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जोसेफ़ स्टालिन: इंक़लाबी राजनीति से ‘क्रूर तानाशाह’ बनने का सफ़र

जोसेफ़ स्टालिन: इंक़लाबी राजनीति से ‘क्रूर तानाशाह’ बनने का सफ़र

Posted on October 21, 2019April 8, 2024 By admin

स्टालिन के नाम का मतलब होता है लौह पुरुष. स्टालिन ने जिस तरह की ज़िंदगी जी, उससे ये लगता है कि उन्होंने अपना नाम सार्थक किया. उन्होंने रूस को इतना ताक़तवर बनाया कि उसने हिटलर की जर्मन सेना को दूसरे विश्व युद्ध में मात दी. लेकिन ये भी कहा जाता है कि स्टालिन के राज में ज़ुल्मो-सितम की भी इंतेहा हुई. उनकी नीतियों और फ़रमानों की वजह से कथित तौर पर दसियों लाख लोग मारे गए. एक दौर में दुनिया के सबसे ताक़तवर नेता रहे स्टालिन की ज़िंदगी एक मामूली से परिवार से शुरू हुई थी.

★ स्टालिन का बचपन और प्रारम्भिक जीवन :  स्टालिन का जन्म 18 दिसंबर 1879 में जॉर्जिया के गोरी में हुई थी. उनके बचपन का नाम था, जोसेफ़ विसारियोनोविच ज़ुगाशविली. उनके पिता का नाम बिसरीयोंन था। जो जूते बनाने का काम किया करते थे | स्टालिन की माँ का नाम केट्वीन थाजो एक गृहणी थी |

★ स्टालिन से जुड़े कुछ रोचक तथ्य :

● सात बरस की उम्र में स्टालिन को चेचक की बीमारी हो गई. जिससे उनके चेहरे पर दाग़ पड़ गए. इस बीमारी की वजह से उनके बाएं हाथ में भी ख़राबी आ गई थी.

● स्टालिन गोरी के पादरी स्कूल में मन लगाकर पढ़ रहा था और अपने सहपाठियो का नेता बन गया था |

● स्टालिन को अपनी ट्यूशन फीस नही दे पाने के कारण उसे उसे अंतिम परीक्षा से निष्काषित कर दिया गया |

● वे जिस दल के साथ काम करते थे उसके प्रचार प्रसार के लिए चोरी और डकैती भी करने लगे थे |

● स्टालिन ने 1906 में एकतेरिना से विवाह किया था जिससे उनको पुत्र हुआ था लेकिन अपनी पहली पत्नी की मौत के बाद उसने दूसरा विवाह नद्ज़ेहा से कर लिया था |

● सोवियत यूनियन का तानाशाह बनने के बाद स्टालिन ने अपने साम्राज्य को औद्योगिक महाशक्ति में बदलने का पंचवर्षीय योजना बनाई |

● उसकी इस योजना में उसको कई खेतो को नष्ट करना था जिसके लिए वहा के किसानो ने मना कर दिया |

● जब हजारो किसानो ने खेत देने से मना कर दिया तो स्टालिन ने कुछ को गोलियों से भुनवा दिया और कुछ को देश निकाले की सजा दे दी |

● अब स्टालिन लाखो लोगो को मारकर एक महाशक्ति बनकर उभर रहा था जिससे लोगो में खौफ छा गया था |

● स्टालिन के बारे में ऐसा कहा जाता है कि उसने अपने परिवार को ही मरवा दिया था जिसके कारण उसकी खुद की मौत के समय उसका एक भी रिश्तेदार नही बचा था |

● स्टालिन ने लोगो में खौफ पैदा कर राज करना शुरू कर दिया था | इसने पुरे देश में अपने जासूस फैला दिए थे ताकि विद्रोही लोगो को खत्म किया जा सके |

● 1930 के दशक में स्टालिन ने अपनी शक्ति इतनी बढ़ा दी कि दुसरे देश के लोग भी उससे डरने लगे थे |

● स्टालिन ने अपनी छवि को सोवियत यूनियन में सब जगह फ़ैला दी थी जिसकी वजह से कई शहरों के नाम उसके सम्मान में रखे जाने लगे थे |

★ पंचवर्षीय योजनाओ का निर्माण :

स्टालिन ने रूस के विकास के लिए पंच वर्षीय योजना पर बल दिया । साल 1925 ई. में उसने योजना आयोग की स्थापना की और द्वितीय विश्वयुद्ध तक तीन पंचवर्षीय योजनाएं लागू की।

● प्रथम पंचवर्षीय योजना : पहली पंचवर्षीय योजना का जो समय था वो 1928 से 1932 ई. तक था। इस योजना मे पूंजीवाद के अवशेषों का समाप्त करना, सोवियत रूस का औद्योगिकरण करना, कृषि का समूहीकरण एवं मशीनीकरण करना इन जैसे बातों पे विशेष ध्यान दिया गया।

● दूसरी पंचवर्षीय : दूसरी पंचवर्षीय योजना साल 1932 मे चलाई गई। इस योजना मे रोज के काम आने वाली चीज़ों को बनाने पे ध्यान दिया गया। फलतः रूसी जनता के रहन-सहन में सुधार होने लगा। साथ ही यातायात के साधनों और निवास स्थान के निर्माण की तरफ विशेष ध्यान दिया गया। चूंकि इसी समय जर्मनी में हिटलरका उदय हुआ तथा उसने रूस पर आक्रमण की नीति अपनाई। अतः स्टालिन को उपभोक्ता वस्तुआें के निर्माण की बजाय अस्त्र-शस्त्र निर्माण पर ध्यान देना पड़ा। इस काल में रूस में लोहे-इस्पात तथा कोयले का उत्पादन कई गुना बढ़ गया। टै्रक्टर, रेल इंजन के निर्माण में वह अग्रणी देश बना। यही वजह है कि नाजी आक्रमण के दौरान रूस ने उसका सफलतापूर्वक सामना किया। इसी तरह 1938 ई.में द्वितीय विश्व युद्ध प्रारंभ हो जाने के कारण इसे स्थागित करना पड़ा।

● शिक्षा के क्षेत्र में कार्य : स्टालिन ने निरक्षरता को समाप्त करने पर बल दिया। उसने माना था कि जब तक किसी भी समाज मे शिक्षा का स्तर नही बढ़ेगा तब तक न तो वो आर्थिक रूप से मजबूत हो पाता है न ही सामाजिक रूप से। स्टालिन के समय प्राथमिक शिक्षा को मुफ्त और सभी के लिए ज़रूरी किया गया।

रूसी भाषा के अलावे अन्य भाषा में भी पुस्तकों को प्रकाशित करने की व्यवस्था की गई। वैज्ञानिक तथा तकनीकी शिक्षा की तरफ विशेष ध्यान दिया गया। इन सबको सम्मिलित परिणाम यह हुआ कि 1941 ई. में रूस के 90 प्रतिशत लोग शिक्षित हो गए और रूस की वैज्ञानिक तथा तकनीकी क्षेत्र में काफी प्रगति हुई।

● स्टालिन ने 1936 मे नए संशोधित संविधान लागू किया ●

1918 में लेनिन के काल में जिस संविधान का निर्माण हुआ था उसे स्टालिन ने 1936 ई. में संशोधित कर नए संविधान के रूप में लागू किया। इसके तहत इनकी संसद का नाम “सुप्रीम सोवियत ऑफ द यूएसएसाअर” रखा गया। इसमें दो सदन होते थे जिनका कार्यकाल चार वर्ष निर्धारित था। 18 वर्षकी आयु वालों को मताधिकार दिया गया। नागरिको को काम पाने का अधिकार भी दिया गया।

प्रगति के पथ पर अग्रसरित कर द्वितीय विश्वयुद्ध में नाजी जर्मनी का मुकाबला करने हेतु तैयार किया। यह बात ठीक है कि उसने जोर जुल्म, आतंक राज्य तथा तानाशाही के माध्यम से नीतियों को लागू किया। वह निर्दय होकर देश के भीतरी दुश्मनों के समक्ष पेश हुआ। लेकिन यह भी सत्य है कि यदि वह ऐसा नहीं करता तो विश्व की एक मात्र मजदूरों की सरकार नाजियों के हाथ नष्ट हो जाती।

● हिटलर से समझौता : जब दूसरा विश्व युद्ध शुरू हुआ, तो स्टालिन ने जर्मनी के तानाशाह हिटलर के साथ समझौता करके पूर्वी यूरोप के देशों का आपस में बंटवारा कर लिया. जर्मनी की सेना ने बड़ी आसानी से फ्रांस पर क़ब्ज़ा कर लिया. ब्रिटेन को भी पीछे हटना पड़ा. इस दौरान रूसी सेना के जनरलों ने स्टालिन को आगाह किया कि जर्मनी, सोवियत संघ पर भी हमला कर सकता है. लेकिन स्टालिन ने अपने फौजी कमांडरों की चेतावनी अनसुनी कर दी. 1941 में जर्मनी ने पोलैंड पर क़ब्ज़ा कर लिया और सोवियत संघ पर भी ज़बरदस्त हमला किया. सोवियत सेनाओं को भारी नुक़सान उठाना पड़ा.

हिटलर के धोखे से स्टालिन इस क़दर ग़ुस्सा हो गए कि वो कोई फ़ैसला नहीं ले पा रहे थे. स्टालिन ने ख़ुद को एक कमरे में क़ैद कर लिया. कई दिनों तक सोवियत संघ की सरकार दिशाहीन रही. इस दौरान हिटलर की सेनाएं राजधानी मॉस्को तक आ पहुंचीं.

● जब स्टालिन ने हिटलर को शिकस्त दे दी :

जर्मनी के लगातार हमलों से सोवियत संघ का बुरा हाल था. देश तबाही के कगार पर खड़ा था. लेकिन, स्टालिन नाज़ी सेना पर जीत के लिए अपने देश के लाखों लोगों को क़ुर्बान करने के लिए तैयार थे. दिसंबर 1941 में जर्मन सेनाएं रूस की राजधानी मॉस्को के बेहद क़रीब पहुंच गईं. सलाहकारों ने स्टालिन को मॉस्को छोड़ने की सलाह दी. मगर स्टालिन ने इससे साफ़ इनकार कर दिया. उन्होंने अपने कमांडरों को फ़रमान जारी किया कि उन्हें नाज़ी सेनाओं को किसी भी क़ीमत पर हराना होगा. जर्मनी और रूस के बीच जंग में स्टालिनग्राड की लड़ाई से निर्णायक मोड़ आया. हिटलर ने इस शहर पर इसलिए हमला किया क्योंकि इसका नाम स्टालिन के नाम पर था. वो स्टालिनग्राड को जीतकर स्टालिन को शर्मिंदा करना चाहता था. लेकिन स्टालिन ने अपनी सेनाओं से कहा कि वो एक भी क़दम पीछे नहीं हटेंगी. स्टालिनग्राड के युद्ध में रूसी सेना के दस लाख से ज़्यादा सैनिक मारे गए. लेकिन आख़िर में सोवियत सेनाओं ने जर्मनी को मात दे दी. इसके बाद तो सोवियत संघ ने हिटलर की सेनाओं को वापस जर्मनी की तरफ़ लौटने को मजबूर कर दिया. सोवियत सेनाएं, जर्मनी को खदेड़ते हुए राजधानी बर्लिन तक जा पहुंचीं.

● लेलिन के बाद स्टालिन का चमका सितारा :

एक छात्र के रूप में, उन्होंने अपनी राजनीतिक विचारधारा को प्रदर्शित करना शुरू कर दिया क्योंकि उन्होंने रूसी जार निकोलस II के नेतृत्व के बारे में बात की थी। 1 9 01 में, जोसेफ स्टालिन सामाजिक डेमोक्रेटिक लेबर पार्टी में शामिल हो गए और एक वर्ष के भीतर, एक क्रांतिकारी श्रमिक हड़ताल के लिए गिरफ्तार कर लिया गया। 1 9 00 के शुरुआती दिनों में, स्टार्लिन के अविश्वास और ज़ार की अगुवाई वाली रूसी सरकार का विरोध बढ़ता हुआ था।

1 9 17 के फरवरी में, रूसी क्रांति शुरू हुई, जिसके परिणामस्वरूप नए सोवियत शासन के जार को उखाड़ फेंकने और कार्यान्वयन हुआ। 1 9 22 में, स्टालिन को कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव के रूप में नियुक्त किया गया था। महासचिव के रूप में, पार्टी के सदस्यों की नियुक्ति करने में स्टालिन की प्रमुख भूमिका थी। इस स्थिति ने स्टालिन को अपना स्वयं का राजनीतिक आधार विकसित करने की इजाजत दी, जबकि उनको विरोध करने वालों को हटा दिया। सोवियत नेता व्लादिमीर लेनिन की मौत के बाद, स्टालिन सोवियत नेता के रूप में उभरा।

 

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