पूरी आजादी के साथ और एक सुरक्षित वातावरण मे घूमते है। यहाँ आने वाले पर्यटकों को लगभग 2,375 प्रजातियों को देखने का मौका  मिलता है। जिसमें स्तनधारियों की लगभग 38 प्रजातियां, पक्षियों की 300 प्रजातियां, सरीसृप की 37 प्रजातियांं और कीड़ों की 2,000 से अधिक प्रजातियां शामिल है

गिर नेशनल पार्क में मांसाहारियों का समूह वास्तव में एशियाई शेरों, भारतीय तेंदुए, भारतीय कोबरा, स्लोथ भालू, जंगल बिल्लियों, गोल्डन जैकल्स, भारतीय पाम सिवेट्स, धारीदार हियाना, भारतीय मोंगोस और रेटल्स की उपस्थिति में शामिल है। रेगिस्तान बिल्लियों और जंगली दिखने वाली बिल्लियां मौजूद हैं लेकिन इन्हे शायद ही कभी देखा जा सकता है

इसके अलावा गिर नेशनल पार्क में चित्ताल, नीलगाई (या ब्लू बैल), एंटेलोप, सांबर, चार सींग वाले चिंकारा और जंगली सूअर हैं। आस-पास के क्षेत्र से ब्लैकबक्स को कभी-कभी अभयारण्य में देखा जा सकता है

छोटे स्तनधारियों के समूह में हरे पोर्क्यूपिन भी शामिल होंगे जहां गिर अभयारण्य में पांगोलिन दुर्लभ है। सरीसृपों का प्रतिनिधित्व मार्श मगरमच्छ हिरण कछुआ और अभयारण्य के जल क्षेत्रों में मॉनीटर छिपकली द्वारा किया जाता है। सांप और पायथन भी सुस्त झाड़ियों और धाराओं के साथ पाए जा सकते हैं। 1977 में भारतीय मगरमच्छ संरक्षण परियोजना के तहत अपनाया जा रहा है, गुजरात राज्य वन विभाग ने आरक्षित क्षेत्र का उपयोग किया है जहां क्षेत्रीय पक्षियों की 300 से अधिक प्रजातियों के साथ विकसित हुआ है। पक्षियों के जादूगर समूह में गिद्धों की 6 दर्ज प्रजातियां हैं। गिर की कुछ विशिष्ट प्रजातियों में क्रेस्टेड सर्पेंट ईगल, ब्राउन फिश उल्लू, क्रेस्टेड हॉक-ईगल, लुप्तप्राय बोनेली ईगल, रॉक बुश-क्वाइल, इंडियन ईगल-उल्लू, ब्लैक-हेड ओरिओल, पायग्मी वुडपेकर, क्रेस्टेड ट्रेस्विफ्ट और इंडियन पिट्टा शामिल है।

गिर मे है सफारी की सुविधा : गिर नेशनल पार्क में जीप सफारी की उत्तम व्यवस्था है। आप एक अनुभवी गाइड के साथ शेरो को नजदीक से देख सकते है। समय समय पर पार्क प्रशासन शेरो का शो भी आयोजित करता है

अफ्रीका को छोड़कर गुजरात का गिर फारेस्ट नेशनल पार्क ही दुनिया में ऐसी जगह है जहां आपको लॉयंस को खुले में घूमते हुए देख सकते हैं। यह स्थान पर्यटकों के बीच एक बड़ा आकर्षण का केन्द्र है। रणथम्भौर या कार्बेट नैशनल पार्क में आपको बाघ देखने में भले ही परेशानी हो लेकिन यहां लॉयन देखने में कोई परेशानी नहीं होगी। हालांकि गिर जाने से पहले सभी बुकिंग एडवांस में कराकर रखें ताकि वहां पहुंचकर कोई परेशानी न हो।

कैसे करें सफारी की यात्रा : जंगल में एशियाई लॉयन देखने के लिए आपको जीप हायर करनी होगी। जीप में अधिकतम 6 व्यक्ति आते हैं या आप अकेले जीप भी बुक कर सकते हैं। जीप बुकिंग आप ऑनलाइन करवा सकते हैं लेकिन गिर नैशनल पार्क पहुंचने पर आपके पास आईडी प्रूफ होना चाहिए। जीप आपके होटल या रिजॉर्ट से पिक करके आपको वहीं छोड़ देगी।

  • जीप सफारी का किराया- 5,300 रुपए प्रति जीप

सफारी की टाइमिंग-

  • सुबह 6 बजे से 9 बजे तक
  • सुबह 9 बजे से दोपहर 12 बजे तक
  • दोपहर 3 बजे से शाम 6 बजे तक

गिर नैशनल पार्क हर साल 16 जून से 15 अक्टूबर तक बंद रहता है इसलिए इस दौरान गिर जाने के लिए कोई भी प्लान न करें। इसके अलावा यहां स्थित देवलिया सफारी हर बुधवार को बंद होती है। अगर आपको देवलिया सफारी भी जाना है बुधवार को छोड़कर यहां जाने का प्लान बनाएं।

कैसे पहुंचे गिर :-

हवाई मार्ग: यहां सबसे नजदीकी एयरपोर्ट केशोड है जो राजकोट से करीब 70 किलोमीटर दूर है लेकिन इस एयरपोर्ट की कनेक्टिविटी अच्छी नहीं है आप राजकोट या अहमदाबाद भी सीधे फ्लाइट के जरिए पहुंच सकते हैं फिर यहां से सड़क मार्ग के रास्ते गिर पहुंच सकते हैं।

रेलमार्ग : जूनागढ़ और वेरावल रेलवे स्टेशन गिर के सबसे नजदीक हैं दोनो की गिर से दूरी लगभग समान है। जूनागढ़ से सासन गिर की दूरी करीब 78 किलोमीटर है इसके अलावा आप राजकोट या अहमदाबाद से भी सासन गिर पहुंच सकते हैं।

सड़कमार्ग: गिर सड़कमार्ग के जरिए गुजरात के सभी शहरों से अच्छी तरह जुड़ा है। इसके अलावा गुजरात के अलग-अलग शहरों से गिर तक के लिए बसे सेवा भी उपलब्ध रहती है इसके अलावा आप कैब करके भी गिर पहुंच सकते हैं।

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