★ शी जिनपिंग का प्रारम्भिक जीवन : शी जिनपिंग का जन्म 15 जून, 1953 को हुआ था। इनके पिता का नाम शी चिन झोंगक्स था।
जो चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता थे, इनके माता का नाम क्यु शिन था। इनके पिता जो कम्युनिस्ट चीन के संस्थापक माओ त्से-तुंग के पूर्व कॉमरेड थे। साल 1963 में जब शी महज 10 साल के थे, चेयरमैन माओ ने अपनी पार्टी के नेताओं पर जो जुल्म ढाए उसका खामियाजा जिनपिंग को भुगतना पड़ा। इसका नतीजा ये हुआ कि पहले तो शी के पिता को पार्टी से बाहर कर दिया गया फिर उन्हें जेल भेज दिया गया। जब जिनपिंग 25 साल के थे तब उनके पिता की पार्टी में दोबारा वापसी हो गई थी। पिता की मदद से शी ने अपना करियर तेजी से आगे बढ़ाया।
★ बेहद कठिन थी ज़िन्दगी की जंग : शी को कारखानों मे भी काम करना पड़ा। चीन के कारखाने उस समय गांवो मे हुआ करते थे। साठ के दशक में चीन के गांवों की ज़िंदगी बहुत कठिन थी. बिजली नहीं हुआ करती थी. गांवों तक जाने का रास्ता भी पक्का नहीं होता था. खेती के लिए मशीनें भी नहीं थीं. उस दौर में शी ने खाद ढोने, बांध बनाने और सड़कों की मरम्मत का काम सीखा था. वो जिस गुफा में रहते थे, वहां कीड़े-मकोड़ों का डेरा होता था. उस में वो ईंटों वाले बिस्तर पर तीन और लोगों के साथ सोया करते थे. उस वक्त खाने के लिए उन्हें दलिया, बन और कुछ सब्ज़ियां मिला करते थे. उनके एक किसान साथी लू होउशेंग ने बताया था कि भूख लगने पर ये कोई नहीं देखता था कि खाने में मिल क्या रहा है.
★ जिनपिंग का व्यक्तिगत जीवन : साल 1987 में उन्होंने गायिका पेंग लियुआन से शादी की। वह टेलीविजन पर जानी मानी महिला है । वह ‘पीपुल्स लिबरेशन आर्मी’ में जनरल की के पद पर है। साल 1992 में दंपति की इकलौती संतान है । ये संतान एक बेटी है जिसका नाम शी मिंगज़े है।
★ जिनपिंग की पढ़ाई लिखाई : जब शी जिनपिंग ने पढ़ाई लिखाई शुरू की तो उनके घर की वित्तीय हालात ठीक न होने के कारण उन्हें अपनी पढ़ाई बीच मे ही छोड़नी पड़ी। साल 1975 से 1979 तक उन्होंने बीजिंग के मिडिल स्कूल से प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा प्राप्त की. रात में शी जिनपिंग अपनी गुफा में ढिबरी की रौशनी में पढ़ा करते थे. उन्हें पढ़ने का शौक था.
माध्यमिक पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने तसिंघुना विश्वविद्यालय से 1998 से 2002 के दौरान बीई की डिग्री हासिल की थी. शी जिनपिंग ने बेहद संघर्षों में अपना बचपन जीते हुए अपने देश का सर्वोच्च पद हासिल किया.
★ कभी किसानी करते थे शी जिनपिंग : पंद्रह बरस के लड़के शी जिनपिंग ने देहात में मुश्किल भरी जिंदगी की शुरुआत की थी. चीन के अंदरूनी इलाके में जहां चारों तरफ पीली खाइयां थीं, ऊंचे पहाड़ थे, वहां से जिनपिंग की जिंदगी की जंग शुरु हुई थी. जिस इलाके में जिनपिंग ने खेती-किसानी की शुरुआत की थी, वो गृह युद्ध के दौरान चीन के कम्युनिस्टों का गढ़ था. येनान के लोग अपने इलाके को चीन की लाल क्रांति की पवित्र भूमि कहते थे. शी जिनपिंग की अपनी कहानी को काफी हद तक काट-छांटकर पेश किया जाता है. दिलचस्प बात ये है कि जहां चीन के तमाम अंदरूनी इलाकों का तेजी से शहरीकरण हो रहा है, वहीं राष्ट्रपति शी के गांव को जस का तस रखा गया है. कम्युनिस्ट पार्टी के भक्तों के लिए वो एक तीर्थस्थल है.
★ किसानों से सीखा जीने का सलीखा : 1968 में चेयरमैन माओ ने फरमान जारी किया था कि लाखों युवा लोग शहर छोड़कर गांवों में जाएं. जहां उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. जहां उन्होंने किसानों और मजदूरों से वहां रहने का सलीखा सीखा. शी का कहना है कि आज वो जो कुछ भी हैं, वो उसी दौर की वजह से हैं. उनका किरदार उसी गुफा वाले दौर ने गढ़ा.
★ पुरस्कार और उपलब्धियां : 2014 में क्यूबा की सरकार द्वारा राष्ट्रपति शी जिनपिंग को ‘ऑर्डर ऑफ जोसे मार्टी’ के साथ सम्मानित किया गया था। एक प्रतिष्ठित क्रांतिकारी और लेखक के रूप में नामित, यह पुरस्कार क्यूबा-चीनी संबंधों को मजबूत करने और समाजवादी कारण को मजबूत करने के लिए शी के प्रयासों को मान्यता देने के लिए दिया गया था।
★ शी जिनपिंग का भारत दौरा : चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग आज से दो दिनों के भारत दौरे पर हैं. चेन्नई पहुंचने पर उनका परंपरागत तरीक़े से शानदार स्वागत किया गया. इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चिनफिंग महाबलीपुरम पहुंचे. प्रधानमंत्री मोदी इस मौक़े पर ख़ास तौर पर दक्षिण के परिधान लुंगी में नज़र आए. पीएम मोदी ने शी चिनफिंग को अर्जुन की तपस्या स्थली, पंच रथ, शोर टेंपल समेत अन्य स्थानों को दिखाया और इसके बारे में जानकारी दी. बता दें कि चिनफिंग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ दूसरी अनौपचारिक शिखर वार्ता के लिए करीब 24 घंटे की भारत यात्रा पर आये हैं. तमिलनाडु से करीब 50 किलोमीटर दूर पुरातनकालीन तटीय शहर मामल्लापुरम में यह शिखर वार्ता होगी जो चीन के फुजियान प्रांत के साथ मजबूत व्यापार और सांस्कृतिक संबंधों के कारण अहम है.
★ आजीवन बने रहेंगे चीन के राष्ट्रपति : रबर स्टांप मानी जाने वाली चीनी विधायिका राष्ट्रपति के लिए दो कार्यकाल की सीमा को समाप्त करते हुए आज नए संवैधानिक बदलावों को मंजूरी प्रदान कर देगी. इसके साथ ही शी जिनपिंग के लिए आजीवन देश का नेता बने रहने का रास्ता साफ हो जाएगा. सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी आफ चाइना( सीपीसी) द्वारा प्रस्तावित संविधान संशोधन को कल संसद से मंजूरी मिलना लगभग तय ही है. पार्टी के प्रस्तावों को समर्थन करते रहने के कारण करीब तीन हजार सदस्यों वाली संसद‘‘ नेशनल पीपुल्स कांग्रेस’’ को अक्सर रबर स्टांप संसद कहा जाता है. संसद के सालाना सत्र के पहले सीपीसी ने राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के लिए दो कार्यकाल की सीमा को हटाने का प्रस्ताव किया है. तानाशाही की नौबत को टालने तथा एकल दल वाले देश में सामूहिक नेतृत्व सुनिश्चित करने के लिए चीन में करीब दो दशक से दो कार्यकाल के नियम का पालन किया जाता रहा है. संवैधानिक बदलाव के साथ ही 64 वर्षीय शी का आजीवन चीनी राष्ट्रपति बने रहने का रास्ता प्रशस्त हो जाएगा.