भैया राजेश मिश्रा आजकल फलों का व्यापार करने मे व्यस्त है । खूब नोट दबा के छाप रहे है आजकल उनके बिज़नेस टर्नओवर बहुत ही कमाल का हो रहा है ।
जी हाँ ! आपने और हमने न जाने ऐसे कितनी बार इस तरह की बातें किसी व्यापारी के लिए बोली होंगी या किसी को किसी से कहते हुए सुनी होंगी।
इन सब बातों मे एक शब्द निकल के आया ” बिज़नेस टर्नओवर ” आखिर ये क्या है ? तो चलिए आइये जानते है और इसका क्या मतलब होता है।
अक्सर ये देखा गया है की कई लोग बिजनेस के टर्नओवर को उसके प्रॉफिट से जोड़ देते हैं उन्हें लगता है की टर्नओवर ही प्रॉफिट है। जबकि यह सत्य नहीं है सत्य तो यह है की टर्नओवर एवं प्रॉफिट दोनों भिन्न भिन्न हैं। हालांकि हर उद्यमी जो भी बिजनेस कर रहा हो उसे अपने बिजनेस की स्थिति मापने के लिए किसी न किसी मापक की आवश्यकता होती ही है। ताकि वह इस बात का पता लगा सके की उसके बिजनेस में चीजें कितनी अच्छी चल रही हैं। टर्नओवर अच्छा हुआ तो समझ लेना चाहिए की बिजनेस की हेल्थ भी अच्छी है। और यदि टर्नओवर अच्छा नहीं है तो समझ जाना चाहिए की बिजनेस की हेल्थ को उपचार की आवश्यकता है।
● टर्नओवर क्या है :- किसी बिजनेस द्वारा एक निश्चित समय मे सामान को बेचने पे जो पूँजी हमें मिलती है वो , उस व्यापार का टर्नओवर कहलाता है।
यह बिजनेस प्रॉफिट से अलग होता है और इसे बिजनेस से होने वाली कमाई का एक पैमाना माना जाता है।
जैसे: किसी बिजनेस द्वारा एक साल में उत्पन्न की गई बिक्री से होने वाली कमाई को उस साल का टर्नओवर कहा जाता है । इस तरह से अवधि के आधार पर इसके अलग अलग प्रकार हो सकते हैं। इसलिए कहा जा सकता है की टर्नओवर किसी निश्चित अवधि में बिजनेस के प्रदर्शन को मापने का एक प्रमुख एवं बेहतरीन उपाय है। इसका इस्तेमाल बिजनेस के दौरान योजना बनाने से लेकर निवेश को सुरक्षित करने तक विभिन्न प्रकार से किया जाता रहा है।
◆ टर्नओवर की गणना कैसे करे :
इसकी गणना के अनेकों तरीके मौजूद हो सकते हैं लेकिन एक आसान एवं सरल तरीका यह है की उद्यमी अपने बिजनेस का टर्नओवर निकालने के लिए उसके द्वारा बिक्री की गई कुल उत्पादों की संख्या को उनकी कीमत से गुणा कर सकता है।
उदाहरण :- माना किसी व्यापारी ने तीन महीने में उसने 200 रूपये प्रति वस्तु की दर से 4000 उत्पाद बेचे तो इस स्थिति में उद्यमी के बिजनेस का तीन महीने का टर्नओवर 4000×200=800000 रूपये होगा।
हालांकि टर्नओवर की गणना करते वक्त ग्राहकों को दिया गया डिस्काउंट एवं वैट इत्यादि को इसमें शामिल नहीं किया जाता है। इसके अलावा यदि बिजनेस निवेश के माध्यम से धन प्राप्त करता है तो उसे भी टर्नओवर का हिस्सा नहीं बनाया जाता है। इसलिए इसकी गणना है तो सरल लेकिन किसे इसकी गणना में शामिल करना है किसे नहीं, यह इसकी गणना को थोड़ा पेचीदा अवश्य बना देता है।
★ बिजनेस टर्नओवर का महत्व : किसी भी बिजनेस के मे निवेशक यही देखता है की उस बिज़नेस मे कितना टर्नओवर है । ज्यादा टर्नओवर किसी भी बिज़नेस के बारे मे ये बताता है कि व्यापार मे फायदा हो रहा है, वहीँ कम टर्नओवर बिजनेस मे हो रहे घाटे को बताता है। यदि किसी बिजनेस की स्थिति के बारे मे जानना है तो उसके बिजनेस टर्नओवर को देखना चाहिए ।
● टर्नओवर एवं प्रॉफिट में अंतर : हम टर्नओवर एवं प्रॉफिट में अंतर समझने की कोशिश करेंगे। जो निम्न हैं।
टर्नओवर एक निश्चित अवधि के दौरान बिजनेस की कुल कमाई का प्रतिनिधित्व करता है अर्थात यह एक निश्चित अवधि के दौरान कुल बिक्री का आंकड़ा होता है। जबकि प्रॉफिट अर्थात लाभ कुल कमाई से खर्च की कटौती के बाद बची हुई आय होती है।
टर्नओवर एवं प्रॉफिट दोनों किसी भी बिजनेस की इनकम स्टेटमेंट में शुरूआती एवं समाप्ति बिंदु हैं। जहाँ टर्नओवर सबसे पहले उल्लेखित होता है वहीँ लाभ परिणाम लेकर नीचे उल्लेखित होता है।
Business Turnover एवं प्रॉफिट में अंतर को और अच्छी तरह समझाने के लिए यहाँ पर हम एक उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं। तो आइये इन दोनों में अंतर को हम नीचे दिए गए इस उदाहरण के माध्यम से समझने की कोशिश करते हैं।
उदाहरणार्थ – माना A नाम का उद्यमी C नामक एक उत्पाद को 500 रूपये में बेच रहा है और वह इस उत्पाद के 200 पीस बेच देता है। इस स्थिति में A नामक उद्यमी का बिजनेस टर्नओवर 500×200 =100000 रूपये होगा।
मान लीजिये की A नामक उद्यमी ने C नामक प्रोडक्ट को 480 रूपये प्रति इकाई के हिसाब से ख़रीदा तो इस स्थिति में प्रति पीस उद्यमी का प्रॉफिट 500-480=20 रूपये हुआ। और 200 पीस की बिक्री पर कुल प्रॉफिट 20×200= 4000 रूपये होगा।
उपर्युक्त उदाहरण से स्पष्ट है की Business Turnover एवं प्रॉफिट दोनों अलग अलग तत्व हैं इसलिए इन्हें एक समझने की गलती कदापि नहीं करनी चाहिए। कभी कभी बिजनेस टर्नओवर अधिक होने पर भी लाभ की दर कम हो सकती है। और इसके विपरीत टर्नओवर कम होने पर भी लाभ की दर अधिक हो सकती है।