भेड़ो का प्रजनन मौसम के अनुसार ही करना चाहिए क्योंकि अधिक गर्मी और बरसात के मौसम में प्रजनन होने से इनकी मृत्यु दर बहुत अधिक बढ़ जाती है। इनके बच्चे को मेमना कहते है। नर भेड़ो को रामस तथा मादा भेड़ो को एवेस कहा जाता है। भेड़ की औसतन आयु लगभग 7 से 8 वर्ष होती है। परन्तु कुछ अच्छी प्रजाति की भेड़ो का जीवन काल इससे भी अधिक होता है। यह एक ऐसा जानवर है जिसका पालन किसी भी प्रकार की जलवायु में किया जा सकता है। परन्तु भेड़ सामान्यतः कम वर्षा वाले शुष्क क्षेत्रो में पाई जाती है। भेड़ पालन के लिए बहुत कम पूँजी और न ही बहुत ज्यादा देखरेख की ही आवश्यकता होती है इसीलिए प्राचीन काल से ही भेड़ों का पालन करना मानव का एक प्रमुख व्यवसाय रहा है।
◆. भेड़ से सम्बंधित जानकारियां ◆
● भेड़ झुंड में रहना ज्यादा पसंद करती है।
● इनकी सुनने की तथा किसी भी चीज़ को याद रखने की क्षमता बहुत अधिक होती है।
● भेड़ एक शाकाहारी जानवर है जो घास तथा पेड़ पौधों की हरी पत्तियों को अपने भोजन के रूप में प्रयोग करती है।
● सामान्यता भेड़ो के सींग नही होती है परंतु इनकी कुछ प्रजातियों में सींघ पायी जाती है। विश्व मे सबसे अधिक भेड़ो की संख्या चीन में पाई जाती है।
◆ भेड़ पालन से लाभ ◆
● भेड़ का पालन करके तथा इनकी अच्छी तरह देखभाल तथा पोषण करके इनसे ऊन, मांस प्राप्त किया जा सकता है।
● भेड़ का गोबर बहुत अच्छे प्रकार का उर्वरक होता है जिससे खेतों की उत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है।
● भेड़ के दूध में प्रोटीन तथा वसा की अधिक मात्रा पायी जाती है।
भेड़ के शरीर पर बहुत नरम और लंबे रोयें पाये जाते है जिनसे ऊन का निर्माण किया जाता है। इनके द्वारा प्राप्त किये गए ऊन से विभिन्न प्रकार के वस्त्रों को बनाया जाता है जिनका उपयोग मानव द्वारा किया जाता है। भेड़ के ऊन में ‘लेनोलिन’ नामक प्राकृतिक तैलीय पदार्थ पाया जाता है जिसका उपयोग प्रसाधन समाग्री तथा मोमबत्ती के निर्माण में किया जाता है। अच्छी प्रजाति की भेड़ ऊन का अधिक उत्पादन करती है। जो भेड़े ऊन का कम उत्पादन करती है उनका उपयोग दूध के लिए तथा मांस के उत्पादन में किया जाता है।
◆ भेड़ की प्रजातियां ◆
विश्व मे पायी जाने वाली भेड़ की कुल संख्या का लगभग 4 प्रतिशत भेड़ भारत मे पायी जाती है।
जैसे कि – मालपुरा, जैसलमेरी, मंडिया, मारवाड़ी, बीकानेरी , मैरिनो, कोरिडायल रामबुतु जैसी भेड़ की प्रजातियों को मांस के उत्पादन के लिए उपयुक्त माना जाता है। इसके अलावा दरी को बनाने में उपयोग किये जाने वाले ऊन के उत्पादन के लिए मुख्य रूप से मालापुरा, मारवाड़ी, छोटा नागपुरी शहाबाबाद आदि प्रजातियों का पालन करना चाहिए।
भारत मे ज्यादातर भेड़े अत्यधिक शुष्क, पथरीली या फिर पर्वतीय क्षेत्रों में पायी जाती है। भारत मे सबसे अधिक ऊन देने वाली भेड़े उत्तरी मैदानों के शुष्क क्षेत्रो में तथा गुजरात के जोरिया प्रदेश में पायी जाती है।
◆ भारत में भेड़ पालन कैसे शुरू करें ◆
इस बिजनेस को कोई भी व्यक्ति अपनी निवेश करने की क्षमता के मुताबिक छोटे या बड़े स्तर पर शुरू कर सकता है। लेकिन यदि उद्यमी भेड़ पालन से अधिक से अधिक कमाई करने की अपेक्षा रखता है तो उसे इसे हकीकत में बदलने के लिए कड़ी मेहनत एवं एक प्रभावी व्यापारिक योजना की आवश्यकता होती है। कहने का आशय यह है की भेड़ों से लाभ प्राप्त करने के लिए उद्यमी को भेड़ों का उचित प्रबंधन एवं उचित देखभाल करने की आवश्यकता होती है। इसके अलावा बिजनेस की सफलता के लिए एक प्रभावी रणनीति के तहत कार्य करने की भी आवश्यकता होती है।
1. भेड़ पालन के लिए उपयुक्त लोकेशन:
Sheep farming Business के लिए उपयुक्त लोकेशन का चुनाव करना बेहद ही महत्वपूर्ण कार्य है यद्यपि भेड़ पालन भारतवर्ष के किसी भी क्षेत्र से शुरू किया जा सकता है। क्योंकि जलवायु के आधार पर सम्पूर्ण भारत में भेड़ पालन आसानी से किया जा सकता है। लेकिन जब उद्यमी द्वारा अपने इस बिजनेस के लिए उपयुक्त लोकेशन का चुनाव किया जा रहा हो तो उसे कुछ महत्वपूर्ण फैसिलिटी के बारे में अवश्य ध्यान देना चाहिए। Sheep Farming के लिए लोकेशन का चयन करते समय इस बात का ध्यान रखें की उस लोकेशन पर स्वच्छ एवं ताजे पानी की फैसिलिटी हो, हरी घास की उपलब्धता हो, चिकित्सा की अच्छी सुविधा हो, ट्रांसपोर्टेशन एवं मार्केटिंग की फैसिलिटी हो। इन्हीं सब उपर्युक्त फैसिलिटी को ध्यान में रखकर उद्यमी को भेड़ पालन के लिए लोकेशन का चुनाव करना चाहिए।
2. अच्छी नस्ल का चुनाव करें :
दुनिया भर में भेड़ों की कई नस्लें विद्यमान हैं और इन नस्लों में से कुछ नस्लें ऐसी भी हैं जो भारत में पालने के लिए उपयुक्त हैं। जैसा की हम सबको विदित है की Sheep Farming Business भेड़ों से उत्पादित उत्पादों जैसे दूध, खाद, खाल, मांस, ऊन इत्यादि पर निर्भर होता है। इसलिए भेड़ पालन कर रहे उद्यमी को हमेशा ही एक ऐसी नस्ल का चुनाव करना चाहिए जिसमें इन उत्पादों को अधिक पैदा करने का सामर्थ्य हो। भारत के बाजार में भी अनेकों नस्ल के भेड़ उपलब्ध हैं जिनमें से आप अपनी आवश्यकतानुसार भेड़ की नस्ल का चुनाव अपने बिजनेस के लिए कर सकते हैं। अपने क्षेत्र की जलवायु स्थिति के हिसाब से आप किसी भी अच्छी नस्ल का चुनाव कर सकते हैं जिससे आप अच्छी खासी कमाई कर पाने में समर्थ हों। जैसे यदि आप भेड़ पालन मांस उत्पादन के लिए करना चाहते हैं तो आपको किसी ऐसी नस्ल का चुनाव करना होगा जो बड़ी जल्दी बढती हो। इसके अलावा दूध एवं ऊन का उत्पादन करने के लिए मार्किट में उपलब्ध किसी उपयुक्त नस्ल का चुनाव करें। आज भारत में Sheep Farming Business शुरू करने वाले उद्यमियों के लिए कई स्थानीय भेड़ों की नस्लें आसानी से उपलब्ध हैं ।
मैरिनो (Merino): भेड़ों की यह नस्ल ऊन का उत्पादन करने के लिए प्रसिद्ध है।
Leicester Long-wool Sheep: भेड़ की यह नस्ल कई क्षेत्रों में बेहद कम पायी जाती है जो उच्च गुणवत्तायुक्त उन प्रदान करने के लिए प्रसिद्ध है।
लिंकन भेड़ (Lincoln sheep): यह नस्ल भी बेहतर ऊन का उत्पादन करने के लिए पूरे विश्व में जानी जाती है।
डोरसेट भेड़ (Dorset sheep): भेड़ों की यह नस्ल जल्दी वृद्धि होने के लिए जानी जाती है और इसलिए स्वादिष्ट मांस उत्पादन के लिए अनुकूल मानी जाती है।
Dorper sheep: यद्यपि यह नस्ल भी ऊन उत्पादन के लिए बेहतर मानी जाती है लेकिन जलवायु की स्थिति के अनुसार ऊन उत्पादन में भी समर्थ है।
हैम्पशायर भेड़ (Hampshire sheep):यह नस्ल मांस एवं ऊन दोनों के उत्पादन के लिए जानी जाती है।
Suffolk sheep: यह नस्ल पतले एवं दुर्गन्धहीन मांस के उत्पादन के लिए जानी जाती है।
इस भेड़ का पालन ऊन एवं खाल का उत्पादन करने के लिए किया जाता है।
पूर्वी फ्रेशियन (East Friesian):दुनियाभर में भेड़ की सबसे उत्पादक नस्लों में शामिल यह नस्ल दुनियाभर में दूध उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है।
भारत में, डेक्कन, बेल्लारी, मेरिनो, बैनर, चेविओट, हसन, रामबौइलेट, साउथ डाउन कुछ सामान्य भेड़ की नस्लें हैं, जिनका पालन व्यवसायिक तौर पर किया जाता है ।
3. भेड़ों के लिए शेल्टर बनायें (Make Shelter for Sheep Farming):
हालांकि छोटे स्तर पर Sheep farming Business करने के लिए उद्यमी को अलग से से शेल्टर या आवास बनाने की आवश्यकता नहीं होती है। व्यक्ति अन्य घरेलू पशुओं के साथ भी इनका पालन कर सकता है लेकिन एक व्यवसायिक फार्मिंग शुरू करने के लिए उद्यमी को भेड़ों के लिए अलग से शेल्टर या आवास बनाने की आवश्यकता होती है। क्योंकि एक अच्छा शेल्टर भेड़ों को सभी प्रकार के प्रतिकूल मौसम से मुक्त रखता है। हालांकि खुले खेतों में भेड़ों के लिए शेल्टर की व्यवस्था करने में आने वाली लागत बेहद कम होती है। आम तौर पर एक वयस्क भेड़ को केवल 20 Square Feet जगह की आवश्यकता होती है इसलिए दस फीट लम्बी एवं दस फीट चौड़ी जगह में 5-6 भेड़ से अधिक पाली जा सकती हैं। हालांकि फर्श से छत की ऊंचाई कम से कम छह फीट होनी जरुरी है। और Sheep Farming Business कर रहे उद्यमी को भेड़ों के रहने वाले स्थान की सफाई का विशेष ध्यान रखना होगा। एवं उस कमरे में प्रकाश एवं हवा आने जाने का उचित प्रबंध करना होगा। ऐसा न करने पर पशुओं का स्वास्थ्य खराब हो सकता है जिसका प्रतिकूल प्रभाव उद्यमी के बिजनेस पर पड़ सकता है।
4. खाने का प्रबंध करें (Arrange food for Sheep):
यद्यपि भेड़ कुछ भी खाकर आसानी से जीवित रह सकते हैं लेकिन उच्च गुणवत्ता एवं पौष्टिक खाद्य पदार्थ खाने से भेड़ स्वस्थ, रोग मुक्त एवं उत्पादक बने रहते हैं। इसलिए Sheep farming Business कर रहे उद्यमी को चाहिए की वह अपने भेड़ों को हमेशा ताजा एवं पौष्टिक भोजन खिलाने का प्रयत्न करे। अच्छा स्वास्थ्यवर्धक भोजन प्रदान करने के अलावा उन्हें हमेशा पर्याप्त मात्रा में स्वच्छ एवं ताजा पानी भी प्रदान करें। भेड़ों के लिए पोषणयुक्त आहार की लिस्ट कुछ इस प्रकार से है।
मेमने के लिए आहार चार्ट:
मेमनों को खिलाने के लिए निम्नलिखित चार्ट का अनुसरण किया जा सकता है।
भोजन का नाम प्रतिशत टूटा हुआ मक्का 22% टूटा हुआ चना 20% आलमंड के 35%गेहूं 20%खनिज नमक 2.5% नमक0.5%.
वयस्क भेड़ों को खिलाने के लिए निम्नलिखित चार्ट का अनुसरण किया जा सकता है।
भोजन का नामप्रतिशतटूटा हुआ मक्का 37% टूटा हुआ चना 15% आलमंड केक25% गेहूं20% खनिज नमक2.5% नमक0.5%
5. देखभाल एवं प्रबंधन करें:
Sheep farming Business कर रहे उद्यमी को इस बात का विशेष ध्यान रखना होगा की वह अपने बिजनेस से तभी कमाई कर पाने में समर्थ होगा जब उसके द्वारा पाले जा रहे भेड़ स्वस्थ एवं उत्पादक होंगे। इसलिए हमेशा अपने फार्म में उपस्थित जानवरों की अच्छी देखभाल करने की कोशिश करें। स्वस्थ एवं अच्छी नस्लों का चुनाव करें और उनके लिए पोषणयुक्त भोजन की व्यवस्था करने के साथ साथ अच्छे आवास का भी प्रबंध करें। ताकि वे विभिन्न प्रकार के संक्रमणों से मुक्त रहें इसके लिए उनका समय समय पर टीकाकरण एवं उचित दवाइयां भी उन्हें देते रहें। ताकि उनके स्वास्थ्य पर आने वाली किसी भी विपत्ति को रोका जा सके और आप उन्हें बेचकर अधिक से अधिक कमाई कर पाने में समर्थ हों। भेड़ों को वयस्क हो जाने पर समय समय पर बेचना ठीक रहता है और ऊन को भी समय समय पर एकत्रित करते रहे और स्थानीय बाजार में उसे बेचते रहें। इसके अलावा Sheep Farming Business कर रहे उद्यमी को अपने नजदीकी पशुधन प्रशिक्षण केंद्र में भी जाते रहना चाहिए और उनसे लाभदायक भेड़ पालन की नई नई प्रणाली सीखती रहनी चाहिए।