भारत देश में त्यौहारों का काफी महत्व है, खासकर हिंदू धर्म में कई तरह के फेस्टिवल सेलिब्रेट किए जाते हैं। लेकिन दीपावली की रौनक ही अलग होती है। रोशनी से डूबे शहर और गांव बेहद आकर्षित लगते हैं। दिवाली आती है तो अपने साथ कई सारे त्यौहारों की सौगात लेकर आती है, पहले दशहरा, फिर धनतेरस, छोटी दिवाली, बड़ी दिवाली, गोवर्धन पूजा और भाईदूज जैसे कई त्यौहार आते हैं। सिर्फ भारत में ही नहीं विदेशों में भी दिवाली का त्यौहार धूम-धाम से मनाया जाता है।
क्या आप जानते हैं दीपावली क्यों मनाई जाती है, इसके पीछे कई कारण हैं। कुछ तो आपने बचपन से सुने होंगे कुछ हम आपकी जनरल नॉलेज में इजाफा करने वाले हैं। हम आपको ऐसे कारण बताने जा रहे हैं जिसकी वजह से इस रौशनी से नहाये त्यौहार को आप और हम सेलिब्रेट करते हैं।
● श्री राम के वनवास खत्म करके आयोध्या लौटने पर ●
यह तो हम सभी जानते हैं कि इसी दिन श्रीराम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ आयोध्या वापस लौट आए थे। उनके वापस लौटने की खुशी में उनका पूरा राज्य खुशी से भर गया था। उनके लौटने की खुशी में वहां की प्रजा ने घी के दीये जलाए थे, उस दिन से लेकर आज तक हर कोई इस दिन को सेलिब्रेट करता है। बता दें, मंथरा के भड़काए जाने के बाद कैकेयी ने दशरथ और कौशिल्या के पुत्र राम को 14 वर्ष के वनवास का वचन मांगा था, राम के साथ उनकी पत्नी सीता और सुमित्रानंदन भाई लक्ष्मण भी वनवास चल दिए। वहां पर रावण द्वारा सीता का अपहरण हो जाता है। बाद में सुग्रीव और हनुमान की मदद से भगवान राम सीता को वापस पाते हैं और उनके साथ वापस आयोध्या लौटते हैं।
● पांडव लौटे थे अपने राज्य ●
महाभारत की कहानी तो आप जानते ही होंगे। शकुनी मामा की चाल में फंसकर पांडवों ने अपना सबकुछ गंवा दिया था। उन्हें 13 साल के अज्ञातवास की सजा मिली थी। कार्तिक की अमावस्या वाले दिन ही पांडव (अर्जुन, भीम, नकुल, सहदेव और युधिष्ठिर) अपने राज्य वापस लौटे थे। उनके लौटने की खुशी में वहां की प्रजा ने दीये जलाकर खुशियां मनाई थी। इसलिए भी दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है।
● किन किन बातों का रखें ख़्याल ●
रोशनी का त्योहार दिवाली है। इस त्योहार को बड़े पैमाने पर मनाया जाता है, लेकिन लापरवाह रहने से इस पर्व का मजा किरकिरा हो सकता है। दिवाली के मौके पर पटाखे जलाने के दरम्यान बहुत से लोगों के जल जाने की शिकायत आती है। पल्यूशन और तेज धमाकों की वजह से आंखों में जलन, दम घुटने, हार्ट अटैक और कान बंद होने जैसी दिक्कतें भी आम हैं। ऐसी हालत से बचने के लिए एहतियात जरूरी है।
★ अगर कोई घटना हो तो तुरंत ये कदम उठाए :::
– जलने की दो हालत होती है : एक सुपरफिशल बर्न और दूसरी डीप बर्न।
– सुपरफिशियल बर्न में दर्द और छाले हो जाते हैं, जबकि डीप बर्न में शरीर का जला हिस्सा सुन्न हो जाता है।
– अगर जलने के बाद दर्द हो रहा है, तो इसका मतलब है, हालत गंभीर नहीं है। ऐसे में जले हुए हिस्से को पानी की धार के नीचे रखें। इससे न सिर्फ जलन शांत होगी, बल्कि छाले भी नहीं पड़ेंगे। बरनॉल न लगाएं। अगर जलन शांत न हो तो ऑलिव ऑयल लगाएं। परेशानी कम न हो तो फौरन डॉक्टर के पास जाएं।
– मेडिकल बर्न चार्ट में एक हथेली के बराबर जलने को 1 फीसदी मानते हैं।
– बच्चों के 10 फीसदी और बड़ों के 15 फीसदी तक जलने पर घबराने की जरूरत नहीं। ऐसा होने पर जले हुए हिस्से को बहते पानी में तब तक रखें, जब तक जलन पूरी तरह से शांत न हो जाए। अक्सर होता यह है कि लोग फौरन डॉक्टर के पास भागने या बरनॉल, नीली दवा, स्याही वगैरह लगाने लगते हैं। जलने के बाद कोई दवा या क्रीम लगाने से वह हिस्सा रंगीन हो जाता है, जिससे डॉक्टर को पता नहीं चल पाता कि किस तरह का बर्न है। ऐसे में सही इलाज नहीं हो पाता।
★ आग से बचाव के लिए :::::::::::::::::
ऐसा करें
– हमेशा लाइसेंसधारी और विश्वसनीय दुकानों से ही पटाखे खरीदें।
– पटाखों पर लगा लेबल देखें और उस पर दिए गए निर्देशों का पालन करें।
– पटाखे जलाने से पहले खुली जगह में जाएं।
– आसपास देख लें, कोई आग फैलाने वाली या फौरन आग पकड़ने वाली चीज तो नहीं है।
– जितनी दूर तक पटाखों की चिनगारी जा सकती है, उतनी दूरी तक छोटे बच्चों को न आने दें।
– पटाखा जलाने के लिए स्पार्कलर, अगरबत्ती अथवा लकड़ी का इस्तेमाल करें ताकि पटाखे से आपके हाथ दूर रहें और जलने का खतरा न हो।
– रॉकेट जैसे पटाखे जलाते वक्त यह तय कर लें कि उसकी नोक खिड़की, दरवाजे और किसी खुली बिल्डिंग की तरफ न हो। यह दुर्घटना की वजह बन सकता है।
– पटाखे जलाते वक्त पैरों में जूते-चप्पल जरूर पहनें।
– हमेशा पटाखे जलाते वक्त अपना चेहरा दूर रखें।
– अकेले पटाखे जलाने के बजाय सबके साथ मिलकर एंजॉय करें ताकि आपात स्थिति में लोग आपकी मदद कर सकें।
– कम से कम एक बाल्टी पानी भरकर नजदीक रख लें।
– किसी भी बड़ी आग की शुरुआत एक चिनगारी से होती है, ऐसे में आग की आशंका वाली जगह पर पानी डालकर ही दूर जाएं।
★ ऐसा बिल्कुल न करें ::::::::::::::::::::::::
– नायलॉन के कपड़े न पहनें, पटाखे जलाते समय कॉटन के कपड़े पहनना बेहतर होता है।
– पटाखे जलाने के लिए माचिस या लाइटर का इस्तेमाल बिल्कुल न करें, क्योंकि इसमें खुली फ्लेम होती है, जो कि खतरनाक हो सकती है।
– रॉकेट जैसे पटाखे तब बिल्कुल न जलाएं, जब ऊपर कोई रुकावट हो, मसलन पेड़, बिजली के तार आदि।
– पटाखों के साथ एक्सपेरिमेंट या खुद के पटाखे बनाने की कोशिश न करें।
– सड़क पर पटाखे जलाने से बचें।
– एक पटाखा जलाते वक्त बाकी पटाखे आसपास न रखें।
– कभी भी अपने हाथ में पटाखे न जलाएं। इसे नीचे रखकर जलाएं।
– कभी भी छोटे बच्चों के हाथ में कोई भी पटाखा न दें।
– कभी भी बंद जगह पर या गाड़ी के अंदर पटाखा जलाने की कोशिश न करें।
– हाल में एक स्टडी में बताया गया है कि जलने के ज्यादातर हादसे अनार जलाने के दौरान होते हैं। इसलिए अनार जलाते वक्त खास एहतियात बरतें। हो सके तो खुद और बच्चों को भी आंखों में चश्मा लगा लें।
★ आंख-कान का बचाव :::::::::::::::
– आंख में हल्की चिनगारी लगने पर भी उसे हाथ से मसलें नहीं।
– सादे पानी से आंखों को धोएं और जल्दी से डॉक्टर को दिखाएं।
– दिवाली के बाद पल्यूशन और राख से आंखों में जलन की दिक्कत भी काफी बढ़ जाती है।
– अक्सर दिवाली के दूसरे-तीसरे दिन तक बाहर निकलने पर आंखों में जलन महसूस होती है, क्योंकि हवा में पल्यूशन होता है। ऐसी दिक्कत होने पर डॉक्टर की सलाह से कोई आई ड्रॉप इस्तेमाल कर सकते हैं।
★ कान :::::::::::
– वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक वे लोग, जो लगातार 85 डेसिबल से ज्यादा शोर में रहते हैं, उनके सुनने की क्षमता प्रभावित हो सकती है।
– 90 डेसिबल के शोर में रहने की लिमिट सिर्फ 8 घंटे होती है, 95 डेसिबल में 4 घंटे और 100 डेसिबल में 2 घंटे से ज्यादा देर नहीं रहना चाहिए।
– 120 से 155 डेसिबल से ज्यादा तेज शोर हमारे सुनने की शक्ति को खराब कर सकता है और इसके साथ ही कानों में बहुत तेज दर्द भी हो सकता है।
– ऐसे पटाखे, जिनसे 125 डेसिबल से ज्यादा शोर हो, उनकी आवाज से 4 मीटर की दूरी बनाकर रखें।
– ज्यादा टार वाले बम पटाखे 125 डेसिबल से ज्यादा शोर पैदा करते हैं, इसलिए ज्यादा शोर वाले पटाखे न जलाएं।
– आसपास ज्यादा शोर हो रहा हो, तो कानों में कॉटन या इयर प्लग का इस्तेमाल करें।
– छोटे बच्चों का खास ध्यान रखें। कानों में दर्द महसूस होने पर डॉक्टर को दिखाएं।
★ अस्थमा और हार्ट पर असर :::::::::::
– पटाखों से निकलने वाली सल्फर डाईऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी टॉक्सिक गैसों व लेड जैसे पार्टिकल्स की वजह से अस्थमा और दिल के मरीजों की दिक्कतें कई गुना बढ़ जाती हैं।
– टॉक्सिक गैसों व लेड जैसे पार्टिकल्स की वजह से ऐलर्जी या अस्थमा से पीड़ित लोगों की सांस की नली सिकुड़ जाती है और पर्याप्त मात्रा में ऑक्सिजन नहीं मिल पाती।
– ऐसी हालत में थोड़ी सी भी लापरवाही से हार्ट अटैक और अस्थमैटिक अटैक आ सकता है।
– परेशानी से बचने के लिए अस्थमा व दिल के मरीज पटाखे जलाने से बचें।
– धुएं और पल्यूशन से बचने के लिए घर के अंदर रहें। अगर धुआं घर में आ जाए तो एक साफ-सुथरा कॉटन का रुमाल या कपड़ा गीला करके उसका पानी निचोड़ कर उससे मुंह ढंक कर सांस लें। इससे हानिकारक कण शरीर में प्रवेश नहीं करेंगे।
– सांस के साथ प्रदूषण अंदर जाने से रोकने के लिए मुंह पर गीला रुमाल रखें। अस्थमा के मरीज इनहेलर और दवाएं आदि नियमित रूप से लें।
★ खानपान में एहतियात जरूरी :::::::::::::
फेस्टिव सीजन में लोग तरह-तरह का खाना खाते हैं, लेकिन ऐसे मौकों पर खासतौर से एहतियात बरतना जरूरी है। आप दोस्तों, रिश्तेदारों की रिक्वेस्ट को मानने के चक्कर में अपनी सेहत को न भूलें।
– देर रात में हल्का खाना खाएं। हेवी खाना खाने से भारीपन महसूस हो सकता है और रात में हार्ट की प्रॉब्लम हो सकती है।
– ड्रिंक करने से रात में ब्लड शुगर लेवल खतरनाक रूप से कम हो सकता है।
– पैक्ड फ्रूट जूस में सोडियम काफी ज्यादा होता है, इससे ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है।
– रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने की वजह से डायबिटीज के मरीजों को पटाखों के पल्यूशन से चेस्ट इन्फेक्शन का खतरा रहता है।
– हर चीज को लिमिट में इस्तेमाल करें, ज्यादा मात्रा में ड्राई फ्रूट भी परेशानी का सबब बन सकता है।
★ कड़वी न हो जाए मिठास ::::::::::::::
– इन दिनों नकली मिठाइयों की बिक्री जोरों पर है। मार्केट में लाल, पीली, काली, नीली हर रंग की मिठाइयां मौजूद हैं, जिनमें केमिकल वाले रंगों का इस्तेमाल होता है। इनका सेहत पर बुरा असर पड़ता है।
– जहां तक हो सके, घर की बनी फ्रेश चीजों, ताजे फल और ताजे फ्रूट जूस का इस्तेमाल करें।
★ आर्टिफिशल स्वीटनर ::::::::::::::::::
– लोग शुगर फ्री मिठाइयां यह सोचकर खाते हैं कि यह नुकसान नहीं करेंगी। सच यह है कि ये चीजें शुगर फ्री होती हैं, न कि कैलरी फ्री। ऐसे में कॉलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर तेजी से बढ़ जाता है।
– डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट की समस्या वाले लोग अक्सर सेहत का हवाला देकर मीठे के बजाय नमकीन खाते हैं, जबकि तली और ज्यादा नमक वाली चीजें भी परेशानी बढ़ाती हैं।
– मिलावटी मिठाइयों से हो सकती हैं ये परेशानियां- पेटदर्द, सिरदर्द, नींद न आना, मितली, शरीर में भारीपन, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल का कंट्रोल से बाहर होना आदि।
★ रोस्टेड काजू :::::::::::::::
इन दिनों रोस्टेड काजू भी लोग जमकर खाते हैं, जबकि एक साथ डिमांड ज्यादा होने पर अक्सर पुराने स्टॉक को फिर से फ्राई करके, उसमें और नमक मिलाकर बेचा जाता है, जो कि डबल फ्राई होने के कारण काफी खतरनाक हो जाता है।
★ यूं लें दिवाली की मिठास :::::::::::::::
– मिठाई के बजाय घर में बनी खीर, सेवइयां और कस्टर्ड आदि का इस्तेमाल करें। अगर डायबिटिक हैं तो इनमें मीठा न डालें।
– फ्रेश फ्रूट जूस का इस्तेमाल करें, पैक्ड जूस न लें।
– सेब, नाशपाती, पपीता, अमरूद और दूसरे रसीले ताजे फल खाएं और खिलाएं।
– खोये आदि के बजाय पेठे जैसी सूखी मिठाइयां इस्तेमाल करें।
– रोस्टेड काजू आदि की बजाय बादाम और अखरोट जैसे ड्राई फ्रूट का इस्तेमाल करें।
– खाने में ज्यादा तली-भुनी चीजों के बजाय लाइट चीजें बनाएं।
– घिया या कच्चे पपीते से घर में बना सकते हैं मिठाई।
★ कैसें मनाए बिना पटाखों के दिवाली ::::::::
दिवाली का त्योहार परिवारों और रिश्तेदारों के साथ खुशियां बांटकर मनाने का त्योहार है। लेकिन यह रिवाज़ शायद अब र्सिफ किताबों में रह गया है। क्योंकि आज की पीढ़ी ने शौर में दिवाली मनाने का आनंद ढूंढ लिया है। युवा पीढ़ी को समझना होगा कि पटाखे बिना दिवाली मनाई जा सकती हैं। और जिस मज़े में उन्हें आनंद मिल रहा है। पटाखों से होने वाले नुकसान बहुत हानिकारक है। इस आर्टिकल में आपको पता चलेगा कि आप प्रदूणष मुक्त दिवाली मनाने का सही तरीका क्या है। और पटाखे बिना दिवाली जैसे अच्छे त्योहार का मज़ा लिया जा सकता है।दिवाली कैसे मनाई जाती है बिना पटाखों के यहां से देखें।
★ पटाखों से दूर, परिवार के साथ :::::::::
इस साल से हम सब दिवाली मनाने का तरीका बदल लेंगे। आप सोच रहेंगे होंगे पटाखे बिना दिवाली कैसे मनाई जा सकती है। इस साल दिवाली पर सब पटाखों का साथ छोड़कर परिवार वालों का साथ लेंगे। पटाखे बिना दिवाली मनाने का कारण भी बहुत अच्छा है। यह बात खुद सोचने वाली है कि पटाखों से पर्यावरण को नुकसान कितना पहुंचता होगा। और सबसे ज्यादा पटाखों से हानि हम अपने आप को पहुंचा सकते हैं। अगर पटाखें जलाते समय न चाहते हुए पटाखों से होने वाले नुकसान आपके साथ हो गए तो दिवाली का मजा खराब हो सकता है। इससे अच्छा है आप अपने परिवार, रिश्तेदारों, दोस्तों के साथ मिलकर दिवाली जैसे पावन त्योहार का मजा उठा सकते हैं। परिवार, रिश्तेदारों, दोस्तों के साथ दिवाली का त्योहार मनाने से आप अच्छी यादें बटोर सकते हैं। जो पटाखों से प्रदूषण करने में तो बिल्कुल भी नहीं है। पटाखे बिना दिवाली मनाने से पटाखों से वायु प्रदूषण भी कम हो जाएगा।
★ जरुरत मंद की करें मदद ::::::::::::
किसी भी दिन अगर हम किसी जरुरत मंद इंसान की मदद करते हैं। तो अंदर से एक अलग खुशी महसूस होती है। और सबसे अच्छी बात तो यह है कि इस खुशी का हमें इंताजार नहीं करना होगा। बल्कि इस ख़ुशी को हम जब चाहे पा सकते हैं। और इस खुशी को पाने का मौका दिवाली का त्योहार से अच्छा तो और कोई हो ही नहीं सकता है। और इससे देखकर लगता है कि पटाखे बिना दिवाली मनाई जा सकती है। इस दिन आप किसी गरीब को मिठाईयां, कपड़े देकर मदद कर सकते हैं। अगर आप यह सब नहीं दे सकते हैं तो आप सिर्फ़ उनके पास जाकर दिवाली की बधाई भी दे सकते हैं। चीज़ों से ज्यादा जज्बात मायने रखते हैं। इससे आपको पता चल गया होगा कि पटाखे बिना दिवाली भी मनाई जा सकती है। और पटाखों से प्रदूषण के अलावा कुछ नहीं होता है। और यह याद रखें कि पटाखों से होने वाले नुकसान कितने होते हैं।
★ तोहफे बांटकर मनाएं दिवाली ::::::::::::
दिवाली का त्योहार ही खुशियां बांटने का त्योहार होता है। और भारत में खुशियां बांटने का तरीका लाजवाब है। दिवाली वाले दिन लोग अपनी खुशियों का इजहार तोहफे बांटकर करते हैं। और तोहफों में खासकर मिठाईयां बांटी जाती हैं।पटाखे बिना दिवाली मनाने का यह तरीका सबको अपनान चाहिए। मीठा बांटकर दिवाली मनाने का मजा ही कुछ और होता है। और यह मजा पटाखों से प्रदूषण करने में तो बिल्कुल भी नहीं है। साथ ही हम सबको पटाखों से होने वाले नुकसान के बारे में अच्छे से पता है। अगर तोहफे खुद जाकर दिए जाएं तो सोने पर सुहागा हो जाएगा। दिवाली ही सबसे अच्छा समय होता है जब हम अपने चहाने वालों से मिलना होता है। क्योंकि सभी अपनी जिंदगी में बहुत व्यस्त हो चुकी हैं।
★ आस-पास की करें सफाई, लगाएं पौधें::::::
दिवाली के मौके पर हर कोई 10-15 दिन पहले दिवाली की सफाई करने में लग जाता है। माना जाता है कि दिवाली की सफाई इसलिए की जाती है ताकि दिवाली वाले दिन लक्ष्मी घर आए। दिवाली का त्योहार पर घर की सफाई तो हर साल ही की जाती है। लेकिन इस बार आप पटाखे बिना दिवाली के साथ कुछ अलग करने की भी सोच सकते हैं। आप घर की सफाई के अलावा अपने आस-पास की भी सफाई कर सकते हैं। जैसे कि आप अपने मोहले की भी सफाई कर सकते हैं। और साफ की गई जगह में पेड़-पौधे भी लगा सकते हैं। जैसा कि हम सबको पता है दिवाली के बाद पटाखों से प्रदूषण बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। पटाखों से प्रदूषण पर किसी को तो ध्यान देना होगा।
★ खास लोगों के साथ दिवाली पार्टी करें::::::::
दिवाली का त्योहार का मज़ा र्सिफ पटाखों में नहीं होता है। इस बात को आपने अब तक मान लिया होगा। दिवाली का मजा आप अपने खास लोगों के साथ पार्टी करके भी मना सकते हैं। वैसे भी पार्टी करने से कोई भी मना नहीं करेगा। दिवाली पार्टी आप किसी थीम पर रख सकते हैं। या फिर प्रतियोगिताएं भी रख सकते हैं। या फिर हर कोई अपने घर से स्पेशल डिश बनाकर भी ला सकता है। यह पटाखे बिना दिवाली मनाने का बेस्ट तरीका भी है। साथ ही अपनो के साथ इस त्योहार का मजा दुगना भी हो जाएगा।
★ दिवाली की स्पेशल डिश खाएं और खिलाएं:::::
दिवाली वाले दिन हर किसी के घर में स्पेशल डिश बनती है। और यह स्पेशल डिश आप केवल खुद खाने के साख-साथ दूसरों को भी खिला सकते हैं। इससे आपका दिवाली का त्योहार की खुशियां दोगुनी हो जाएंगी। सबसे खास बात यह है कि इस दिन आप अपना कुकिंग टेलेंट भी दिखा सकते हैं। सबसे स्वादिष्ट डिश को लेकर आप प्रतियोगिता भी रख सकते हैं। जिसमें आप सबको खुद से डिश बनाने के लिए बोल सकते हैं। और चुने हुए जज सबकी डिश को टेस्ट करने के बाद बेस्ट डिश को ईनाम भी दे सकते हैं। इससे अलग-अलग डिश खाने को भी मिलेगी। साथ ही पटाखे बिना दिवाली का दिन यादगार बन जाएगा।
★ खुद सजे साथ में घर को भी सजाएं ::::::::::
सबकी जिंदगी बहुत भाग दौड़ भरी हो गई है। त्योहारों का ही वक्त ऐसा होता है जब पूरा परिवार साथ होता है। और दिवाली का त्योहार होने के बहाने ही घर के सब लोग सजते हैं। और खासकर दिवाली का दिन ही होता है जब अपने साथ हम अपने घर को भी सजाते हैं। हम अलग-अलग तरीकों से अपने घर को सजा सकते हैं। घर सजाने के तरीके आप नेट से देख सकते हैं। और दिवाली के समय घर सजाने की नई- नई चीज़े भी बाजारों में आ जाती हैं। और खुद के लिए तो हम बेस्ट ड्रेस लेते ही हैं। क्यों न घर को भी इस बार बेस्ट बनाएं। और इस बार प्रण लें कि पटाखे बिना दिवाली मनाएंगे।
★ दियों के साथ लें पूरे परिवार की सेल्फी::::::
सेल्फी लेना तो आजकर ट्रेंड में है। लेकिन सेल्फी भी हर कोई र्सिफ अपने आप की लेता है। इस बार आप अपने परिवार के साथ फैमली सेल्फी से सकते हैं। खासकर जलते हुए दियों के साथ आप अपने पूरे परिवार की सेल्फी ले सकते हैं। जो लोग घर से बाहर रहते हैं। और दिवाली का त्योहार के लिए घर आते हैं। दिवाली के बाद सब अपने कॉलेज और अॉफिस जाना शुरु कर देंगे। दिवाली के बाद र्सिफ यादें ही रह जाएंगी। और यह यादें आप अपने फोन में ले जा सकते हैं। इससे आपके पास दिवाली की यादें हमेशा आपके पास रहेगी। दिवाली का मजा दुगना हो जाएगा जब हम पटाखे बिना दिवाली मनाएंगे।
” दिवाली खुशियों का त्योहार है। लेकिन, खुशी मनाने के चक्कर में हम पर्यावरण को कितना नुकसान पहुंचा देते हैं, कभी सोचा है इस बारे में। सजावट के सामान से लेकर, दिवाली में जलाए जाने वाले पटाखे भी कुदरत के लिए नुकसानदेह साबित होते हैं। तो, चलिए इस बार मनाते हैं असली दीपावली… खुशियों से भरपूर इको फ्रेंडली दिवाली। यानी खुशियों पर न लगे प्रदूषण की नजर:”
★ सजावट में भी रखें पर्यावरण का खयाल ::::::
घर सजाने के लिए रंगीन कागज और रंगोली का इस्तेमाल होता था। हैंड मेड पेपर से बनी कंदील आदि चीजें छतों से टंगी हुयी घर की शोभा बढ़ाती थीं। लेकिन, बीते कुछ सालों में घर सजाने में प्लास्टिक के सामान का इस्तेमाल बहुत बढ़ गया है। दिवाली पर तो यह घर सजाने के काम आते हैं, लेकिन कुछ दिनों बाद ही ये सड़कों और गलियों में बिखरे देखे जा सकते हैं। ये नालियां तो जाम करते ही हैं साथ ही पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाते हैं। क्योंकि आप सभी जानते हैं कि प्लास्टिक गलता नहीं है। नतीजतन इसके असर दुष्प्रभावों के बारे में सोचना चाहिए।
★ न धूम न धमाका, इस बार नो पटाखा :::::::
पटाखे पर्यावरण के लिए काफी नुकसानदेह है। लेकिन, कहते हैं ना कि ‘चैरिटी बिगन्स एट होम’ तो सबसे पहले स्वयं पटाखे न जलाने का प्रण लें। अपने बच्चों और मित्रों को भी दिवाली पर पटाखे न जलाने के लिए प्रेरित करें।
★ इको-फ्रेंडली पटाखे भी हैं बाजार में :::::::::
हालांकि इस बार पटाखा बाजार भी प्रदूषण से निपटने के लिए तैयारी कर मैदान में उतरा है। इस बार आप बाजार जाएं तो आपको इको फ्रेंडली पटाखे मिल जाएंगे। इनसे आवाज और धुआं भी कम निकलता है। समस्या यह है कि इन्हें ज्यादा पसंद नहीं कर रहे हैं, बड़ी तादाद में युवा वर्ग को शोर वाले पटाखे ही पसंद आते हैं।
★ रोशन करें जहां ::::::::::::::::
दिवाली रोशनी का त्योहार है। इस मौके पर घरों को रोशन करने के लिए पहले मिट्टी के दीये जलाने का रिवाज था, लेकिन अब इनकी जगह चमचमाती लाइट्स ने ले ली है। इससे बिजली की खपत बढ़ती है। बेहतर होगा कि घरों को मिट्टी से बने दीयों से रोशन किया जाए। और इन लाइटों पर निर्भरता जरा कम की जाए।