श्री बंसीलाल; हरियाणा के भिवानी जिले के गोलागढ़ गांव के जाट परिवार में जन्मे इस हरियाणा के कद्दावर नेता को आज भी लोग सम्म्मान के साथ याद करते हैं।
★ बंसीलाल का बचपन : बंसीलाल का जन्म हरियाणा के भिवानी ज़िले 26 अगस्त 1927 को एक तत्कालीन लोहारू रियासत में एक सम्पन्न परिवार में हुआ था ।
★ पिता की इच्छा के बाद भी की पढ़ाई पूरी : बंसीलाल के पिता बच्चों की अधिक शिक्षा के पक्ष में नहीं थे। इसीलिए थोड़ी आरम्भिक शिक्षा के बाद 14 वर्ष की उम्र में ही बंसीलाल को अनाज के व्यापार में जोत दिया गया।
पिता की अनुमति न मिलने पर भी बंसीलाल ने अध्ययन जारी रखा और 1952 तक प्राइवेट परीक्षाएँ देते हुए बी.ए. पास कर लिया। फिर उन्होंने 1956 में पंजाब विश्वविद्यालय से क़ानून की डिग्री ले ली। भिवानी में वकालत करते हुए बंसीलाल पिछड़े हुए किसानों के नेता बन गए।
★ बंसीलाल का राजनीतिक जीवन :- एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में, वे 1943 से 1944 तक लोहारू राज्य में परजा मंडल के सचिव थे। लाल 1957 से 1958 तक बार एसोसिएशन, भिवानी के अध्यक्ष थे। वह 1959 से 1962 तक जिला कांग्रेस कमेटी, हिसार के अध्यक्ष थे और बाद में वे कांग्रेस कार्यकारिणी समिति तथा कांग्रेस संसदीय बोर्ड के सदस्य बने। वे 1958 से 1962 के बीच पंजाब प्रदेश कांग्रेस समिति के सदस्य थे। वे 1980-82 के बीच संसदीय समिति और सरकारी उपक्रम समिति और 1982-84 के बीच प्राक्कलन समिति के भी अध्यक्ष थे।31 दिसम्बर 1984 को वे रेल मंत्री और बाद में परिवहन मंत्री बने। वह 1960 से 2006 और 1976 से 1980 तक राज्य सभा के सदस्य थे। वे 1980 से 1984, 1985 से 1986 और 1989 से 1991 तक लोक सभा के सदस्य थे। 1996 में कांग्रेस से अलग होने के बाद, बंसीलाल ने हरियाणा विकास पार्टी की स्थापना की एवं शराबबंदी के उनके अभियान ने उन्हें उसी वर्ष विधान सभा चुनाव में सत्ता में स्थापित कर दिया।
★ हरियाणा के मुख्यमंत्री :- बंसीलाल 1968, 1972 1986 और 1996 में में चार बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। वे भगवत दयाल शर्मा एवं राव बीरेंद्र सिंह के बाद हरियाणा के तीसरे मुख्यमंत्री थे। वे 31 मई 1968 को पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने और उस पद पर 13 मार्च 1972 तक बने रहे। 14 मार्च 1972 को, उन्होंने दूसरी बार राज्य में शीर्ष पद धारण लिया और 30 नवम्बर 1975 तक पद पर बने रहे। उन्हें 5 जून 1986 से 19 जून 1987 तक एवं 11 मई 1996 से 23 जुलाई 1999 तक तीसरी और चौथी बार मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया।
बंसीलाल राज्य विधानसभा के लिए सात बार चुने गए, पहली बार 1967 में कुछ समय के लिए चुने गए। 1966 में हरियाणा के गठन के बाद राज्य का अधिकांश औद्योगिक और कृषि विकास, विशेष रूप से बुनियादी ढांचे का निर्माण लाल की अगुआई के कारण ही हुआ। वे 1967, 1968, 1972, 1986, 1991 और 2000 में सात बार राज्य विधानसभा के लिए चुने गए। साठ के दशक के अंत में और सत्तर के दशक में मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान वे हरियाणा में सभी गांवों में बिजलीकरण के लिए जिम्मेदार थे। वे राज्य में राजमार्ग पर्यटन के अग्रदूत थे – यह वह मॉडल था जिसे बाद में कई राज्यों के द्वारा अपनाया गया। कई लोगों द्वारा उन्हें एक “लौह पुरुष” माना जाता है जो हमेशा वास्तविकता के करीब थे और जिन्होंने समुदाय के उत्थान में गहरी दिलचस्पी ली।
★ इंदिरा गांधी और संजय गांधी के वफादार थे बंसीलाल : बंसीलाल को पूर्व पीएम इंदिरा गांधी का करीबी माना जाता था. सीएम की कुर्सी जाने के बाद बंसीलाल इमरजेंसी के दौरान रक्षा मंत्री के पद पर रहे. इसी दौरान बंसीलाल के बेटे सुरेंद्र की दोस्ती संजय गांधी से हो गई. इंदिरा गांधी और संजय गांधी के प्रति बंसी लाल वफादार थे. हरियाणा में मारुति फैक्ट्री को जमीन दिलाने में बंशीलाल ने बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इसका बंशीलाल को राजनीतिक फायदा भी मिला. लेकिन बंसीलाल की सियासत को उस वक्त बड़ा झटका लगा, जब भजनलाल जनता पार्टी तोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए. भजनलाल के आने के बाद बंसीलाल के किले में सेंध लगना शुरू हो गई. हालांकि 1985 में बंसीलाल दोबारा से राज्य के सीएम बनने में कामयाब हुए, पर 1987 में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा. 1991 में जब कांग्रेस दोबारा सत्ता में वापस आई तो बंसीलाल की जगह भजनलाल को राज्य का सीएम बनाया गया. 1996 के चुनाव में बंसीलाल ने हरियाणा विकास पार्टी बनाने का फैसला किया और बीजेपी के सहयोग के साथ सरकार बनाने में कामयाब हुए.
★ कांग्रेस के हाथ का फिर मिला साथ : 2000 में बंसीलाल की सियासत को तगड़ा झटका लगा. बंसीलाल की पार्टी राज्य में सिर्फ 2 सीटों पर सिमट गई और बंसीलाल के बेटे सुरेंद्र भी चुनाव हार गए. 2004 के लोकसभा चुनाव में भी बंसीलाल की पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई. इसके बाद सुरेंद्र ने पिता से अलग लाइन लेते हुए हरियाणा विकास पार्टी का कांग्रेस में विलय का फैसला कर लिया. इसी दौरान बंसीलाल के दूसरे बेटे रणबीर सिंह महेंद्रा बीसीआई के अध्यक्ष बनने में कामयाब हुए. 2005 में बंसीलाल ने कांग्रेस की तरफ से चुनाव नहीं लड़ने निर्णय लिया. 2005 में बंसीलाल के दोनों बेटे सुरेंद्र और रणबीर चुनाव जीतने में कामयाब हुए. भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार में सुरेंद्र को कैबिनेट मंत्री भी बनाया गया. मंत्री बनने के कुछ वक्त बाद ही एक विमान हादसे में बंसीलाल के बेटे सुरेंद्र का निधन हो गया. सुरेंद्र के निधन के बाद उनकी पत्नी किरण चौधरी ने हरियाणा की सियासत में कदम रखा और तोशाम से विधायक बनने में कामयाब हुए.
★ हरियाणा का विकास पुरुष : बंसीलाल के बारे में मशहूर था कि वो कभी एक जगह पर चैन से नहीं बैठ सकते थे और महीने में 25 दिन हरियाणा की अलग अलग जगहों का दौरा किया करते थे. गाँव-गाँव में पानी, बिजली और सड़क पहुंचाने के लिए उन्हें हरियाणा का विकास पुरुष भी कहा जाता है. वास्तव में ये उनका एक तरह से जुनून भी था.
● हरियाणा के बने भगीरथ : बंसी लाल हर हालत में यमुना के पानी को दक्षिण हरियाणा के रेतीले टीलों के पार पहुंचाना चाहते थे. हरियाणा के पूर्व मुख्य सचिव और ‘माई इंनकाउंटर्स विद थ्री लाल्स ऑफ़ हरियाणा’ के लेखक राम वर्मा बताते हैं, ‘इसके लिए उन्होंने चीफ़ इंजीनयर के.एस. पाठक की मदद ली. वो पहले अमरीका में ‘टेनेसी वैली कॉरपोरेशन’ में काम कर चुके थे. उन्होंने उनसे कहा कि वो भारी पंपों का प्रयोग कर नहर के पानी को ऊपर पहुंचा देंगे. इसके लिए दो चीज़े ज़रूरी हैं. एक तो पर्याप्त मात्रा में पानी हो और दूसरे बिजली की भी कमी न हो. जुलाई में इस ‘लिफ़्ट कनाल’ परियोजना का उद्घाटन केंद्रीय मंत्री जगजीवन राम ने बटन दबा कर किया था. बटन दबाते ही जैसे ही पानी नहर में आया,वहाँ मौजूद लोग अपने आप को रोक ही नहीं सके और धोती कुर्ता पहने-पहने ही बहते पानी में कूद गए. उस इलाके की औरतों ने बंसी लाल के सम्मान में लोक गीत बनाए, जिनमें उनकी तुलना भगीरथ ऋषि से की गई जो स्वर्ग से गंगा को पृथ्वी पर लाए थे.’
★ पुरस्कार और सम्मान: 1972 में, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय और हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने उन्हें क्रमशः डॉक्टर ऑफ लॉ और डॉक्टर ऑफ साइंस की मानद उपाधि प्रदान की।
★ बंसीलाल की मौत : बंसीलाल की 28 मार्च 2006 को नई दिल्ली में मृत्यु हो गई। वे कुछ समय से बीमार थे।