पहली बार ट्रेन की परिकल्पना 1604 में इंग्लैण्ड के वोलाटॅन में हुई थी जब लकड़ी से बनायी गई पटरियों पर काठ के डब्बों की शक्ल में तैयार किये गए ट्रेन को घोड़ों ने खींचा था।
भारतीय रेलवे एशिया का सबसे बड़ा रेलवे सिस्टम है. साथ ही संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, रूस के बाद भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क है। देश में पहली बार 22 दिसंबर, 1851 को रेल पटरी पर दौड़ी थीI वहीं, पहली यात्री रेल 16 अप्रैल, 1853 को मुंबई से ठाणे के बीच चलीI इस 35 कि.मी. के सफ़र में भाप के इंजन के साथ कुल 14 डिब्बे थेI उस दिन सार्वजनिक अवकाश था। लोग बोरीबंदी की ओर बढ़ रहे थे, जहां गर्वनर के निजी बैंड से संगीत की मधुर धुन माहौल को खुशनुमा बना रही थी। साढ़े तीन बजे से कुछ पहले ही 400 विशिष्ट लोग ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे के 14 डिब्बों वाली गाड़ी में चढ़े। रेलगाड़ी को ब्रिटेन से मँगवाए गए तीन भाप इंजन सुल्तान, सिंधु और साहिब ने खींचा। 20 डिब्बों में 400 यात्रियों को लेकर यह गाड़ी रवाना हुई। इस रेलगाड़ी ने 34 किलोमीटर का सफर सवा घंटे में तय किया और सायं 4.45 बजे ठाणे पहुंची।। अंग्रेजों ने भारत में रेल सेवा की शुरुआत 16 अप्रैल 1853 को अपनी प्रशासनिक सुविधा के लिए की थी लेकिन 160 वर्ष बाद करीब 16 लाख कर्मचारियों, प्रतिदिन चलने वाली 11 हजार ट्रेनों, 7 हजार से अधिक स्टेशनों एवं करीब 65 हजार किलोमीटर रेलमार्ग के साथ भारतीय रेल आज देश की जीवनरेखा बन गयी है। जो सफर 1853 को प्रारंभ हुआ, वह अब विश्व में द्वितीय तथा एशिया में पहले स्थान पर आ चुका है।
भारत में 1856 में भाप के इंजन बनना शुरू हुए। इसके बाद धीरे-धीरे रेल की पटरियाँ बिछाई गईं। पहले नैरोगेज पर रेल चली, उसके बाद मीटरगेज और ब्रॉडगेज लाइन बिछाई गई।
- 1 मार्च 1969 को देश की पहली सुपरफास्ट ट्रेन ब्रॉडगेज लाइन पर दिल्ली से हावड़ा के बीच चलाई गई। इसका नाम राजधानी एक्सप्रेस रखा गया।
- 15 नवंबर 1985 को दिल्ली में भारत का सर्वप्रथम कम्प्यूटरीकृत आरक्षण केंद्र स्थापित हुआ।
- 2003 में दिल्ली-अमृतसर शताब्दी एक्सप्रेस को परीक्षण के तौर पर बायोडीजल से चलाया गया।
- यात्री डिब्बों को वातानुकूलित करने का कार्य 1936 में पूरा हो पायाI
- भारतीय रेल्वे अधिनियम को 1890 में पारित करवाया गया था व इसका राष्ट्रीयकरण वर्ष 1950 में हुआ था
- वर्तमान में भारतीय रेल्वे में कुल 13.1 लाख कर्मचारी कार्यरत हैं
- रेलवे में 15 लाख से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं। भारतीय रेलवे दुनिया का 9 वां सबसे बड़ा नियोक्ता है।
- देश में कुल 7,500 स्टेशन हैं। पहला कंप्यूटर बेस्ड टिकट रिजर्वेशन नई दिल्ली में साल 1986 में शुरू हुआ था।
- ड्राइवर को मिलती है इंजीनियर से ज्यादा सैलरी
- रेलवे की वेबसाइट irctc.co.in दुनिया की सर्वाधिक देखी गई वेबसाइट में से एक है। इसपर हर मिनट लगभग 12-14 लाख विजिटर होते हैं।
- भारतीय रेल नेटवर्क इतना बड़ा है कि पटरियों से पृथ्वी को एक बार घेरा जा सकता है।
- एक ट्रेन ड्राइवर (लोको-पायलट) को सॉफ्टवेयर इंजीनियर से भी ज्यादा सैलरी मिलती है। इन्हें लगभग 1 लाख रुपये प्रतिमाह सैलरी मिलती है।
- भारत का सबसे बड़ा रेल ब्रिज वेम्बानाद (Vembanad) रेल ब्रिज है, जिसकी लंबाई 4.62 किलोमीटर है।
- रोज ढाई करोड़ से ज्यादा लोग करते हैं सफर
- भारत की सबसे धीमी गति से चलने वाली ट्रेन मेट्टुपलायम ऊटी निलगिरी पैसेंजर ट्रेन है। ये 10 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है।
- आज भले ही ट्रेनों में प्लेन जैसे टॉयलेट लगाए जा रहे हैं लेकिन इसकी सुविधा काफी समय बाद मिली है। साल 1909 से पहले ट्रेनों में टॉयलेट की सुविधा नहीं होती थी।
- रेलवे रोज 11,000 ट्रेनों का काम संभालता है। देश में रोजाना ढाई करोड़ लोग एक जगह से दूसरी जगह जाते हैं। ये कई देशों की जनसंख्या से भी ज्यादा है।
- भारतीय रेलवे दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल बनाने की तैयारी में है। जम्मू-कश्मीर में चेनाब नदी के ऊपर ये पुल बनाया जाएगा जो आइफिल टॉवर से भी ऊंचा होगा।
- देश में सबसे लंबी रेलवे सुरंग 11.215 किलोमीटर लंबी है। यह जम्मू-कश्मीर में पीर पंजल रेलवे सुरंग है।
- दुनिया का सबसे लंबा प्लैटफॉर्म भले ही गोरखपुर रेलवे स्टेशन हो लेकिन सबसे लंबा नाम आंध्र प्रदेश के पास है। आंध्र प्रदेश में Venkatanarasimharajuvaripeta स्टेशन है, जिसका नाम सबसे लंबा है।
- भारतीय रेलवे में 1,21,407 किमी का ट्रैक और 67,350 कि.मी. का मार्ग है जिस पर 8000 से ज्यादा स्टेसशन बने हुए हैं.
- दक्षिण भारत में पहली पैसेंजर ट्रेन 1856 को 60 मील की दूरी पर रॉयपुरम/वेयासरापादी (Veyasarapady) (मद्रास) से वालजाह रोड (Wallajah Road) (आर्कोट) तक चली थी.
- कोलकाता में पहली बार ट्रेन 15 अगस्त 1854 में हावड़ा से हुगली तक चली थी.
- 3 फरवरी 1925 को, भारत में पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन मुंबई में विक्टोरिया टर्मिनस (VT) और कुर्ला के बीच चली थी.
- भारत की पहली मेट्रो ट्रेन 24 अक्टूबर 1984 को कोलकाता में एस्प्लानेड (Esplanade) से भवानीपुर (Bhowanipur) तक चली थी.
- पहली शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन 1988 में नई दिल्ली और झांसी के बीच भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का जन्मशती मनाने के लिए चलाई गई थी. माधवराव सिंधिया उस समय भारतीय रेल मंत्री थे जिन्होंने इसको ध्वजांकित किया था.
- गतीमान एक्सप्रेस, 160 किमी/घंटा की अधिकतम गति वाली भारत की सबसे तेज ट्रेन, ने 5 अप्रैल, 2016 को दिल्ली से आगरा तक अपनी पहली यात्रा की. यह नई दिल्ली से झांसी तक चलती है.
- 31 मार्च 2017 को, भारतीय रेलवे ने घोषणा की कि भारत का पूरा रेल नेटवर्क 2022 तक विद्युतीकृत किया जाएगा.
- भारत की पहली रेल सुरंग का नाम पारसिक सुरंग है जो कि ठाणे महाराष्ट्र मैं 1916 में चालू की गई थी और भारत की सबसे लंबी रेल सुरंग पीर पंजाल रेल सुरंग या बनिहाल रेल सुरंग 11.215 किमी की है.
- भारत के पहले रेलवे पूल का नाम डैपूरी वायाडक्ट (मुंबई-ठाणे रूट पर) है और सबसे बड़ा रेलवे यार्ड मुग़ल सराय में है.
- रेलवे में टॉयलेट की सुविधा फर्स्ट क्लास में सन 1891 में तथा सेकंड क्लास में सन 1907 में शुरू की गई थी.
- भारतीय रेल बहुल गेज प्रणाली है जिसमें चौडी गेज (1.676 मि मी) मीटर गेज (1.000 मि मी) और पतली गेज (0.762 मि मी. और 610 मि. मी) है.
- रेलवे बोर्ड के वर्तमान अध्यक्ष: श्री अश्विनी लोहानी, वर्तमान रेल मंत्री: श्रीमान पीयूष गोयल हैं.
- भारत के पहले रेल भारतीय रेल को अंग्रेजों की देश को सबसे बड़ी सौगात के तौर पर बताया जाता रहा है. ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपनी सेना के स्थानान्तरण और व्यापारिक सामानों के आवागमन के मद्देनज़र इसका निर्माण करवाया था.
अंग्रेज़ों का ये मानना था कि रेल हिंदुस्तान में ब्रिटिश व्यापार, सरकार और सेना और इस देश पर मज़बूत पकड़ के लिए सहायक होगी.’ बाद में डलहौज़ी ने इसकी पैरवी करते हुए कहा था कि इससे ब्रिटिश उत्पादों को पूरा हिंदुस्तान मिल जाएगा और खनिजों को बंदरगाह तक लाया जा सकेगा जहां से उन्हें इंग्लैंड भेजा जाएगा. तब ईस्ट इंडिया कंपनी ने इंग्लैंड में निविदाएं जारी करके निवेशकों को इसकी तरफ आकर्षित किया था. लिहाज़ा, इसका निर्माण भी काफ़ी ऊंची कीमत पर हुआ.बीसवीं शताब्दी की शरुआत में दुनिया भर में दो तरह का स्टील इस्तेमाल में लाया जाता था. एक ब्रिटिश मानक द्वारा सत्यापित स्टील और दूसरा ग़ैर ब्रिटिश मानक सत्यापित. ब्रिटिश मानक स्टील महंगा होता था. अंग्रेजों ने इसी स्टील को भारत में रेल की पटरियों के लिए पास करवा लिया था. इसका एक नतीजा यह हुआ कि टाटा स्टील जैसी कंपनियों का सस्ता स्टील काम में नहीं लाया जा सका.
आज दुनिया की 90 फीसदी आबादी ट्रेन से सफर करती है। ट्रेन ने लोगों की जिंदगी में क्रांतिकारी परिवर्तन किया है।
भारत में रेल के संचालन में मद्रास के सिविल इंजीनियर एपी कॉटन का महत्वपूर्ण योगदान रहा। 1850 में इस कंपनी ने मुंबई से ठाणे तक रेल लाइन बिछाने का काम शुरू किया। एशिया और भारत में प्रथम रेल यात्रा 16 अप्रैल 1853 को दोपहर 3.30 बजे बोरीबंदर (छत्रपति शिवाजी टर्मिनस) से प्रारंभ हुई।
भारत में पहली पैसेंजर ट्रेन 15 अगस्त 1854 में पश्चिमी भारत में हावड़ा से हुगली के लिए चली थी, जिसकी दूरी 24 मीटर थी।
मेटुपाल्यम (Metupalayam) ऊटी नीलगिरी पैसेंजर ट्रेन भारत की सबसे धीरे चलने वाली ट्रेन है, जो 10 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से चलती है।
भारतीय रेलवे हर रोज करीब 11,000 ट्रेन चलाती है, जिनमें से 7000 पैसेंजर ट्रेन हैं। दुनिया के सबसे बड़े रूट रिले इंटरलॉकिंग सिस्टम के लिए नई दिल्ली रेलवे स्टेशन का नाम गिनीज बुक ऑफ
2,733 फुट की दूरी के साथ पश्चिम बंगाल का खड़गपुर रेलवे स्टेशन सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन है।
भारत का सबसे बड़ा रेल ब्रिज वेम्बानाद (Vembanad) रेल ब्रिज है, जिसकी लंबाई 4.62 किलोमीटर है।
वर्तमान मे गतिमान एक्स्प्रेस 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार के साथ भारत की सबसे तेज ट्रेन है इससे पहले भारत की सबसे तेज रेलगाड़ी भोपाल शताब्दी के रूप में 150 किमी / प्रति घंटा की गति से थी. आइए जानते है दस सबसे तेज चलने वाली भारत की रेल गाडिया.
गतिमान एक्सप्रेस 12050 (नई दिल्ली-आगरा):
गतिमान एक्सप्रेस एक अर्द्ध-उच्च गति वाली रेलगाड़ी है जो नई दिल्ली से आगरा केवल 100 मिनट में 160 किमी / घंटा की गति से चलने पर पहुचा देगी ! भारत के दो सबसे बड़े पर्यटन स्थल दिल्ली और आगरा,भारत की पहली अर्द्ध-हाई स्पीड ट्रेन से जुड़ेंगे!
भोपाल शताब्दी (नई दिल्ली-भोपाल):
भोपाल शताब्दी नई दिल्ली और आगरा खंड पर 155 किमी / घंटा की गति के साथ चलने वाली भारत की दूसरी सबसे तेज ट्रेन है। नई दिल्ली हबीबगंज शताब्दी एक्सप्रेस मेट्रो और तीर्थयात्रा और व्यापार के लिए नई दिल्ली, ग्वालियर और भोपाल जैसे प्रमुख पर्यटन शहरों को जोड़ती है।
राजधानी एक्सप्रेस (मुंबई-नई दिल्ली):
मुंबई राजधानी एक्सप्रेस एक सुपर फास्ट एक्सप्रेस ट्रेन है, जो कि मुंबई से दिल्ली के बीच चलती है और भारत की सबसे तेज चलने वाली राजधानी ट्रेन है। राजधानियां गाड़ी भारत में शताब्दी और दुरंतो एक्सप्रेस के साथ सबसे तेज़ ट्रेनों में से एक है।
सियालदह दुरंतो (सियालदह-नई दिल्ली):
नई दिल्ली दुरंतो एक्सप्रेस ट्रेन, दुरंतो एक्सप्रेस की सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेन है, जो सियालदह और नई दिल्ली के बीच चलती है। दुरंतो एक्सप्रेस श्रेणी की रेलगाड़ियां लंबी दूरी की ट्रेन हैं और भारतीय रेलवे द्वारा पहली बार चलने वाली दुरांतो एक्सप्रेस सियालदह दुरंतो एक्सप्रेस है!
कानपुर रिवर्स शताब्दी (नई दिल्ली-कानपुर):
कानपुर नई दिल्ली शताब्दी एक्सप्रेस कानपुर सेंट्रल मार्ग पर चलने वाली दूसरी शताब्दी है, लखनऊ स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस पहली है, इसे लखनऊ शताब्दी एक्सप्रेस के रिवर्स टाइम टेबल के कारण कानपुर रिवर्स शताब्दी कहा जाता है।
हावड़ा राजधानी (नई दिल्ली-हावड़ा):
हावड़ा राजधानी एक्सप्रेस हावड़ा और नई दिल्ली के बीच भारतीय रेलवे की पहली राजधानी ट्रेन है। हावड़ा राजधानी पूरी तरह से वातानुकूलित डिब्बों की ट्रेन है और भारत में एसी टू टायर डिब्बों की पहली एक्सप्रेस ट्रेन भी है।
हावड़ा दुरंतो (नई दिल्ली-हावड़ा):
हावड़ा-नई दिल्ली दुरंतो एक्सप्रेस को कोलकाता दुरंतो एक्सप्रेस के रूप में भी जाना जाता है और कोलकाता और राष्ट्रीय राजधानी के बीच एक बहुत ही महत्वपूर्ण ट्रेन है। कोलकाता डोरोंटो रेलगाड़ी पूर्वी क्षेत्रीय भारतीय रेल के ग्रैंड चौधरी मार्ग का उपयोग करती है और इस रेलगाड़ी में दिल्ली दुरंतो, सियालदह राजधानी और हावड़ा राजधानी एक्सप्रेस के बाद सबसे तेजी से ट्रेनों में से एक है।
इलाहाबाद दुरंतो एक्सप्रेस (नई दिल्ली-इलाहाबाद):
लोकमान्य तिलक टर्मिनस – इलाहाबाद दुरंतो एक्सप्रेस ट्रेन मुंबई और इलाहाबाद के बीच सबसे तेज चलने वाली ट्रेन है और लोकमान्य तिलक टर्मिनस और इलाहाबाद जंक्शन के बीच भारतीय रेल के सुपरफास्ट